सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

15 सित. भविष्य, उपाय (जैन मन्त्र) Articles That Help You Prioritize Work Today whether to do or not to do important work.

 

 

 

15 सित. भविष्य, उपाय (जैन मन्त्र)

Articles That Help You Prioritize Work Today
 whether to do or not to do important work.

विक्रम संवत- 2079, -सूर्य दक्षिणायण,चातुर्मास

आश्वनी कृष्ण पक्ष,

तिथि पंचमी ; भरणी,मेष राशि -चंद्र;-

कार्य का शुभ समय- 10:13 से अशुभ योग  ,

व्रत,पर्व-

श्राद्ध षष्ठी तिथि का ,

रूद्र अभिषेक-(संध्या उपरांत पूजा श्रेष्ठ)

स्वयंभू ,ज्योतिर्लिंग एवं नर्मदेश्वर शिवलिंग के अभिषेक की वर्जना नहीं

 अन्य शिवलिंग  का अभिषेक मुहूर्त

आज दिन-11:0 बजे तक श्रेष्ठ,इसके बाद वर्जित,अशुभ प्रभाव .

राशी भविष्य-ज्ञात कर ,दैनिक कार्य- को प्राथमिकता

-       दैनिक राशिफल (Daily Horoscope)

                                           जन्म राशी शुभ होने पर  किये जाने वाले कार्य-

अनुष्ठान,पूजा,दान,निर्णय,महत्वपूर्ण प्रपत्र पर हस्ताक्षर ,मीटिंग,

,मंत्रणा,जन सम्पर्क, चिकित्सा, जोखिम कार्य.आवेदन.,लेख आदि

- 12 राशी भविष्य-

  वृष,कन्या,मकर,- राशी के लिए सुख बाधक एवं  मिथुन,कर्क राशी  के लिए श्रेष्ठ .

मेष राशि (Aries) – चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ.

सौभाग्य, सुख व उच्चतम सम्मान इस अवधि की विशेषता है। आपके व आपके परिवार के लिए रोगों से मुक्त रहने सुयोग है। जीवन में सुख शान्ति का मनोभाव आपको संतोष प्रदान करेगा। भावनाओं के प्रति आवश्यकता से अधिक संवेदनशील न बन जाएं। आर्थिक रुप से भी यह एक अच्छा समय है। पुराने दिए ऋणों, आर्थिक लक्ष्य प्राप्ति होगी। कार्य में उन्नति भी हो सकती है। विशेष- मे बाधा कष्ट,असफलता का समय-11बजे के पश्चात् , -महत्वपूर्ण कार्य,उपदेश एवं यात्रा के अपेक्षित परिणाम की सम्भावना अल्प है।

वृष राशि (Taurus) – , , , , वा, वी, वू, वे, वो.

यात्रा एवं खर्च के अनायास योग बनेंगे। कार्य परिश्रम से ही पूर्ण होंगे। कार्यालय में कार्य की अधिकता रहेगी। कठिनाइयां बढ़ सकती हैं। स्वास्थ्य बाधा संभव है। मनोबल बढ़ेगा। व्यापार में धन की प्राप्ति होगी। रोजगार में पद प्रतिष्ठा बढ़ेगी। शत्रु पराजित होंगे। जन सामान्य से विशेष सहयोग प्राप्त होगा। विशेष- मे बाधा कष्ट,असफलता का समय-11बजे तक, -महत्वपूर्ण कार्य,उपदेश एवं यात्रा के अपेक्षित परिणाम की सम्भावना अल्प है।

मिथुन राशि (Gemini) – का, की, कू, , , , के, को, ह.

व्यक्तियों के दाम्पत्य सुख की पूर्ण संभावना है। आपको सुस्वादु भोजन व घर में समस्त सांसारिक सुख मिलने की संभावना है। स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। आप मानसिक रुप से प्रसन्न व शान्तचित्त रहेंगे। व्यापार के लिए लाभदायक विशेष रहेगा। राजनीतिक क्षेत्र से जुड़े वर्ग के लिए उत्तम दिन है। पद प्रतिष्ठा का प्रयोग एवं सुख उपभोग होगा।

कर्क राशि (Cancer) – ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो.

निर्धारित लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं। आपकी सामाजिक प्रतिष्ठा भी बढ़ेगी। स्वास्थ्य इस अवधि में सामान्यत: अच्छा रहेगा। इस अवधि में उत्तम, सुस्वादु रुचि पूर्ण भोजन आनन्द की संभावना है। अच्छे लोगों से परिचय होगा। कार्यों में सफलता मिलेगी पद प्रतिष्ठा के अच्छे अवसर हैं। विद्या के क्षेत्र में यश बढ़ेगा। सफलता मिलेगी राजनीति में गौरव तथा यश बढ़ेगा। ग्रह के अनुकूल होने के कारण आप व आपका परिवार सामान्य रुप से सुखी रहेंगे। यह समय आपके कार्यस्थल के लिए भी शुभ है। आप सम्मान, पदोन्नति एवम् प्रशंसा की आशा कर सकते हैं।विशेष-महत्वपूर्ण कार्य,उपदेश एवं यात्रा के अपेक्षित परिणाम की सम्भावना अल्प है।

सिंह राशि (Leo) – मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे.

आपको समाज में प्रसिद्धि भी मिलने की संभावना है। घर व धन सम्बन्धी कठिनाइयाँ झेलनी पड़ सकती है। धन-व्यय के समय विशेष सचेत रहें। शत्रुओं पर विशेष नजर रखें क्योंकि उन्हीं के कारण हानि होने की संभावना है। संतान से विवाद अथवा झगड़े से बचिएगा। व्यर्थ के टकराव में न पड़कर समाज में अपनी प्रतिष्ठा व सम्मान बचाए रखें। मानसिक रुप से आप चिन्ता व अत्यधिक कार्यभार के कारण पीडि़त हो सकते हैं। आज का दिन किसी भी प्रकार का जोखिम लेने के लिए उचित नहीं है।

कन्या राशि (Virgo) – टो, , पी, पू, , , , पे, पो.

आपके कार्यों की सफलता संदिग्ध है। विरोधी बढ़ेंगे। राजनीति में छल की संभावना है। विश्वास के परिणाम प्रतिकूल होंगे। दांपत्य साथी का स्वास्थ्य खराब हो सकता है। आवश्यक खर्चों में वृद्धि होगी। शारीरिक एवं मानसिक कष्ट की स्थिति से बचने के लिए, किसी भी कार्य को करने में शीघ्रता नहीं बरतें। विशेष- मे बाधा कष्ट,असफलता का समय-11बजे तक, -महत्वपूर्ण कार्य,उपदेश एवं यात्रा के अपेक्षित परिणाम की सम्भावना अल्प है।

तुला राशि (Libra) – रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते.

दांपत्य जीवन के सुख में वृद्धि होगी। पुत्र एवं पुत्री के द्वारा पूर्ण सहयोग प्राप्त होगा। कार्यालय में अनुकूल परिस्थितियां रहेंगे। व्यापार में लाभ की स्थिति रहेगी। आपको आमोद प्रमोद  के अवसर इच्छा पर निर्भर करेंगे। संतान सुख में और अधिक वृद्धि होगी। स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। मन मे शान्ति व प्रसन्नता रहेगी। आप स्वयं अपने आप में व परिवार के साथ, शान्ति सुख एवं प्रसन्न्ता अनुभव करेंगे। दिन कुल मिलाकर सुख से परिपूर्ण कहा जा सकता है। विशेष- मे बाधा कष्ट,असफलता का समय-11बजे के पश्चात् , -महत्वपूर्ण कार्य,उपदेश एवं यात्रा के अपेक्षित परिणाम की सम्भावना अल्प है।

वृश्चिक राशि (Scorpio) – तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू.

स्वास्थ्य बाधा का योग रहेगा। राजनीति में विरोधी पराजित होंगे। आपके कार्यों की प्रशंसा होगी। आपके द्वारा किये  गए कार्य यश दिलवाएंगे। धन के क्षेत्र में अनुकूल स्थितियां बनेंगी। सफलता के योग अच्छे हैं। बाजार के काम, परामर्श देना, यात्रा, नए कार्य प्रारंभ करना उचित नही होगा। विशेष- मे बाधा कष्ट,असफलता का समय-11बजे के पश्चात् , -महत्वपूर्ण कार्य,उपदेश एवं यात्रा के अपेक्षित परिणाम की सम्भावना अल्प है।

धनु राशि (Sagittarius) – ये, यो, , भी, भू, , , , भे.

वित्तीय दृष्टि से भी अपके लिए ये कठिन समय है। आपको हानि हो सकती है। धन व्यय करने पर नियंत्रण रखें। स्वास्थ्य का अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। निराशा जीवन को अकर्मण्य बना सकती है। व्यवहार मे विशेष सावधान रहें। आपकी सामाजिक अप्रतिष्ठा संभव है। कार्यालय में अहम को ठेस पहुच सकती है।

मकर राशि (Capricorn) – भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, , गी.

आर्थिक दृष्टि से यह कठिन समय है। खर्चे बढ़ सकते हैं। आपको आत्मीयजनों से मधुर सम्बन्ध बनाए रखने में सतर्कता बरतनी है। परचितों या परिवार द्वारा परस्पर विरोध, विवाद की दुस्थिति निर्मित हो सकती है। क्रोध पर अंकुश रखें। अपने व्यवहार के प्रति विशेष सजग रहना उचित होगा। पारिवारिक सुख में कमी होगी। दांपत्य साथी से सहयोग की अपेक्षा ना रखें। विशेष- मे बाधा कष्ट,असफलता का समय-11बजे के पश्चात् , -महत्वपूर्ण कार्य,उपदेश एवं यात्रा के अपेक्षित परिणाम की सम्भावना अल्प है।

कुंभ राशि (Aquarius)– गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, द.

घर के लिए भी यह समय सुख से परिपूर्ण है। आपको रुचि पूर्ण  उत्तम भोजन, वस्त्र सुख योग है। आपके सामने आने वाली हर परिस्थिति निराकृत होगी। आज सम्पन्न किया गया हर कार्य आपको प्रसन्नता देगा। मन में पूर्ण संतोष का साम्राज्य रहेगा। मित्र एवं परचितों  के साथ अच्छा समय व्यतीत होगा। विजय पथ के पथिक होंगे आप। विपरीत स्थितियों पर नियंत्रण स्थापित होगा। शत्रु पराजित होंगे। आपका मनोबल एवं आत्मविश्वास आपको यश एवं सफलता प्रदान करेगा। स्थाई संपत्ति एवं लाभ की स्थिति उत्तम है।

मीन राशि (Pisces) – दी, दू, , , , दे, दो, चा, ची.

शारीरिक रुप से आप स्वास्थ्य में गिरावट महसूस करेंगे। मानसिक रुप से असंतोष अनुभव करेंगे। आपको भोजन भी इतना रुचिकर नहीं लगेगा। दिन में असंतोष सा रहेगा। मन में उदारता एवं दया भावना की कमी होगी। अनपेक्षित स्थिति से क्रोध एवं विवाद की स्थिति बन सकती है। आकस्मिक अप्रिय स्थिति निर्मित होगी। महत्वपूर्ण कार्यों को टालना उचित होगा। खर्च बढ़ेगा। दैनिक कार्य सरलता से पूर्ण होंगे।सामान्यतः संमस्या नही आएगी। विशेष- मे बाधा कष्ट,असफलता का समय-11बजे तक, -महत्वपूर्ण कार्य,उपदेश एवं यात्रा के अपेक्षित परिणाम की सम्भावना अल्प है।

दिन का भविष्य जानने की विधि-

(नाम एवं जन्म राशी दोनों का प्रभाव होता है)

1अपने प्रचलित नाम एवं जन्म राशी के भविष्य को पढ़िए ,यदि दोनों उत्तम तो दिन श्रेष्ठ सफल व्यतीत होगा 

-नाम से भविष्य फल उत्तम तो व्यवहार ,यात्रा आदि में सफलता ।

- नाम से अशुभ होने पर,यात्रा,गृह,प्रवेश,व्यवहारिक-कार्य,ज्वाइनिंग,आवेदन,परामर्श देना,जोखिम,विवाद हितकर नहीं होगा l

जन्म राशी से भविष्य फल उत्तम तो प्रत्येक कार्य में सफलता

  - आज का भविष्य ,नाम के  प्रथम  अक्षर से(व्यक्ति,वस्तु,कम्पनी,स्थान का नाम) जाने - – सी, सू,से, सो, , रा, री रू,रे ,रो, ता,ती, तू ते. का, की, कू,,,,के, को, ह. शेष समस्त नाम अक्षर हेतु उत्तम रहेगा l-मिथुन,तुला,कुम्भ राशी को उपाय करना चाहिए ।

- For those with the first letter of the name (name of person, thing, company, place), the day can prove to be a hindrance to expenses, busyness, disputes or happiness. Si, su, se, so, da, ra, ri ru, re, ro, ta, ti, tu te. Ka, ki, ku, d, d, ch, k, ko, h. Rest all names will be good

Remedy that checks the problem

वेद मंत्र भरणी :

ॐ यमायत्वा मखायत्वा सूर्य्यस्यत्वा तपसे देवस्यत्वा सवितामध्वानक्तु पृथ्विया स गवं स्पृशस्पाहिअर्चिरसि शोचिरसि तपोसी।

पौराणिक मंत्र :

पाशदण्डं भुजव्दयं यमं महिष वाहनमl

यमं नीलं भजे भीमं सुवर्ण प्रतीमागतम्ll

नक्षत्र देवता मंत्र : ॐ यमाय् नमःl

नक्षत्र मंत्र : ॐ अपभरणीभ्यो नमःl

भाद्रपद माह

 प्रयोग ना करें-  दही,उड़द ,मसूर, चना ,परवल ,लौकी ,भिंडी ,करेला ,बैंगन ,फ्राई अरबी, जिमीकंद कुंदरु ,ककड़ी ,नया आलू ,गाजर ,मूली ,चुकंदर ,फूल गोभी ,पत्ता गोभी ,पालक ,तरबूज, खरबूजा, पपीता पोदीना, हरी मिर्च ,हरा धनिया ,अदरक ,इमली ,जावित्री ,मूंगफली का तेल ,रिफाइंड तेल, श्रीखंड दही लस्सी ,गन्ना ,काजू ,पिस्ता

By renowned astrologer VK Tiwari –(since 1972) – -Vastu, Horoscope, Palmistry, Numerology.

 (Many honorary degrees from 1976-1990) (85+ebooks,3 books+poems-published, aired; Navneet Hindi Digest - Bharatiya Vidya Bhavan Mumbai - Bhavishya Phal Monthly - 1980 to 2000)

Contact

- Horoscope creation, Disease, Lucky gem, Job, Career.

- Kundli Matching Not only from Nakshatra but from 09 planets, 05 Nadi Siddhanta, D9, Nakshatra Charan at 30 point. Detailed horoscope matching in 08 Kundli matching - Best method - Matching horoscope with 30 codes, 05 Nadi. 09 Planets & their stars – Nadi  dosha, Mangal dosha, - of exception *

1- What is the subject of education? Career? Job.

2-Lifelong Success Tips –Do’s & Don’ts-Lucky-Day, Colors, Month, Name, City, Institute, Apartment, Direction,Cocahing name ,Tutor name

jyotish9999@gmail.com-9424446706-  Bangaluru

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

श्राद्ध की गूढ़ बाते ,किसकी श्राद्ध कब करे

श्राद्ध क्यों कैसे करे? पितृ दोष ,राहू ,सर्प दोष शांति ?तर्पण? विधि             श्राद्ध नामा - पंडित विजेंद्र कुमार तिवारी श्राद्ध कब नहीं करें :   १. मृत्यु के प्रथम वर्ष श्राद्ध नहीं करे ।   २. पूर्वान्ह में शुक्ल्पक्ष में रात्री में और अपने जन्मदिन में श्राद्ध नहीं करना चाहिए ।   ३. कुर्म पुराण के अनुसार जो व्यक्ति अग्नि विष आदि के द्वारा आत्महत्या करता है उसके निमित्त श्राद्ध नहीं तर्पण का विधान नहीं है । ४. चतुदर्शी तिथि की श्राद्ध नहीं करना चाहिए , इस तिथि को मृत्यु प्राप्त पितरों का श्राद्ध दूसरे दिन अमावस्या को करने का विधान है । ५. जिनके पितृ युद्ध में शस्त्र से मारे गए हों उनका श्राद्ध चतुर्दशी को करने से वे प्रसन्न होते हैं और परिवारजनों पर आशीर्वाद बनाए रखते हैं ।           श्राद्ध कब , क्या और कैसे करे जानने योग्य बाते           किस तिथि की श्राद्ध नहीं -  १. जिस तिथी को जिसकी मृत्यु हुई है , उस तिथि को ही श्राद्ध किया जाना चाहिए । पिता जीवित हो तो, गया श्राद्ध न करें । २. मां की मृत्यु (सौभाग्यवती स्त्री) किसी भी तिथि को हुईं हो , श्राद्ध केवल

*****मनोकामना पूरक सरल मंत्रात्मक रामचरितमानस की चौपाईयाँ-

*****मनोकामना पूरक सरल मंत्रात्मक रामचरितमानस की चौपाईयाँ-       रामचरितमानस के एक एक शब्द को मंत्रमय आशुतोष भगवान् शिव ने बना दिया |इसलिए किसी भी प्रकार की समस्या के लिए सुन्दरकाण्ड या कार्य उद्देश्य के लिए लिखित चौपाई का सम्पुट लगा कर रामचरितमानस का पाठ करने से मनोकामना पूर्ण होती हैं | -सोमवार,बुधवार,गुरूवार,शुक्रवार शुक्ल पक्ष अथवा शुक्ल पक्ष दशमी से कृष्ण पक्ष पंचमी तक के काल में (चतुर्थी, चतुर्दशी तिथि छोड़कर )प्रारंभ करे -   वाराणसी में भगवान् शंकरजी ने मानस की चौपाइयों को मन्त्र-शक्ति प्रदान की है-इसलिये वाराणसी की ओर मुख करके शंकरजी को स्मरण कर  इनका सम्पुट लगा कर पढ़े या जप १०८ प्रतिदिन करते हैं तो ११वे दिन १०८आहुति दे | अष्टांग हवन सामग्री १॰ चन्दन का बुरादा , २॰ तिल , ३॰ शुद्ध घी , ४॰ चीनी , ५॰ अगर , ६॰ तगर , ७॰ कपूर , ८॰ शुद्ध केसर , ९॰ नागरमोथा , १०॰ पञ्चमेवा , ११॰ जौ और १२॰ चावल। १॰ विपत्ति-नाश - “ राजिव नयन धरें धनु सायक। भगत बिपति भंजन सुखदायक।। ” २॰ संकट-नाश - “ जौं प्रभु दीन दयालु कहावा। आरति हरन बेद जसु गावा।। जपहिं नामु जन आरत भारी। मिटहिं कुसंकट होहि

दुर्गा जी के अभिषेक पदार्थ विपत्तियों के विनाशक एक रहस्य | दुर्गा जी को अपनी समस्या समाधान केलिए क्या अर्पण करना चाहिए?

दुर्गा जी   के अभिषेक पदार्थ विपत्तियों   के विनाशक एक रहस्य | दुर्गा जी को अपनी समस्या समाधान केलिए क्या अर्पण करना चाहिए ? अभिषेक किस पदार्थ से करने पर हम किस मनोकामना को पूर्ण कर सकते हैं एवं आपत्ति विपत्ति से सुरक्षा कवच निर्माण कर सकते हैं | दुर्गा जी को अर्पित सामग्री का विशेष महत्व होता है | दुर्गा जी का अभिषेक या दुर्गा की मूर्ति पर किस पदार्थ को अर्पण करने के क्या लाभ होते हैं | दुर्गा जी शक्ति की देवी हैं शीघ्र पूजा या पूजा सामग्री अर्पण करने के शुभ अशुभ फल प्रदान करती हैं | 1- दुर्गा जी को सुगंधित द्रव्य अर्थात ऐसे पदार्थ ऐसे पुष्प जिनमें सुगंध हो उनको अर्पित करने से पारिवारिक सुख शांति एवं मनोबल में वृद्धि होती है | 2- दूध से दुर्गा जी का अभिषेक करने पर कार्यों में सफलता एवं मन में प्रसन्नता बढ़ती है | 3- दही से दुर्गा जी की पूजा करने पर विघ्नों का नाश होता है | परेशानियों में कमी होती है | संभावित आपत्तियों का अवरोध होता है | संकट से व्यक्ति बाहर निकल पाता है | 4- घी के द्वारा अभिषेक करने पर सर्वसामान्य सुख एवं दांपत्य सुख में वृद्धि होती है | अवि

श्राद्ध:जानने योग्य महत्वपूर्ण बातें |

श्राद्ध क्या है ? “ श्रद्धया यत कृतं तात श्राद्धं | “ अर्थात श्रद्धा से किया जाने वाला कर्म श्राद्ध है | अपने माता पिता एवं पूर्वजो की प्रसन्नता के लिए एवं उनके ऋण से मुक्ति की विधि है | श्राद्ध क्यों करना चाहिए   ? पितृ ऋण से मुक्ति के लिए श्राद्ध किया जाना अति आवश्यक है | श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम ? यदि मानव योनी में समर्थ होते हुए भी हम अपने जन्मदाता के लिए कुछ नहीं करते हैं या जिन पूर्वज के हम अंश ( रक्त , जींस ) है , यदि उनका स्मरण या उनके निमित्त दान आदि नहीं करते हैं , तो उनकी आत्मा   को कष्ट होता है , वे रुष्ट होकर , अपने अंश्जो वंशजों को श्राप देते हैं | जो पीढ़ी दर पीढ़ी संतान में मंद बुद्धि से लेकर सभी प्रकार की प्रगति अवरुद्ध कर देते हैं | ज्योतिष में इस प्रकार के अनेक शाप योग हैं |   कब , क्यों श्राद्ध किया जाना आवश्यक होता है   ? यदि हम   96  अवसर पर   श्राद्ध   नहीं कर सकते हैं तो कम से कम मित्रों के लिए पिता माता की वार्षिक तिथि पर यह अश्वनी मास जिसे क्वांर का माह    भी कहा जाता है   | पितृ पक्ष में अपने मित्रगण के मरण तिथि

श्राद्ध रहस्य प्रश्न शंका समाधान ,श्राद्ध : जानने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य -कब,क्यों श्राद्ध करे?

संतान को विकलांगता, अल्पायु से बचाइए श्राद्ध - पितरों से वरदान लीजिये पंडित विजेंद्र कुमार तिवारी jyotish9999@gmail.com , 9424446706   श्राद्ध : जानने  योग्य   महत्वपूर्ण तथ्य -कब,क्यों श्राद्ध करे?  श्राद्ध से जुड़े हर सवाल का जवाब | पितृ दोष शांति? राहू, सर्प दोष शांति? श्रद्धा से श्राद्ध करिए  श्राद्ध कब करे? किसको भोजन हेतु बुलाएँ? पितृ दोष, राहू, सर्प दोष शांति? तर्पण? श्राद्ध क्या है? श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम क्या संभावित है? श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम क्या संभावित है? श्राद्ध की प्रक्रिया जटिल एवं सबके सामर्थ्य की नहीं है, कोई उपाय ? श्राद्ध कब से प्रारंभ होता है ? प्रथम श्राद्ध किसका होता है ? श्राद्ध, कृष्ण पक्ष में ही क्यों किया जाता है श्राद्ध किन२ शहरों में  किया जा सकता है ? क्या गया श्राद्ध सर्वोपरि है ? तिथि अमावस्या क्या है ?श्राद्द कार्य ,में इसका महत्व क्यों? कितने प्रकार के   श्राद्ध होते   हैं वर्ष में   कितने अवसर श्राद्ध के होते हैं? कब  श्राद्ध किया जाना अति आवश्यक होता है | पितृ श्राद्ध किस देव से स

गणेश विसृजन मुहूर्त आवश्यक मन्त्र एवं विधि

28 सितंबर गणेश विसर्जन मुहूर्त आवश्यक मन्त्र एवं विधि किसी भी कार्य को पूर्णता प्रदान करने के लिए जिस प्रकार उसका प्रारंभ किया जाता है समापन भी किया जाना उद्देश्य होता है। गणेश जी की स्थापना पार्थिव पार्थिव (मिटटीएवं जल   तत्व निर्मित)     स्वरूप में करने के पश्चात दिनांक 23 को उस पार्थिव स्वरूप का विसर्जन किया जाना ज्योतिष के आधार पर सुयोग है। किसी कार्य करने के पश्चात उसके परिणाम शुभ , सुखद , हर्षद एवं सफलता प्रदायक हो यह एक सामान्य उद्देश्य होता है।किसी भी प्रकार की बाधा व्यवधान या अनिश्ट ना हो। ज्योतिष के आधार पर लग्न को श्रेष्ठता प्रदान की गई है | होरा मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ माना गया है।     गणेश जी का संबंध बुधवार दिन अथवा बुद्धि से ज्ञान से जुड़ा हुआ है। विद्यार्थियों प्रतियोगियों एवं बुद्धि एवं ज्ञान में रूचि है , ऐसे लोगों के लिए बुध की होरा श्रेष्ठ होगी तथा उच्च पद , गरिमा , गुरुता , बड़प्पन , ज्ञान , निर्णय दक्षता में वृद्धि के लिए गुरु की हो रहा श्रेष्ठ होगी | इसके साथ ही जल में विसर्जन कार्य होता है अतः चंद्र की होरा सामान्य रूप से सभी मंगल कार्यों क

गणेश भगवान - पूजा मंत्र, आरती एवं विधि

सिद्धिविनायक विघ्नेश्वर गणेश भगवान की आरती। आरती  जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।  माता जा की पार्वती ,पिता महादेवा । एकदंत दयावंत चार भुजा धारी।   मस्तक सिंदूर सोहे मूसे की सवारी | जय गणेश जय गणेश देवा।  अंधन को आँख  देत, कोढ़िन को काया । बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया । जय गणेश जय गणेश देवा।   हार चढ़े फूल चढ़े ओर चढ़े मेवा । लड्डूअन का  भोग लगे संत करें सेवा।   जय गणेश जय गणेश देवा।   दीनन की लाज रखो ,शम्भू पत्र वारो।   मनोरथ को पूरा करो।  जाए बलिहारी।   जय गणेश जय गणेश देवा। आहुति मंत्र -  ॐ अंगारकाय नमः श्री 108 आहूतियां देना विशेष शुभ होता है इसमें शुद्ध घी ही दुर्वा एवं काले तिल का विशेष महत्व है। अग्नि पुराण के अनुसार गायत्री-      मंत्र ओम महोत काय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो दंती प्रचोदयात्। गणेश पूजन की सामग्री एक चौकिया पाटे  का प्रयोग करें । लाल वस्त्र या नारंगी वस्त्र उसपर बिछाएं। चावलों से 8पत्ती वाला कमल पुष्प स्वरूप बनाएं। गणेश पूजा में नारंगी एवं लाल रंग के वस्त्र वस्तुओं का विशेष महत्व है। लाल पुष्प अक्षत रोली कलावा या मौली दूध द

श्राद्ध रहस्य - श्राद्ध क्यों करे ? कब श्राद्ध नहीं करे ? पिंड रहित श्राद्ध ?

श्राद्ध रहस्य - क्यों करे , न करे ? पिंड रहित , महालय ? किसी भी कर्म का पूर्ण फल विधि सहित करने पर ही मिलता है | * श्राद्ध में गाय का ही दूध प्रयोग करे |( विष्णु पुराण ) | श्राद्ध भोजन में तिल अवश्य प्रयोग करे | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि - श्राद्ध अपरिहार्य - अश्वनी माह के कृष्ण पक्ष तक पितर अत्यंत अपेक्षा से कष्ट की   स्थिति में जल , तिल की अपनी संतान से , प्रतिदिन आशा रखते है | अन्यथा दुखी होकर श्राप देकर चले जाते हैं | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि इसको नहीं करने से पीढ़ी दर पीढ़ी संतान मंद बुद्धि , दिव्यांगता .मानसिक रोग होते है | हेमाद्रि ग्रन्थ - आषाढ़ माह पूर्णिमा से /कन्या के सूर्य के समय एक दिन भी श्राद्ध कोई करता है तो , पितर एक वर्ष तक संतुष्ट/तृप्त रहते हैं | ( भद्र कृष्ण दूज को भरणी नक्षत्र , तृतीया को कृत्तिका नक्षत्र   या षष्ठी को रोहणी नक्षत्र या व्यतिपात मंगलवार को हो ये पिता को प्रिय योग है इस दिन व्रत , सूर्य पूजा , गौ दान गौ -दान श्रेष्ठ | - श्राद्ध का गया तुल्य फल- पितृपक्ष में मघा सूर्य की अष्टमी य त्रयोदशी को मघा नक्षत्र पर चंद्र हो | - क

विवाह बाधा और परीक्षा में सफलता के लिए दुर्गा पूजा

विवाह में विलंब विवाह के लिए कात्यायनी पूजन । 10 oct - 18 oct विवाह में विलंब - षष्ठी - कात्यायनी पूजन । वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए - दुर्गतिहारणी मां कात्यायनी की शरण लीजिये | प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना के समय , संकल्प में अपना नाम गोत्र स्थान बोलने के पश्चात् अपने विवाह की याचना , प्रार्थना कीजिये | वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए प्रति दिन प्रातः सूर्योदय से प्रथम घंटे में या दोपहर ११ . ४० से १२ . ४० बजे के मध्य , कात्ययानी देवी का मन्त्र जाप करिये | १०८बार | उत्तर दिशा में मुँह हो , लाल वस्त्र हो जाप के समय | दीपक मौली या कलावे की वर्तिका हो | वर्तिका उत्तर दिशा की और हो | गाय का शुद्ध घी श्रेष्ठ अथवा तिल ( बाधा नाशक + महुआ ( सौभाग्य ) तैल मिला कर प्रयोग करे मां भागवती की कृपा से पूर्वजन्म जनितआपके दुर्योग एवं   व्यवधान समाप्त हो एवं   आपकी मनोकामना पूरी हो ऐसी शुभ कामना सहित || षष्ठी के दिन विशेष रूप से कात्यायनी के मन्त्र का २८ आहुति / १०८ आहुति हवन करिये | चंद्रहासोज्

कलश पर नारियल रखने की शास्त्रोक्त विधि क्या है जानिए

हमे श्रद्धा विश्वास समर्पित प्रयास करने के बाद भी वांछित परिणाम नहीं मिलते हैं , क्योकि हिन्दू धर्म श्रेष्ठ कोटी का विज्ञान सम्मत है ।इसकी प्रक्रिया , विधि या तकनीक का पालन अनुसरण परमावश्यक है । नारियल का अधिकाधिक प्रयोग पुजा अर्चना मे होता है।नारियल रखने की विधि सुविधा की दृष्टि से प्रचलित होगई॥ मेरे ज्ञान  मे कलश मे उल्टा सीधा नारियल फसाकर रखने की विधि का प्रमाण अब तक नहीं आया | यदि कोई सुविज्ञ जानकारी रखते हो तो स्वागत है । नारियल को मोटा भाग पूजा करने वाले की ओर होना चाहिए। कलश पर नारियल रखने की प्रमाणिक विधि क्या है ? अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए , उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै प्राची मुखं वित्त्नाश्नाय , तस्माच्छुभम सम्मुख नारिकेलम अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए कलश पर - नारियल का बड़ा हिस्सा नीचे मुख कर रखा जाए ( पतला हिस्सा पूछ वाला कलश के उपरी भाग पर रखा जाए ) तो उसे शत्रुओं की वृद्धि होती है * ( कार्य सफलता में बाधाएं आती है संघर्ष , अपयश , चिंता , हानि , सहज हैशत्रु या विरोधी तन , मन धन सर्व दृष्टि से घातक होते है ) उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै कलश पर -