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तुलसी सूखी लकड़ीका दीपकप्रयोज्य लाभ:

         विष्णु पुराण में वर्णित :  विष्णु पुराण के अनुसार , 24 प्रकार के दीपक का वर्णन है , जिसमें तुलसी का दीपक सबसे श्रेष्ठ माना गया है। इसे कार्तिक पक्ष की शुक्ल एकादशी और त्रयोदशी के दिन जलाने से विशेष लाभ मिलता है। दीपक तुलसी लकड़ी का बनाये- - तुलसी की एक या 7 सूखी लकड़ी लें. कलावा या मौली को शुद्ध घी या तिल तेल में भिगी कर   , लकड़ी पर लपेट दें. भगवान विष्णु के सामने या मंदिर में इसे मिटटी या पीतल के दीपक में रख कर प्रज्वलित /जला कर अपनी मनो कामना कहे . प्रयोज्य लाभ: यह उपाय विशेष रूप से शुभ है और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इसके द्वारा आपके सभी कष्टों का निवारण होता है और घर में सुख-शांति का वास होता है। धन-धान्य की प्राप्ति होती है , साथ ही साथ घर के नकारात्मक प्रभावों से मुक्ति मिलती है। यह उपाय समृद्धि , सुख और शांति की कामना को पूरा करता है और जीवन में सकारात्मक बदलाव लाता है। यह उपाय विशेष रूप से कार्तिक मास और शुक्ल एकादशी के दिन अधिक प्रभावी होता है। तुलसी की सूखी लकड़ी का दीपक जलाने के लाभ: 1. प्रयोज्य लाभ:

आंवला नवमी (अक्षय नवमी) का महत्व एवं पूजन विधि

  आंवला नवमी (अक्षय नवमी) का महत्व एवं पूजन विधि 1. दिन का महत्व: तिथि: कार्तिक शुक्ल पक्ष नवमी इस दिन को गिफ्ट डे , हेल्थ डे , आंवला ट्री डे के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा करने से आरोग्य , दीर्घायु एवं सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। देवी लक्ष्मी , भगवान विष्णु और शिवजी की कृपा इस दिन विशेष रूप से मानी जाती है। पौराणिक मान्यता: ब्रह्माजी के आंसुओं से आंवले के वृक्ष की उत्पत्ति हुई थी , इसलिए इसे पवित्र एवं अक्षय माना गया है। विष्णु भगवान ने कहा कि आंवला का फल उन्हें अत्यंत प्रिय है और इसकी पूजा से सारे पाप समाप्त हो जाते हैं। 2. पौराणिक कथा: जब संपूर्ण पृथ्वी जलमग्न हो गई थी , तब ब्रह्माजी ने कमल पुष्प पर बैठकर तपस्या की। भगवान विष्णु के प्रकट होने पर उनके चरणों में ब्रह्मा के आंसू गिरे , जिनसे आंवला वृक्ष की उत्पत्ति हुई। लक्ष्मीजी ने भी पृथ्वी पर भ्रमण करते समय आंवले के वृक्ष को शिव और विष्णु का स्वरूप मानकर पूजा की , जिससे प्रसन्न होकर दोनों देवता प्रकट हुए। 3. पूजा का महत्व (पद्म पुराण): भगवान शिव ने कार्तिकेय से कहा