रक्षा सूत्र -श्लोक - :*
*येन बद्धो बली राजा दानव इन्द्रो महाबलः ।*
*तेन त्वां अभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल ।।*
अर्थ –रक्षा
सूत्र /बंधन (के अभाव में )नहीं होने से महा शक्तिशाली दानव राज बलि को बाँध /पकड
लिया गया था | हे रक्षा सूत्र इस प्रकार मै आपको बांधतीहूँ |तुम चलना नहीं ,न चलना (गिरना . छुटना या कलाई से
पृथक नहीं होना )|
* मंत्रोच्चारण
व शुभ संकल्प सहित यह रक्षा (राखी) बहन
अपने भाई को, माँ अपने बेटे को, दादी अपने पोते को बाँध
सकती है । पत्नी अपने पति (इंद्र को उनकी पत्नी इन्द्राणी
युद्ध के लिए प्रस्थान के पूर्व बांधा था ) . यही
नहीं, शिष्य भी यदि इस राखी को
अपने ,गणेश या कुल देवता ,सद्गुरु को प्रेम श्रद्धा,आस्था ,समर्पण सहित अर्पण करता है तो उसकी सब अमंगलों से रक्षा होती
है |अब परंपरा मात्र भाई –बहन के
मध्य प्रचलन में है |
v यदि स्वर्ण (राजसी व्यक्तित्व के
विकास) ,युक्त राखी है तो अथर्वेद की
निम्न ऋचा बोले
v (हिंदी
भाषा में भी बोल सकते हैं )
v यदा बघ्नन दाक्षा याणा
हिरण्यं शतानीकाय सुमनस्य मानाः|
v तत ते बघ्नाम आयुषे वर्चसे बलाय दीर्घायु त्वाय शत
शारदाय||1
v समानाम मास अमृतुभिष्ट वा वयं संवत सारस्य पयसा
पिपर्मि
v इन्द्राग्नी विश्वे
देवास्तेनु मन्यन्ताम ह्रिणीय मानाः ||2
v (दक्ष गोत्र वाले श्रेष्ठ
महाऋषियों ने राजा शतानीक को सुख शक्ति, व् दीर्घायु प्रदायक , जो स्वर्ण बाँधा था |उसको हम आपको १००.वर्ष की
आयु ,तेज एवं सुसामर्थ्य के लिए बांधते हैं | आपकी धन अभिलाषा (हम
समान ऋतुओं ,संवत्सर में गो दुग्ध से) को पूर्ण करते हैं |इंद्र
अग्नि एवं समस्त देव आपकी त्रुटियों(अनाचार,दुराचार,पापमयी,असत्य,धर्म,देवादि,समाज/देश विरोधी ) पर क्रोधित न हो अपितु
स्वर्ण धारण से प्राप्त सभी फलो.कामनाओं की पूर्ति .स्वीकृति दे |
ishir n
अन्यत्र दुर्लभ -राखी
बंधन का श्रेष्ठ मुहूर्त–(भद्रा,ग्रहण
सुतक,कंटक ,यमघंट,काल,कुलिक ,कालबेला ,राहुकाल आदि अशुभ लग्न आदि कुदोषों से मुक्त )
सर्वसामान्य हेतु प्रातः 6:00-6:45;11:00-11.35;12:00-12:24;1:00-1:52:
मेष,कर्क,सिंह,वृश्चिक,धनु,मीन राशी के लिए –
(यदि राशी अज्ञात हो -नाम
प्रथम अक्षर म.ट.भ.च,ह,न,य,द,अ)
प्रातः 6:00-6:45 (मीन राशी–प्रातः6:00-6:38
तक );एवं
1:00-1:52 Lवृश्चिक राशी-1:00-1:17तक L1:20-1:52तक ;.
वृष,मिथुन,कन्या,तुला,मकर .कुम्भ राशी के
लिए –
दिन में -11:04-11.35;12:00-12:24;
(यदि राशी अज्ञात हो -नाम
प्रथम अक्षर- इ.उ.इ.ओ.व.बी.क.प.ठ.स.ख.ग.र.त.)
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