अमोघ संक्षिप्त नव दुर्गा दैनिक स्मरण
प्रारंभ – प्रतिदिन पूजा से पूर्व – ( एक बार बोलना चाहिए )
नवग्रेहेभ्यो नमः
वस्तुदेवताम्यो नमः
गणपतये नमः
ओम ह्रीं क्लीं
श्रीं क्रीं चंडिका दैव्यै शाप नाश अनुग्रहे कुरु 2 स्वाहा |
- देवी को अर्पणीय- दर्पण, सिंदूर, चना, गुड़, लाल वस्त्र |
- स्वरूप स्मरण मंत्र- ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै |
1. प्रतिपदा
ॐ जगत्पूज्ये जगद्
वन्द्ये शक्ति स्वरूपिणी पूजा ग्रहण कौमारी जगत् मातर नमोस्तुते |
ॐ ॐ शैलपुत्र्यै
नमः |
2. द्वितीया
ॐ त्रिपुरां
त्रिगुणधारां मार्ग ज्ञान स्वरूपिणीन् |
त्रैलोक्य वंदितां
देवी त्रिमूर्ति पूजयाम्यहम् |
ॐ ब्रह्मचारिण्यै
नमः |
3. तृतीय
ॐ कालिकां तु
कलातीतां कल्याण हृदयाम् शिवाम् |
कल्याण जननी
नित्यं कल्याणीं पूजयाम्य हम् |
ॐ चंद्र घंटायै
नमः |
4. चतुर्थी
ॐ अणिमादि
गुणोदारां मकराकार चक्षुषम् |
अनंत शक्ति भेदाम
ताम कामाक्षीम् पूज्याम्य हम् |
ॐ कुष्माण्यै नमः |
5. पंचमी
ॐ चण्डवीरां
चण्डमायां चण्डमुंड प्रभंजनीम् |
तां नमामि च
देवेशीं चण्डिकां पूजयाम्य हम् |
ॐ स्कंदमात्रै नमः
|
6. षष्ठी
ॐ सुखानंद करीं
शांतां सर्व देत्यै नमस्कृताम् |
सर्व भूतात्मिकां
देवीं शांभवी पूजयाम्य हम् |
ॐ कात्यायन्यै नमः
|
7. सप्तमी
ॐ चण्डवीरा चंड
मायां रक्तबीज प्रभंजनीम् |
तां नमामि च
देवेशीं गायत्री पूजयाम्य हम् |
ॐ कालरात्र्यैनमः |
8. अष्टमी
ॐ सुंदरी
स्वर्णवर्णागीम् सुख सौभाग्य दायिनीम् |
संतोष जननीं देवीं
सुभद्राय् पूजयाम्य हम् |
ॐ महागौर्ये नमः |
9. नवमी
ॐ दुर्गमे दुस्तरे
कार्ये भव दुख विनाशिनी |
पूजयामि सदा
भक्तया दुर्गा दुर्गाति नाशिनीम् |
ॐ सिद्धिदात्र्यै
नमः |
दीपक तैल
तिल तैल-सर्वसफलता
महुआ तैल-सौभाग्य
गाय घी-सर्वसिद्धि
तैल दीपक –देवी के बांऐ रखे | घी दीपक –देवी के दांऐ रखे |
दीप वर्तिका –पूर्व-सफलताप्रद एवं उत्तर-धन वैभवप्रद | पश्चिम विजयप्रद, ( मुकद्दमे में अनुकूलता )
- दीपक मंत्र प्रतिदिन आरती की जानी चाहिए | पूजा के समय दीपक जलाने के पश्चात् उसे निम्न
मंत्र पढ़कर नमस्कार करना चाहिए-
दीप ज्योति पर ब्रह्म, दपी ज्योति जनार्दना: |
दीपो हरतु पापम्, संध्या दीप नमोस्तुते: |
शुभं करोति कल्याणं, आरोग्य सुख संपदाम: |
शत्रु बुद्धि विनाशाय, मम् सर्व बाधा हरणं,
च दीप ज्योति नमोस्तुते |
प्रदक्षिणा-केवल
एक करना चाहिए |
प्रतिदिन हवन नहीं
करे तो हवन 1,
3, 5, 7, 9 तिथि को करें |
- हवन आहुति समय- 9.40-10.40 बजे |
- पाठक्रम- ( दुर्गासप्तशती ) द्वितीय, तृतीय, अध्याय
| कुंजित स्तोत्र
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