19 अगस्त को जन्माष्टमी
भाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी
श्री कृष्ण जन्माष्टमी निर्णय
विभिन्न पुराणों में( विष्णु
पुराण ,शिव पुराण, ब्रह्म पुराण, भविष्य पुराण के
अनुसार) भगवान श्री कृष्ण का जन्म
भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी ,बुधवार को
,रोहिणी नक्षत्र में अर्धरात्रि के समय हुआ था .
इस व्रत को अपने अपने तरीके से माना जाता है । व्रत पर्व
ग्रंथों के अनुसार इस अष्टमी के लगभग 18
प्रकार के भेद हैं।
मथुरा वृंदावन में श्री कृष्ण जन्म
उत्सव व्रत आदि उदय कालिक ,अष्टमी के दिन ही मनाए जाने का सिद्धांत है ।
नियम
1भविष्य पुराण में अष्टमी तिथि में ही
उपवास करने के लिए कहा गया है जन्माष्टमी विचार निर्णय सिंधु पृष्ठ 263
2रोहिणी नक्षत्र नहीं
होने पर चंद्रमा संयुक्त रात्रि उपयोग करने के निर्देश हैं।
3 स्कंद पुराण में लिखा है उदय काल में थोड़ी देर भी अष्टमी हो उस सारे दिन नवमी हो तो भी ऐसी अष्टमी प्रयोग की जाना चाहिए (दिनांक 19 को
अष्टमी 23: 06बजे तक)।
4पद्मपुराण, पूर्व विद्धा अष्टमी
ग्रहण करे।
5 ब्रह्मवैवर्त पुराण सप्तमी युक्त अष्टमी छोड़ देना चाहिए। रोहणी युक्त हो तो भी त्याग देना चहिए।(18 अगस्त
को सप्तमी 21: 30बजे तक)।
6व्रत परिचय (गीता प्रेस पुस्तक) पृष्ठ99
अर्ध रात्रि मे रहने वाली
अष्टमी तिथि मान्य, परंतु सप्तमी तिथि उस दिन नही हो।(18को
अर्ध रात्रि मे अष्टमी है परंतु दिन मे सप्तमी होने से निषेध या वर्जित।
अर्थात् 19 को अर्ध रात्रि मे अष्टमी नही होने पर एवम नवमी तिथि रात्री
में होने पर भी, 19को जन्माष्टमी व्रत करना उचित है।
संकल्प
हाथ मे जल लेकर
मम अखिल पाप प्रशमन पूर्वक सर्व अभिष्ट
सिद्धये, श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रतम अहम करिश्ये।
पृथ्वी पर जल छोड़ दे।
दोपहर मे काले तिल जल मे मिलाकर स्नान
कर। देवकी के सुतिका ग्रह एवम वसुदेव,देवकी, वलदेब, नंद, यशोदा लक्ष्मी का पूजन स्मरण।
देवकी को जल,पुष्प अर्पण।
(सायं काल उमाय नम:, महेश्वाराय
नम:।)
रात्रि मे चंद्रपूजा
सोमाय सोमेश्वराय सोम पतये सोम संभवाय
सोमाय नमो नम:.
चंद को अर्घ्य दे।
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वैष्णव जो दीक्षित या दीक्षा प्राप्त एक मेव विष्णु पूजक या
विष्णु के अवतारों की पूजा
करते हैं ,उनके अनुसार भी उदय
कालिक अष्टमी मानी जाती है ।
परंतु वैष्णव एक संप्रदाय है और ग्रहस्थ वर्ग का अधिकांश
पंचदेव पूजा करने वाला है। सभी देवी देवताओं को मानने वाला है ,उनके लिए यह वैष्णव
मत नहीं है ।
गृहस्थ लिए स्मार्त अर्थात इसके 1 दिन पूर्व अष्टमी
रात्रि के समय उचित मानी गई है।
18अगस्त को स्मार्त वर्ग के लिए, उचित
होती यदि, 21 बजे तक सप्तमी नही होती।
विधवा या एक मेव विष्णू या श्री कृष्ण
को समर्पित के लिये 19 अगस्त पर्व व्रत का है।
मथुरा वृंदावन नगर मूल रूप
से, माया मोह से परे,दीक्षा प्राप्त या समर्पित वर्ग का बाहुल्य है इसलिए
सर्व देव पूजा करने वाले भी, वैष्णव के अनुरूप व्रत
पर्व मनाते है।
नियमों
के संदर्भ में 19अगस्त ही श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत पर्व।
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