माघ
स्नान :नदी में डुबकी लगाए, माधव भजे,स्वर्ग पाए
( माघ मास जनवरी से फरवरी )
*प्रतिदिन गंगा या बड़ी नदी में स्नान एवं माधवाय नमः ।तिल दान*
स्नान प्रभाव (पद्म पुराण- कथा)
नर्मदा के तट पर अति विद्वान ज्योतिषज्ञ ,सर्व विद्या निपुण ,सुब्रत नाम के एक ब्राह्मण निवास करते थे ।उन्होंने आजीवन धन कमाने के सभी प्रकार के प्रयास कर,लगभग एक लाख स्वर्ण मुद्राएं अर्जित कर ली।
वृद्ध हुए तो उनका शरीर उसके अंग प्रत्यय कार्य करने में असमर्थ हो गए ,उनके मन में विचार आया कि मैंने जीवन धन कमाने में व्यर्थ कर दिया ।
अब मेरा परलोक कैसे सुधरेगा ?
मेरा उद्धार कैसे होगा?
मैंने तो कोई सद्कर्म किया ही नहीं ,इस विचारों में ही वे पश्चाताप में रहते थे। कोई उपाय उद्धार का सूझ नही रहा था।
एक रात उनका धन भी चोरी हो गया ,इससे धन की नश्वरता की अनुभूति हुई।
देव कृपा से , एक आधा श्लोक स्मरण हुआ -
"माघे निमग्ना: सलिले सुशीते विमुक्त पापा स्त्रिदिवं प्रयान्ति।"
माघ माह में,स्नान का संकल्प कर ,नर्मदा नदी में स्नान करने लगे। 09 दिन स्नान के पश्चात ,(वृद्ध निस्तेज शरीर ठंड के कारण )प्राण पखेरू उड़ गए।स्नान के कारण दिव्य विमान आया,उनको लेकर स्वर्ग चला गया।
( माघ मास जनवरी से फरवरी )
*प्रतिदिन गंगा या बड़ी नदी में स्नान एवं माधवाय नमः ।तिल दान*
स्नान प्रभाव (पद्म पुराण- कथा)
नर्मदा के तट पर अति विद्वान ज्योतिषज्ञ ,सर्व विद्या निपुण ,सुब्रत नाम के एक ब्राह्मण निवास करते थे ।उन्होंने आजीवन धन कमाने के सभी प्रकार के प्रयास कर,लगभग एक लाख स्वर्ण मुद्राएं अर्जित कर ली।
वृद्ध हुए तो उनका शरीर उसके अंग प्रत्यय कार्य करने में असमर्थ हो गए ,उनके मन में विचार आया कि मैंने जीवन धन कमाने में व्यर्थ कर दिया ।
अब मेरा परलोक कैसे सुधरेगा ?
मेरा उद्धार कैसे होगा?
मैंने तो कोई सद्कर्म किया ही नहीं ,इस विचारों में ही वे पश्चाताप में रहते थे। कोई उपाय उद्धार का सूझ नही रहा था।
एक रात उनका धन भी चोरी हो गया ,इससे धन की नश्वरता की अनुभूति हुई।
देव कृपा से , एक आधा श्लोक स्मरण हुआ -
"माघे निमग्ना: सलिले सुशीते विमुक्त पापा स्त्रिदिवं प्रयान्ति।"
माघ माह में,स्नान का संकल्प कर ,नर्मदा नदी में स्नान करने लगे। 09 दिन स्नान के पश्चात ,(वृद्ध निस्तेज शरीर ठंड के कारण )प्राण पखेरू उड़ गए।स्नान के कारण दिव्य विमान आया,उनको लेकर स्वर्ग चला गया।
माह
विशेषता- कृत्य
ग्रहण अवश्य-इस माह पृथ्वी पर ग्रहण अवश्य होता है।इसलिए अमावस्या एवं पूर्णिमा को दान अवश्य करना चाहिए ।ग्रहण अबधि का दान उत्तम होता है।
दान पूजा ध्यान समय-सूर्योदय से 4घंटे तक।
श्राद्ध कर्म- सूर्यास्त पूर्व 4घंटे से सूर्यास्त तक। amavsya evam purnima |
माघ माह में सूर्योदय स्नान | माघ माह स्नान परमावश्यक -स्नान का सर्वाधिक महत्व .
"निर्णय सिंधु ग्रंथ" में- कम से कम 3 दिन या एक दिन अवश्य ही स्नान करना चाहिए
"मास पर्यंतम स्नान असम्भवे तु त्रयहम एकाहम वा स्नानयात"
*माघ महीने की ,शुक्ल पक्ष द्वादशी-
विष्णु के माधव स्वरूप का ध्यान कर -
विष्णु की प्रतिमा को स्नान कराना चाहिए ।
8 आहुति घी की देना चाहिए- माधवाय स्वाहा । या
"नमस्ते माधव " कहकर आठ बार घी की आहुति देना चाहिए.
तिल दान श्रेष्ठ-
1 किलो तिल दान ब्राह्मण को कर सकते हैं।
तिल दान का मंत्र -
माधवा सर्व भूत आत्मा ,सर्व कर्मफल प्रदा .
तिल दानेन-----
( नारद पुराण)
-अर्थ- संपूर्ण कर्मों का फल देने वाले, समस्त भूतों के आत्मा, भगवान लक्ष्मीपति माधव ,तिल के इस दान से प्रसन्न होकर मेरी सब कामनाएं पूर्ण करें .
वाजपेय यज्ञ फल-
माघ मास द्वादशी को तिल दान सर्वश्रेष्ठ दान होता है .सौ वाजपेय यज्ञ के समान फलदाई होता है।
प्रयागराज सर्वश्रेष्ठ स्नान-
इस विशेष माह में स्नान का सर्वाधिक महत्व है
माघ स्नान में यह उल्लेखित है कि -सभी तीर्थों का फल प्रयागराज में उपलब्ध होता है।
विशेष महत्व प्रयाग काशी कुरुक्षेत्र हरिद्वार एवं नर्मदा गोदावरी आदि नदियों का है ।इसके अलावा समस्त बड़ी नदियों में स्नान का विशेष महत्व है। प्रयागराज तीर्थ को श्रेष्ठ माना गया है ।माघ मास की अमावस्या को प्रयागराज में तीन करोड़ 10 हजार अन्य तीर्थों का समागम होता है ,अर्थात प्रयागराज में स्नान का विशेष फल प्राप्त होता है।
महाभारत (अनुशाशन पर्व)- nimn sandrbh -
नरक मुक्ति के लिए -
जो ब्राह्मण को तिल दान करता है .इस माह प्रतिदिन तिल दान ,या एक बार एक किलो काले तिल दान करने से नरक का दर्शन नहीं करता, उसको मृत्यु उपरांत नरक प्राप्त नहीं होता।
(माघ मासे तिलान यस्तु ब्राम्हणेभ्य:प्रयच्छति ।
सर्व सत्व समाकीर्णम नरकं स न पश्यति ।).
धनवान कुल में जन्म लेना हो तो -
अगला जन्म यदि कुलीन परिवार में लेना हो तो उपाय स्वरूप आप संपूर्ण माघ मास में एक समय भोजन करे ।
(माघम तु नियतो मासम एक भक्तेन य: क्षीपेत।
श्रीमत कुले ज्ञाति मध्ये स महत्वं प्रपद्यते।)
बिना यज्ञ के यज्ञ फल प्राप्त-
इस माह की द्वादशी तिथि को माधव की पूजा करने से राजसूय यज्ञ प्राप्त का फल मिलता है
(अहोरात्रे द्वादश्याम माघ मासे तु माधवं।
राजसूय यज्ञमवाप्नोति कुलम चैव समुद्दरेत।)
व्यक्ति अपने कुल का उद्धार करता है .
मृत्यु पश्चात स्वर्ग लोक में निवास -
जब सूर्य मकर राशि में हो, उस माघ मास में यदि स्नान नित्य प्रति करते हैं तो अवश्य ही स्वर्ग लोक में निवास मिलता है .
(स्वर्गलोके चिरं वासो येषां मनसी वर्तते ।
यत्र क्वपि जले ते अस्तु स्नातव्यम मृग भास्करे।)
स्नान के लिए सबसे सरल विधि है -
कि हाथ में तिल काले जल पुष्प एवं उषा लेने पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करें और आप कहें कि माघ मास में तिथि का नाम ले अपना नाम ले अपने गोत्र का नाम ले मकर के सूर्य में मैं बैकुंठ निवास पूर्वक श्री विष्णु की कृपा के लिए की प्रसन्नता के लिए स्नान करता हूं .
प्रार्थना
दुःख दारिद्र्य नाशाय श्री विष्णोस्तो तोष्णय च।
प्रातः स्नानं माघ मास में पाप नाश के लिए करता हूँ।
मकर राशि पर सूर्य, माघ माह में ,है गोविंद अच्युत माधव
स्नान करने से मेरे पा नष्ट हो।।
दान-ब्रह्मवैवर्त पुराण(पूर्णिमा को),अंजन,वस्त्र,तिल।
मत्स्य पुराण- ब्रह्मवैवर्त पुराण दान करने से ब्रह्मलोक मिलता है।
पुराणं वृहमवैवर्तम यो दद्यानमाघ मासि च।
पौरणामस्यां शुभ दिने ब्रह्म लोके महीयते।
ग्रहण अवश्य-इस माह पृथ्वी पर ग्रहण अवश्य होता है।इसलिए अमावस्या एवं पूर्णिमा को दान अवश्य करना चाहिए ।ग्रहण अबधि का दान उत्तम होता है।
दान पूजा ध्यान समय-सूर्योदय से 4घंटे तक।
श्राद्ध कर्म- सूर्यास्त पूर्व 4घंटे से सूर्यास्त तक। amavsya evam purnima |
माघ माह में सूर्योदय स्नान | माघ माह स्नान परमावश्यक -स्नान का सर्वाधिक महत्व .
"निर्णय सिंधु ग्रंथ" में- कम से कम 3 दिन या एक दिन अवश्य ही स्नान करना चाहिए
"मास पर्यंतम स्नान असम्भवे तु त्रयहम एकाहम वा स्नानयात"
*माघ महीने की ,शुक्ल पक्ष द्वादशी-
विष्णु के माधव स्वरूप का ध्यान कर -
विष्णु की प्रतिमा को स्नान कराना चाहिए ।
8 आहुति घी की देना चाहिए- माधवाय स्वाहा । या
"नमस्ते माधव " कहकर आठ बार घी की आहुति देना चाहिए.
तिल दान श्रेष्ठ-
1 किलो तिल दान ब्राह्मण को कर सकते हैं।
तिल दान का मंत्र -
माधवा सर्व भूत आत्मा ,सर्व कर्मफल प्रदा .
तिल दानेन-----
( नारद पुराण)
-अर्थ- संपूर्ण कर्मों का फल देने वाले, समस्त भूतों के आत्मा, भगवान लक्ष्मीपति माधव ,तिल के इस दान से प्रसन्न होकर मेरी सब कामनाएं पूर्ण करें .
वाजपेय यज्ञ फल-
माघ मास द्वादशी को तिल दान सर्वश्रेष्ठ दान होता है .सौ वाजपेय यज्ञ के समान फलदाई होता है।
प्रयागराज सर्वश्रेष्ठ स्नान-
इस विशेष माह में स्नान का सर्वाधिक महत्व है
माघ स्नान में यह उल्लेखित है कि -सभी तीर्थों का फल प्रयागराज में उपलब्ध होता है।
विशेष महत्व प्रयाग काशी कुरुक्षेत्र हरिद्वार एवं नर्मदा गोदावरी आदि नदियों का है ।इसके अलावा समस्त बड़ी नदियों में स्नान का विशेष महत्व है। प्रयागराज तीर्थ को श्रेष्ठ माना गया है ।माघ मास की अमावस्या को प्रयागराज में तीन करोड़ 10 हजार अन्य तीर्थों का समागम होता है ,अर्थात प्रयागराज में स्नान का विशेष फल प्राप्त होता है।
महाभारत (अनुशाशन पर्व)- nimn sandrbh -
नरक मुक्ति के लिए -
जो ब्राह्मण को तिल दान करता है .इस माह प्रतिदिन तिल दान ,या एक बार एक किलो काले तिल दान करने से नरक का दर्शन नहीं करता, उसको मृत्यु उपरांत नरक प्राप्त नहीं होता।
(माघ मासे तिलान यस्तु ब्राम्हणेभ्य:प्रयच्छति ।
सर्व सत्व समाकीर्णम नरकं स न पश्यति ।).
धनवान कुल में जन्म लेना हो तो -
अगला जन्म यदि कुलीन परिवार में लेना हो तो उपाय स्वरूप आप संपूर्ण माघ मास में एक समय भोजन करे ।
(माघम तु नियतो मासम एक भक्तेन य: क्षीपेत।
श्रीमत कुले ज्ञाति मध्ये स महत्वं प्रपद्यते।)
बिना यज्ञ के यज्ञ फल प्राप्त-
इस माह की द्वादशी तिथि को माधव की पूजा करने से राजसूय यज्ञ प्राप्त का फल मिलता है
(अहोरात्रे द्वादश्याम माघ मासे तु माधवं।
राजसूय यज्ञमवाप्नोति कुलम चैव समुद्दरेत।)
व्यक्ति अपने कुल का उद्धार करता है .
मृत्यु पश्चात स्वर्ग लोक में निवास -
जब सूर्य मकर राशि में हो, उस माघ मास में यदि स्नान नित्य प्रति करते हैं तो अवश्य ही स्वर्ग लोक में निवास मिलता है .
(स्वर्गलोके चिरं वासो येषां मनसी वर्तते ।
यत्र क्वपि जले ते अस्तु स्नातव्यम मृग भास्करे।)
स्नान के लिए सबसे सरल विधि है -
कि हाथ में तिल काले जल पुष्प एवं उषा लेने पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करें और आप कहें कि माघ मास में तिथि का नाम ले अपना नाम ले अपने गोत्र का नाम ले मकर के सूर्य में मैं बैकुंठ निवास पूर्वक श्री विष्णु की कृपा के लिए की प्रसन्नता के लिए स्नान करता हूं .
प्रार्थना
दुःख दारिद्र्य नाशाय श्री विष्णोस्तो तोष्णय च।
प्रातः स्नानं माघ मास में पाप नाश के लिए करता हूँ।
मकर राशि पर सूर्य, माघ माह में ,है गोविंद अच्युत माधव
स्नान करने से मेरे पा नष्ट हो।।
दान-ब्रह्मवैवर्त पुराण(पूर्णिमा को),अंजन,वस्त्र,तिल।
मत्स्य पुराण- ब्रह्मवैवर्त पुराण दान करने से ब्रह्मलोक मिलता है।
पुराणं वृहमवैवर्तम यो दद्यानमाघ मासि च।
पौरणामस्यां शुभ दिने ब्रह्म लोके महीयते।
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