सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

03सित. भविष्य,उपाय(जैन मन्त्र) Remedy that stops the problem

Articles That Help You Prioritize Work Today
This article may help whether to do or not to do important work.

विक्रम संवत- 2079, -सूर्य दक्षिणायण,चातुर्मास;

भाद्रपद शुक्लपक्ष,

व्रत,पर्व-

संतान सप्तमी ,सूर्य पूजा,उमा महेश्वर पूजा  ,.

रूद्र अभिषेक-(संध्या या उसके उपरांत शीघ्र फल प्रद )

आज  रूद्र अभिषेक मुहूर्त नहीं ,अशुभ प्रभाव नियमाबुसार .

राशी भविष्य-ज्ञात कर ,दैनिक कार्य- को प्राथमिकता2

*-जन्म राशी शुभ होने पर  किये जाने वाले कार्य-

अनुष्ठान,पूजा,दान,,निर्णय,महत्वपूर्ण प्रपत्र पर हस्ताक्षर ,मीटिंग,

जन सम्पर्क, चिकित्सा,रोग,जोखिम कार्य.

-       दैनिक राशिफल (Daily Horoscope)

                       जन्म राशी शुभ होने पर  किये जाने वाले कार्य-

अनुष्ठान,पूजा,दान,,निर्णय,महत्वपूर्ण प्रपत्र पर हस्ताक्षर ,मीटिंग,

जन सम्पर्क, चिकित्सा,रोग,जोखिम कार्य.

 सिंह,,धनु,मेष –,- राशी के लिए सुख बाधक .

                  मेष राशि (Aries) – चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ.

यह चिन्तापूर्ण समय है अत: किसी शुभ समाचार की आशा व्यर्थ होगी। आर्थिक दृष्टि से भी यह काल चुनोतीपूर्ण है। आपको धन वसूली में कठिनाई आ सकती है। लाभप्रद व अच्छे कार्यों को बन्द करने की भी संभावना है। अपने वरिष्ठ व उच्चाधिकारी से कार्यालय में मधुर सम्बन्ध रखें। स्वास्थ्य की ओर ध्यान देने की भी आवश्यकता है। पाचन तंत्र या श्वसन तंत्र में समस्या हो सकती है। कार्य मन के अनुकूल नही होने से तनाव, विवाद संभव है। Try to avoid  -“यात्रा, व्यय, विवाद, जोखिम के कार्य एवं मीटिंग, परामर्श लंबित/स्थगित रखिए या अतिरिक्त सूझबूझ से समय निकालिए।

वृष राशि (Taurus) – , , , , वा, वी, वू, वे, वो.

सकारात्मक परिवर्तन होंगे। यह समय सुख सुविधा का है। कार्यों में सफलता का योग है। आर्थिक दृष्टि से यह समय आपके लिए शुभ है। आपको शेयर, जोखिम के कार्य में (अपने कार्य में) लाभ हो सकता है। यह समय आगे बढ़ कर लक्ष्य को पकड़ लेने का है। आप सफल हो सकते हैं। यह समय आपके लिए आपके हिस्से की प्रतिष्ठा व पहचान पाने का हो सकता है। आप नीरोग काया का आनन्द उठाएँगे। विशेष-महत्वपूर्ण कार्य,उपदेश एवं यात्रा के अपेक्षित परिणाम की सम्भावना अल्प है

मिथुन राशि (Gemini) – का, की, कू, , , , के, को, ह.

यह समय आगे बढ़ कर लक्ष्य को पकड़ लेने का है। आप सफल हो सकते हैं। यह समय आपके लिए आपके हिस्से की प्रतिष्ठा व पहचान पाने का हो सकता है। आप शत्रुओं पर विजय पाएँगे। नए मित्र भी बनाएँगे। स्वास्थ्य अच्छा रहेगा और आप नीरोग काया का आनन्द उठाएँगे। कुल मिलाकर इस अवधि में आप प्रसन्न रहेंगे। विशेष रुप से महिला मित्रो से सुख मिलेगा। उदर कष्ट संभव है। 

कर्क राशि (Cancer) – ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो.

कुछ मिले जुले नकारात्मक (विरोधी) परिणाम आते हैं। आपको अपने द्वारा ली गई जिम्मेदारी निर्वाह मे कठिनाई आएगी। चन्द्रमा के इस परागोचर की गति बाधाओं की सूचक है। व्यापारी मे जो भी लाभप्रद लेन-देन, सम्पन्न करने में कुछ कठिनाइयाँ आ सकती हैं। यात्रा कष्ट एवं बाधा है। अपने कार्य इच्छानुसार पूरे न कर पाने के कारण आप मानसिक रुप से अशांत रहेंगे। कार्य स्थल पर मित्रों को मनचाही सराहना मिलेगी और इस सबसे आप को अवसाद एवं मन त्रस्त होगा। धन व्यय करने पर नियंत्रण रखें।

सिंह राशि (Leo) – मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे.

चन्द्रमा की यह गति लक्ष्यों की प्राप्ति व प्रयासों में सफलता दर्शाती है। इस विशेष समय आपको यश, ख्याति देने हेतु तत्पर हैं। प्रयास के प्रणाम पक्ष मे आएंगे। यह दिन धन की दृष्टि से भी सौभाग्यपूर्ण है। घर के लिए भी यह समय सुख से परिपूर्ण है। आपको अति उत्तम भोजन, वस्त्र व महिला मित्रों से प्रसन्नता प्राप्त होगी। सम्पर्क का लाभ मिल सकता है। आपके सामने आने वाली हर परिस्थिति व सम्पन्न किया गया हर कार्य आपको प्रसन्नता देगा। विशेष- महिला वर्ग के लिए विघ्नप्रद दिन होगा।

स्त्री वर्ग हेतु  विशेष-महत्वपूर्ण कार्य,उपदेश एवं यात्रा के अपेक्षित परिणाम की सम्भावना अल्प है।

कन्या राशि (Virgo) – टो, , पी, पू, , , , पे, पो.

चन्द्रमा की यह गति लक्ष्यों की प्राप्ति व प्रयासों में सफलता दर्शाती है। इस विशेष समय आपको यश, ख्याति देने हेतु तत्पर हैं। प्रयास के प्रणाम पक्ष मे आएंगे। यह दिन  धन की दृष्टि से भी सौभाग्यपूर्ण है। घर के लिए भी यह समय सुख से परिपूर्ण है। आपको अति उत्तम भोजन, वस्त्र व महिला मित्रों से प्रसन्नता प्राप्त होगी। सम्पर्क का लाभ मिल सकता है। आपके सामने आने वाली हर परिस्थिति व सम्पन्न किया गया हर कार्य आपको प्रसन्नता देगा। विशेष- महिला वर्ग के लिए विघ्नप्रद दिन होगा। विशेष-महत्वपूर्ण कार्य,उपदेश एवं यात्रा के अपेक्षित परिणाम की सम्भावना अल्प है

तुला राशि (Libra) – रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते.

यह दिन व्यय या धन की हानि दर्शाता है। आज यदि आप विवाद में भी पड़ें तो वह व्यर्थ में झगड़े का रुप ले सकता है। आपके सम्मान के लिए ये अत्यंत नाजुक दौर है। अपना सम्मान व प्रतिष्ठा बचाए रखें क्योंकि तनिक सी भी असावधानी इन्हें ठेस पहुँचा सकती है। कार्य, व्यापार या कार्यालय में बाधाएं आ सकती हैं। विश्वास रखें, परिश्रम का फल अवश्य मिलेगा। परिवार सुख मे कमी होगी।

वृश्चिक राशि (Scorpio) – तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू.

सफलता,सौभाग्य, सुख व  सम्मान इस दिन की विशेषता है। यह समय आपके व आपके परिवार के लिए रोगों से मुक्त रहने का है। जीवन में शान्ति का मनोभाव आपको संतोष प्रदान करेगा। अपनी ही भावनाओं के प्रति आवश्यकता से अधिक संवेदनशील न बन जाएं। आर्थिक रुप से भी यह एक अच्छा समय है। दाम्पत्य जीवन में आप अपने साथी के प्रेम में वृद्धि की आशा कर सकते हैं।

धनु राशि (Sagittarius) – ये, यो, , भी, भू, , , , भे.

आर्थिक दृष्टि से यह समय कठिनाइयों से परिपूर्ण है। खर्चे बढ़ेंगे। अपनी धन सम्पदा का ध्यान रखें। अपव्यय से बचें। अपने द्वारा किए जा रहे कार्यों के प्रति विशेष सचेत रहें क्योंकि संभव है आपको मनवांछित फल न मिले। स्वास्थ्य की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। इस काल में आँखों में कोई संक्रमण हो सकता है विशेष ध्यान रखें। मानसिक रुप से आप व्यथा व बैचेनी अनुभव कर सकते हैं। आप अकर्मण्यता अथवा ईर्ष्या की भावना से भी त्रस्त हो सकते हैं। घर पर भी सावधान रहें। विशेष-महत्वपूर्ण कार्य,उपदेश एवं यात्रा के अपेक्षित परिणाम की सम्भावना अल्प है

मकर राशि (Capricorn) – भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, , गी.

यह अच्छा दिन व्यतीत होगा। इच्छापूर्त्ति, लक्ष्यप्राप्ति तथा सांसारिक व भौतिक सुख प्राप्त करने का योग है। यदि आप कुछ नया करने की योजना बना रहे हैं तो यही उपयुक्त समय है। यह समय आपके कार्यस्थल के लिए भी शुभ है। आप सम्मान, पदोन्नति एवम् प्रशंसा की आशा कर सकते हैं। आप सत्ता में अधिकारी के पद का सुख उपभोग  कर सकते है।

कुंभ राशि (Aquarius)– गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, द.

यह समय आपको अधिक धन उपार्जन व सम्पत्ति अर्जित करने में सहायक होगा। कृषि उपज का लाभ सामान्य से अधिक होग। आपको अटकी हुई धनराशि भी प्राप्त हो सकती है। व्यक्तिगत रुप से यह समय आपको प्रसन्नता, सुख व विपरीत लिंग वाले व्यक्तियों के साथ आनन्ददायक है। आप मानसिक रुप से प्रसन्न व शान्तचित्त रहेंगे।विशेष-महत्वपूर्ण कार्य,उपदेश एवं यात्रा के अपेक्षित परिणाम की सम्भावना अल्प है

मीन राशि (Pisces) – दी, दू, , , , दे, दो, चा, ची.

यह दिन चिंता एवं व्यय की आशंका का सूचक है। आपको अपने व्यापार मे परिश्रम अतिरिक्त करना होगा। पेट की गड़बड़ अथवा छाती का कष्ट हो सकता है अत: स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दें। अनिद्रा की बीमारी भी हो सकती है। मानसिक रुप से आप थकान महसूस कर सकते हैं। यह सब कुछ होते हुए भी इस अवधि में कुछ सुखद संतुष्टि एवं आध्यत्मिक आलोकमय भी है। आपको समाज में प्रसिद्धि भी मिलने की संभावना है। विघ्न, बाधा, दुर्भाग्य आपकी योग्यता ज्ञान एवं अनुभव को चुनोती दे सकता। घर व धन सम्बन्धी कठिनाइयाँ झेलनी पड़ सकती है।

*

आज प्रचलित नाम से भविष्य -यात्रा,गृह,प्रवेश,व्यवहारिक-कार्य,ज्वाइनिंग,आवेदन,परामर्श देना,जोखिम,विवाद हितकर नहीं होगा .

-       नाम के  प्रथम  अक्षर (व्यक्ति,वस्तु,कम्पनी,स्थान का नाम ) वालो के लिए दिन व्यय,व्यस्तता ,विवाद या सुख बाधक सिद्ध हो सकता है – -ये यो भ,भी भू ध,,,भे. मा मी,मू,मे,मो,टा,टी,टू, टे ,चू,चे,चो ला ली लू ले लो अ.शेष समस्त नाम अक्षर हेतु उत्तम रहेगा l

-       -सिंह,मेष,धनु राशी वालो को उपाय करना हित कर होगा - For those with the first letter of the name (name of person, thing, company, place), the day can prove to be a hindrance to expenditure, busyness, dispute or happiness.-Yo Bh, F DH, M, T Chu- Cho La, Lu. Rest all names will be good for alphabets.-It may be beneficial for the people of Leo, Aries, and Sagittarius to take measures.

उपाय :नक्षत्र के मन्त्र  से अनिष्ट प्रभाव में कमी से दिन सुख, शांति एवं सफलता में वृद्धि  होती है।

वेद मंत्र अनुराधा।

लाल पुष्प अर्पण। लक्ष्मी पूजा।

-रूद्र अभिषेक नियमानुसार वर्जित .

कार्य के पूर्व  एवं घर से प्रस्थान पूर्व - चित्रभानु नामवाले भगवान सूर्यनारायण का पूजन करना चाहिए.

 मिथुन,कर्क राशी – को अवश्य करना चाहिए 

-नमक ,ताड़ का फल आवला,कटहल व्यंजन उत्पाद का प्रयोग नहीं करे ।

- पूआ फलाहार अथवा मीठा भोजन भोजन में शामिल करे ।

कार्य के पूर्व  एवं घर से प्रस्थान पूर्व   मन्त्र  -

-ॐ चित्रभानवे नम।

ॐ मित्राय नम:

पौराणिक मंत्र :मित्रं पद्मासन आरूढं अनुराधेश्वरं भजे l
शूलां कुशल सद्भाहुं युग्मं शोणित वर्णकम् ll

नक्षत्र देवता मंत्र : ॐ मित्राय नमः lनक्षत्र मंत्र : ॐ अनुराधाभ्यो नम:||

-स्नान जल मे काले तिल मिला कर स्नान करे ।।

-शमी वृक्ष पर जल अर्पण करे ।

-पीपल वृक्ष में मिश्री मिश्रित दूध से अर्घ्य देने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।

-पीपल वृक्ष की जड़ के समीप तिल तैल का चर बत्तियों का दीपक , चार वत्तियाँ ,चार दिशाओं में हों ।

-दीपक वर्तिकाये लाल,नारंगी या अनेक रंग की हो (श्वेत रंग की नहीं)

दीपक की बत्ती की दिशा उत्तर श्रेष्ठ,पूर्व दिशा उत्तम ।

मंत्र --

ॐ पिप्पलाद , कौशिक ऋषये नमः । विष्णवे नम:,हनुमते नम:।।

सर्व वांछाम पूरय पूरय च सर्व सिद्धिम देहि में नम ।

-दान-

उड़द ,तिल,काला,वस्त्र,,नीले पुष्प,लोभान,करे ।

दान – वृद्ध व्यक्ति ,कनिष्ठ या सेवक को दे सकते है।।

3- घर से प्रस्थान पूर्व खाएं–

-तिल,भात ,उड़द,अदरख मे से कोई पदार्थ उपयोग करना चाहिए ।

जैन धर्म मंत्र-

णमो लोए सव्वसाहूणं।

राहू

1 ॐ नाक ध्वजाय विद्महे पद्म हस्ताय धीमहि तन्नो राहुः प्रचोदयात् ॥

2ॐ शिरो रूपाय विद्महे अमृतेशाय धीमहि तन्नो राहुः प्रचोदयात् ॥

ब्रह्माण्डपुराण-मन्त्र

सूर्य  पुत्रो दीर्घ देहा विशालाक्ष:शिवप्रिय:। मन्दचार: प्रसन्नात्मा पीडां हरतु मे शनि: ।।

(हे सूर्य के पुत्र,दीर्घ देह ,विशाल नेत्रों,मंद गति से चलने वाले,भगवान्

शिव के प्रिय तथा प्रसन्न आत्मा शनि मेरी पीड़ा को दूर करें ।। )

शनि- ॐ शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये। शं योरभि स्त्रवन्तु न:।। (यजु. 36।12)

-वृष,कन्या राशी या नाम ओ.व,ब,इ,उ,ए ,प,थ,ठ अक्षर प्रारंभ हो उनको अवश्य निम्न उपाय

कार्य के पूर्व  एवं घर से प्रस्थान पूर्व   - चंद्रमा की पूजा- चन्द्रमसे नम:। । पितृगण पित्रेभ्य नम:।।

भाद्रपद माह

 प्रयोग ना करें-  दही,उड़द ,मसूर, चना ,परवल ,लौकी ,भिंडी ,करेला ,बैंगन ,फ्राई अरबी, जिमीकंद कुंदरु ,ककड़ी ,नया आलू ,गाजर ,मूली ,चुकंदर ,फूल गोभी ,पत्ता गोभी ,पालक ,तरबूज, खरबूजा, पपीता पोदीना, हरी मिर्च ,हरा धनिया ,अदरक ,इमली ,जावित्री ,मूंगफली का तेल ,रिफाइंड तेल, श्रीखंड दही लस्सी ,गन्ना ,काजू ,पिस्ता

********************************

उक्त आलेख

-देश देशांतर के सुप्रसिद्ध ज्योतिषी पंडित वी.के.तिवारी द्वारा सृजित

(अनेक सम्मान उपाधि 1976-1990 तक)

(85+ebooks,3books+10.000 लेख ,कविता-प्रकाशित,प्रसारित;साप्ताहिक हिंदुस्तान में भविष्यवाणी ,नवनीत हिंदी डाइजेस्ट-भारतीय विद्या भवन मुंबई  -भविष्य फल मासिक-1980से 2000तक)

सम्पर्क -कुंडली निर्माण ,रोग,भाग्यशाली रत्न ,जाब,केरियर  (Dakshina500/).

- कुंडली मिलान

केवल नक्षत्र से नहीं 09 ग्रहों से, 05 नाडी नारद सिद्धांत ,D9 ,नक्षत्र चरण 30बिन्दु पर.08 pages में विस्तृत कुंडली मिलान

jyotish9999@gmail.com-9424446706-Sun city Bangaluru

 

 

 

                                  

 

 

 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

श्राद्ध की गूढ़ बाते ,किसकी श्राद्ध कब करे

श्राद्ध क्यों कैसे करे? पितृ दोष ,राहू ,सर्प दोष शांति ?तर्पण? विधि             श्राद्ध नामा - पंडित विजेंद्र कुमार तिवारी श्राद्ध कब नहीं करें :   १. मृत्यु के प्रथम वर्ष श्राद्ध नहीं करे ।   २. पूर्वान्ह में शुक्ल्पक्ष में रात्री में और अपने जन्मदिन में श्राद्ध नहीं करना चाहिए ।   ३. कुर्म पुराण के अनुसार जो व्यक्ति अग्नि विष आदि के द्वारा आत्महत्या करता है उसके निमित्त श्राद्ध नहीं तर्पण का विधान नहीं है । ४. चतुदर्शी तिथि की श्राद्ध नहीं करना चाहिए , इस तिथि को मृत्यु प्राप्त पितरों का श्राद्ध दूसरे दिन अमावस्या को करने का विधान है । ५. जिनके पितृ युद्ध में शस्त्र से मारे गए हों उनका श्राद्ध चतुर्दशी को करने से वे प्रसन्न होते हैं और परिवारजनों पर आशीर्वाद बनाए रखते हैं ।           श्राद्ध कब , क्या और कैसे करे जानने योग्य बाते           किस तिथि की श्राद्ध नहीं -  १. जिस तिथी को जिसकी मृत्यु हुई है , उस तिथि को ही श्राद्ध किया जाना चाहिए । पिता जीवित हो तो, गया श्राद्ध न करें । २. मां की मृत्यु (सौभाग्यवती स्त्री) किसी भी तिथि को हुईं हो , श्राद्ध केवल

*****मनोकामना पूरक सरल मंत्रात्मक रामचरितमानस की चौपाईयाँ-

*****मनोकामना पूरक सरल मंत्रात्मक रामचरितमानस की चौपाईयाँ-       रामचरितमानस के एक एक शब्द को मंत्रमय आशुतोष भगवान् शिव ने बना दिया |इसलिए किसी भी प्रकार की समस्या के लिए सुन्दरकाण्ड या कार्य उद्देश्य के लिए लिखित चौपाई का सम्पुट लगा कर रामचरितमानस का पाठ करने से मनोकामना पूर्ण होती हैं | -सोमवार,बुधवार,गुरूवार,शुक्रवार शुक्ल पक्ष अथवा शुक्ल पक्ष दशमी से कृष्ण पक्ष पंचमी तक के काल में (चतुर्थी, चतुर्दशी तिथि छोड़कर )प्रारंभ करे -   वाराणसी में भगवान् शंकरजी ने मानस की चौपाइयों को मन्त्र-शक्ति प्रदान की है-इसलिये वाराणसी की ओर मुख करके शंकरजी को स्मरण कर  इनका सम्पुट लगा कर पढ़े या जप १०८ प्रतिदिन करते हैं तो ११वे दिन १०८आहुति दे | अष्टांग हवन सामग्री १॰ चन्दन का बुरादा , २॰ तिल , ३॰ शुद्ध घी , ४॰ चीनी , ५॰ अगर , ६॰ तगर , ७॰ कपूर , ८॰ शुद्ध केसर , ९॰ नागरमोथा , १०॰ पञ्चमेवा , ११॰ जौ और १२॰ चावल। १॰ विपत्ति-नाश - “ राजिव नयन धरें धनु सायक। भगत बिपति भंजन सुखदायक।। ” २॰ संकट-नाश - “ जौं प्रभु दीन दयालु कहावा। आरति हरन बेद जसु गावा।। जपहिं नामु जन आरत भारी। मिटहिं कुसंकट होहि

दुर्गा जी के अभिषेक पदार्थ विपत्तियों के विनाशक एक रहस्य | दुर्गा जी को अपनी समस्या समाधान केलिए क्या अर्पण करना चाहिए?

दुर्गा जी   के अभिषेक पदार्थ विपत्तियों   के विनाशक एक रहस्य | दुर्गा जी को अपनी समस्या समाधान केलिए क्या अर्पण करना चाहिए ? अभिषेक किस पदार्थ से करने पर हम किस मनोकामना को पूर्ण कर सकते हैं एवं आपत्ति विपत्ति से सुरक्षा कवच निर्माण कर सकते हैं | दुर्गा जी को अर्पित सामग्री का विशेष महत्व होता है | दुर्गा जी का अभिषेक या दुर्गा की मूर्ति पर किस पदार्थ को अर्पण करने के क्या लाभ होते हैं | दुर्गा जी शक्ति की देवी हैं शीघ्र पूजा या पूजा सामग्री अर्पण करने के शुभ अशुभ फल प्रदान करती हैं | 1- दुर्गा जी को सुगंधित द्रव्य अर्थात ऐसे पदार्थ ऐसे पुष्प जिनमें सुगंध हो उनको अर्पित करने से पारिवारिक सुख शांति एवं मनोबल में वृद्धि होती है | 2- दूध से दुर्गा जी का अभिषेक करने पर कार्यों में सफलता एवं मन में प्रसन्नता बढ़ती है | 3- दही से दुर्गा जी की पूजा करने पर विघ्नों का नाश होता है | परेशानियों में कमी होती है | संभावित आपत्तियों का अवरोध होता है | संकट से व्यक्ति बाहर निकल पाता है | 4- घी के द्वारा अभिषेक करने पर सर्वसामान्य सुख एवं दांपत्य सुख में वृद्धि होती है | अवि

श्राद्ध:जानने योग्य महत्वपूर्ण बातें |

श्राद्ध क्या है ? “ श्रद्धया यत कृतं तात श्राद्धं | “ अर्थात श्रद्धा से किया जाने वाला कर्म श्राद्ध है | अपने माता पिता एवं पूर्वजो की प्रसन्नता के लिए एवं उनके ऋण से मुक्ति की विधि है | श्राद्ध क्यों करना चाहिए   ? पितृ ऋण से मुक्ति के लिए श्राद्ध किया जाना अति आवश्यक है | श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम ? यदि मानव योनी में समर्थ होते हुए भी हम अपने जन्मदाता के लिए कुछ नहीं करते हैं या जिन पूर्वज के हम अंश ( रक्त , जींस ) है , यदि उनका स्मरण या उनके निमित्त दान आदि नहीं करते हैं , तो उनकी आत्मा   को कष्ट होता है , वे रुष्ट होकर , अपने अंश्जो वंशजों को श्राप देते हैं | जो पीढ़ी दर पीढ़ी संतान में मंद बुद्धि से लेकर सभी प्रकार की प्रगति अवरुद्ध कर देते हैं | ज्योतिष में इस प्रकार के अनेक शाप योग हैं |   कब , क्यों श्राद्ध किया जाना आवश्यक होता है   ? यदि हम   96  अवसर पर   श्राद्ध   नहीं कर सकते हैं तो कम से कम मित्रों के लिए पिता माता की वार्षिक तिथि पर यह अश्वनी मास जिसे क्वांर का माह    भी कहा जाता है   | पितृ पक्ष में अपने मित्रगण के मरण तिथि

श्राद्ध रहस्य प्रश्न शंका समाधान ,श्राद्ध : जानने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य -कब,क्यों श्राद्ध करे?

संतान को विकलांगता, अल्पायु से बचाइए श्राद्ध - पितरों से वरदान लीजिये पंडित विजेंद्र कुमार तिवारी jyotish9999@gmail.com , 9424446706   श्राद्ध : जानने  योग्य   महत्वपूर्ण तथ्य -कब,क्यों श्राद्ध करे?  श्राद्ध से जुड़े हर सवाल का जवाब | पितृ दोष शांति? राहू, सर्प दोष शांति? श्रद्धा से श्राद्ध करिए  श्राद्ध कब करे? किसको भोजन हेतु बुलाएँ? पितृ दोष, राहू, सर्प दोष शांति? तर्पण? श्राद्ध क्या है? श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम क्या संभावित है? श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम क्या संभावित है? श्राद्ध की प्रक्रिया जटिल एवं सबके सामर्थ्य की नहीं है, कोई उपाय ? श्राद्ध कब से प्रारंभ होता है ? प्रथम श्राद्ध किसका होता है ? श्राद्ध, कृष्ण पक्ष में ही क्यों किया जाता है श्राद्ध किन२ शहरों में  किया जा सकता है ? क्या गया श्राद्ध सर्वोपरि है ? तिथि अमावस्या क्या है ?श्राद्द कार्य ,में इसका महत्व क्यों? कितने प्रकार के   श्राद्ध होते   हैं वर्ष में   कितने अवसर श्राद्ध के होते हैं? कब  श्राद्ध किया जाना अति आवश्यक होता है | पितृ श्राद्ध किस देव से स

गणेश विसृजन मुहूर्त आवश्यक मन्त्र एवं विधि

28 सितंबर गणेश विसर्जन मुहूर्त आवश्यक मन्त्र एवं विधि किसी भी कार्य को पूर्णता प्रदान करने के लिए जिस प्रकार उसका प्रारंभ किया जाता है समापन भी किया जाना उद्देश्य होता है। गणेश जी की स्थापना पार्थिव पार्थिव (मिटटीएवं जल   तत्व निर्मित)     स्वरूप में करने के पश्चात दिनांक 23 को उस पार्थिव स्वरूप का विसर्जन किया जाना ज्योतिष के आधार पर सुयोग है। किसी कार्य करने के पश्चात उसके परिणाम शुभ , सुखद , हर्षद एवं सफलता प्रदायक हो यह एक सामान्य उद्देश्य होता है।किसी भी प्रकार की बाधा व्यवधान या अनिश्ट ना हो। ज्योतिष के आधार पर लग्न को श्रेष्ठता प्रदान की गई है | होरा मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ माना गया है।     गणेश जी का संबंध बुधवार दिन अथवा बुद्धि से ज्ञान से जुड़ा हुआ है। विद्यार्थियों प्रतियोगियों एवं बुद्धि एवं ज्ञान में रूचि है , ऐसे लोगों के लिए बुध की होरा श्रेष्ठ होगी तथा उच्च पद , गरिमा , गुरुता , बड़प्पन , ज्ञान , निर्णय दक्षता में वृद्धि के लिए गुरु की हो रहा श्रेष्ठ होगी | इसके साथ ही जल में विसर्जन कार्य होता है अतः चंद्र की होरा सामान्य रूप से सभी मंगल कार्यों क

गणेश भगवान - पूजा मंत्र, आरती एवं विधि

सिद्धिविनायक विघ्नेश्वर गणेश भगवान की आरती। आरती  जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।  माता जा की पार्वती ,पिता महादेवा । एकदंत दयावंत चार भुजा धारी।   मस्तक सिंदूर सोहे मूसे की सवारी | जय गणेश जय गणेश देवा।  अंधन को आँख  देत, कोढ़िन को काया । बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया । जय गणेश जय गणेश देवा।   हार चढ़े फूल चढ़े ओर चढ़े मेवा । लड्डूअन का  भोग लगे संत करें सेवा।   जय गणेश जय गणेश देवा।   दीनन की लाज रखो ,शम्भू पत्र वारो।   मनोरथ को पूरा करो।  जाए बलिहारी।   जय गणेश जय गणेश देवा। आहुति मंत्र -  ॐ अंगारकाय नमः श्री 108 आहूतियां देना विशेष शुभ होता है इसमें शुद्ध घी ही दुर्वा एवं काले तिल का विशेष महत्व है। अग्नि पुराण के अनुसार गायत्री-      मंत्र ओम महोत काय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो दंती प्रचोदयात्। गणेश पूजन की सामग्री एक चौकिया पाटे  का प्रयोग करें । लाल वस्त्र या नारंगी वस्त्र उसपर बिछाएं। चावलों से 8पत्ती वाला कमल पुष्प स्वरूप बनाएं। गणेश पूजा में नारंगी एवं लाल रंग के वस्त्र वस्तुओं का विशेष महत्व है। लाल पुष्प अक्षत रोली कलावा या मौली दूध द

श्राद्ध रहस्य - श्राद्ध क्यों करे ? कब श्राद्ध नहीं करे ? पिंड रहित श्राद्ध ?

श्राद्ध रहस्य - क्यों करे , न करे ? पिंड रहित , महालय ? किसी भी कर्म का पूर्ण फल विधि सहित करने पर ही मिलता है | * श्राद्ध में गाय का ही दूध प्रयोग करे |( विष्णु पुराण ) | श्राद्ध भोजन में तिल अवश्य प्रयोग करे | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि - श्राद्ध अपरिहार्य - अश्वनी माह के कृष्ण पक्ष तक पितर अत्यंत अपेक्षा से कष्ट की   स्थिति में जल , तिल की अपनी संतान से , प्रतिदिन आशा रखते है | अन्यथा दुखी होकर श्राप देकर चले जाते हैं | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि इसको नहीं करने से पीढ़ी दर पीढ़ी संतान मंद बुद्धि , दिव्यांगता .मानसिक रोग होते है | हेमाद्रि ग्रन्थ - आषाढ़ माह पूर्णिमा से /कन्या के सूर्य के समय एक दिन भी श्राद्ध कोई करता है तो , पितर एक वर्ष तक संतुष्ट/तृप्त रहते हैं | ( भद्र कृष्ण दूज को भरणी नक्षत्र , तृतीया को कृत्तिका नक्षत्र   या षष्ठी को रोहणी नक्षत्र या व्यतिपात मंगलवार को हो ये पिता को प्रिय योग है इस दिन व्रत , सूर्य पूजा , गौ दान गौ -दान श्रेष्ठ | - श्राद्ध का गया तुल्य फल- पितृपक्ष में मघा सूर्य की अष्टमी य त्रयोदशी को मघा नक्षत्र पर चंद्र हो | - क

विवाह बाधा और परीक्षा में सफलता के लिए दुर्गा पूजा

विवाह में विलंब विवाह के लिए कात्यायनी पूजन । 10 oct - 18 oct विवाह में विलंब - षष्ठी - कात्यायनी पूजन । वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए - दुर्गतिहारणी मां कात्यायनी की शरण लीजिये | प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना के समय , संकल्प में अपना नाम गोत्र स्थान बोलने के पश्चात् अपने विवाह की याचना , प्रार्थना कीजिये | वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए प्रति दिन प्रातः सूर्योदय से प्रथम घंटे में या दोपहर ११ . ४० से १२ . ४० बजे के मध्य , कात्ययानी देवी का मन्त्र जाप करिये | १०८बार | उत्तर दिशा में मुँह हो , लाल वस्त्र हो जाप के समय | दीपक मौली या कलावे की वर्तिका हो | वर्तिका उत्तर दिशा की और हो | गाय का शुद्ध घी श्रेष्ठ अथवा तिल ( बाधा नाशक + महुआ ( सौभाग्य ) तैल मिला कर प्रयोग करे मां भागवती की कृपा से पूर्वजन्म जनितआपके दुर्योग एवं   व्यवधान समाप्त हो एवं   आपकी मनोकामना पूरी हो ऐसी शुभ कामना सहित || षष्ठी के दिन विशेष रूप से कात्यायनी के मन्त्र का २८ आहुति / १०८ आहुति हवन करिये | चंद्रहासोज्

कलश पर नारियल रखने की शास्त्रोक्त विधि क्या है जानिए

हमे श्रद्धा विश्वास समर्पित प्रयास करने के बाद भी वांछित परिणाम नहीं मिलते हैं , क्योकि हिन्दू धर्म श्रेष्ठ कोटी का विज्ञान सम्मत है ।इसकी प्रक्रिया , विधि या तकनीक का पालन अनुसरण परमावश्यक है । नारियल का अधिकाधिक प्रयोग पुजा अर्चना मे होता है।नारियल रखने की विधि सुविधा की दृष्टि से प्रचलित होगई॥ मेरे ज्ञान  मे कलश मे उल्टा सीधा नारियल फसाकर रखने की विधि का प्रमाण अब तक नहीं आया | यदि कोई सुविज्ञ जानकारी रखते हो तो स्वागत है । नारियल को मोटा भाग पूजा करने वाले की ओर होना चाहिए। कलश पर नारियल रखने की प्रमाणिक विधि क्या है ? अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए , उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै प्राची मुखं वित्त्नाश्नाय , तस्माच्छुभम सम्मुख नारिकेलम अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए कलश पर - नारियल का बड़ा हिस्सा नीचे मुख कर रखा जाए ( पतला हिस्सा पूछ वाला कलश के उपरी भाग पर रखा जाए ) तो उसे शत्रुओं की वृद्धि होती है * ( कार्य सफलता में बाधाएं आती है संघर्ष , अपयश , चिंता , हानि , सहज हैशत्रु या विरोधी तन , मन धन सर्व दृष्टि से घातक होते है ) उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै कलश पर -