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दुर्गा पूजा किस तिथि को करे एवं किस वस्तु से निर्मित मूर्ति पूजा के क्या फल होते है

स्कंद पुराण के अनुसार

ü  यदि कोई व्यक्ति प्रातः उठते समय सोते समय यात्रा करते समय भोजन करते समय दुर्गा देवी का स्मरण करता है तो उसके सारे बंधन छूट जाते हैं एवं समस्याओं पर विजय प्राप्त होती है
ü  देवी के मंदिर में सफाई या झाड़ू लगाने से संपत्ति और ईश्वर प्राप्त होते हैं
ü  देवी के मंदिर या क्षेत्र को गोबर से लीपने से लिखने वाले की कामनाएं पूर्ण होती हैं
ü  गूगल और घी से हवन या जो गूगल और घी देवी को अर्पण करता है 6 माह  तक 1000 गाय दान करने जैसा पुन्य फल प्राप्त होता है
ü  जो अगरु धूप देवी को प्रदान करता है या अर्पित करता है उसे याग्निक का फल मिलता है
ü  जो दुर्गा को इत्र या सुगंधित पदार्थ अर्पित करता है उसे ज्योतिष अष्ट ओम यज्ञ का फल मिलता है
ü  दुर्गा जी को कृष्णा अगरु के लेप करने से बाज पर यज्ञ का फल प्राप्त होता
ü  दुर्गा जी को कुमकुम के लिए 1 से 1000 गोदान का फल मिलता है
ü  देवी को चंदन अगरु कस्तूरी कुमकुम का लेप करने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है
ü  कनेर की माला से पूजा करने से या दोन पुष्प की माला द्वारा देवी का देवी की पूजा करने से राज्य से यज्ञ का फल एवं स्वर्ग की प्राप्ति होती है
ü   वन में होने वाले या अपने आप उत्पन्न होने वाले पुष्पों की माला द्वारा देवी की पूजा करने से पितृ लोक की प्राप्ति होती है
ü   शमी पुष्प की माला से पूजा करने से एक हजार गाय के दान जैसा फल मिलता है एवं विष्णु लोक की प्राप्ति होती है
ü  नवमी तिथि में बिल्वपत्र की माला बिल्वपत्र /बिलपत्र यह गूगल से देवी की पूजा करने से राजसूय यज्ञ की प्राप्ति होती है
ü  नवमी तिथि पर दूध से भगवती दुर्गा का अभिषेक करना चाहिए इससे बाजपे यज्ञ का फल मिलता है
ü  शुक्ल पक्ष की नवमी अष्टमी और चतुर्दशी में देविका 3 समय पूजन करने से दुर्गा देवी की कृपा प्राप्त होती है
ü  नवमी तिथि में उपवास कर चंडिका देवी का पूजन करने वाले को उच्च पद एवं प्रतिष्ठा प्राप्त होती है
ü  पर्व काल  में चंडिका देवी का पूजन करने से ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है
ü  चतुर्मास में चंडिका देवी के पूजन से जैसे कार्तिक मास की नवमी तिथि में जो फल प्राप्त होता है वह फल प्राप्त होता है
ü  अश्वनी या क्वार माह  के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि में नौ चंडिका देवी का पूजन अश्वमेघ 1600 राजस्व यज्ञ जैसा फल प्राप्त होता है अर्थात यश प्रतिष्ठा कीर्ति सुख वैभव आदि में वृद्धि होती है
ü  कार्तिक मास की पूर्णिमा में सोमवार या कुमार अश्विनी मास में सूक्ष्म धारा द्वारा दुर्गा का घी से अभिषेक करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं
ü  आषाढ़ मास में पूर्णिमा तिथि को अंबिका के नाम से दुर्गा की पूजा करना चाहिए इससे परम गति की प्राप्ति होती है कष्टों में कमी होती है
ü  दक्षिणायन सूर्य के समय या सूर्य चंद्र ग्रहण के समय दुर्गा पूजा करने से पुत्र संतान की प्राप्ति होती है
ü  दुर्गा जी को रत्नों के द्वारा सुसज्जित कर पूजा करने से दुर्लभ ब्रह्म पद की प्राप्ति होती है
ü  नीलम इंद्रनील की दुर्गा की पूजा से विष्णु लोक प्राप्त होता है
ü  सोने की दुर्गा मूर्ति की पूजा से धन की प्राप्ति होती है
ü  रत्नों से बनी दुर्गा की पूजा से जीवन में सुख एवं वैभव की प्राप्ति होती है
ü  चांदी की दुर्गा मूर्ति की पूजा करने से सभी कामनाएं पूर्ण होती है एवं कार्यों में सफलता प्राप्त होती है
ü  पीतल की दुर्गा की पूजा करने से कार्य पूर्ण होते हैं
ü  कांसे से की दुर्गा मूर्ति की पूजा करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं
ü  मिट्टी या पार्थिव दुर्गा की पूजा करने से ज्ञान बुद्धि एवं प्रसिद्धि प्राप्त होती है
ü  स्फटिक से निर्मित दुर्गा की पूजा करने से   पीने वाली वस्तुओंवस्तुओं की जीवन में कमी नहीं होती है
ü  रत्नों की दुर्गा की पूजा करने से तेज गरमा एवं प्रसिद्धि मिलती है
ü  तांबे से बनी दुर्गा की पूजा करने से सूर्य के समान तेज प्राप्त होता है
ü  मोती संयुक्त देवी की पूजा करने से शीतलता एवं विजय प्राप्त होती है
ü  मूंगे से युक्त देवी की पूजा करने से आकर्षण या वर्ष का प्रभाव पड़ता है
ü  शीशे से बनी देवी की मूर्ति की पूजा करने से विश्व में प्रभाव पड़ता है
ü  लोहे की देवी की पूजा से सिद्धि एवं सफलता प्राप्त होती है
ü  त्रिलोह से बनी देवी की पूजा से सुख वैभव प्राप्त होते हैं
ü  प्लेटिनम से निर्मित देवी की पूजा से मुक्ति पर होती है
ü  मणि युक्त देवी की पूजा से सभी कार्यों में सफलता मिलती है
कुछ जानने योग्य बातें
o   दुर्गा पाठ के पहले रात्रि सूक्त एवं दुर्गा पाठ के अंत में देवी सूक्त को पढ़ना चाहिए
o   पहले कवच अर्गला कीलक का पाठ कर न्यास एवं उसके पश्चात दुर्गा पूजा कर रात्रि सूक्त और अंत में देवी सूक्त का पाठ करना चाहिए या 108 बार नवारण मंत्र का जाप करना चाहिए
o   सप्तशती का पाठ करने के पहले साफ उद्धार उत्कीलन करना चाहिए
मार्कंडेय पुराण के अनुसार सप्तशती का पाठ करने से पहले सरस्वती सूक्त अवश्य पढ़ना चाहिए
o   ज्ञान या महाविद्या के लिए पहले दूसरे और तीसरे चरित्र का क्रम पूर्वक पाठ करना चाहिए
महातंत्र की दृष्टि से सबसे पहले चरित्र फिर अंतिम चरित्र तथा अंत में मध्यम चरित्र पढ़ना चाहिए
o   सप्तशती पाठ के लिए मध्यम चरित्र पहले आदि चरित्र मध्य में अंत में अंतिम चरित्र पढ़ना चाहिए
o   मृत संजीवनी विद्या की प्राप्ति के लिए पहले अंतिम फिर प्रथम तथा अंत में मध्यम चरित्र को पढ़ा जाता है
o   महा चंडी की कृपा के लिए पहले अंतिम उसके पश्चात मध्य तथा अंत में आदि   चरित्र या प्रथम चरित्र को पढ़ना चाहिए




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