वसंत पंचमी -दाम्पत्य सुखार्थी, विद्यार्थी के लिए वरदान।
(रति,कामदेव ,भगवती सरस्वती स्मरण पर्व )
ज्योतिष के आधार पर - कौन कौन करे?
कन्या,वृष ,मीन। राशि या लग्न या जिनके प्रचलित नाम के प्रथम अक्षर-व,ब,इ, ओ,द,प,थ,ठा,च,से प्रारंभ उनके लिए पंचमी का व्रत ,पूजा सरस्वती देवी की मनोबल,निर्णय क्षमता,वॉक सिद्धि,सफलता के लिए विशेष उपयोगी है।
दाम्पत्य सुख ,शांति सौभाग्य के लिए रति,कामदेव की पूजा स्मरण करें- रति स्मरण
शुभा रति: प्रकृतव्या वसंत उज्ज्वल भुषणा ।
नृत्य माना शुभा समस्त आभरणरयुता।
वीणा वादन शीला च माध कर्पूर चर्चिता।
कामदेव स्मरण-
काम देवस्तु कर्तव्यों रूपेण अप्रतिमो भुवि ।
अष्टबाहु: स कर्तव्य: शंख पद्म विभूषण: ।
चाप वाण करश्चेव मदादनचित लोचन :।
रति: प्रितिस्तथा शक्ति मर्द शक्तिसत्थ उज्ज्वला।
चतस्त्र स्तस्य कर्तव्या: पत्न्यो रूप मनोहरा:।
चतवारश्च करास्तस्य कार्या भार्यास्तनोपगा: ।
केतुश्च मकर: कार्य: पांच बाण मुखों महान ।
इस प्रकार पुष्प फल (स्वरूप, आकार, चित्र, मूर्ति आवश्यक नही) अर्पण करें, इससे गृहस्थ जीवन सुख मय होता है। ।
विद्या अधिष्ठात्री देवी सरस्वती- मंगल पर्व
प्रत्येक माह की शुक्ल और पंचमी को नागो की पूजा एवं कृष्ण पक्ष पंचमी को पितरों की पूजा का विधान है। माघ मास की पंचमी की अति महत्वपूर्ण है क्योंकि ज्ञान, स्मृति, विद्या ,निर्णय क्षमता ,विद्या के क्षेत्र प्रतियोगिता आदि अनेक बुद्धि संबंधित कार्य की समग्र देवी हैं। इसलिए इस पर्व पर विद्यार्थियों एवं परीक्षार्थियों को सरस्वती की वंदना करना चाहिए, जिससे वर्ष भर उनको बुद्धि विद्या ज्ञान के क्षेत्र में सफलता ,यश मिले ।प्रसिद्धि एवं मनोकामना पूर्ण हो ।
एक प्रसंग महाभारत में है ।
युधिष्ठिर द्वारा भगवान योगीराज कृष्ण से पूछा जाता है कि ,किस व्रत के करने से वाणी में मधुरता आती है? सौभाग्य मिलता है, विद्या कौशल प्राप्त होता है ?दांपत्य सुख में प्रेम और बंधु बांधव से विवाद वियोग नहीं होता है? दीर्घायु व्यक्ति होता है ।
भगवान कृष्ण के द्वारा उनको सारस्वत व्रत के विषय में ज्ञान देते हुए कहा गया कि, भगवती सरस्वती की प्रसन्नता से जीवन में सफलताएं प्राप्त होती हैं ।
मूल रूप से आद्या शक्तियों में लक्ष्मी सरस्वती एवं दुर्गा मानी गई है । सरस्वती से निवेदन करना चाहिए ।
आप अपनी लक्ष्मी में धारा दृष्टि गौरी पुष्टि प्रभा तथा मति 8 मूर्तियों के द्वारा मेरी रक्षा करें एवं हमेशा इस प्रार्थना को कर मौन होकर भोजन करें ।
प्रत्येक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी सौभाग्यवती स्त्रियों का भी पूजन करें ।सौभाग्यवती स्त्रियों को तेल चावल, घी दूध, स्वर्ण आदि भेंट करें
एवं "गायत्री प्रियताम" इस प्रकार कहे।
पर यहां पर प्रसंग माघ मास की बसंत पंचमी का है। इसको श्री पंचमी भी कहते हैं ।। पुराणों में लेख है -माघ शुक्ल पंचमी को अष्टदल या 8 पत्तियों का कमल आकार बनाएं । आगे गणेश जी और पीछे बसंत अर्थात जो गेहूं की बालियां रखें ।जल पूर्ण कलश में डंठल सहित इन को रखा जाए ।गणेश जी का पूजन करने के पश्चात रति और कामदेव की पूजा करें ।उन पर अबीर एवं पुष्प अर्पित करें ।
श्री कृष्ण भगवान के विभिन्न अंगों से देवी आद्या शक्ति प्रकट हुई ।श्री कृष्ण जी के कंठ से देवी सरस्वती प्रकट हुई ।राधा, पदमा, सावित्री ,दुर्गा ,भी हैं
सरस्वती के अनेक नाम है।ऋग्वेद के अनुसार-
वाग देवी शुभ गुणों की को देने वाली वसु रुद्र आदित्य आज सभी देवों की रक्षा करने वाली है।राष्ट्रीय भावना प्रदान करती हैं, एवं लोक हित के लिए कार्य करती हैं ।
ब्राह्मण ग्रंथों के अनुसार -सरस्वती देवी ब्रह्म सरूपा कामधेनु तथा समस्त देवों की प्रतिनिधि हैं ।
माघ शुक्ल पक्ष पंचमी को इनका आविर्भाव दिवस माना जाता है ।वागीश्वरी जयंती एवं श्री पंचमी भी कहा जाता है ।
सरस्वती देवी का बालक के अक्षर आरंभ या विद्यारंभ में भी महत्व है ।सरस्वती रहस्य, उपनिषद ,प्रपंचप्रसार ,शारदा तिलक ग्रंथों में सरस्वती के दिव्य स्वरूप एवं की प्रधानता का वर्णन विशेष रूप से उपलब्ध ।
महर्षि बाल्मीकि व्यास वशिष्ठ विश्वामित्र एवं सनक आदि ऋषि सरस्वती जी की साधना से ही कृतार्थ हुए
वेदोक्त-
श्रीम ह्रीम सरस्वतयै नमः ।( देवी भागवत)
अर्पण सामग्री- सत्व गुण वाली देवी को श्वेत रंग के पदार्थ, पुष्प,भोज्य अर्पण कसरत चाहिए जैसे दूध,दही, मख्खन, लाई, सफेद तिल के पकवान,गन्ना, गुड़,शहद श्वेत वस्त्र,चांदी,मूली,अदरख,श्वेत चंदन,शक्कर,चावल,घी,, सेंधा नमक युक्त भोज्य, केला की पिष्टी,नारियल आदि ।
महर्षि बाल्मीकि व्यास वशिष्ठ विश्वामित्र सनक आदि ऋषि सरस्वती की साधना से ही कृतार्थ हुए महर्षि व्यास को सरस्वती जी ने बाल्मीकि रामायण पढ़ने की प्रेरणा दी सरस्वती के "विश्व विजय कवच'" को धारण करने के पश्चात ही व्यास ,भरद्वाज, देवल ,जगीशव्य रिश्यश्रृंग ऋषियों ने सिद्ध पाई ।
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