सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

08 सित. भविष्य,उपाय(जैन मन्त्र) Remedy that stops the problem Articles That Help You Prioritize Work Today This article may help whether to do or not to do important work.

08 सित. भविष्य,उपाय(जैन मन्त्र)

Remedy that stops the problem

Articles That Help You Prioritize Work Today
This article may help whether to do or not to do important work.

विक्रम संवत- 2079, -सूर्य दक्षिणायण,चातुर्मास

भाद्रपद शुक्लपक्ष,

तिथि – श्रवण,मकर राशि -चंद्र;-

कार्य का शुभ समय-रात्रि 00:06 से  ,

व्रत,पर्व-

प्रदोष व्रत

रूद्र अभिषेक-(संध्या या उसके उपरांत शीघ्र फल प्रद )

आज 21.02 बजे तक शुभ ,इसके पश्चात् अशुभ प्रभाव नियमाबुसार .

राशी भविष्य-ज्ञात कर ,दैनिक कार्य- को प्राथमिकता

*-जन्म राशी शुभ होने पर  किये जाने वाले कार्य-

अनुष्ठान,पूजा,दान,,निर्णय,महत्वपूर्ण प्रपत्र पर हस्ताक्षर ,मीटिंग,

जन सम्पर्क, चिकित्सा,रोग,जोखिम कार्य.

-       दैनिक राशिफल (Daily Horoscope)

                       जन्म राशी शुभ होने पर  किये जाने वाले कार्य-

अनुष्ठान,पूजा,दान,,निर्णय,महत्वपूर्ण प्रपत्र पर हस्ताक्षर ,मीटिंग,

जन सम्पर्क, चिकित्सा,रोग,जोखिम कार्य.

 - मिथुन,तुला,कुम्भ –,- राशी के लिए सुख बाधक एवं  कर्क ,सिंहराशी  के लिए श्रेष्ठ .

मेष राशि (Aries) – चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ.

आज का दिन अथवा आज श्रेष्ठ स्थितियां बनना प्रारंभ हो जाएंगी। आपके सोच में समस्त कार्य पूर्ण होंगे। विशेष ध्यान रखने योग्य बात है कि, आज किसी को भी कोई परामर्श कंसल्टेंसी ज्ञान या सुझाव न दे। यात्रा जहां तक संभव हो एवं नई पहल स्थगित रखें। नए कार्य या निर्णय लेना उचित नहीं होगा। दैनिक कार्यों में या पूर्व से हाथ में लिए हुए कार्यों में पूर्ण सफलता के योग हैं। प्रत्येक क्षेत्र में आपकी स्थिति आपके अनुकूल एवं प्रसन्नता दायक सिद्ध होगी। राजनीतिक दृष्टि से उत्तम है। लंबित कार्य पूर्ण होंगे। नए समाचार या प्रिय आत्मीय से मिलने से सुखद स्थितियाँ आनंदित करेंगी।

वृष राशि (Taurus) – , , , , वा, वी, वू, वे, वो.

कार्यों में सफलता के लिए विशेष प्रयास करना पड़ेगा। धन में कमी होगी। बचत प्रभावित होगी। अनपेक्षित व्यय बढ़ने की संभावना है।परिवार के सदस्यों से यथेष्ट सहयोग मिलने की संभावना कम है। रोजगार व्यापार एवं राजनीतिक क्षेत्र में सफलता के योग हैं ।भाग्य एवं संतान सुख बाधा विघ्न,बाधा ,कष्ट,स्वागत करने को आतुर हें। अपनी भावनाओ पर नियंत्रण रखिए, आपके प्रयासो को सफलता के पंख लगने ही वाले हैं।

मिथुन राशि (Gemini) – का, की, कू, , , , के, को, ह.

वाद विवाद से बचने का प्रयास करें। अधिक से अधिक बोलचाल से परहेज करें। किसी भी तरह से भाग्य आपका साथ देता प्रतीत नहीं होगा। किसी भी प्रकार की जोखिम नहीं लेना चाहिए। शारीरिक एवं मानसिक दोनों प्रकार के कष्टों के योग हैं। अति आवश्यक कार्य में ही ध्यान लगाएं। किसी रिश्तेदार मित्र से कोई विशेष सहयोग की अपेक्षा रखना दुखदाई सिद्ध हो सकता है। वाद विवाद की स्थिति से बचने का प्रयास करे।

कर्क राशि (Cancer) – ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो.

नए अनुबंध हो सकते हैं। प्रिय परिचितों से मिलन हो सकता है। सुख वैभव ऐश्वर्य की अच्छी स्थितियां रहेंगी। रोजगार में आपके अनुकूल कार्य होंगे। उच्च अधिकारी आपकी प्रशंसा करेंगे। दांपत्य सुख है। प्रेम संबंधों में प्रगाढ़ता बढ़ेगी। आशा के अनुरूप कार्यों की प्रगति से मन प्रसन्न रहेगा। अन्य दिनों की अपेक्षा आज कार्य की व्यस्तता कम होगी। जनप्रतिनिधियों के लिए विशेष सफलता का दिन शुभ हो सकता है।

सिंह राशि (Leo) – मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे.

किसी भी प्रकार के नए कार्य, निर्णय, यात्रा, अनुबंध, कोई जोखिम या मार्केटिंग, वाद विवाद या नए कार्यों की पहल जहां तक संभव हो स्थगित रखें। पूर्व में हाथ में लिए गए कार्य सफल होंगे। दैनिक कार्यों में कोई बाधा नहीं आएगी। अल्प भाषी बनकर रहना लाभदायक सिद्ध होगा। सामान्य रूप से दिन सफल सिद्ध हो सकता है। राजनीतिक दृष्टि से उत्तम दिन है। जनप्रतिनिधियों की सफलता सामान्य रहेगी। सामाजिक वर्ग के कार्यकर्ताओं को कठिनाई होगी। व्यापार में लाभ होगा। दिन सामान्य व्यतीत होगा कोई। उल्लेखनीय सफलता या कष्ट की स्थिति नहीं बनेगी। परिवार के कनिष्ठ वर्ग अथवा नौकर आदि से अपेक्षित सहयोग में कमी हो सकती है। कार्य की अधिकता रहेगी। परचित से मिलना होगा। मित्रों से संपर्क उपयोगी सिद्ध हो सकता है। व्यापार में सामान्य लाभ होगा। रोजगार में अच्छी स्थिति रहेगी। राजनेताओं के लिए उत्तम दिन नहीं है। सामाजिक कार्यकर्ताओं को अपने कार्य के परिणाम से निराशा प्राप्त होगी। विशेष-महत्वपूर्ण कार्य,उपदेश एवं यात्रा के अपेक्षित परिणाम की सम्भावना अल्प है।

 

कन्या राशि (Virgo) – टो, , पी, पू, , , , पे, पो.

सामान्य रूप से कल की तुलना में दिन उत्तम व्यतीत होगा, परंतु महत्वपूर्ण दिन नहीं कहा जा सकेगा। प्रयासों के परिणाम विलंब से ही सही परंतु आपके पक्ष में आएंगे। आर्थिक संकट या खर्च के योग प्रबल बन सकते हैं। वाद विवाद को टालना उचित होगा। नए कार्य हाथ में नहीं लें। वरिष्ठ एवं कनिष्ठ वर्ग से अपेक्षित सहयोग की संभावना कम है। जनप्रतिनिधियों के लिए दिन प्रतिकूल शारीरिक मानसिक दृष्टि से रहेगा।

तुला राशि (Libra) – रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते.

खर्च पर अंकुश रखें। वाद विवाद से बचने का प्रयास करें। यात्रा में असुविधा हो सकती है। रोजगार एवं व्यापार में कार्य के अधिकता रहेगी परंतु परिणाम आज नहीं मिलेंगे। सुख बाधा हो सकती हैं। अपेक्षित सहयोग में कमी रहेगी। कल से आज का दिन थोड़ा सफल रहेगा। विशेष-महत्वपूर्ण कार्य,उपदेश एवं यात्रा के अपेक्षित परिणाम की सम्भावना अल्प है।

वृश्चिक राशि (Scorpio) – तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू.

आपके मन के अनुकूल कार्य की प्रगति होगी। नौकर या कनिष्ठ वर्ग तथाभाइयों से पूर्ण सहयोग मिलेगा। विरोधियों पर विजय प्राप्त होगी। निर्णय आपके पक्ष आएंगे। प्रयास सफल होंगे ।किसी भी नए कार्य को करने के लिए उचित समय है ।समय का भरपूर सदुपयोग करना चाहिए। भविष्य  उपयोगी सिद्ध होगा। व्यापार में अच्छी स्थिति रहेगी। खर्चों पर नियंत्रण रहेगा। प्रसन्नता पूर्ण वातावरण का लाभ लेंगे।

धनु राशि (Sagittarius) – ये, यो, , भी, भू, , , , भे.

आर्थिक दृष्टि से दिन उपयोगी सिद्ध नहीं होगा। खर्च की योजना बनेगी। पारिवारिक सुख में कमी होगी। रिश्तेदार या अतिथियों के कारण भी सुख बाधा पहुंच सकती है। परिवार के सदस्यों से वांछित सहयोग में कमी होगी। कार्य की अधिकता से सुख बाधा रहेगी। व्यापार में अच्छी स्थिति रहेगी परंतु उसका लाभ आज नहीं मिलेगा। व्यापार उत्तम रहेगा ।राजनीतिक दृष्टि से उत्तम दिन है। जनप्रतिनिधियों को विशेष सफलता मिलेगी। विशेष-महत्वपूर्ण कार्य,उपदेश एवं यात्रा के अपेक्षित परिणाम की सम्भावना अल्प है।

मकर राशि (Capricorn) – भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, , गी.

आपके मन के अनुकूल कार्य की प्रगति होगी। नौकर या कनिष्ठ वर्ग तथा भाइयों से पूर्ण सहयोग मिलेगा। विरोधियों पर विजय प्राप्त होगी। निर्णय आपके पक्ष आएंगे। प्रयास सफल होंगे ।किसी भी नए कार्य को करने के लिए उचित समय है। समय का भरपूर सदुपयोग करना चाहिए। भविष्य  उपयोगी सिद्ध होगा। व्यापार में अच्छी स्थिति रहेगी। खर्चों पर नियंत्रण रहेगा। प्रसन्नता पूर्ण वातावरण का लाभ लेंगे। विशेष-महत्वपूर्ण कार्य,उपदेश एवं यात्रा के अपेक्षित परिणाम की सम्भावना अल्प है।

कुंभ राशि (Aquarius)– गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, द.

दिन सामान्य व्यतीत होगा। किसी भी प्रकार की कोई उल्लेखनिय बात नहीं है। शुभ अशुभ घटना की कोई संभावना नहीं है। मार्केटिंग शॉपिंग में रुचि बढ़ेगी। खर्च के योग प्रबल हैं। यात्रा की संभावनाएं भी हैं। दिन व्यस्तता पूर्ण रहेगा। समय पर भोजन आदि की स्थिति में बाधा पहुंच सकती है। कुल मिलाकर उपलब्धि की दृष्टि से दिन व्यर्थ है। वाद विवाद से बचने का प्रयास करें। अपने अहम एवं क्रोध पर नियंत्रण रखना उचित होगा अन्यथा स्थिति अनपेक्षित बन सकती है। विशेष-महत्वपूर्ण कार्य,उपदेश एवं यात्रा के अपेक्षित परिणाम की सम्भावना अल्प है।

मीन राशि (Pisces) – दी, दू, , , , दे, दो, चा, ची.

जन प्रतिनिधि राजनेता एवं जनसंपर्क या सेवा कार्य सेजुड़े वर्ग के लिए बहुत अच्छा दिन है। व्यापार में नए अनुबंध या नए लाभ के अवसर बनेंगे। दैनिक जीवन में आराम सफलता या अकर्मण्यता की स्थिति बनी रहेगी। आज का काम कल पर डालने का मन होगा। ज्योतिष की दृष्टि से यह परामर्श दिया जा सकता है कि, जो भी कार्य लंबित हो उनकी दिशा में प्रयास करिए। सफलता देने के लिए ग्रह तत्पर हैं। समय का भरपूर उपयोग करना भविष्य की दृष्टि से उपयोगी सिद्ध होगा।

प्रचलित नाम से भविष्य

1अपने प्रचलित नाम एवं जन्म राशी के भविष्य को पढ़िए ,यदि दोनों उत्तम तो दिन श्रेष्ठ सफल व्यतीत होगा 

-नाम से भविष्य फल उत्तम तो व्यवहार ,यात्रा आदि में सफलता ।

नाम से अशुभ होने पर,यात्रा,गृह,प्रवेश,व्यवहारिक-कार्य,ज्वाइनिंग,आवेदन,परामर्श देना,जोखिम,विवाद हितकर नहीं होगा l

नाम के  प्रथम  अक्षर (व्यक्ति,वस्तु,कम्पनी,स्थान का नाम ) वालो के लिए दिन व्यय,व्यस्तता ,विवाद या सुख बाधक सिद्ध हो सकता है – सी, सू,से, सो, , रा, री रू,रे ,रो, ता,ती, तू ते. का, की, कू,,,,के, को, ह. शेष समस्त नाम अक्षर हेतु उत्तम रहेगा l-मिथुन,तुला,कुम्भ राशी को उपाय करना चाहिए ।

- For those with the first letter of the name (name of person, thing, company, place), the day can prove to be a hindrance to expenses, busyness, disputes or happiness.Si, su, se, so, da, ra, ri ru, re, ro, ta, ti, tu te. Ka, ki, ku, d, d, ch, k, ko, h. Rest all names will be good for alphabets. Remedy--Gemini, Libra, and Aquarius zodiac signs should be done.

सौभाग्य वृद्धि व नक्षत्र के दोष की शांति के लिए उपाय :

वैदिक मंत्र श्रवण :

ॐ विष्णोरराटमसि विष्णो श्नपत्रेस्थो विष्णो स्युरसिविष्णोधुर्वोसि वैष्णवमसि विष्नवेत्वा। ॐ विष्णवे नम:।पौराणिक मंत्र :शांताकारं चतुर्हस्तं श्रोणा नक्षत्रवल्लभम्l

विष्णु कमलपत्राक्षं ध्यायेद् गरुड वाहन्ll नक्षत्र देवता मंत्र :- ॐ विष्णवे नमःl

नक्षत्र मंत्र ; ॐ श्रवणाय नमःl

*

भाद्रपद माह

 प्रयोग ना करें-  दही,उड़द ,मसूर, चना ,परवल ,लौकी ,भिंडी ,करेला ,बैंगन ,फ्राई अरबी, जिमीकंद कुंदरु ,ककड़ी ,नया आलू ,गाजर ,मूली ,चुकंदर ,फूल गोभी ,पत्ता गोभी ,पालक ,तरबूज, खरबूजा, पपीता पोदीना, हरी मिर्च ,हरा धनिया ,अदरक ,इमली ,जावित्री ,मूंगफली का तेल ,रिफाइंड तेल, श्रीखंड दही लस्सी ,गन्ना ,काजू ,पिस्ता

********************************

उक्त आलेख

-देश देशांतर के सुप्रसिद्ध ज्योतिषी पंडित वी.के.तिवारी द्वारा -

(अनेक सम्मान उपाधि 1976-1990 तक)

(85+ebooks,3books+10.000 लेख ,कविता-प्रकाशित,प्रसारित; नवनीत हिंदी डाइजेस्ट-भारतीय विद्या भवन मुंबई  -भविष्य फल मासिक-1980से 2000तक)

सम्पर्क -कुंडली निर्माण ,रोग,भाग्यशाली रत्न ,जाब,केरियर  (Dakshina500/).

- कुंडली मिलान

केवल नक्षत्र से नहीं 09 ग्रहों से, 05 नाडी नारद सिद्धांत ,D9 ,नक्षत्र चरण 30बिन्दु पर.08 pages में विस्तृत कुंडली मिलान

पंडित वी.के.तिवारी “ज्योतिष शिरोमणि (1972 से )–

-वास्तु,कुंडली,हस्तरेखा ,अंकविद्या.

1- शिक्षा के विषय क्या हो ?केरियर ? job, उपाय ।

2-सफलता के आजीवन टिप्स –Do’s & Dont’s-Lucky-Day.कलर्स,Month,Name-City,Institute,Apartment,Direction

कुंडली मिलान -श्रेष्ठ विधि-32 कूट ,05 नाडी.06 वर्ण,09ग्रह, से कुंडली मिलान ।

-नाडी दोष,मंगल दोष, -अपवाद के *

jyotish9999@gmail.com-9424446706-Sun city Bangaluru

सम्पर्क -कुंडली निर्माण ,भाग्यशाली रत्न ,जाब,केरियर , (Dakshina500/).

- कुंडली मिलान 05 नाडी नारद सिद्धांत ,D9 ,नक्षत्र चरण 30बिन्दु पर.08 pages

jyotish9999@gmail.com-9424446706-Sun city Bangaluru

 

 

 

                                  

 

 

 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

श्राद्ध की गूढ़ बाते ,किसकी श्राद्ध कब करे

श्राद्ध क्यों कैसे करे? पितृ दोष ,राहू ,सर्प दोष शांति ?तर्पण? विधि             श्राद्ध नामा - पंडित विजेंद्र कुमार तिवारी श्राद्ध कब नहीं करें :   १. मृत्यु के प्रथम वर्ष श्राद्ध नहीं करे ।   २. पूर्वान्ह में शुक्ल्पक्ष में रात्री में और अपने जन्मदिन में श्राद्ध नहीं करना चाहिए ।   ३. कुर्म पुराण के अनुसार जो व्यक्ति अग्नि विष आदि के द्वारा आत्महत्या करता है उसके निमित्त श्राद्ध नहीं तर्पण का विधान नहीं है । ४. चतुदर्शी तिथि की श्राद्ध नहीं करना चाहिए , इस तिथि को मृत्यु प्राप्त पितरों का श्राद्ध दूसरे दिन अमावस्या को करने का विधान है । ५. जिनके पितृ युद्ध में शस्त्र से मारे गए हों उनका श्राद्ध चतुर्दशी को करने से वे प्रसन्न होते हैं और परिवारजनों पर आशीर्वाद बनाए रखते हैं ।           श्राद्ध कब , क्या और कैसे करे जानने योग्य बाते           किस तिथि की श्राद्ध नहीं -  १. जिस तिथी को जिसकी मृत्यु हुई है , उस तिथि को ही श्राद्ध किया जाना चाहिए । पिता जीवित हो तो, गया श्राद्ध न करें । २. मां की मृत्यु (सौभाग्यवती स्त्री) किसी भी तिथि को हुईं हो , श्राद्ध केवल

*****मनोकामना पूरक सरल मंत्रात्मक रामचरितमानस की चौपाईयाँ-

*****मनोकामना पूरक सरल मंत्रात्मक रामचरितमानस की चौपाईयाँ-       रामचरितमानस के एक एक शब्द को मंत्रमय आशुतोष भगवान् शिव ने बना दिया |इसलिए किसी भी प्रकार की समस्या के लिए सुन्दरकाण्ड या कार्य उद्देश्य के लिए लिखित चौपाई का सम्पुट लगा कर रामचरितमानस का पाठ करने से मनोकामना पूर्ण होती हैं | -सोमवार,बुधवार,गुरूवार,शुक्रवार शुक्ल पक्ष अथवा शुक्ल पक्ष दशमी से कृष्ण पक्ष पंचमी तक के काल में (चतुर्थी, चतुर्दशी तिथि छोड़कर )प्रारंभ करे -   वाराणसी में भगवान् शंकरजी ने मानस की चौपाइयों को मन्त्र-शक्ति प्रदान की है-इसलिये वाराणसी की ओर मुख करके शंकरजी को स्मरण कर  इनका सम्पुट लगा कर पढ़े या जप १०८ प्रतिदिन करते हैं तो ११वे दिन १०८आहुति दे | अष्टांग हवन सामग्री १॰ चन्दन का बुरादा , २॰ तिल , ३॰ शुद्ध घी , ४॰ चीनी , ५॰ अगर , ६॰ तगर , ७॰ कपूर , ८॰ शुद्ध केसर , ९॰ नागरमोथा , १०॰ पञ्चमेवा , ११॰ जौ और १२॰ चावल। १॰ विपत्ति-नाश - “ राजिव नयन धरें धनु सायक। भगत बिपति भंजन सुखदायक।। ” २॰ संकट-नाश - “ जौं प्रभु दीन दयालु कहावा। आरति हरन बेद जसु गावा।। जपहिं नामु जन आरत भारी। मिटहिं कुसंकट होहि

दुर्गा जी के अभिषेक पदार्थ विपत्तियों के विनाशक एक रहस्य | दुर्गा जी को अपनी समस्या समाधान केलिए क्या अर्पण करना चाहिए?

दुर्गा जी   के अभिषेक पदार्थ विपत्तियों   के विनाशक एक रहस्य | दुर्गा जी को अपनी समस्या समाधान केलिए क्या अर्पण करना चाहिए ? अभिषेक किस पदार्थ से करने पर हम किस मनोकामना को पूर्ण कर सकते हैं एवं आपत्ति विपत्ति से सुरक्षा कवच निर्माण कर सकते हैं | दुर्गा जी को अर्पित सामग्री का विशेष महत्व होता है | दुर्गा जी का अभिषेक या दुर्गा की मूर्ति पर किस पदार्थ को अर्पण करने के क्या लाभ होते हैं | दुर्गा जी शक्ति की देवी हैं शीघ्र पूजा या पूजा सामग्री अर्पण करने के शुभ अशुभ फल प्रदान करती हैं | 1- दुर्गा जी को सुगंधित द्रव्य अर्थात ऐसे पदार्थ ऐसे पुष्प जिनमें सुगंध हो उनको अर्पित करने से पारिवारिक सुख शांति एवं मनोबल में वृद्धि होती है | 2- दूध से दुर्गा जी का अभिषेक करने पर कार्यों में सफलता एवं मन में प्रसन्नता बढ़ती है | 3- दही से दुर्गा जी की पूजा करने पर विघ्नों का नाश होता है | परेशानियों में कमी होती है | संभावित आपत्तियों का अवरोध होता है | संकट से व्यक्ति बाहर निकल पाता है | 4- घी के द्वारा अभिषेक करने पर सर्वसामान्य सुख एवं दांपत्य सुख में वृद्धि होती है | अवि

श्राद्ध:जानने योग्य महत्वपूर्ण बातें |

श्राद्ध क्या है ? “ श्रद्धया यत कृतं तात श्राद्धं | “ अर्थात श्रद्धा से किया जाने वाला कर्म श्राद्ध है | अपने माता पिता एवं पूर्वजो की प्रसन्नता के लिए एवं उनके ऋण से मुक्ति की विधि है | श्राद्ध क्यों करना चाहिए   ? पितृ ऋण से मुक्ति के लिए श्राद्ध किया जाना अति आवश्यक है | श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम ? यदि मानव योनी में समर्थ होते हुए भी हम अपने जन्मदाता के लिए कुछ नहीं करते हैं या जिन पूर्वज के हम अंश ( रक्त , जींस ) है , यदि उनका स्मरण या उनके निमित्त दान आदि नहीं करते हैं , तो उनकी आत्मा   को कष्ट होता है , वे रुष्ट होकर , अपने अंश्जो वंशजों को श्राप देते हैं | जो पीढ़ी दर पीढ़ी संतान में मंद बुद्धि से लेकर सभी प्रकार की प्रगति अवरुद्ध कर देते हैं | ज्योतिष में इस प्रकार के अनेक शाप योग हैं |   कब , क्यों श्राद्ध किया जाना आवश्यक होता है   ? यदि हम   96  अवसर पर   श्राद्ध   नहीं कर सकते हैं तो कम से कम मित्रों के लिए पिता माता की वार्षिक तिथि पर यह अश्वनी मास जिसे क्वांर का माह    भी कहा जाता है   | पितृ पक्ष में अपने मित्रगण के मरण तिथि

श्राद्ध रहस्य प्रश्न शंका समाधान ,श्राद्ध : जानने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य -कब,क्यों श्राद्ध करे?

संतान को विकलांगता, अल्पायु से बचाइए श्राद्ध - पितरों से वरदान लीजिये पंडित विजेंद्र कुमार तिवारी jyotish9999@gmail.com , 9424446706   श्राद्ध : जानने  योग्य   महत्वपूर्ण तथ्य -कब,क्यों श्राद्ध करे?  श्राद्ध से जुड़े हर सवाल का जवाब | पितृ दोष शांति? राहू, सर्प दोष शांति? श्रद्धा से श्राद्ध करिए  श्राद्ध कब करे? किसको भोजन हेतु बुलाएँ? पितृ दोष, राहू, सर्प दोष शांति? तर्पण? श्राद्ध क्या है? श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम क्या संभावित है? श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम क्या संभावित है? श्राद्ध की प्रक्रिया जटिल एवं सबके सामर्थ्य की नहीं है, कोई उपाय ? श्राद्ध कब से प्रारंभ होता है ? प्रथम श्राद्ध किसका होता है ? श्राद्ध, कृष्ण पक्ष में ही क्यों किया जाता है श्राद्ध किन२ शहरों में  किया जा सकता है ? क्या गया श्राद्ध सर्वोपरि है ? तिथि अमावस्या क्या है ?श्राद्द कार्य ,में इसका महत्व क्यों? कितने प्रकार के   श्राद्ध होते   हैं वर्ष में   कितने अवसर श्राद्ध के होते हैं? कब  श्राद्ध किया जाना अति आवश्यक होता है | पितृ श्राद्ध किस देव से स

गणेश विसृजन मुहूर्त आवश्यक मन्त्र एवं विधि

28 सितंबर गणेश विसर्जन मुहूर्त आवश्यक मन्त्र एवं विधि किसी भी कार्य को पूर्णता प्रदान करने के लिए जिस प्रकार उसका प्रारंभ किया जाता है समापन भी किया जाना उद्देश्य होता है। गणेश जी की स्थापना पार्थिव पार्थिव (मिटटीएवं जल   तत्व निर्मित)     स्वरूप में करने के पश्चात दिनांक 23 को उस पार्थिव स्वरूप का विसर्जन किया जाना ज्योतिष के आधार पर सुयोग है। किसी कार्य करने के पश्चात उसके परिणाम शुभ , सुखद , हर्षद एवं सफलता प्रदायक हो यह एक सामान्य उद्देश्य होता है।किसी भी प्रकार की बाधा व्यवधान या अनिश्ट ना हो। ज्योतिष के आधार पर लग्न को श्रेष्ठता प्रदान की गई है | होरा मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ माना गया है।     गणेश जी का संबंध बुधवार दिन अथवा बुद्धि से ज्ञान से जुड़ा हुआ है। विद्यार्थियों प्रतियोगियों एवं बुद्धि एवं ज्ञान में रूचि है , ऐसे लोगों के लिए बुध की होरा श्रेष्ठ होगी तथा उच्च पद , गरिमा , गुरुता , बड़प्पन , ज्ञान , निर्णय दक्षता में वृद्धि के लिए गुरु की हो रहा श्रेष्ठ होगी | इसके साथ ही जल में विसर्जन कार्य होता है अतः चंद्र की होरा सामान्य रूप से सभी मंगल कार्यों क

गणेश भगवान - पूजा मंत्र, आरती एवं विधि

सिद्धिविनायक विघ्नेश्वर गणेश भगवान की आरती। आरती  जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।  माता जा की पार्वती ,पिता महादेवा । एकदंत दयावंत चार भुजा धारी।   मस्तक सिंदूर सोहे मूसे की सवारी | जय गणेश जय गणेश देवा।  अंधन को आँख  देत, कोढ़िन को काया । बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया । जय गणेश जय गणेश देवा।   हार चढ़े फूल चढ़े ओर चढ़े मेवा । लड्डूअन का  भोग लगे संत करें सेवा।   जय गणेश जय गणेश देवा।   दीनन की लाज रखो ,शम्भू पत्र वारो।   मनोरथ को पूरा करो।  जाए बलिहारी।   जय गणेश जय गणेश देवा। आहुति मंत्र -  ॐ अंगारकाय नमः श्री 108 आहूतियां देना विशेष शुभ होता है इसमें शुद्ध घी ही दुर्वा एवं काले तिल का विशेष महत्व है। अग्नि पुराण के अनुसार गायत्री-      मंत्र ओम महोत काय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो दंती प्रचोदयात्। गणेश पूजन की सामग्री एक चौकिया पाटे  का प्रयोग करें । लाल वस्त्र या नारंगी वस्त्र उसपर बिछाएं। चावलों से 8पत्ती वाला कमल पुष्प स्वरूप बनाएं। गणेश पूजा में नारंगी एवं लाल रंग के वस्त्र वस्तुओं का विशेष महत्व है। लाल पुष्प अक्षत रोली कलावा या मौली दूध द

श्राद्ध रहस्य - श्राद्ध क्यों करे ? कब श्राद्ध नहीं करे ? पिंड रहित श्राद्ध ?

श्राद्ध रहस्य - क्यों करे , न करे ? पिंड रहित , महालय ? किसी भी कर्म का पूर्ण फल विधि सहित करने पर ही मिलता है | * श्राद्ध में गाय का ही दूध प्रयोग करे |( विष्णु पुराण ) | श्राद्ध भोजन में तिल अवश्य प्रयोग करे | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि - श्राद्ध अपरिहार्य - अश्वनी माह के कृष्ण पक्ष तक पितर अत्यंत अपेक्षा से कष्ट की   स्थिति में जल , तिल की अपनी संतान से , प्रतिदिन आशा रखते है | अन्यथा दुखी होकर श्राप देकर चले जाते हैं | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि इसको नहीं करने से पीढ़ी दर पीढ़ी संतान मंद बुद्धि , दिव्यांगता .मानसिक रोग होते है | हेमाद्रि ग्रन्थ - आषाढ़ माह पूर्णिमा से /कन्या के सूर्य के समय एक दिन भी श्राद्ध कोई करता है तो , पितर एक वर्ष तक संतुष्ट/तृप्त रहते हैं | ( भद्र कृष्ण दूज को भरणी नक्षत्र , तृतीया को कृत्तिका नक्षत्र   या षष्ठी को रोहणी नक्षत्र या व्यतिपात मंगलवार को हो ये पिता को प्रिय योग है इस दिन व्रत , सूर्य पूजा , गौ दान गौ -दान श्रेष्ठ | - श्राद्ध का गया तुल्य फल- पितृपक्ष में मघा सूर्य की अष्टमी य त्रयोदशी को मघा नक्षत्र पर चंद्र हो | - क

विवाह बाधा और परीक्षा में सफलता के लिए दुर्गा पूजा

विवाह में विलंब विवाह के लिए कात्यायनी पूजन । 10 oct - 18 oct विवाह में विलंब - षष्ठी - कात्यायनी पूजन । वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए - दुर्गतिहारणी मां कात्यायनी की शरण लीजिये | प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना के समय , संकल्प में अपना नाम गोत्र स्थान बोलने के पश्चात् अपने विवाह की याचना , प्रार्थना कीजिये | वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए प्रति दिन प्रातः सूर्योदय से प्रथम घंटे में या दोपहर ११ . ४० से १२ . ४० बजे के मध्य , कात्ययानी देवी का मन्त्र जाप करिये | १०८बार | उत्तर दिशा में मुँह हो , लाल वस्त्र हो जाप के समय | दीपक मौली या कलावे की वर्तिका हो | वर्तिका उत्तर दिशा की और हो | गाय का शुद्ध घी श्रेष्ठ अथवा तिल ( बाधा नाशक + महुआ ( सौभाग्य ) तैल मिला कर प्रयोग करे मां भागवती की कृपा से पूर्वजन्म जनितआपके दुर्योग एवं   व्यवधान समाप्त हो एवं   आपकी मनोकामना पूरी हो ऐसी शुभ कामना सहित || षष्ठी के दिन विशेष रूप से कात्यायनी के मन्त्र का २८ आहुति / १०८ आहुति हवन करिये | चंद्रहासोज्

कलश पर नारियल रखने की शास्त्रोक्त विधि क्या है जानिए

हमे श्रद्धा विश्वास समर्पित प्रयास करने के बाद भी वांछित परिणाम नहीं मिलते हैं , क्योकि हिन्दू धर्म श्रेष्ठ कोटी का विज्ञान सम्मत है ।इसकी प्रक्रिया , विधि या तकनीक का पालन अनुसरण परमावश्यक है । नारियल का अधिकाधिक प्रयोग पुजा अर्चना मे होता है।नारियल रखने की विधि सुविधा की दृष्टि से प्रचलित होगई॥ मेरे ज्ञान  मे कलश मे उल्टा सीधा नारियल फसाकर रखने की विधि का प्रमाण अब तक नहीं आया | यदि कोई सुविज्ञ जानकारी रखते हो तो स्वागत है । नारियल को मोटा भाग पूजा करने वाले की ओर होना चाहिए। कलश पर नारियल रखने की प्रमाणिक विधि क्या है ? अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए , उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै प्राची मुखं वित्त्नाश्नाय , तस्माच्छुभम सम्मुख नारिकेलम अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए कलश पर - नारियल का बड़ा हिस्सा नीचे मुख कर रखा जाए ( पतला हिस्सा पूछ वाला कलश के उपरी भाग पर रखा जाए ) तो उसे शत्रुओं की वृद्धि होती है * ( कार्य सफलता में बाधाएं आती है संघर्ष , अपयश , चिंता , हानि , सहज हैशत्रु या विरोधी तन , मन धन सर्व दृष्टि से घातक होते है ) उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै कलश पर -