सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

:विवाह मुहूर्त रहस्य शुभ लग्न समय 2020 -


ज्योतिष शिरोमणि - पण्डित वी के तिवारी (9424446706, jyotish9999@gmail.com)
ज्योतिष उपाधि : वाचस्पति, भूषण, महर्षि, शिरोमणि, मनीषी, रत्नाकर, मार्तण्ड, महर्षि वेदव्यास
विशेषज्ञता :(1976 से अब तक) वास्तु, जन्म कुण्डली, मुहूर्त, रत्न परामर्श, हस्तरेखा, पंचांग संपादक |

शुभ विवाह मुहूर्त : दांपत्य सुख का वरदान |

विवाह के लिए कुंडली मिलान के अतिरिक्त शुभ विवाह मुहूर्त का भी बहुत महत्व होता है ।
कोई कार्य यदि अशुभ समय किया जाता है तो ,उसके सुपरिणाम मिलना संदिग्ध होते हैं ।
इसलिए मुहूर्त का सर्वाधिक विशेष महत्व है, क्योंकि यदि कोई कार्य गलत समय पर किया गया तोउसमें विभिन्न प्रकार की विघ्न बाधाएं एवं परेशानियां आना सामान्य बात है।
प्रारब्ध या परंपरा दांपत्य जीवन के प्रमुख कारक हें विवाह पूर्व कुंडली मिलान एवं शुभ बेला मे
ब्रह्म विवाह या वेदिक विधि से विवाह ,दाम्पत्य जीवन पर प्रारब्ध की काली छाया को कम करने मे,अहम भूमिका विवाह शुभ मुहूर्त एवं कुंडली से कडली मिलान (केवल जन्म नक्षत्र से मिलान अपूर्ण विधि )

वर की राशि के अनुसार ,(प्रत्येक वर्ष) विवाह किन माह में अनुकूल रहेगा ?
इसकी जानकारी निम्नानुसार 

मेष राशि के लिए-
16 जनवरी-12फरवरी ;17जून -15 जुलाई माह विवाह के लिए अत्यंत सुख दाई हैं ।
वृषभ राशि -
16 जून -15 जुलाई 14 फरवरी से 13मार्च 
मिथुन राशि के लिए -
18 नवंबर -15 दिसंबर;15अप्रेल से 13 मई;
कर्क राशि के लिए -
15 अप्रेल से 13जून :;
सिंह राशि के लिए -
16जनवरी -12 फरवरी;16 मई-15 जुलाई ;
कन्या राशि के लिए
18नवंबर -15दिसंबर;15फरवरी -13मार्च;17जून-15 जुलाई;
वृश्चिक राशि के लिए
16 जनवरी - 12 फरवरी;16 अप्रैल-14मई ;
धनु राशि -
15फरवरी -13 मार्च; 15 मई-14जून;
मकर राशि के लिए
17 नवंबर-दिसंबर15;15 जून-15जुलाई;
कुंभ राशि के लिए
16अप्रेल1-13 मई;17नवंबर-15दिसंबर;
मीन के लिए
16जनवरी-13फरवरी;16मई -13जून ;
अनुकूल होंगे ।
तुला राशि-
जिन माह में विवाह के मुहूर्त होते हैं उनमें से कोई भी माह तुला राशि के लिए अनुकूल नहीं होता है।

पुरुष वर्ग का विवाह वर्जित माह-
राशि के आधार पर किस माह विवाह नहीं किया जा सकता है अर्थात किसी भी प्रकार से शुभ मुहूर्त सूर्य केद्वारा नहीं प्राप्त होता है ?

1- मेष सिंह धनु राशि वालों को -
16 नवंबर-16दिसंबर;

2-वृष कन्या मकर राशि वालो के लिए-
15अप्रैल -15मई;

3-मिथुन तुला कुंभ के लिए-
15जनवरी -14फरवरी;15 मई -15जून

4-कर्क वृश्चिक मीन राशि के पुरुष हेतु-
14फरवरी-14मार्च; 14 जून-15जुलाई;

उक्त दोनों विवरण जो राशि वार प्रस्तुत किए गए हैं ।
उनमें से एक है कि- पुरुष का किस माह में विवाह किया जाना उचित है ।
दूसरा विवरण है जिस माह में विवाहअशुभ उस माह में चंद्र अनुकूल होंने पर भी विवाह नहीं किया जा सकता है
इस विवरण के अतिरिक्त अन्य विवाह मुहूर्त वाले माह में सूर्य की पूजा /लाल पूजा के द्वारा विवाह किया जा सकता है ।

स्त्री वर्ग राशि के लिए,गुरु की निम्न राशि मे विवाह वर्जित
1- मेष, सिंह,धनु राशी जिनकी हो उनके लिए-
कर्क,वृश्चिक, मीन राशि का गुरु वर्जित।
2-वृष,कन्या,मकर राशी की कन्या के लिए-
सिंह,धनु, मेष राशि का गुरु वर्जित।
3-मिथुन,तुला,कुम्भ राशि की कन्या हेतु-
वृष,कन्या, मकर राशि का गुरु(वर्ष 2020में मकर राशि का गुरुःहै इसलिए इन तीन राशि की कन्या का विवाह वर्जित है।)उपाय आवश्यक |
4-कर्क, वृश्चिक,मीन राशि की कन्या हेतु-
गुरु राशि वर्जित हैं,मिथुन,तुला,कुम्भ।

वर्ष 2020 विवाह मुहूर्त,(समय,दिनांक)03 राशि अशुभ ,शेष 09 के लिए अनुकूल दिनांक -
किस किस राशि वालो को विवाह वर्जित। दिनांक,विवरण सहित।
(शेष राशियों के लिए शुभ।वर एवम कन्या दोनों में से किसी एक की अशुभ राशि विवाह दिनांक को नही होना चाहिए)

फरवरी-
3 ,4फरवरी-(रोहणी,वृष चंद्र,मकर सूर्य)
वर्जित राशि-मिथुन,तुला,कुम्भ राशि वर- कन्या।
शेष राशियों हेतु शुभ।
3 दिनांक-विवाह समय-1:30-3:47AM।लग्न8;
4 फरवरी- दिन9:07-10:25; गोधूलि।लग्न12;
9,10फरवरी -मघा, सिंह चंद्र
किनके लिए वर्जित -वृष,कन्या,मकर राशी के वर- कन्या के लिए।
शेष राशियों हेतु शुभ।
9डेट-विवाह समय-1:06-3:11 रात्रि।लग्न8;
10-विवाह समय-10:25-11:34 दिन।लग्न1;
*******
12 फरवरी-हस्त,कन्या चंद्रमा।
किनके लिए वर्जित -
मिथुन,तुला,कुम्भ राशि वर- कन्या हेतु। शेष राशियों हेतु शुभ।
शुभ समय-12:54-2:59;लग्न8.
*******
दिनांक14 -स्वाति,तुला
किनके लिए वर्जित -कर्क, वृश्चिक,मीन राशि , वर-कन्या हेतु. शेष राशियों हेतु शुभ।
विवाह शुभ समय-10:10-11:29 दिन।लग्न8;
********
दिनांक16-अनुराधा, वृश्चिक।
किनके लिए वर्जित -मेष,सिंह,धनु राशी हेतु। शेष राशियों हेतु शुभ।
विवाह शुभ समय-12:38-2:24 रात्रि।लग्न
†*******
18 फरवरी-मूल,धन ।
-विवाह शुभ समय-12:30-2:36 दिन।लग्न8;
किनके लिए वर्जित -वृष,कन्या,मकर राशी के वर- कन्या के लिए।
शेष राशियों हेतु शुभ।
25 फरवरी -
उत्तराभाद्र नक्षत्र मीन राशि
विवाह शुभ समय-8:26-1045;लग्न मेष
12:03-2:08लग्न 8
किनके लिए वर्जित -मेष,सिंह, धनु।
शेष राशियों हेतु शुभ।
26 फरवरी -
उत्तराभाद्र मीन रेवती नक्षत्र
विवाह शुभ समय-9:23-10:42,,लग्न मेष।
किनके लिए वर्जित -मेष,सिंह,धनु। शेष राशियों हेतु शुभ।
27 फरवरी
रेवती नक्षत्र मीन।
विवाह शुभ समय-9:28-10:38 दिन,मेष लग्न।
किनके लिए वर्जित -मेष,सिंह, धनु।
शेष राशियों हेतु शुभ।
मार्च-

10 मार्च उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र कन्या राशि
विवाह शुभ समय-8:31-9:50दिन;लग्न 1,
8:52-10:56;लग्न 7,
किनके लिए वर्जित -मिथुन, तुला,कुम्भ राशि।
शेष राशियों हेतु शुभ।
हस्त नक्षत्र कन्या राशि
11 मार्च हस्त नक्षत्र कन्या राशि
विवाह शुभ समय-8:27-9:46AM, लग्न मेष
अप्रैल 27
मृगशिरा नक्षत्र ,मिथुन का चंद्रमा,
शुभ समय-लग्न सिंह 2:30 से 3:21 ,
गोधूलि बेला,
लग्न वृश्चिक रात्रि 8:00 से 10:04
किन राशि के लिए अशुभ-कर्क,वृश्चिक,मीन राशि वालों के लिए |
शेष राशियों हेतु शुभ।
2 मई
मघा नक्षत्र ,सिंह राशि ,
शुभ समय-
वृषभ लग्न 6:34 से 8:22 ,
लग्न कन्या 1:12 से 3:0 1
दिन गोधूलि बेला ;
लग्न वृश्चिक रात्रि 7:39 से 9:44.
किन राशि के लिए अशुभ-वृष,कन्या,मकर राशि वालों के लिए वर्जित |
शेष राशियों हेतु शुभ।
4 मई
उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र ,कन्या राशि ,
शुभ समय-लग्न वृषभ 6:22 -8:11
लग्न कन्या 1:04 से 2:53 .
गोधूलि बेला.
लग्न वृश्चिक रात्रि 7:31 से 9:36.
किनके लिए वर्जित -
मिथुन,तुला,कुम्भ राशि वर- कन्या हेतु-
शेष राशियों हेतु शुभ।
6 मई
स्वाति नक्षत्र ,तुला राशि ,
शुभ समय-
गोधूलि बेला,
लग्न वृश्चिक 7:23 -7:40
किनके लिए वर्जित -कर्क, वृश्चिक,मीन राशि , वर-कन्या हेतु.
शेष राशियों हेतु शुभ।
10 मई
मूल नक्षत्र ,धनु राशि ,
शुभ समय-लग्न कन्या,वृश्चिक, मीन।
गोधूलि/
किन राशि के लिए अशुभ-वृष,कन्या,मकर राशि हेतु अशुभ /वर्जित |
शेष राशियों हेतु शुभ।
17 मई
उत्तराभाद्रपद,मीन चंद्र राशि।
शुभ समय-
गोधूलि लग्न ;
लग्न मीन रात्रि 2:21 से 5:19 ;
किनके लिए वर्जित -मेष,सिंह, धनु।
शेष राशियों हेतु शुभ।
18 मई
उत्तराभाद्र नक्षत्र ,मीन राशि,
शुभ समय-
लग्न कन्या दिन में 2:09 से 4:09
लग्न गोधूलि ;
मेष लग्न में रात्रि 3:59 से 5:15
किनके किन राशि के लिए अशुभ-
शेष राशियों हेतु शुभ।
19 मई
रेवती नक्षत्र ,मीन राशि ,
शुभ समय-
लग्न कन्या दिन में 2:05 से 4:06.
किनके लिए वर्जित -मेष,सिंह, धनु।
शेष राशियों हेतु शुभ।
24 मई-

मृगशिरा नक्षत्र,वृष राशि ;
शुभ समय-लग्न कन्या दिन में 1:46 से 3:40
किन राशि के लिए अशुभ-
मिथुन,तुला,कुम्भ राशि के लिए वर्जित ;
शेष राशियों हेतु शुभ।
13 जून
उत्तराभाद्र नक्षत्र में चंद्रमा मीन।
शुभ समय-मीन एवं मेष लग्न 12:35 से 3:32 रात्रि।
किनके लिए वर्जित -मेष,सिंह, धनु।
शेष राशियों हेतु शुभ।
15 जून-
रेवती नक्षत्र, मीन चंद्र।
शुभ समय-लग्न कन्या,12:19-2:19;
किनके लिए वर्जित -मेष,सिंह, धनु।
शेष राशियों हेतु शुभ।
27 जून -
उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र ,कन्या चंद्र।
शुभ समय-लग्न मेष 1:21-2:41;
किनके लिए वर्जित -
मिथुन,तुला,कुम्भ राशि वर- कन्या हेतु
शेष राशियों हेतु शुभ।
30 जून-
स्वाति नक्षत्र, तुला राशि।
शुभ समय-लग्न सिंह9:19-11:09;दिन।
लग्न मेष, रात्रि 1:10 से 2:29
किनके लिए वर्जित -कर्क, वृश्चिक,मीन राशि , वर-कन्या हेतु.

शेष राशियों हेतु शुभ।
30 नवंबर
रोहिणी नक्षत्र,वृष चंद्र।
शुभ समय-लग्न सिंह। रात्रि 11:16 से 1:05 .
किन 3 राशियों के लिए वर्जित-मिथुन,तुला,कुम्भ|

शेष राशियों हेतु शुभ।
7 दिसंबर
मघा नक्षत्र ,सिंह राशि ।
शुभ समय- लग्न धनु ,प्रातः 7:44 -9:18.
किन 3 राशियों के लिए वर्जित-वृष,कन्या,मकर |
शेष राशियों हेतु शुभ।
9 दिसंबर
हस्त नक्षत्र ,कन्या राशि,.
शुभ समय-
लग्न सिंह, रात्रि 10:40 से 12:30
किनके लिए वर्जित -
मिथुन,तुला,कुम्भ राशि वर- कन्या हेतु.

| शेष राशियों हेतु शुभ।
11 दिसंबर
स्वाति नक्षत्र ,तुला राशि।
शुभ समय-
लग्न धनु प्रातः 8:55 से 9:12 .
लग्न सिंह ,रात्रि 10:32 से12:22;
किनके लिए वर्जित -कर्क, वृश्चिक,मीन राशि , वर-कन्या हेतु.
शेष राशियों हेतु शुभ।
2020 दिसंबर मध्य पश्चात 2021 अप्रेल मध्य तक कोई विवाह मुहूर्त नहीं |

मलमास दिसम्बर 2020 में प्रारम्भ।
2021 में मलमास के पश्चात गुरु अस्त।
गुरु अस्त के पश्चात शुक्र अस्त।
इसके पश्चात मलमास 15 अप्रेल 2021 तक कोई शुद्ध विवाह मुहूर्त नही है।
लेख का आधार,ज्योतिष के नियमो का अनुशीलन
नियमो के आधार पर दंपति जीवन के लिए सूर्य ग्रह का अनुकूल होना , पुरुष वर्ग के लिए एवं
स्त्री वर्ग के लिए गुरु ग्रह का अनुकूल होना तथा जिस दिनाक को विवाह करना हो उस दिन
चंद्रमा वर-कन्या दोनों के अनुकूल हो ,इतना ही नहीं जिस समय विवाह करना हो
वह लग्न भी (अष्टम आदि न हो अर्थात शुभ फलप्रद हो |

1-पुरुष वर्ग के लिए सूर्य के अनुसार विवाह माह का विचार आवश्यक-
सामान्य सिद्धांत है की पुरुष वर्ग के लिए उसकी राशि से चौथा ,आठवां ,12 th सूर्य जिस महीने हो उस
माह विवाह नहीं करना चाहिए ।
केवल तीसरा ,छटा ,दसवां 11th सूर्य होने पर व्यवहार किया जा सकता है .
इसके अतिरिक्त अन्य समय में सूर्य की पूजा जिसे लाल पूजा के नाम से जाना जाता है करने के पश्चात
विवाह उचित होता है .
2-कन्या के लिए गुरु की राशि का विचार, दाम्पत्य जीवन के सुख के लिए आवश्यक-
शुभ गुरु- स्त्री वर्ग के लिए गुरु उसकी राशि से चौथा ,8,12 th नहीं होना चाहिए ,एवं 2, 5 ,7, 9, 11 th
होने पर विवाह किया जा सकता है . वर्ष 2020में मकर राशि का गुरुःहै इसलिए मिथुन ,तुला ,कुम्भ
इन तीन राशि मे से कोई भी कन्या की राशि होने पर विवाह वर्जित है।)।

पूज्य गुरु -
यदि कन्या की राशि से 1,3,6, 10 है तो गुरु या पीली पूजा के द्वारा उसका दोष निराकरण होता है ।
विवाह के दिन चंद्रमा की राशि का
विचार विशेष आवश्यक-
परंतु इन दोनों के अतिरिक्त एक विशेष बात है कि जिस दिन वैदिक पद्धति से विवाह किया जाए ,उसमेंदोनों स्त्री, पुरुष की राशि से ,चंद्रमा चौथा आठवां ,बारहवा नहीं होना चाहिए ।
यदि यह स्थिति बनती है शुभ मुहूर्त निष्फल हो जाता है .विभिन्न बाधाएं उपस्थित हो सकती हैं
इसलिए कुंडली मिलान से भी कम महत्वपूर्ण विवाह मुहूर्त नहीं है .
 राशि /लग्न क्रम -
1-मेष ;2 वृषभ; 3 मिथुन; 4 कर्क ;5 सिंह ;6 कन्या 7 तुला ; 8 वृश्चिक ;9 धनु ; 10 मकर ; 11 कुम्भ; 12 मीन
2- वर्जित-वर या कन्या में से किसी एक की भी राशि हो।
3-(दिनांक हिंदी आधार, सूर्योदय से आगामी सूर्योदय तक।)

चंद्र राशि प्रमुख,वर एवं कन्या दोनों हेतु-
विवाह समय वर एवम कन्या के लिए अशुभ चंद्रमा की राशियां-
स्त्री -पुरुष वर्ग के लिए,चंद्र की निम्न राशि मे विवाह वर्जित

1- मेष, सिंह,धनु राशी ,वर-कन्या हो उनके लिए-
कर्क,वृश्चिक, मीन राशि का चंद्रमा वर्जित।

2-वृष,कन्या,मकर राशी ,वर- कन्या के लिए-
सिंह,धनु, मेष राशि का चंद्रमा वर्जित।

3-मिथुन,तुला,कुम्भ राशि वर- कन्या हेतु-
वृष,कन्या, मकर राशि का चंद्रमा वर्जित ,

4-कर्क, वृश्चिक,मीन राशि , वर,कन्या हेतु-
चंद्रमा की राशि वर्जित हैं,मिथुन,तुला,कुम्भ।

- आप पुरुष हें तो आपकी राशि के अनुसार सूर्य किस माह अनुकूल हे ,
-स्त्री हें तो गुरु किस वर्ष आपके अनुकूल हे यह उपरिलिखित विवरण से ज्ञात होने के पश्चात
-वर एवं कन्या के लिए किस दिनांक को सुख शांति के कारक चंद्रमा अनुकूल हे ,
तथा किस समय विशेष की कुंडली मे नवग्रह अनुकूल हें |

वर्ष 2020 मे किन 3 राशि के लिए कौनसी प्रतिकूल दिनाक हे ,जबकि वही दिनांक
अन्य 9 राशियों के लिए
अनुकूल दिनांक हे -
*आदि अनेक नियमों के आधार पर विवाह मुहूर्त की दिनांक ,समय राशि के अनुरूप माहवार प्रस्तुत की गयी हें |

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

श्राद्ध की गूढ़ बाते ,किसकी श्राद्ध कब करे

श्राद्ध क्यों कैसे करे? पितृ दोष ,राहू ,सर्प दोष शांति ?तर्पण? विधि             श्राद्ध नामा - पंडित विजेंद्र कुमार तिवारी श्राद्ध कब नहीं करें :   १. मृत्यु के प्रथम वर्ष श्राद्ध नहीं करे ।   २. पूर्वान्ह में शुक्ल्पक्ष में रात्री में और अपने जन्मदिन में श्राद्ध नहीं करना चाहिए ।   ३. कुर्म पुराण के अनुसार जो व्यक्ति अग्नि विष आदि के द्वारा आत्महत्या करता है उसके निमित्त श्राद्ध नहीं तर्पण का विधान नहीं है । ४. चतुदर्शी तिथि की श्राद्ध नहीं करना चाहिए , इस तिथि को मृत्यु प्राप्त पितरों का श्राद्ध दूसरे दिन अमावस्या को करने का विधान है । ५. जिनके पितृ युद्ध में शस्त्र से मारे गए हों उनका श्राद्ध चतुर्दशी को करने से वे प्रसन्न होते हैं और परिवारजनों पर आशीर्वाद बनाए रखते हैं ।           श्राद्ध कब , क्या और कैसे करे जानने योग्य बाते           किस तिथि की श्राद्ध नहीं -  १. जिस तिथी को जिसकी मृत्यु हुई है , उस तिथि को ही श्राद्ध किया जाना चाहिए । पिता जीवित हो तो, गया श्राद्ध न करें । २. मां की मृत्यु (सौभाग्यवती स्त्री) किसी भी तिथि को हुईं हो , श्राद्ध केवल

*****मनोकामना पूरक सरल मंत्रात्मक रामचरितमानस की चौपाईयाँ-

*****मनोकामना पूरक सरल मंत्रात्मक रामचरितमानस की चौपाईयाँ-       रामचरितमानस के एक एक शब्द को मंत्रमय आशुतोष भगवान् शिव ने बना दिया |इसलिए किसी भी प्रकार की समस्या के लिए सुन्दरकाण्ड या कार्य उद्देश्य के लिए लिखित चौपाई का सम्पुट लगा कर रामचरितमानस का पाठ करने से मनोकामना पूर्ण होती हैं | -सोमवार,बुधवार,गुरूवार,शुक्रवार शुक्ल पक्ष अथवा शुक्ल पक्ष दशमी से कृष्ण पक्ष पंचमी तक के काल में (चतुर्थी, चतुर्दशी तिथि छोड़कर )प्रारंभ करे -   वाराणसी में भगवान् शंकरजी ने मानस की चौपाइयों को मन्त्र-शक्ति प्रदान की है-इसलिये वाराणसी की ओर मुख करके शंकरजी को स्मरण कर  इनका सम्पुट लगा कर पढ़े या जप १०८ प्रतिदिन करते हैं तो ११वे दिन १०८आहुति दे | अष्टांग हवन सामग्री १॰ चन्दन का बुरादा , २॰ तिल , ३॰ शुद्ध घी , ४॰ चीनी , ५॰ अगर , ६॰ तगर , ७॰ कपूर , ८॰ शुद्ध केसर , ९॰ नागरमोथा , १०॰ पञ्चमेवा , ११॰ जौ और १२॰ चावल। १॰ विपत्ति-नाश - “ राजिव नयन धरें धनु सायक। भगत बिपति भंजन सुखदायक।। ” २॰ संकट-नाश - “ जौं प्रभु दीन दयालु कहावा। आरति हरन बेद जसु गावा।। जपहिं नामु जन आरत भारी। मिटहिं कुसंकट होहि

दुर्गा जी के अभिषेक पदार्थ विपत्तियों के विनाशक एक रहस्य | दुर्गा जी को अपनी समस्या समाधान केलिए क्या अर्पण करना चाहिए?

दुर्गा जी   के अभिषेक पदार्थ विपत्तियों   के विनाशक एक रहस्य | दुर्गा जी को अपनी समस्या समाधान केलिए क्या अर्पण करना चाहिए ? अभिषेक किस पदार्थ से करने पर हम किस मनोकामना को पूर्ण कर सकते हैं एवं आपत्ति विपत्ति से सुरक्षा कवच निर्माण कर सकते हैं | दुर्गा जी को अर्पित सामग्री का विशेष महत्व होता है | दुर्गा जी का अभिषेक या दुर्गा की मूर्ति पर किस पदार्थ को अर्पण करने के क्या लाभ होते हैं | दुर्गा जी शक्ति की देवी हैं शीघ्र पूजा या पूजा सामग्री अर्पण करने के शुभ अशुभ फल प्रदान करती हैं | 1- दुर्गा जी को सुगंधित द्रव्य अर्थात ऐसे पदार्थ ऐसे पुष्प जिनमें सुगंध हो उनको अर्पित करने से पारिवारिक सुख शांति एवं मनोबल में वृद्धि होती है | 2- दूध से दुर्गा जी का अभिषेक करने पर कार्यों में सफलता एवं मन में प्रसन्नता बढ़ती है | 3- दही से दुर्गा जी की पूजा करने पर विघ्नों का नाश होता है | परेशानियों में कमी होती है | संभावित आपत्तियों का अवरोध होता है | संकट से व्यक्ति बाहर निकल पाता है | 4- घी के द्वारा अभिषेक करने पर सर्वसामान्य सुख एवं दांपत्य सुख में वृद्धि होती है | अवि

श्राद्ध:जानने योग्य महत्वपूर्ण बातें |

श्राद्ध क्या है ? “ श्रद्धया यत कृतं तात श्राद्धं | “ अर्थात श्रद्धा से किया जाने वाला कर्म श्राद्ध है | अपने माता पिता एवं पूर्वजो की प्रसन्नता के लिए एवं उनके ऋण से मुक्ति की विधि है | श्राद्ध क्यों करना चाहिए   ? पितृ ऋण से मुक्ति के लिए श्राद्ध किया जाना अति आवश्यक है | श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम ? यदि मानव योनी में समर्थ होते हुए भी हम अपने जन्मदाता के लिए कुछ नहीं करते हैं या जिन पूर्वज के हम अंश ( रक्त , जींस ) है , यदि उनका स्मरण या उनके निमित्त दान आदि नहीं करते हैं , तो उनकी आत्मा   को कष्ट होता है , वे रुष्ट होकर , अपने अंश्जो वंशजों को श्राप देते हैं | जो पीढ़ी दर पीढ़ी संतान में मंद बुद्धि से लेकर सभी प्रकार की प्रगति अवरुद्ध कर देते हैं | ज्योतिष में इस प्रकार के अनेक शाप योग हैं |   कब , क्यों श्राद्ध किया जाना आवश्यक होता है   ? यदि हम   96  अवसर पर   श्राद्ध   नहीं कर सकते हैं तो कम से कम मित्रों के लिए पिता माता की वार्षिक तिथि पर यह अश्वनी मास जिसे क्वांर का माह    भी कहा जाता है   | पितृ पक्ष में अपने मित्रगण के मरण तिथि

श्राद्ध रहस्य प्रश्न शंका समाधान ,श्राद्ध : जानने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य -कब,क्यों श्राद्ध करे?

संतान को विकलांगता, अल्पायु से बचाइए श्राद्ध - पितरों से वरदान लीजिये पंडित विजेंद्र कुमार तिवारी jyotish9999@gmail.com , 9424446706   श्राद्ध : जानने  योग्य   महत्वपूर्ण तथ्य -कब,क्यों श्राद्ध करे?  श्राद्ध से जुड़े हर सवाल का जवाब | पितृ दोष शांति? राहू, सर्प दोष शांति? श्रद्धा से श्राद्ध करिए  श्राद्ध कब करे? किसको भोजन हेतु बुलाएँ? पितृ दोष, राहू, सर्प दोष शांति? तर्पण? श्राद्ध क्या है? श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम क्या संभावित है? श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम क्या संभावित है? श्राद्ध की प्रक्रिया जटिल एवं सबके सामर्थ्य की नहीं है, कोई उपाय ? श्राद्ध कब से प्रारंभ होता है ? प्रथम श्राद्ध किसका होता है ? श्राद्ध, कृष्ण पक्ष में ही क्यों किया जाता है श्राद्ध किन२ शहरों में  किया जा सकता है ? क्या गया श्राद्ध सर्वोपरि है ? तिथि अमावस्या क्या है ?श्राद्द कार्य ,में इसका महत्व क्यों? कितने प्रकार के   श्राद्ध होते   हैं वर्ष में   कितने अवसर श्राद्ध के होते हैं? कब  श्राद्ध किया जाना अति आवश्यक होता है | पितृ श्राद्ध किस देव से स

गणेश विसृजन मुहूर्त आवश्यक मन्त्र एवं विधि

28 सितंबर गणेश विसर्जन मुहूर्त आवश्यक मन्त्र एवं विधि किसी भी कार्य को पूर्णता प्रदान करने के लिए जिस प्रकार उसका प्रारंभ किया जाता है समापन भी किया जाना उद्देश्य होता है। गणेश जी की स्थापना पार्थिव पार्थिव (मिटटीएवं जल   तत्व निर्मित)     स्वरूप में करने के पश्चात दिनांक 23 को उस पार्थिव स्वरूप का विसर्जन किया जाना ज्योतिष के आधार पर सुयोग है। किसी कार्य करने के पश्चात उसके परिणाम शुभ , सुखद , हर्षद एवं सफलता प्रदायक हो यह एक सामान्य उद्देश्य होता है।किसी भी प्रकार की बाधा व्यवधान या अनिश्ट ना हो। ज्योतिष के आधार पर लग्न को श्रेष्ठता प्रदान की गई है | होरा मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ माना गया है।     गणेश जी का संबंध बुधवार दिन अथवा बुद्धि से ज्ञान से जुड़ा हुआ है। विद्यार्थियों प्रतियोगियों एवं बुद्धि एवं ज्ञान में रूचि है , ऐसे लोगों के लिए बुध की होरा श्रेष्ठ होगी तथा उच्च पद , गरिमा , गुरुता , बड़प्पन , ज्ञान , निर्णय दक्षता में वृद्धि के लिए गुरु की हो रहा श्रेष्ठ होगी | इसके साथ ही जल में विसर्जन कार्य होता है अतः चंद्र की होरा सामान्य रूप से सभी मंगल कार्यों क

गणेश भगवान - पूजा मंत्र, आरती एवं विधि

सिद्धिविनायक विघ्नेश्वर गणेश भगवान की आरती। आरती  जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।  माता जा की पार्वती ,पिता महादेवा । एकदंत दयावंत चार भुजा धारी।   मस्तक सिंदूर सोहे मूसे की सवारी | जय गणेश जय गणेश देवा।  अंधन को आँख  देत, कोढ़िन को काया । बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया । जय गणेश जय गणेश देवा।   हार चढ़े फूल चढ़े ओर चढ़े मेवा । लड्डूअन का  भोग लगे संत करें सेवा।   जय गणेश जय गणेश देवा।   दीनन की लाज रखो ,शम्भू पत्र वारो।   मनोरथ को पूरा करो।  जाए बलिहारी।   जय गणेश जय गणेश देवा। आहुति मंत्र -  ॐ अंगारकाय नमः श्री 108 आहूतियां देना विशेष शुभ होता है इसमें शुद्ध घी ही दुर्वा एवं काले तिल का विशेष महत्व है। अग्नि पुराण के अनुसार गायत्री-      मंत्र ओम महोत काय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो दंती प्रचोदयात्। गणेश पूजन की सामग्री एक चौकिया पाटे  का प्रयोग करें । लाल वस्त्र या नारंगी वस्त्र उसपर बिछाएं। चावलों से 8पत्ती वाला कमल पुष्प स्वरूप बनाएं। गणेश पूजा में नारंगी एवं लाल रंग के वस्त्र वस्तुओं का विशेष महत्व है। लाल पुष्प अक्षत रोली कलावा या मौली दूध द

श्राद्ध रहस्य - श्राद्ध क्यों करे ? कब श्राद्ध नहीं करे ? पिंड रहित श्राद्ध ?

श्राद्ध रहस्य - क्यों करे , न करे ? पिंड रहित , महालय ? किसी भी कर्म का पूर्ण फल विधि सहित करने पर ही मिलता है | * श्राद्ध में गाय का ही दूध प्रयोग करे |( विष्णु पुराण ) | श्राद्ध भोजन में तिल अवश्य प्रयोग करे | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि - श्राद्ध अपरिहार्य - अश्वनी माह के कृष्ण पक्ष तक पितर अत्यंत अपेक्षा से कष्ट की   स्थिति में जल , तिल की अपनी संतान से , प्रतिदिन आशा रखते है | अन्यथा दुखी होकर श्राप देकर चले जाते हैं | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि इसको नहीं करने से पीढ़ी दर पीढ़ी संतान मंद बुद्धि , दिव्यांगता .मानसिक रोग होते है | हेमाद्रि ग्रन्थ - आषाढ़ माह पूर्णिमा से /कन्या के सूर्य के समय एक दिन भी श्राद्ध कोई करता है तो , पितर एक वर्ष तक संतुष्ट/तृप्त रहते हैं | ( भद्र कृष्ण दूज को भरणी नक्षत्र , तृतीया को कृत्तिका नक्षत्र   या षष्ठी को रोहणी नक्षत्र या व्यतिपात मंगलवार को हो ये पिता को प्रिय योग है इस दिन व्रत , सूर्य पूजा , गौ दान गौ -दान श्रेष्ठ | - श्राद्ध का गया तुल्य फल- पितृपक्ष में मघा सूर्य की अष्टमी य त्रयोदशी को मघा नक्षत्र पर चंद्र हो | - क

विवाह बाधा और परीक्षा में सफलता के लिए दुर्गा पूजा

विवाह में विलंब विवाह के लिए कात्यायनी पूजन । 10 oct - 18 oct विवाह में विलंब - षष्ठी - कात्यायनी पूजन । वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए - दुर्गतिहारणी मां कात्यायनी की शरण लीजिये | प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना के समय , संकल्प में अपना नाम गोत्र स्थान बोलने के पश्चात् अपने विवाह की याचना , प्रार्थना कीजिये | वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए प्रति दिन प्रातः सूर्योदय से प्रथम घंटे में या दोपहर ११ . ४० से १२ . ४० बजे के मध्य , कात्ययानी देवी का मन्त्र जाप करिये | १०८बार | उत्तर दिशा में मुँह हो , लाल वस्त्र हो जाप के समय | दीपक मौली या कलावे की वर्तिका हो | वर्तिका उत्तर दिशा की और हो | गाय का शुद्ध घी श्रेष्ठ अथवा तिल ( बाधा नाशक + महुआ ( सौभाग्य ) तैल मिला कर प्रयोग करे मां भागवती की कृपा से पूर्वजन्म जनितआपके दुर्योग एवं   व्यवधान समाप्त हो एवं   आपकी मनोकामना पूरी हो ऐसी शुभ कामना सहित || षष्ठी के दिन विशेष रूप से कात्यायनी के मन्त्र का २८ आहुति / १०८ आहुति हवन करिये | चंद्रहासोज्

कलश पर नारियल रखने की शास्त्रोक्त विधि क्या है जानिए

हमे श्रद्धा विश्वास समर्पित प्रयास करने के बाद भी वांछित परिणाम नहीं मिलते हैं , क्योकि हिन्दू धर्म श्रेष्ठ कोटी का विज्ञान सम्मत है ।इसकी प्रक्रिया , विधि या तकनीक का पालन अनुसरण परमावश्यक है । नारियल का अधिकाधिक प्रयोग पुजा अर्चना मे होता है।नारियल रखने की विधि सुविधा की दृष्टि से प्रचलित होगई॥ मेरे ज्ञान  मे कलश मे उल्टा सीधा नारियल फसाकर रखने की विधि का प्रमाण अब तक नहीं आया | यदि कोई सुविज्ञ जानकारी रखते हो तो स्वागत है । नारियल को मोटा भाग पूजा करने वाले की ओर होना चाहिए। कलश पर नारियल रखने की प्रमाणिक विधि क्या है ? अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए , उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै प्राची मुखं वित्त्नाश्नाय , तस्माच्छुभम सम्मुख नारिकेलम अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए कलश पर - नारियल का बड़ा हिस्सा नीचे मुख कर रखा जाए ( पतला हिस्सा पूछ वाला कलश के उपरी भाग पर रखा जाए ) तो उसे शत्रुओं की वृद्धि होती है * ( कार्य सफलता में बाधाएं आती है संघर्ष , अपयश , चिंता , हानि , सहज हैशत्रु या विरोधी तन , मन धन सर्व दृष्टि से घातक होते है ) उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै कलश पर -