शनि-फल रहस्य 2020 शोधपूर्ण- बिना राशि के भी जानिए |
-शनि के परिणाम जानने की राशि स्थूल विधि पर्याप्त नहीं ,इसके साथ नाम,लग्न,शनि किस राशि पर जन्म कुंडली मे,दशा,शनि किस ग्रह पर से कितनी दूरी पर आदि निर्णायक हें
केवल राशि आधार पर चिंता करना उचित नहीं हे |
यदि गुरु गोचर मे आपकी राशि के अनुकूल हे तो अशुभ प्रभाव शनि के 50%भी नहीं होंगे |
मंगल,सूर्य,गुरु,राहू आदि के शुभ प्रभाव के कारण शनि प्रतीक्षा इनके अशुभ होने की करेगा |
गुरु ग्रहके आपकी राशि पर 2020 मे क्या प्रभाव हें जानने के लिए -
https://ptvktiwari.blogspot.com/2019/10/2019.html
ध्यान रखे - शनि अपनी एवं मित्र राशियों यथा मकर,कुम्भ,तुला,वृष,मिथुन कन्या राशि या लग्न वालों के लिए अशुभ कम होता हे | लग्न वालों को शनि मंत्र स्त्रोत उपयोग करना उचित हे परंतु शनि की वस्तुएं दान करना उचित नहीं कहा जा सकता,सारसो तैल,लोहा,आदि |
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केवल राशि आधार पर चिंता करना उचित नहीं हे |
यदि गुरु गोचर मे आपकी राशि के अनुकूल हे तो अशुभ प्रभाव शनि के 50%भी नहीं होंगे |
मंगल,सूर्य,गुरु,राहू आदि के शुभ प्रभाव के कारण शनि प्रतीक्षा इनके अशुभ होने की करेगा |
गुरु ग्रहके आपकी राशि पर 2020 मे क्या प्रभाव हें जानने के लिए -
https://ptvktiwari.blogspot.com/2019/10/2019.html
ध्यान रखे - शनि अपनी एवं मित्र राशियों यथा मकर,कुम्भ,तुला,वृष,मिथुन कन्या राशि या लग्न वालों के लिए अशुभ कम होता हे | लग्न वालों को शनि मंत्र स्त्रोत उपयोग करना उचित हे परंतु शनि की वस्तुएं दान करना उचित नहीं कहा जा सकता,सारसो तैल,लोहा,आदि |
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शनि के प्रभाव जानने के लिए- विशेष उपयोगी लेख-( नाम से शनि के प्रभाव पूर्व मे पढ़ चुके होंगे यदि नहीं तो - 2020 मे शनि के शुभ अशुभ प्रभाव के विषय मे अधिक जानकारी के लिए पढ़िये
आपको अपने जन्म के वर्ष की जानकारी हो तो भी यह लेख शनि के शुभ अशुभ प्रभाव की जानकारी देगा |निम्न मे से कोई ही जानकारी हो आप शनि की कारगुजारी जान सकते हैं
1-शनि का राशियों पर शुभ अशुभ प्रभाव -24 जनवरी 2020 से
2--नाम से जाने,24 जनवरी शनि 2020 से शनि के प्रभाव
https://ptvktiwari.blogspot.com/2019/12/2020.html) आपको अपने जन्म के वर्ष की जानकारी हो तो भी यह लेख शनि के शुभ अशुभ प्रभाव की जानकारी देगा |निम्न मे से कोई ही जानकारी हो आप शनि की कारगुजारी जान सकते हैं
1-जन्म किस लग्न हुआ? नहीं मालूम ,कोई बात नहीं ,
2-जन्म किस नक्षत्र मे हुआ? नहीं मालूम ,कोई बात नहीं ,
3-आपको ,आपकी राशि नहीं मालूम कोई बात नहीं,
4-किन माह के मध्य हुआ ?नहीं मालूम
5-आपका जन्म किस वर्ष मे हुआ ? शनि प्रभाव जानिए |
जिनका जन्म 14 जनवरी से 13 फरवरी ;
14 अप्रैल से 13 मई ;
17 जुलाई से 16 अगस्त ;
17 नवंबर से 16 दिसंबर ;की अवधि में हुआ होगा उनको शनि ,रोजगार व्यापार में समस्या उत्पन्न करेगा .राज्य पक्ष से कष्ट होगा. राजनेताओं को परेशानी होगी .पिता के स्वास्थ्य उनके सुख में कमी होगी .
जिनका जन्म निम्नांकित वर्ष,माह,अवधि में हुआ होगा-
उनको कनिष्ठ वर्ग से हानि .
भूमि सामान्य संपत्ति चिंता,पैरों में दर्द ,दुख वियोग की स्थिति मिल सकती है ।
-8 जून 46 से 27 जुलाई 48,-12.11 .1955 से 2.6.1958.-8 फरवरी 1958 से 7 नवंबर 1958.-23 सितंबर 1945 से 22 दिसंबर 1945.-17 जून 1968 से 27 सितंबर 68.-8 मार्च 1969 से 27 अप्रैल 71 ।
-2 फरवरी 1961 से 17 सितंबर 1961।
-8अक्टूबर 1961- ।6 जनवरी 64 .-24जुलाई 1975 से 7 सितंबर1977।
-21-दिसंबर1984 से 31 मई 1985।
-18 सितंबर1985 से 16 दिसंबर 1987।
उक्त अवधि में जिनका जन्म हुआ होगा उनको समस्याएं अवश्य उत्पन्न हो सकती हैं ।
राशि, जन्म -माह,जन्म नक्षत्र,वर्ष अवधि ,
(वृष,मिथुन,कन्या,तुला,मकर,कुम्भ लग्न वालों को अनुकूलन रहेगा।)
जन्म अबधि के अनुसार शनि के अशुभ प्रभाव -जिनका जन्म 14 जनवरी से 13 फरवरी ;
14 अप्रैल से 13 मई ;
17 जुलाई से 16 अगस्त ;
17 नवंबर से 16 दिसंबर ;की अवधि में हुआ होगा उनको शनि ,रोजगार व्यापार में समस्या उत्पन्न करेगा .राज्य पक्ष से कष्ट होगा. राजनेताओं को परेशानी होगी .पिता के स्वास्थ्य उनके सुख में कमी होगी .
जिनका जन्म निम्नांकित वर्ष,माह,अवधि में हुआ होगा-
उनको कनिष्ठ वर्ग से हानि .
भूमि सामान्य संपत्ति चिंता,पैरों में दर्द ,दुख वियोग की स्थिति मिल सकती है ।
-8 जून 46 से 27 जुलाई 48,-12.11 .1955 से 2.6.1958.-8 फरवरी 1958 से 7 नवंबर 1958.-23 सितंबर 1945 से 22 दिसंबर 1945.-17 जून 1968 से 27 सितंबर 68.-8 मार्च 1969 से 27 अप्रैल 71 ।
-2 फरवरी 1961 से 17 सितंबर 1961।
-8अक्टूबर 1961- ।6 जनवरी 64 .-24जुलाई 1975 से 7 सितंबर1977।
-21-दिसंबर1984 से 31 मई 1985।
-18 सितंबर1985 से 16 दिसंबर 1987।
उक्त अवधि में जिनका जन्म हुआ होगा उनको समस्याएं अवश्य उत्पन्न हो सकती हैं ।
जन्म लग्न के आधार पर शुभ ,अशुभ शनि के प्रभाव-
1-वृष,मिथुन,कन्या,तुला,मकर,कुम्भ लग्न वालों को अनुकूलन रहेगा।
2-मेष,कर्क,धनु लग्न मे जन्म वालों को अवश्य ही प्रतिकूलन होगा |
शनि राशि फल राशि-
धनु राशि पर -
शनि का अंतिम पड़ाव रहेगा . इस वर्ष शनि धनु राशि को परिस्थिति के अनुसार चलने को बाध्य करेगा.गुरु ग्रह के कारण कोई विशेष प्रतिकूल प्रभाव संभव नहीं है |
12 अगस्त तक शनि के कुप्रभाव अधिक दिखाई देंगे उसके बाद आगामी 300 दिन तक शनि के कोई भी प्रभाव नहीं होंगे वरन अनुकूल स्थितियां शनि पैदा करेगा.
मकर राशि पर
शनि का प्रभाव शुरू हो चुका है .यह 14 अगस्त तक स्थान परिवर्तन ,भागदौड़ ,यात्रा अधिकता,विदेश,नए परिचय नए संबंध, एवं स्थाई संपत्ति भवन आदि निर्माण या क्रय-विक्रय आदि की स्थितियां बनाएगा.
इसके पश्चात आगामी 16 माह तक शनि सुखद स्थितियां निर्मित करता रहेगा.
कुंभ राशि पर-
शनि की साढ़ेसाती प्रारंभ होगी. प्रथम ढाई साल में या 3 मई तक विशेष कष्टप्रद स्थितियां निर्मित करेगा.
इसके पश्चात अनुकूलन की स्थितियां बनेंगी ।
शनि का अंतिम पड़ाव रहेगा . इस वर्ष शनि धनु राशि को परिस्थिति के अनुसार चलने को बाध्य करेगा.गुरु ग्रह के कारण कोई विशेष प्रतिकूल प्रभाव संभव नहीं है |
12 अगस्त तक शनि के कुप्रभाव अधिक दिखाई देंगे उसके बाद आगामी 300 दिन तक शनि के कोई भी प्रभाव नहीं होंगे वरन अनुकूल स्थितियां शनि पैदा करेगा.
मकर राशि पर
शनि का प्रभाव शुरू हो चुका है .यह 14 अगस्त तक स्थान परिवर्तन ,भागदौड़ ,यात्रा अधिकता,विदेश,नए परिचय नए संबंध, एवं स्थाई संपत्ति भवन आदि निर्माण या क्रय-विक्रय आदि की स्थितियां बनाएगा.
इसके पश्चात आगामी 16 माह तक शनि सुखद स्थितियां निर्मित करता रहेगा.
कुंभ राशि पर-
शनि की साढ़ेसाती प्रारंभ होगी. प्रथम ढाई साल में या 3 मई तक विशेष कष्टप्रद स्थितियां निर्मित करेगा.
इसके पश्चात अनुकूलन की स्थितियां बनेंगी ।
विभिन्न नक्षत्र एवं -राशियों पर शनि प्रभाव-
1- मेष राशि में शनि मिले-जुले प्रभाव देगा .इसमें भी अश्विनी नक्षत्र पर कोई भी प्रतिकूल प्रभाव नहीं होगा. जबकि जिनका जन्म भरनी है ,कृतिका नक्षत्र पर हुआ होगा उनको शनि निश्चित रूप से प्रतिकूल स्थितियों मैं डालेगा .
1- मेष राशि में शनि मिले-जुले प्रभाव देगा .इसमें भी अश्विनी नक्षत्र पर कोई भी प्रतिकूल प्रभाव नहीं होगा. जबकि जिनका जन्म भरनी है ,कृतिका नक्षत्र पर हुआ होगा उनको शनि निश्चित रूप से प्रतिकूल स्थितियों मैं डालेगा .
राशि में शनि के कुप्रभाव अत्यल्प होंगे .और विशेषता रोहिणी नक्षत्र पर शनि का कोई प्रतिकूल प्रभाव न होकर सुखद स्थितियां बनेंगी.
चांदी के पाए से शनि का प्रवेश है .
कृतिका, मृगशिरा नक्षत्र कुप्रभावी रहेंगे.
3-मिथुन राशि में शनि प्रबल कष्ट,या आपत्ति-विपत्ति कारी स्थिति में है.
सबसे अधिक शारीरिक कष्ट एवं प्रयास विफलता की प्रतिक्रिया निर्मित करेगा .परंतु आद्रा नक्षत्र पर इसका कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं होगा .मृगशिरा एवं पुनर्वसु नक्षत्र में जन्म हुआ होगा उनको विशेष कष्ट की स्थितियां बनेंगी।
4- कर्क राशि में शनि तांबे के पाए से मिला जुला प्रभाव। तांबे का प्रवेश हुआ है ।
पुनर्वसु पर सामान्य प्रभाव रहेगा। अश्लेषा नक्षत्र पर किसी भी प्रकार का कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं होगा ।
जबकि पुनर्वसु नक्षत्र में जन्म हुआ होगा उनको कष्टदायक स्थितियां उत्पन्न कर सकेगा।
5- सिंह राशि में शनि स्वर्ण पाद से अनुकूल स्थितियां बनाएगा ।
जिसमें मघा नक्षत्र में विशेष प्रगति के योग बनाएगा एवं जिनका जन्म पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में जन्म आंशिक रूप से अनुकूल स्थितियां निर्मित कर सकता है ।
अन्यथा शनि के शुभ प्रभाव ही इस वर्ष प्राप्त होंगे ।प्रत्येक क्षेत्र में अनुकूलता मिलेगी ।
6-कन्या राशि में चांदी के पाये से शनि का प्रवेश है ।ढैया समापन.
यह प्रयासों पर सफलता देगा ।
हस्त नक्षत्र को प्रत्येक दृष्टि से अनुकूलता प्रदान होगी। जबकि चित्रा नक्षत्र आंशिक रूप से कष्ट में रहेगा ।
उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र वालों को विशेष रूप से शनि के दान आदि करना चाहिए ।प्रतिकूलता अधिक रहेगी।
7-तुला राशि पर – ढैया प्रारम्भ-
शनि के प्रतिकूल प्रभाव लोहपाद के कारण बहुत अधिक होंगे ।
प्रत्येक क्षेत्र में बाधाएं दिन विवाद कष्ट होंगे ।
चित्रा एवं विशाखा नक्षत्र पर आपत्ति विपत्ति की स्थिति रहेगी ।
*जबकि स्वाति नक्षत्र में उत्पन्न हुए लोगों को अत्यंत प्रतिकूल प्रभाव पड़ेंगे।
8- वृश्चिक राशि के तांबे से प्रविष्ट है ।
ज्येष्ठा नक्षत्र वालों का सर्व सफलता मिलेगी ।
अनुराधा वालों को सामान्यता अनुकूल रहेगा एवं प्रगति होगी ।
विशाखा नक्षत्र को सामान्य रूप से प्रतिकूलता दिख सकती है अन्यथा वृश्चिक राशि के लिए शनि अनुकूल है।
9- धनु राशि शनि का प्रवेश चांदी के पाये से हुआ है इस वर्ष कोई विशेष प्रतिकूल स्थितिया नहीं बनेगी ।
जबकि मूल नक्षत्र वालों के लिए अनुकूल स्थिति रहेगी। पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र वालों को कष्ट हो सकता है । रोग से कष्ट होगा ।
10-मकर राशि शनि का स्वर्ण पाद से प्रवेश एवं शनि की राशि होने के कारण प्रतिकूलता अत्यल्प होगी।
श्रवण नक्षत्र में प्रगति होगी।
धनिष्ठा नक्षत्र को भागदौड़ एवं खर्च बढ़ेगा ।
उत्तराषाढ़ा नक्षत्र के लिए प्रतिकूलता रहेगी ।
11-कुंभ राशि वालों के लिए शनि का लोह पाद से प्रवेश प्रत्येक क्षेत्र में समस्या उत्पन्न करने वाला रहेगा ।
परंतु अति मित्र की श्रेणी के कारण एवं शनि के स्वयं की राशि होने के कारण प्रतिकूलता कम रहेगी। खर्च, विवाद,रहेंगे।
पूर्वाभाद्र नक्षत्र वालों के लिए यह विशेष कष्ट है ।
जबकि शतभिषा नक्षत्र पर जिनका जन्म हुआ है उनके लिए सामान्यता अनुकूल स्थितियां बनी रहेंगी।
12- मीन राशि के लिए स्वर्णपाद है इसलिए प्रत्येक दृष्टि से अत्यंत श्रेष्ठ वर्ष।
पिछले 30 वर्षों में श्रेष्ठ सिद्ध हो सकता है ।
रेवती नक्षत्र के लिए सर्वाधिक अनुकूल है ।
उत्तराभद्र में जन्म लेने वालों के लिए सामान्य उपयोगी है।
प्रचलित नाम के प्रथम अक्षर से ,शनि के उत्तम प्रभाव-दैनिक जीवन,रोजगार,व्यवहार में -
चु,के,चो,ल,ला,रू, रे, रो, ता, या- यू ,भा-भी खा गो,शा -शु स-सु,दे, दो ,चा,ची जिनके नाम का प्रथम अक्षर है उनके लिए शनि के कोई प्रतिकूल प्रभाव होने की संभावनाएं नहीं है ।
जन्म अबधि के अनुसार शनि के अशुभ प्रभाव -
जिनका जन्म 14 जनवरी से 13 फरवरी ;
14 अप्रैल से 13 मई ;
17 जुलाई से 16 अगस्त ;
17 नवंबर से 16 दिसंबर ;की अवधि में हुआ होगा उनको शनि ,रोजगार व्यापार में समस्या उत्पन्न करेगा .राज्य पक्ष से कष्ट होगा. राजनेताओं को परेशानी होगी .पिता के स्वास्थ्य उनके सुख में कमी होगी .
जिनका जन्म निम्नांकित वर्ष,माह,अवधि में हुआ होगा-
उनको कनिष्ठ वर्ग से हानि .
भूमि सामान्य संपत्ति चिंता,पैरों में दर्द ,दुख वियोग की स्थिति मिल सकती है ।
-8 जून 46 से 27 जुलाई 48,-12.11 .1955 से 2.6.1958.-8 फरवरी 1958 से 7 नवंबर 1958.-23 सितंबर 1945 से 22 दिसंबर 1945.-17 जून 1968 से 27 सितंबर 68.-8 मार्च 1969 से 27 अप्रैल 71 ।
-2 फरवरी 1961 से 17 सितंबर 1961।
-8अक्टूबर 1961- ।6 जनवरी 64 .-24जुलाई 1975 से 7 सितंबर1977।
-21-दिसंबर1984 से 31 मई 1985।
-18 सितंबर1985 से 16 दिसंबर 1987।
उक्त अवधि में जिनका जन्म हुआ होगा उनको समस्याएं अवश्य उत्पन्न हो सकती हैं ।
उपाय पूर्व सावधानी -शनि स्त्रोत,मंत्र,पीपल वुक्ष पुजा |
कुंडली के आधार पर शनि को या तो शक्तिवान बनाये या दान शनि की कुटिलता कम करे का करे।
परामर्श किसी सुयोग्य जानकार व्यक्ति से ही करे।
एक ही राशि के लिए शनि कारक या मारक अकारक हो सकता है। इसका निर्णय जन्म कुंडली के साथ षोडश वर्ग एवं जेमिनी कारक से करे।
कुंडली के आधार पर शनि को या तो शक्तिवान बनाये या दान शनि की कुटिलता कम करे का करे।
परामर्श किसी सुयोग्य जानकार व्यक्ति से ही करे।
एक ही राशि के लिए शनि कारक या मारक अकारक हो सकता है। इसका निर्णय जन्म कुंडली के साथ षोडश वर्ग एवं जेमिनी कारक से करे।
दशा के अनुसार जन्म नक्षत्र से शनि फल- –
-उत्तरा फाल्गुनी,अश्वनी उत्तरषाढ़ा मे जन्म वालों को राहू की दशा के कारण राहू गृह का मंत्र एवं तिल दान शनिवार को करना चाहिए |
-आर्द्र,स्वाति,शतभीषा नक्षत्र मे जन्म वालों को विशेष रूप से 25 से कम आयु वाओ को शनि की दशा चलेगी इसलिए शनि स्त्रोत, सारसो तेल ,तिल दान,पीपल वृक्ष पर दीपक शनिवार को बार्फन |
-3- पुनर्वसु,विशाखा,पूर्वभाद्र-नक्षत्र वाले जिनकी आयु 25 वर्ष से कम उनको शनि के कुप्रभाव नहीं होंगे शुक्र की दशा के कारण ।
शनि के शुभ अशुभ प्रभाव मे गुरु /ब्रहस्पति ग्रह बहुत महत्व पूर्ण है ,यदि वर्ष 202 0 मे गुरु ग्रह अनुकूल है तो आपको हानी कष्ट अत्यल्प होगा ,शनि के शुभ प्रभाव अधिक होंगे |इसके लिए देखिये-
https://ptvktiwari.blogspot.com/2019/10/2019.html
*Astro Vastu Do’s Don’t’s for Better Life Planning
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कुम्भ राशि के बारे में बताए
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