सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

17 सित, राशि-भविष्य एवं उपाय (वैदिक,पौराणिक एवं जैन मन्त्र सहित ) Articles That Help You Prioritize Work Today & may help whether to do or not to do important work.

 

 

 


17
सित, राशि-भविष्य एवं उपाय (वैदिक,पौराणिक एवं जैन मन्त्र सहित )

Articles That Help You Prioritize Work Today

& may help whether to do or not to do important work.

विक्रम संवत- 2079, -सूर्य दक्षिणायण,चातुर्मास;

आश्वनी कृष्ण पक्ष,

तिथि सप्तमी 14:14 तक , कृत्तिका 09:56 तक , वृष  राशि -चंद्र;-

कार्य का शुभ समय- 12:28 तक शुभ योग  ,

व्रत,पर्व-कालाष्टमी

श्राद्ध आवश्यक स्थति में सप्तमी एवं अष्टमी  तिथि का ,

रूद्र अभिषेक-(संध्या उपरांत पूजा श्रेष्ठ)

स्वयंभू ,ज्योतिर्लिंग एवं नर्मदेश्वर शिवलिंग के अभिषेक की वर्जना नहीं

अन्य शिवलिंग  का अभिषेक मुहूर्तआज दिन-14:16 बजे से शुभ प्रभाव .

राशी भविष्य-ज्ञात कर ,दैनिक कार्य- को प्राथमिकता

-   दैनिक राशिफल (Daily Horoscope)

                                           जन्म राशी शुभ होने पर  किये जाने वाले कार्य-

अनुष्ठान,पूजा,दान,निर्णय,महत्वपूर्ण प्रपत्र पर हस्ताक्षर ,मीटिंग,

,मंत्रणा,जन सम्पर्क, चिकित्सा, जोखिम कार्य.आवेदन.,लेख आदि

- 12 राशी भविष्य-

मेष राशि (Aries) – चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ.

यह माह का अच्छा समय है। यह समय इच्छापूर्त्ति, लक्ष्यप्राप्ति का है। सांसारिक व भौतिक सुख प्राप्त करने का है। यदि आप कुछ नया करने की योजना बना रहे हैं तो यही उपयुक्त समय है। सफलता निश्चित है। दिन अनुकूल होने के कारण आप व आपका परिवार सामान्य रुप से सुखी रहेंगे। यह समय आपके कार्यस्थल के लिए भी शुभ है। आप सम्मान, पदोन्नति एवम् प्रशंसा की आशा कर सकते हैं । इस समय आप सत्ता/पद का उपभोग सुख उठा सकते  हैं।

वृष राशि (Taurus) – , , , , वा, वी, वू, वे, वो.

मन पसन्द इच्छित भोजन का आनन्द मिलने का योग है। आपको सुस्वादु मनचाहा भोजन, सुविधापूर्वक उपलब्ध होगा। आपको शारीरिक सुख-साधन, उत्तम वस्त्र व सुगंध तथा अन्य इच्छित सांसारिक वस्तुएं मिलेंगी। इस समय सर्वोत्तम मित्र व परिचित मिलेंगे। आपके पारिवारिक जीवन में भी में अधिक आनन्द होगा। प्रेम या दाम्पत्य जीवन में आप अपने साथी के प्रेम में वृद्धि की आशा कर सकते हैं।  सौभाग्य, सुख व उच्चतम सम्मान इस अवधि की विशेषता है। आपके व परिवार के लिए रोगों से मुक्त रहने सुयोग है। जीवन में सुख शान्ति का मनोभाव संतोष प्रदान करेगा। 13:00 बजे तक- विशेष-महत्वपूर्ण कार्य,उपदेश एवं यात्रा के अपेक्षित परिणाम की सम्भावना अल्प है।

मिथुन राशि (Gemini) – का, की, कू, , , , के, को, ह.

विशेष रुप से धन की हानि, व्यय या विनियोजन के योग है। अपने व्यय पर विशेष ध्यान देने रखें। आप लोगों से व्यवहार के प्रति विशेष सतर्क रहें। इन दिनों आप कोई परामर्श,बीच वचाव या विवाद में भी न पड़ें। व्यर्थ में झगड़े की संभावना है। असावधानी अहम को ठेस पहुँचा सकती है। कार्यालय में बाधाएं आ सकती हैं। आप अविचलित रहें, क्योंकि ये शीघ्र ही निकल जाएंगी। 13:00 बजे तक- विशेष-महत्वपूर्ण कार्य,उपदेश एवं यात्रा के अपेक्षित परिणाम की सम्भावना अल्प है।

कर्क राशि (Cancer) – ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो.

यह माह का अच्छा समय है। यह समय इच्छापूर्त्ति, लक्ष्यप्राप्ति का है। सांसारिक व भौतिक सुख प्राप्त करने का है। यदि आप कुछ नया करने की योजना बना रहे हैं तो यही उपयुक्त समय है। सफलता निश्चित है। इस काल के अनुकूल होने के कारण आप व आपका परिवार सामान्य रुप से सुखी रहेंगे। यह समय आपके कार्यस्थल के लिए भी शुभ है। आप सम्मान, पदोन्नति एवम् प्रशंसा की आशा कर सकते हैं। इस समय आप सत्ता में अधिकारी के पद पर आसीन हो सकते हैं। 13:00 बजे तक- विशेष-महत्वपूर्ण कार्य,उपदेश एवं यात्रा के अपेक्षित परिणाम की सम्भावना अल्प है।

सिंह राशि (Leo) – मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे.

मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य से सम्बन्धितनकारात्मक परिणामों का सूचक है। परिवार के किसी सदस्य अथवा सम्बन्धी के स्वास्थ्य पर व्यय या व्यस्तता का कारण बन सकता है। मानसिक रुप से आप अशांत व आस-पास के व्यक्तियों के व्यवहार केप्रति असंतुष्ट, अप्रसन्न या सशंकित रह सकते हैं। आप विवाद, विषाद, चिंता, तनाव व मानसिक संतापको दूर रखने का भरसक प्रयास करें। आर्थिक दृष्टि से यह कठिन समय है। खर्चे बढ़ सकते हैं। आपको आत्मीयजनों से मधुर सम्बन्ध बनाए रखने मेंसतर्कता बरतनी है। परचितों या परिवार द्वारा परस्पर विरोध, विवाद की दुस्थिति निर्मित हो सकती है।

कन्या राशि (Virgo) – टो, , पी, पू, , , , पे, पो.

कुछ मिले- जुले,सुख-दुख,सफलता-असफलता के परिणाम का दिन है। व्यापार में लाभप्रद लेन-देन सम्पन्न करने में कुछ कठिनाइयाँ आ सकती हैं। यात्रा हेतु हरी झंडी मिलने से पहले आपको कुछ बाधाएं पार करनी होंगी। अपने कार्य इच्छानुसार पूरे न कर पाने के कारण आप मानसिक रुप से अशांत खिन्न रहने की तुलना मे पूर्व जन्म कृत स्व कर्म का भोग मान कर धैर्य रखिए। वित्तीय दृष्टि से भी अपके लिए ये कठिन समय है। आपको हानि हो सकती है। धन व्यय करने पर नियंत्रण रखें। स्वास्थ्य का अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। निराशा जीवन को अकर्मण्य बना सकती है। व्यवहार मे विशेष सावधान रहें। - विशेष-महत्वपूर्ण कार्य,उपदेश एवं यात्रा के अपेक्षित परिणाम की सम्भावना अल्प है।

तुला राशि (Libra) – रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते.

असुविधा, असहयोग, समन्वयहीन, अपेक्षा के विपरीत स्थिति का समय है। किसी शुभ समाचार की आशा मत कीजिए। सूचना भी सत्यता से परे हो सकती हैं। यह रोजमर्रा के जीवन में परेशानियों व बाधाओं का दिन है। आर्थिक दृष्टि से भी यह काल लाभ पूर्ण नहीं है। आपको धन वसूली में कठिनाई आ सकती है। अपने वरिष्ठ व उच्चाधिकारी से कार्यालय में किसी भी प्रकार की असहमति अथवा विवाद से बचें।  स्वास्थ्य के प्रति सतर्क रहें। पाचन तंत्र व श्वसन तंत्र में समस्या हो सकती है। व्यर्थ की चिन्ता न करे।

वृश्चिक राशि (Scorpio) – तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू.

सकारात्मक परिवर्तन होंगे। यह समय सुख व कार्यों में सफलता का द्योतक है। आर्थिक दृष्टि से भी यह समय आपके लिए शुभ है। अटका हुआ पैसा पुन: प्राप्त हो सकता है। आपको शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने में भी सहायक होगी। प्रेम संबंध सुख या नए मित्र हेतु यह दिन अनुकूल है। दाम्पत्य जीवन में सुख समन्वय रहेगा। आपको आमोद-प्रमोद के अवसर भी मिलेंगे। संतान आपके जीवन के सुख में और अधिक वृद्धि करेगी। स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। मन की शान्ति होगी। पुरुष वर्ग हेतु विशेष या तुलनात्मक अधिक बाधक। नारी वर्ग के लिए विशेष-महत्वपूर्ण कार्य,उपदेश एवं यात्रा के अपेक्षित परिणाम की सम्भावना अल्प है।

धनु राशि (Sagittarius) – ये, यो, , भी, भू, , , , भे.

मनोबल उत्तम रहेगा। राजनीति एवं जनसम्पर्क सेलाभ सफलता मिलेगी। स्वास्थ्य बाधा का योग रहेगा। राजनीति में विरोधी पराजित होंगे। आपके कार्यों की प्रशंसा होगी। आपके द्वारा किये गए कार्य यश दिलवाएंगे। धन के क्षेत्र में अनुकूल स्थितियां बनेंगी। सफलता के योग अच्छे हैं।

मकर राशि (Capricorn) – भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, , गी.

कुछ मिले- जुले, सुख-दुख, सफलता-असफलता केपरिणाम का दिन है। व्यापार  मे लाभप्रद लेन-देन सम्पन्न करने में कुछ कठिनाइयाँ आ सकती हैं। यात्रा हेतु हरी झंडी मिलने से पहले आपको कुछ बाधाएं पार करनी होंगी। अपने कार्य इच्छानुसार पूरे न कर पाने के कारण आप मानसिक रुप से अशांत खिन्न रहने की तुलना मे पूर्व जन्म कृत स्व कर्म का भोग मान कर धैर्य रखिए। वित्तीय दृष्टि से भी अपके लिए ये कठिन समय है। भाग्य की समस्या रहेगी। शरीर स्वस्थ रहेगा। लाभ की स्थिति उत्तम है। स्थाई लाभ की योजना बनेगी।आर्थिक खर्च बढ़ेगा।

कुंभ राशि (Aquarius)– गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, द.

आपकी  ख्याति एवं यश,प्रतिष्ठा वृद्धि का समय हैं। यह दिन धन की दृष्टि से भी सौभाग्यपूर्ण है। बकाया प्राप्ति, या व्यवसाय मे धन की प्राप्ति होने के योग हैं। प्रयास के परिणाम आशा के अनुकूल ही रहेंगे। आर्थिक लाभ की आप आशा कर सकते हैं। घर के लिए भी यह समय सुख से परिपूर्ण है। आपको रुचि पूर्ण  उत्तम भोजन, वस्त्र सुख योग है।विशेष-महत्वपूर्ण कार्य,उपदेश एवं यात्रा के अपेक्षित परिणाम की सम्भावना अल्प है

मीन राशि (Pisces) – दी, दू, , , , दे, दो, चा, ची.

विशेष रुप से धन की हानि, व्यय या विनियोजन के योग  है। अपने व्यय पर विशेष ध्यान देने रखें। आप लोगों से व्यवहार के प्रति विशेष सतर्क रहें। आप कोई परामर्श, बीच वचाव या विवाद में भी न पड़ें। व्यर्थ में झगड़े की संभावना है। असावधानी अहम को ठेस पहुँचा सकती है। कार्यालय में बाधाएं आ सकती हैं।

- दिन का भविष्य जानने की विधि-

(नाम एवं जन्म राशी दोनों का प्रभाव होता है)

1अपने प्रचलित नाम एवं जन्म राशी के भविष्य को पढ़िए ,यदि दोनों उत्तम तो दिन श्रेष्ठ सफल व्यतीत होगा 

-नाम से भविष्य फल उत्तम तो व्यवहार ,यात्रा आदि में सफलता ।

- नाम से अशुभ होने पर,यात्रा,गृह,प्रवेश,व्यवहारिक-कार्य,ज्वाइनिंग,आवेदन,परामर्श देना,जोखिम,विवाद हितकर नहीं होगा l

-      2- जन्म राशी से भविष्य फल उत्तम तो प्रत्येक कार्य में सफलता ।

मिथुन,तुला,कुम्भ –,- राशी के लिए सुख बाधक एवं  कर्क ,सिंहराशी  के लिए श्रेष्ठ .

-       आज प्रचलित नाम से भविष्य -यात्रा,गृह,प्रवेश,व्यवहारिक-कार्य,ज्वाइनिंग,आवेदन,परामर्श देना,जोखिम,विवाद हितकर नहीं होगा .

-      नाम के  प्रथम  अक्षर (व्यक्ति,वस्तु,कम्पनी,स्थान का नाम ) वालो के लिए दिन व्यय,व्यस्तता ,विवाद या सुख बाधक सिद्ध हो सकता है – सी, सू,से, सो, द, रा, री रू,रे ,रो, ता,ती, तू ते. का, की, कू,,,,के, को, ह. शेष समस्त नाम अक्षर हेतु उत्तम रहेगा l-मिथुन,तुला,कुम्भ राशी को उपाय करना चाहिए ।

-      - For those with the first letter of the name (name of person, thing, company, place), the day can prove to be a hindrance to expenses, busyness, disputes or happiness.Si, su, se, so, da, ra, ri ru, re, ro, ta, ti, tu te. Ka, ki, ku, d, d, ch, k, ko, h. Rest all names will be good for alphabets. Remedy--Gemini, Libra, Aquarius zodiac signs should be done.

Remedy that checks the problemसफलता के लिए नक्षत्र कृत अरिष्ट नाशक मंत्र

पौराणिक मंत्र :
प्रजापतीश्वतुर्बाहुः कमंडल्वक्षसूत्रधृत् l
वराभयकरः शुध्दौ रोहिणी देवतास्तु मे ll
नक्षत्र देवता मंत्र :-
अ) ॐ ब्रम्हणे नमःl
आ) ॐ प्रजापतये नमःll
नक्षत्र मंत्र :- ॐ रौहिण्यै नमःl
वेद मंत्र :
ॐ ब्रहमजज्ञानं प्रथमं पुरस्ताद्विसीमत: सूरुचोवेन आव: सबुधन्या उपमा
अस्यविष्टा: स्तश्चयोनिम मतश्चविवाह (सतश्चयोनिमस्तश्चविध:)

विशेष - सभी राशियों के लिए दिन मंगलप्रद बनाने के उपयोगी टिप्स :

कार्य के पूर्व  एवं घर से प्रस्थान पूर्व   - चंद्रमा की पूजा- चन्द्रमसे नम:। । पितृगण पित्रेभ्य नम:।।

-स्नान जल मे काले तिल मिला कर स्नान करे ।।

-शमी वृक्ष पर जल अर्पण करे ।

-पीपल वृक्ष में मिश्री मिश्रित दूध से अर्घ्य देने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।

-पीपल वृक्ष की जड़ के समीप तिल तैल का चर बत्तियों का दीपक , चार वत्तियाँ ,चार दिशाओं में हों ।

-दीपक वर्तिकाये लाल,नारंगी या अनेक रंग की हो (श्वेत रंग की नहीं)

दीपक की बत्ती की दिशा उत्तर श्रेष्ठ,पूर्व दिशा उत्तम ।

मंत्र --

ॐ पिप्पलाद , कौशिक ऋषये नमः । विष्णवे नम:,हनुमते नम:।।

सर्व वांछाम पूरय पूरय च सर्व सिद्धिम देहि में नम ।

-दान-

उड़द ,तिल,काला,वस्त्र,,नीले पुष्प,लोभान,करे ।

दान – वृद्ध व्यक्ति ,कनिष्ठ या सेवक को दे सकते है।।

3- घर से प्रस्थान पूर्व खाएं–

-तिल,भात ,उड़द,अदरख मे से कोई पदार्थ उपयोग करना चाहिए ।

जैन धर्म मंत्र-

णमो लोए सव्वसाहूणं।

राहू

1 ॐ नाक ध्वजाय विद्महे पद्म हस्ताय धीमहि तन्नो राहुः प्रचोदयात् ॥

2ॐ शिरो रूपाय विद्महे अमृतेशाय धीमहि तन्नो राहुः प्रचोदयात् ॥

ब्रह्माण्डपुराण-मन्त्र

सूर्य  पुत्रो दीर्घ देहा विशालाक्ष:शिवप्रिय:। मन्दचार: प्रसन्नात्मा पीडां हरतु मे शनि: ।।

(हे सूर्य के पुत्र,दीर्घ देह ,विशाल नेत्रों,मंद गति से चलने वाले,भगवान्

शिव के प्रिय तथा प्रसन्न आत्मा शनि मेरी पीड़ा को दूर करें ।। )

शनि- ॐ शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये। शं योरभि स्त्रवन्तु न:।। (यजु. 36।12)

भाद्रपद माह

प्रयोग ना करें-  दही,उड़द ,मसूर, चना ,परवल ,लौकी ,भिंडी ,करेला ,बैंगन ,फ्राई अरबी, जिमीकंद कुंदरु ,ककड़ी ,नया आलू ,गाजर ,मूली ,चुकंदर ,फूल गोभी ,पत्ता गोभी ,पालक ,तरबूज, खरबूजा, पपीता पोदीना, हरी मिर्च ,हरा धनिया ,अदरक ,इमली ,जावित्री ,मूंगफली का तेल ,रिफाइंड तेल, श्रीखंड दही लस्सी ,गन्ना ,काजू ,पिस्ता

By renowned astrologer VK Tiwari –(since 1972) – -Vastu, Horoscope, Palmistry, Numerology.

(Many honorary degrees from 1976-1990) (85+ebooks,3 books+poems-published, aired; Navneet Hindi Digest - Bharatiya Vidya Bhavan Mumbai - Bhavishya Phal Monthly - 1980 to 2000)

Contact

- Horoscope creation, Disease, Lucky gem, Job, Career.

- Kundli Matching Not only from Nakshatra but from 09 planets, 05 Nadi Siddhanta, D9, Nakshatra Charan at 30 point. Detailed horoscope matching in 08 Kundli matching - Best method - Matching horoscope with 30 codes, 05 Nadi. 09 Planets & their stars – Nadi  dosha, Mangal dosha, - of exception *

1- What is the subject of education? Career? Job.

2-Lifelong Success Tips –Do’s & Don’ts-Lucky-Day, Colors, Month, Name, City, Institute, Apartment, Direction,Cocahing name ,Tutor name

jyotish9999@gmail.com-9424446706-  Bangaluru

 

 

                                 

 

 

 

                                  

 

 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

श्राद्ध की गूढ़ बाते ,किसकी श्राद्ध कब करे

श्राद्ध क्यों कैसे करे? पितृ दोष ,राहू ,सर्प दोष शांति ?तर्पण? विधि             श्राद्ध नामा - पंडित विजेंद्र कुमार तिवारी श्राद्ध कब नहीं करें :   १. मृत्यु के प्रथम वर्ष श्राद्ध नहीं करे ।   २. पूर्वान्ह में शुक्ल्पक्ष में रात्री में और अपने जन्मदिन में श्राद्ध नहीं करना चाहिए ।   ३. कुर्म पुराण के अनुसार जो व्यक्ति अग्नि विष आदि के द्वारा आत्महत्या करता है उसके निमित्त श्राद्ध नहीं तर्पण का विधान नहीं है । ४. चतुदर्शी तिथि की श्राद्ध नहीं करना चाहिए , इस तिथि को मृत्यु प्राप्त पितरों का श्राद्ध दूसरे दिन अमावस्या को करने का विधान है । ५. जिनके पितृ युद्ध में शस्त्र से मारे गए हों उनका श्राद्ध चतुर्दशी को करने से वे प्रसन्न होते हैं और परिवारजनों पर आशीर्वाद बनाए रखते हैं ।           श्राद्ध कब , क्या और कैसे करे जानने योग्य बाते           किस तिथि की श्राद्ध नहीं -  १. जिस तिथी को जिसकी मृत्यु हुई है , उस तिथि को ही श्राद्ध किया जाना चाहिए । पिता जीवित हो तो, गया श्राद्ध न करें । २. मां की मृत्यु (सौभाग्यवती स्त्री) किसी भी तिथि को हुईं हो , श्राद्ध केवल

*****मनोकामना पूरक सरल मंत्रात्मक रामचरितमानस की चौपाईयाँ-

*****मनोकामना पूरक सरल मंत्रात्मक रामचरितमानस की चौपाईयाँ-       रामचरितमानस के एक एक शब्द को मंत्रमय आशुतोष भगवान् शिव ने बना दिया |इसलिए किसी भी प्रकार की समस्या के लिए सुन्दरकाण्ड या कार्य उद्देश्य के लिए लिखित चौपाई का सम्पुट लगा कर रामचरितमानस का पाठ करने से मनोकामना पूर्ण होती हैं | -सोमवार,बुधवार,गुरूवार,शुक्रवार शुक्ल पक्ष अथवा शुक्ल पक्ष दशमी से कृष्ण पक्ष पंचमी तक के काल में (चतुर्थी, चतुर्दशी तिथि छोड़कर )प्रारंभ करे -   वाराणसी में भगवान् शंकरजी ने मानस की चौपाइयों को मन्त्र-शक्ति प्रदान की है-इसलिये वाराणसी की ओर मुख करके शंकरजी को स्मरण कर  इनका सम्पुट लगा कर पढ़े या जप १०८ प्रतिदिन करते हैं तो ११वे दिन १०८आहुति दे | अष्टांग हवन सामग्री १॰ चन्दन का बुरादा , २॰ तिल , ३॰ शुद्ध घी , ४॰ चीनी , ५॰ अगर , ६॰ तगर , ७॰ कपूर , ८॰ शुद्ध केसर , ९॰ नागरमोथा , १०॰ पञ्चमेवा , ११॰ जौ और १२॰ चावल। १॰ विपत्ति-नाश - “ राजिव नयन धरें धनु सायक। भगत बिपति भंजन सुखदायक।। ” २॰ संकट-नाश - “ जौं प्रभु दीन दयालु कहावा। आरति हरन बेद जसु गावा।। जपहिं नामु जन आरत भारी। मिटहिं कुसंकट होहि

दुर्गा जी के अभिषेक पदार्थ विपत्तियों के विनाशक एक रहस्य | दुर्गा जी को अपनी समस्या समाधान केलिए क्या अर्पण करना चाहिए?

दुर्गा जी   के अभिषेक पदार्थ विपत्तियों   के विनाशक एक रहस्य | दुर्गा जी को अपनी समस्या समाधान केलिए क्या अर्पण करना चाहिए ? अभिषेक किस पदार्थ से करने पर हम किस मनोकामना को पूर्ण कर सकते हैं एवं आपत्ति विपत्ति से सुरक्षा कवच निर्माण कर सकते हैं | दुर्गा जी को अर्पित सामग्री का विशेष महत्व होता है | दुर्गा जी का अभिषेक या दुर्गा की मूर्ति पर किस पदार्थ को अर्पण करने के क्या लाभ होते हैं | दुर्गा जी शक्ति की देवी हैं शीघ्र पूजा या पूजा सामग्री अर्पण करने के शुभ अशुभ फल प्रदान करती हैं | 1- दुर्गा जी को सुगंधित द्रव्य अर्थात ऐसे पदार्थ ऐसे पुष्प जिनमें सुगंध हो उनको अर्पित करने से पारिवारिक सुख शांति एवं मनोबल में वृद्धि होती है | 2- दूध से दुर्गा जी का अभिषेक करने पर कार्यों में सफलता एवं मन में प्रसन्नता बढ़ती है | 3- दही से दुर्गा जी की पूजा करने पर विघ्नों का नाश होता है | परेशानियों में कमी होती है | संभावित आपत्तियों का अवरोध होता है | संकट से व्यक्ति बाहर निकल पाता है | 4- घी के द्वारा अभिषेक करने पर सर्वसामान्य सुख एवं दांपत्य सुख में वृद्धि होती है | अवि

श्राद्ध:जानने योग्य महत्वपूर्ण बातें |

श्राद्ध क्या है ? “ श्रद्धया यत कृतं तात श्राद्धं | “ अर्थात श्रद्धा से किया जाने वाला कर्म श्राद्ध है | अपने माता पिता एवं पूर्वजो की प्रसन्नता के लिए एवं उनके ऋण से मुक्ति की विधि है | श्राद्ध क्यों करना चाहिए   ? पितृ ऋण से मुक्ति के लिए श्राद्ध किया जाना अति आवश्यक है | श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम ? यदि मानव योनी में समर्थ होते हुए भी हम अपने जन्मदाता के लिए कुछ नहीं करते हैं या जिन पूर्वज के हम अंश ( रक्त , जींस ) है , यदि उनका स्मरण या उनके निमित्त दान आदि नहीं करते हैं , तो उनकी आत्मा   को कष्ट होता है , वे रुष्ट होकर , अपने अंश्जो वंशजों को श्राप देते हैं | जो पीढ़ी दर पीढ़ी संतान में मंद बुद्धि से लेकर सभी प्रकार की प्रगति अवरुद्ध कर देते हैं | ज्योतिष में इस प्रकार के अनेक शाप योग हैं |   कब , क्यों श्राद्ध किया जाना आवश्यक होता है   ? यदि हम   96  अवसर पर   श्राद्ध   नहीं कर सकते हैं तो कम से कम मित्रों के लिए पिता माता की वार्षिक तिथि पर यह अश्वनी मास जिसे क्वांर का माह    भी कहा जाता है   | पितृ पक्ष में अपने मित्रगण के मरण तिथि

श्राद्ध रहस्य प्रश्न शंका समाधान ,श्राद्ध : जानने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य -कब,क्यों श्राद्ध करे?

संतान को विकलांगता, अल्पायु से बचाइए श्राद्ध - पितरों से वरदान लीजिये पंडित विजेंद्र कुमार तिवारी jyotish9999@gmail.com , 9424446706   श्राद्ध : जानने  योग्य   महत्वपूर्ण तथ्य -कब,क्यों श्राद्ध करे?  श्राद्ध से जुड़े हर सवाल का जवाब | पितृ दोष शांति? राहू, सर्प दोष शांति? श्रद्धा से श्राद्ध करिए  श्राद्ध कब करे? किसको भोजन हेतु बुलाएँ? पितृ दोष, राहू, सर्प दोष शांति? तर्पण? श्राद्ध क्या है? श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम क्या संभावित है? श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम क्या संभावित है? श्राद्ध की प्रक्रिया जटिल एवं सबके सामर्थ्य की नहीं है, कोई उपाय ? श्राद्ध कब से प्रारंभ होता है ? प्रथम श्राद्ध किसका होता है ? श्राद्ध, कृष्ण पक्ष में ही क्यों किया जाता है श्राद्ध किन२ शहरों में  किया जा सकता है ? क्या गया श्राद्ध सर्वोपरि है ? तिथि अमावस्या क्या है ?श्राद्द कार्य ,में इसका महत्व क्यों? कितने प्रकार के   श्राद्ध होते   हैं वर्ष में   कितने अवसर श्राद्ध के होते हैं? कब  श्राद्ध किया जाना अति आवश्यक होता है | पितृ श्राद्ध किस देव से स

गणेश विसृजन मुहूर्त आवश्यक मन्त्र एवं विधि

28 सितंबर गणेश विसर्जन मुहूर्त आवश्यक मन्त्र एवं विधि किसी भी कार्य को पूर्णता प्रदान करने के लिए जिस प्रकार उसका प्रारंभ किया जाता है समापन भी किया जाना उद्देश्य होता है। गणेश जी की स्थापना पार्थिव पार्थिव (मिटटीएवं जल   तत्व निर्मित)     स्वरूप में करने के पश्चात दिनांक 23 को उस पार्थिव स्वरूप का विसर्जन किया जाना ज्योतिष के आधार पर सुयोग है। किसी कार्य करने के पश्चात उसके परिणाम शुभ , सुखद , हर्षद एवं सफलता प्रदायक हो यह एक सामान्य उद्देश्य होता है।किसी भी प्रकार की बाधा व्यवधान या अनिश्ट ना हो। ज्योतिष के आधार पर लग्न को श्रेष्ठता प्रदान की गई है | होरा मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ माना गया है।     गणेश जी का संबंध बुधवार दिन अथवा बुद्धि से ज्ञान से जुड़ा हुआ है। विद्यार्थियों प्रतियोगियों एवं बुद्धि एवं ज्ञान में रूचि है , ऐसे लोगों के लिए बुध की होरा श्रेष्ठ होगी तथा उच्च पद , गरिमा , गुरुता , बड़प्पन , ज्ञान , निर्णय दक्षता में वृद्धि के लिए गुरु की हो रहा श्रेष्ठ होगी | इसके साथ ही जल में विसर्जन कार्य होता है अतः चंद्र की होरा सामान्य रूप से सभी मंगल कार्यों क

गणेश भगवान - पूजा मंत्र, आरती एवं विधि

सिद्धिविनायक विघ्नेश्वर गणेश भगवान की आरती। आरती  जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।  माता जा की पार्वती ,पिता महादेवा । एकदंत दयावंत चार भुजा धारी।   मस्तक सिंदूर सोहे मूसे की सवारी | जय गणेश जय गणेश देवा।  अंधन को आँख  देत, कोढ़िन को काया । बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया । जय गणेश जय गणेश देवा।   हार चढ़े फूल चढ़े ओर चढ़े मेवा । लड्डूअन का  भोग लगे संत करें सेवा।   जय गणेश जय गणेश देवा।   दीनन की लाज रखो ,शम्भू पत्र वारो।   मनोरथ को पूरा करो।  जाए बलिहारी।   जय गणेश जय गणेश देवा। आहुति मंत्र -  ॐ अंगारकाय नमः श्री 108 आहूतियां देना विशेष शुभ होता है इसमें शुद्ध घी ही दुर्वा एवं काले तिल का विशेष महत्व है। अग्नि पुराण के अनुसार गायत्री-      मंत्र ओम महोत काय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो दंती प्रचोदयात्। गणेश पूजन की सामग्री एक चौकिया पाटे  का प्रयोग करें । लाल वस्त्र या नारंगी वस्त्र उसपर बिछाएं। चावलों से 8पत्ती वाला कमल पुष्प स्वरूप बनाएं। गणेश पूजा में नारंगी एवं लाल रंग के वस्त्र वस्तुओं का विशेष महत्व है। लाल पुष्प अक्षत रोली कलावा या मौली दूध द

श्राद्ध रहस्य - श्राद्ध क्यों करे ? कब श्राद्ध नहीं करे ? पिंड रहित श्राद्ध ?

श्राद्ध रहस्य - क्यों करे , न करे ? पिंड रहित , महालय ? किसी भी कर्म का पूर्ण फल विधि सहित करने पर ही मिलता है | * श्राद्ध में गाय का ही दूध प्रयोग करे |( विष्णु पुराण ) | श्राद्ध भोजन में तिल अवश्य प्रयोग करे | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि - श्राद्ध अपरिहार्य - अश्वनी माह के कृष्ण पक्ष तक पितर अत्यंत अपेक्षा से कष्ट की   स्थिति में जल , तिल की अपनी संतान से , प्रतिदिन आशा रखते है | अन्यथा दुखी होकर श्राप देकर चले जाते हैं | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि इसको नहीं करने से पीढ़ी दर पीढ़ी संतान मंद बुद्धि , दिव्यांगता .मानसिक रोग होते है | हेमाद्रि ग्रन्थ - आषाढ़ माह पूर्णिमा से /कन्या के सूर्य के समय एक दिन भी श्राद्ध कोई करता है तो , पितर एक वर्ष तक संतुष्ट/तृप्त रहते हैं | ( भद्र कृष्ण दूज को भरणी नक्षत्र , तृतीया को कृत्तिका नक्षत्र   या षष्ठी को रोहणी नक्षत्र या व्यतिपात मंगलवार को हो ये पिता को प्रिय योग है इस दिन व्रत , सूर्य पूजा , गौ दान गौ -दान श्रेष्ठ | - श्राद्ध का गया तुल्य फल- पितृपक्ष में मघा सूर्य की अष्टमी य त्रयोदशी को मघा नक्षत्र पर चंद्र हो | - क

विवाह बाधा और परीक्षा में सफलता के लिए दुर्गा पूजा

विवाह में विलंब विवाह के लिए कात्यायनी पूजन । 10 oct - 18 oct विवाह में विलंब - षष्ठी - कात्यायनी पूजन । वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए - दुर्गतिहारणी मां कात्यायनी की शरण लीजिये | प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना के समय , संकल्प में अपना नाम गोत्र स्थान बोलने के पश्चात् अपने विवाह की याचना , प्रार्थना कीजिये | वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए प्रति दिन प्रातः सूर्योदय से प्रथम घंटे में या दोपहर ११ . ४० से १२ . ४० बजे के मध्य , कात्ययानी देवी का मन्त्र जाप करिये | १०८बार | उत्तर दिशा में मुँह हो , लाल वस्त्र हो जाप के समय | दीपक मौली या कलावे की वर्तिका हो | वर्तिका उत्तर दिशा की और हो | गाय का शुद्ध घी श्रेष्ठ अथवा तिल ( बाधा नाशक + महुआ ( सौभाग्य ) तैल मिला कर प्रयोग करे मां भागवती की कृपा से पूर्वजन्म जनितआपके दुर्योग एवं   व्यवधान समाप्त हो एवं   आपकी मनोकामना पूरी हो ऐसी शुभ कामना सहित || षष्ठी के दिन विशेष रूप से कात्यायनी के मन्त्र का २८ आहुति / १०८ आहुति हवन करिये | चंद्रहासोज्

कलश पर नारियल रखने की शास्त्रोक्त विधि क्या है जानिए

हमे श्रद्धा विश्वास समर्पित प्रयास करने के बाद भी वांछित परिणाम नहीं मिलते हैं , क्योकि हिन्दू धर्म श्रेष्ठ कोटी का विज्ञान सम्मत है ।इसकी प्रक्रिया , विधि या तकनीक का पालन अनुसरण परमावश्यक है । नारियल का अधिकाधिक प्रयोग पुजा अर्चना मे होता है।नारियल रखने की विधि सुविधा की दृष्टि से प्रचलित होगई॥ मेरे ज्ञान  मे कलश मे उल्टा सीधा नारियल फसाकर रखने की विधि का प्रमाण अब तक नहीं आया | यदि कोई सुविज्ञ जानकारी रखते हो तो स्वागत है । नारियल को मोटा भाग पूजा करने वाले की ओर होना चाहिए। कलश पर नारियल रखने की प्रमाणिक विधि क्या है ? अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए , उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै प्राची मुखं वित्त्नाश्नाय , तस्माच्छुभम सम्मुख नारिकेलम अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए कलश पर - नारियल का बड़ा हिस्सा नीचे मुख कर रखा जाए ( पतला हिस्सा पूछ वाला कलश के उपरी भाग पर रखा जाए ) तो उसे शत्रुओं की वृद्धि होती है * ( कार्य सफलता में बाधाएं आती है संघर्ष , अपयश , चिंता , हानि , सहज हैशत्रु या विरोधी तन , मन धन सर्व दृष्टि से घातक होते है ) उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै कलश पर -