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2021 प्राकृतिक एवं युद्धोन्मादी- आपदा विनाशक |





ज्योतिष शिरोमणि - पण्डित वी के तिवारी (9424446706, jyotish9999@gmail.com)
ज्योतिष उपाधि : वाचस्पति, भूषण, महर्षि, शिरोमणि, मनीषी, रत्नाकर, मार्तण्ड, महर्षि वेदव्यास 1990तक|
विशेषज्ञता :(1976 से अब तक) वास्तु, जन्म कुण्डली, मुहूर्त, रत्न परामर्श, हस्तरेखा, पंचांग संपादक |  

2021 प्राकृतिक एवं युद्धोन्मादी- महामारी वं 12राशिफल |

सूर्य तारे सहित अन्य सभी पांच ग्रह जिसमें प्रमुख शनि एवं गुरु हैं ।जो दीर्घकालिक प्रभाव डालते हैं। ग्रह , कोई भी अशुभ प्रभाव, उत्पात, उपद्रव विरोध ,विवाद, जन धन हानि, यह संक्रामक रोग अकेले देने में समर्थ नहीं होता हैं ।
   
इनको चाहिए  शुक्र या बुध ग्रह का सहयोग ।इन के सहयोग के बिना यह बड़े ग्रह भी कोई कष्ट व्याधि उत्पन्न करने में सफल नहीं हो सकते हैं।
  
बुध एवं शुक्र ग्रह कोई सामान्य ग्रह नहीं है। इनके प्रभाव अति विचित्र एवं किसी भी ग्रह को सहयोग देने में प्रबल होते हैं। यह बात अलग है ये संक्रमण rog,व्याधि, जान धन प्राण युद्ध  प्रारंभ नहीं कर सकते हैं। परंतु यह नहीं भूलिए उत्पात कर्ता ग्रह को सहमति सहयोग कर सकते हैं । किसी घटना रूपी इंजन को स्टार्टकरने की असीम अद्भुत क्षमता रखते हैं|
शुक्र ,बुध या मंगल प्रारंभ योगदान या सहयोग ही कर सकते हैं।सहयोग के बाद बड़े ग्रह उस पर नियंत्रण स्थापित कर दीर्घकालिक प्रभाव छोड़ते हैं।
 
शनि राहु इस प्रकार के ग्रह हैं जो किसी भी शुक्र बुध के प्रभाव विशेष तौर पर प्राप्त सहयोग को तत्काल ग्रहण कर अपना नियंत्रण स्थापित कर लेते हैं।
           
जब तक शुक्र या बुध विशेष परिस्थितियों में आकर इन ग्रहों को सहयोग नहीं करते हैं तब तक यह हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते हैं।
ज्योतिष सामान्य सिद्धान्त-सर्वप्रथम यह स्पष्ट है, कोई भी ग्रह अपनी राशि या अपने मित्र राशि  या उच्च राशि पर पूर्ण प्रभाव उत्पन्न करता है।
     
शनि विशेष तौर पर मकर , तुला एवं मीन पर अति अशुभ प्रभाव विश्वव्यापी करने में सफल होता है परंतु उसको राहु मिथुन वृषभ राशि पर सहयोग करें तो यह प्रबल जन धन हानि संक्रामक रोग को ओपन कर प्रतिकूल सिद्धियां बनाता है। वृषराशि का राहू भारत के लिए विशेष रूप से स्वतन्त्रता की कुंडली के अनुसार अशुभ होता है | प्रत्येक 18 वर्ष मे यह नहीं चूकता | यह दोनों ग्रह अवसर की तलाश में है कि जैसे ही शुक्र एवं बुध इनका सहयोग करें यह नियंत्रण स्थापित करें ।
मीन राशि पर भी शनि इसलिए प्रबल हानिकारक सिद्ध होता है क्योकि गुरु सौम्य शुभ, मांगलिक ,जीव कारक ग्रह है ।
शुभ ग्रह है, उसके घर पर शनि का अधिपत्य गुरु को शुभ फल प्रदान करने में करने से रोक देता है।
जैसा कि सभी जानते हैं कि, जब भी सूर्य गुरु की राशियों धनु और मीन पर आता है तो सभी स्थाई प्रकृति के शुभ काम बंद हो कर दिए जाते हैं।
क्योंकि गुरु शुभ फल देने में असमर्थ हो जाता है ।
शनि इस दृष्टि से और भी अधिक घातक होता है क्योंकि सूर्य एक 1 महीने ही अशुभ फलों को रोकता है ।
जबकि शनी ढाई वर्ष के लिए अशुभ फल प्रतिबंधित कर देता है।
 
विश्वव्यापी अशुभ प्रभाव उत्पन्न करता है। यह मेरे विगत 50 वर्ष का अनुभव है जो मेरा सत्य नहीं वरन् ज्योतिष के मनीषियों  ने सदियों पूर्व प्रतिपादित किया है।
    
शनि ग्रह की गति उसकी राशि मकर एवं उदय अस्त आदि पर दृष्टि डालें ।विचार करे। विश्व के लिए यह क्या स्थिति बनाना चाहता है। इसका अवलोकन करें तो यह ज्ञात होता है कि   


शनि-तुला मीन एवं मकर पर इसके विशेष अशुभ प्रभाव देखे गए हैं। कुम्भ इसकी राशि है इस आधार पर विश्व के लिए 2024 तक शनि जो कि 2019 के अंतिम काल  से विशिष्ट सक्रिय है, |

शनि-अपनी राशि पर तथा छाया मित्र राहु मिथुन और वृष राशि पर होने के कारण विश्वव्यापी संकट ,संक्रामक  नए-नए रोग एवं जन हानि के लिए कटिबद्ध है एवं रहेगा

इस वर्ष 13 दिन का पक्ष सितंबर में पूरे एक वर्ष तक अनिष्टकारक़ सहयोगी बन रहा है।

   शनि राहु इस वर्ष -

1-व्यक्ति,संस्थान,देश,प्रदेश जिनके नाम का प्रथम  अक्षर
, क,घ, छ, त, ई, उ,ए, ओ,,न, ज़,ख होगा उनके लिए प्रतिकूलता रखेगा।
विशेष र, त, ,ज,ख, ई अक्षर युक्त नाम विश्व को भी प्रभावित करेंगे।शुक्र राशि के अक्षर व या ब,र या त विशेष पीड़ित एवं विश्व की पीड़ित कर सकते हैं |
2-घटना प्रधान शनिवार,रविवार दिन,शुक्रवार रात्रि होंगे।
3-भारत के  प्रमुख व्यक्तियों के लिए 2022अंत तक विशेष अशुभ स्थिति राहु के सहयोग शनि बना रहा है।
4-वाहन एवम् वाहन चालकों के लिए अति वक्र दृष्टि शनि की है जिसे वाहन कारक शुक्र का भरपूर सहयोग मिलेगा।

जनवरी द्वितीय सप्ताह से 2022 की प्रथम तिमाही तक--
     
1-    शनि ग्रह विभिन्न राष्ट्रों में राजनैतिक परिवर्तन या शीर्ष नेतृत्व में परिवर्तन।
पर्वतीय क्षेत्र तथा उनके निवासियों के लिए कष्ट हानि।
2-पर्वतीय पहाड़ी जीव जंतुओं के लिए कष्टदायक।
3-विभिन्न राष्ट्रों के शासकों में संघर्ष, देश प्रदेश राजनीतिक उलटफेर, पतन या परिवर्तन ।

4-विभिन्न धातु के मूल्यों में वृद्धि के लिए कटिबद्ध है ।
  
5-   विशेष रुप से 22 जनवरी के पश्चात यह नगर प्रदेश देश के प्रमुख वर्ग के लिए विरोधी एवं हानि प्रद स्थितियां निर्मित करेगा।
     
जैसे राज्यपाल ,राष्ट्रपति, देश प्रदेश या नगर के प्रधान व्यक्तियों या विभाग के शीर्ष अधिकारियों के लिए यह अनिष्ट कारी स्थितियां निर्मित करने के लिए तत्पर है। कटिबद्ध है यह प्रजा की हानि या उनके नाश के लिए राहु के साथ विभिन्न प्रकार के रोग भी उत्पन्न करेगा |

6-विशेष रुप से जल जीव तथा जल के किनारे वाले देश प्रदेशों के लिए भी प्राकृतिक प्रकोप कार्य सिद्ध होगा ।
7-मित्र राष्ट्रों के लिए भी प्रश्न चिन्ह वाले योग बनाएगा।
परंतु शनि प्रतिदिन या प्रतिमाह अपनी कारगुजारी में सफल नहीं होगा, जब तक कि इसको शुक्र, बुध या मंगल के द्वारा विशेष सहयोग प्राप्त ना हो।

इस लेख मे केवल शुक्र जो शनि का परममित्र है ,का ही विवरण प्रस्तुत -
शुक्र ग्रह सुख ,सुविधा ,ऐश्वर्य ,सौंदर्य का कारक है परंतु यह भी शनी को सहयोग करने के लिए तत्पर रहता है क्योंकि शनि का इससे बढ़ कर परम मित्र कोई ग्रह नहीं है।
  
शुक्र ग्रह द्वारा मित्र न्यायाधीश शनि को वर्ष 2021 में सहयोग निम्नानुसार किया जाएगा     -
25
जनवरी से 20 अप्रैल ,

- जनवरी से अप्रैल के मध्य |

-जून मध्य से जुलाई  द्वितीय सप्ताह तक ।

-अगस्त सितंबर माह में सहयोग  किया जाएगा ।


   
जन समूह या समुदाय के लिए आपत्ति विपत्ति कारक।      
         
जल प्राणी, समुद्र तट के देश के लिए विशेष अनिष्टकर सहयोग शनि को प्रदान करेगा।   वायु ,प्राकृतिक प्रकोप फरवरी ,अग्नि विस्फोटक-अप्रेल |
         
अप्रैल-मई में
यह मुस्लिम वर्ग के लिए विशेष अशुभ होगा ।
      
जुलाई से अक्टूबर
           देशप्रदेश प्रमुख ,विभाग प्रमुख ,रक्षा से जुड़े वर्ग, व्यापारी वर्ग के लिए  अधिक प्रतिकूल स्थिति निर्मित करेगा।
    
आतंकवादी ,उत्पाती देशों एवम् व्यक्तियों,संघटन को प्रबल हानि होगी।
     
सितंबर माह से प्राकृतिक प्रकोप से मृत्यु के अवसर बढ़ेंगे।
    भारत के लिए भी अगस्त सितंबर अनुकूल नहीं है ।
  
-   अक्टूबर माह में विश्वव्यापी स्तर पर भी विभिन्न प्रकार के रोग और कष्ट प्रजा जनों को प्रदान करने में शनि का सहयोग शुक्र ग्रह करेगा।    
       
प्राकृतिक प्रकोप वायु, वर्षा, पित्त रोग मनुष्य में संघर्ष आदि के लिए भी यह समय समय पर वर्ष में शनि का सहयोग करने वाला है।


मेष-

    इससे आपको काम - धंधे व जीवन के अन्य क्षेत्रों में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है ।  व्यापारियों व व्यवसायियों को इस दौरान हानि झेलनी पड़ सकती है ।
 यदि आप कृषि व्यवसाय से जुड़े हैं तो नुकसान से बचने के उपाय करें । आपमें से कुछ अपना व्यवसाय अथवा कार्य क्षेत्र बदलने के विषय में सोच सकते हैं । आपमें से कुछ को नौकरी मिल सकती है परन्तु इस विशेष समय में कार्य करने में कठिनाई आएगी ।
आप और आपके मालिक के बीच परस्पर विरुचि की भावना पनप सकती है । गुप्त शत्रुओं से सावधान रहें ।  आमदनी से अधिक व्यय आपको निर्धनता के कगार पर लाकर खड़ा कर सकता है । ऋण लेने से बचें । 
 स्वास्थ्य की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है ।
अपने घुटनों व छाती की सही देखभाल करें । आपके माता - पिता बीमार हो सकते हैं ।
यात्रा का योग है ।  आपमें से कुछ में पाप प्रवृत्ति में लिप्त होने की तीव्र इच्छा पनप सकती है । समाज में अपना मान व प्रतिष्ठा बनाए रखें ।

वृष-

आपके कार्यक्षेत्र के लिए यह समय कठिनाईपूर्ण है ।
आपका स्थानान्तरण हो सकता है व कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए अतिरिक्त परिश्रम करना पड़ सकता है । शत्रुओं व अपने नीचे काम करने वाले सहयोगियों से सावधान रहें क्योंकि वे आपको इस समय धोखा दे सकते हैं ।
 किसी भी ऐसी बात से बचें जिसके कारण आपको अपनी कार्यस्थली अथवा समाज में बदनामी मिले। मनवांछित लाभ पाने में और सामान्य दिनों से अधिक समय लग सकता है । 
 वित्त के प्रति भी सावधानी बरतनी पड़ेगी । इस दौरान आपके फिजूलखर्ची करने की संभावना है । आपमें से कुछ इसके लिए अतिरिक्त आय भी करेंगे परन्तु अनेक बाधाओं का सामना भी करना पड़ सकता है ।  
मुकदमेबाजीआपराधिक गतिविधियों व धर्मविरोधी कृत्यों से दूर रहें । 
स्वास्थ्य की ओर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है । मानसिक रुप से आप पत्नी / पति व बच्चों के कारण व अन्य कारणों से भी अशान्त      व व्यथित रह सकते हैं ।
मिथुन

काम-काजव्यवसायव्यापार व किसी भी कार्यक्षेत्र विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है । इस समय आप बुरी लतजुआ व कुसंगति की ओर आकर्षित हो सकते हैं आपमें से कुछ संसार त्यागने का मानस भी बना सकते हैं ।
  यात्रा का योग है । इस समय वित्त के प्रति सावधानी बरतें व व्यय पर लगाम कसें ।  
स्वास्थ्य इन दिनों चिन्ता का कारण बन सकता है आपको परिवार को भी विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है ।
ग्रहों की परिवर्तनशीलता के कारण परिवार के सदस्यों को कठिनाईपूर्ण परिस्थितियों से गुजरना पड़ सकता है । अपने निकट व अंतरंग व्यक्तियों से तर्क - वितर्क न करें क्योंकि परिवार में नए शत्रु बन सकते हैं । 

कर्क-

    जो भी होऋण लेने से बचें क्योंकि इस ऋण से मुक्ति मिलने में अत्यधिक समय लग सकता है ।  काम - धंधे में भी अपनी ओर से और अधिक परिश्रम करना पडेगा । अपने गन्तव्य तक पहुँचने के लिए और अधिक दूरी तय करनी होगी ।
यदि आप साझेदारी में धंधा करते हैं तो छद्मवेशी धोखेबाजों से सावधान रहें ।  यदि सेवारत हैं या किसी पद पर हैं तो उसकी गरिमा बनाए रखेंऐसा कुछ न करं जो वह छिन जाय ।  
विद्यार्थियों को एकाग्रता से पढ़ाई करने में कठिनाई हो सकती है ।  आपमें से कुछ इस दौरान विदेश जाएँगे ।
 स्वास्थ्य पर ध्यान देने की आवश्यकता है । परिवार के स्वास्थ्य का ध्यान रखें   घर पर शान्ति व सामन्जस्य बनाए रखना आवश्यक है ।
मित्रता को पूर्णतया विकसित होने दें और मित्रों से अच्छा सामन्जस्य बनाए रखें ।
 किसी भी प्रकार के मुकदमे आदि से दूर रहना बुद्धिमानी होगी । यह मुकदमा अथवा चुना लड़ने हेतु अच्छा समय नहीं है ।  

सिंह-

    यह मुख्य रुप से धन लाभ का सूचक है । इस दौरान आप समस्त बिलऋण व शुल्क आदि चुका देंगे । धन सरलता से और आशा से अधिक प्रचुर मात्रा में आएगा । आप भूखण्ड अथवा मकान क्रय कर सकते हैं
समय शत्रुओं को हराकर विजय प्राप्त करने का है । स्वास्थ्य अच्छा रहेगा और आप शान्ति अनुभव करेंगे। व्यावसायिक व सामाजिक दृष्टि से भी आपके लिए अच्छा समय है । आपमें से कुछ के अधिकारी विशेष रुप से आपका समर्थन करेंगे ।
मित्र भी अभूतपूर्व सहायता करेंगे व सहानुभूति दर्शाएँगे ।  विवाहित व्यक्तियों का दाम्पत्य जीवन सुखमय व प्रेममय होगा और प्रेमियों को परस्पर अनेक भावनात्मक क्षण व्यतीत करने को मिल सकते हैं जो शिशु की इच्छा रखते हैं उन्हें संभव है कि इस समय परिवार में नए सदस्य का स्वागत करने का सुअवसर मिले । आपको ग्रहों के परिवर्तन के कारण आपके सम्बन्धी भी सुखी रहेंगे । 

कन्या-

इस दौरान आप देखेंगे कि आप प्रक्रियाओंअपने ही सगे सम्बन्धियों व अन्य लोगों से झगड़े - फसाद व विवाद में उलझ गए हैं ।
अपने व्यवहार को संयत रखें क्योंकि उतावलापन समाज में आपकी मान मर्यादा को मिटा सकता है।  वित्तीय मामलों में सावधानी बरतें ।  कामकाज के भी सही संचालन की आवश्यकता है । व्यवसायी नया धंधा हाथ में न लें और हानि उठाने को तैयार रहें ।
 यदि आप निवेश या शेयर बाजार में हैं तो वर्तमान स्थिति संतोषजनक नहीं है । कुछ भी नया आरम्भ न करें क्योंकि मनवांछित परिणाम मिलने की आशा नहीं है ।  
आपकी पत्नी / पति व बच्चों के स्वास्थ्य को विशेष देखभाल की आवश्यकता है । यदि आप विवाहित हैं तो जीवन साथी के प्रति विमुखता उत्पन्न हो सकती है ।
घर में सुख - चैन बनाए रखने हेतु आपको कुछ प्रयास करना पड़ेगा । विद्यार्थियों को पढ़ाई अरुचिकर लगने की संभावना है । 

    तुला-

यह कठिन समय है । जीवन के अन्य पत्तों के अतिरिक्त वित्त व्यवस्था सही ढ़ंग से सम्भालनी होगी । जितना सम्भव होऋण व्यय व पैसे की बर्बादी से बचें । आप में काम - धंधे के प्रति उत्साहहीनता आ सकती है ।
आपमें से कुछ को अपने कामकाज के प्रति अरुचि के कारण अपने वरिष्ठ व उच्च अधिकारियों का क्रोध झेलना पड़ सकता है । आपमें से कुछ का इस दौरान अन्य जगह स्थानान्तरण भी हो सकता है ।  सामाजिक दृष्टि से भी यह अच्छा समय नहीं है ।
 अपनी लोकप्रियता बनाए रखने के लिए विशेष प्रयत्नशील रहें । ऐसे क्रिया कलापों से बचें जिनमें अपमान होने का भय हो ।  स्वास्थ्य पर ध्यान केन्द्रित करने की आवश्यकता है । आपमें से कुछ अकर्मण्यताउदर रोगबादी (वायु रोग) अथवा अन्य छोटी - मोटी व्याधियों से ग्रस्त हो सकते हैं शत्रुओं के साथ विवाद से दूर रहें ।
आपमें से कुछ को मित्रों व शुभचिन्तकों से अलग होना पड़ सकता है ।   इस दौरान संभव है अपने परिवार और सम्बन्धियों में आपके कुछ नए शत्रु बनें। इन दिनों छद्मवेशी शत्रुओं से सावधान रहें ।  फिर भीआपमें से कुछ घर में नवजात शिशु के आने की आशा कर सकते हैं । 

वृश्चिक-

    यह शुभ समय का संकेत है । यह आपके कार्य क्षेत्र के लिए व वित्त हेतु उत्तम समय है । आपमें से अधिकांश अनेक प्रकार से धनोपार्जन करेंगे । इन दिनों आरम्भ किया गया कोई भी व्यापारपरियोजना या काम - धंधा निश्चित रुप से सफल होगा ।  
 कृषि से जुड़े हुए हैं तो यह विशेष रुप से शुभ समय है तथा अपने अपने कार्य में आपको विशेष लाभ होगा ।  आपमें से कुछ इन दिनों भूमि अथवा अन्य अचल सम्पत्ति क्रय करने के विषय में सोच सकते हैं ।
 कुल मिलाकर धन सम्बन्धी मामलों में यह अच्छा व शुभ समय है ।  यदि आप बेरोजगार हैं तो भाग्य आपका द्वार अवश्य खटखटाएगा और आपके सन्मुख कई लाभप्रद नौकरियों / कार्यों का प्रस्ताव होगा । जो सेवारत है उन्हें वेतन वृद्धिउच्च पद व अधिकार मिल सकते
स्वास्थ्य अच्छा रहेगा और आपको लगेगा कि आपके पैरों में शक्ति व उत्साह के पंख लगे हुए हैं । घर पर भी पूर्णतया सुख - चैन का वातावरण होगा । आपकी पत्नी / पति और अधिक प्रेममय व समर्पित रहेंगी / रहेंगे व आपको दाम्पत्य जीवन का पूर्ण आनन्द प्राप्त होगा । आपके भाई - बहनों व बच्चों का व्यवहार अच्छा होगा व वे कार्य में सहायक होंगे । 
 शत्रुओं की पराजय होगी व आप पर भाग्यलक्ष्मी की कृपा होगी । आपमें से कुछ को यात्रा करनी पड़ सकती है । 

धनु-

यह सामान्य रुप से आपके लिए कठिन समय है । आपमें से अधिकांश को अपने लक्ष्य व परियोजना के मनवांछित परिणाम नहीं मिलेंगे । यदि आप सेवारत हैं अथवा किसी व्यवसाय में हैं तो सावधानी से एक एक कदम बढ़ाएँछलाँग न लगाएँ क्योंकि समय अनुकूल नहीं है ।  यह समय वित्तीय दृष्टि से भी प्रतिकूल है । अपने खर्चों पर लगाम कसें व कारण खोजें कि आपका धन कहाँ जा रहा है घ् आपमें से कुछ अनेक स्त्रोतों से धन अर्जित कर सकते हैं परन्तु वह धन हाथ में रखना कठिन होगा ।
पैत्रिक सम्पत्ति से सम्बन्धित किसी भी प्रकार के विवाद से दूर ही रहें क्योंकि यह आपके सुखी जीवन व आत्मगौरव को ठेस पहुँचा सकते हैं । इस विशेष समय में आप व्यर्थ के झगड़ों में पड़कर नए शत्रु बना सकते हैं । ।  स्वास्थ्य का इस समय सही रुप से ध्यान रखें ।
आपमें से कुछ इन दिनों विदेश जा सकते हैं जबकि कुछ के निरुद्देश्य इधर - उधर भटकने की संभावना है । 

मकर-

व्यर्थ के खर्चे व अनावश्यक ऋण से बचें क्योंकि यह और अधिक ह्रास का कारण बन सकता है ।  व्यक्तिगत रुप से आप निराशावादी हो सकते हैं व बाहर से आपका व्यक्तित्व अप्रियकर हो सकता है । आपमें से कुछ पूर्व निश्चित् उद्देश्यों को पूर्ण करने में कठिनाई महसूस कर सकते हैं । इन वस्तुओं से स्वास्थ्य को खतरा है अत: दूर रहने की चेष्टा करें ।
आपकी पत्नी/पति को भी शारीरिक पीड़ादर्द अथवा बेचैनी हो सकती है ।
इस समय काफी मानसिक व्यथाएँ भी हो सकती है ।  अपनी प्रतिष्ठा व मान बनाए रखने हेतु यह एक चुनौतीपूर्ण समय है अत: ऐसे क्रियाकलापों से बचें जो इन पर प्रभाव डाल सकते हैं ।
  इन दिनों यात्रा करनी पड़ेगी । आपको सुदूर स्थानों पर जाना पड़ सकता है तथा आपका स्थानान्तरण विदेश में हो सकता है ।
घर में सुख शान्ति बनाए रखिए । इस विशेष समय में आपके अपने भाई - बहनों व उनकी पत्नियों / पतियों से झगड़ा हो सकता है । अपनी पत्नी / पति व बच्चें से भी कोई अप्रिय बात न करें व उन्हें जीवन को खतरे में डालने वाली वस्तुओं से दूर रखें ।
मित्रता अमूल्य निधि है जिसे शनि की यह गति विपरीत रुप से प्रभावित कर सकती है अत: मित्रों व मित्रता को सुरक्षित रखें
कुम्भ-

    यह धन की कमी व वित्तीय रेखा के नीचे की ओर आने का द्योतक है । इस समय व्यर्थ के व्यय व धन बर्बाद करने का खतरा है । यदि आप कृषि अथवा कृषि उत्पादों से सम्बद्ध कार्य करते हैं तो विशेष सावधानी बरतें कि हानि न हो ।
 भोजन - सामग्री भण्डार में संचित कर लें क्योंकि कठिनाई के समय इसकी आवश्यकता पड़ सकती है ।  स्वास्थ्य पर ध्यान देने की आवश्यकता है आपके पैरों व नेत्रों को विशेष देखभाल की आवश्यकता है ।
  काम - धंधे पर भी ध्यान दें । काम - काज में अपनी प्रतिष्ठा बनाए रखने के प्रति सावधान रहें । आपमें से कुछ को अपने कार्य स्थल पर नेकनामी व पद बनाए रखने में कठिनाई आ सकती है । आपमें से कुछ को अपना धंधा या व्यापार बदलना पड़ सकता है । 
 यात्रा का योग है । आपमें से अधिकांश को विदेश यात्रा करनी पड़ सकती है व परिवार से दूर रहना पड़ सकता है । परन्तु अधिकतर व्यक्तियों के लिए यह यात्रा महंगी पड़ेगी । 
 घर में शान्ति बनाए रखना आवश्यक है क्योंकि आप स्वजनों से विवाद में पड़ सकते हैं ।
मीन-

    यह आपके लिए शुभ समय है । वित्तीय रुप से समय बहुत अच्छा है । चाहे आप व्यापार में हों या किसी व्यवसाय मेंआपको अप्रत्याशित लाभ होने की संभावना है ।
यह धन लाभ आपके लिए आनन्द व और अधिक लाभ प्राप्त करने के अवसर लेकर आएगा । आपके हर प्रकार के प्रयास सफल होंगे व परियोजना के मनवांछित परिणाम प्राप्त होंगे । इस समय विशेष में जायदाद प्राप्त होने की भी संभावना है ।
जो व्यक्ति गृह निर्माण सामग्रीकोयलाचमड़े आदि का व्यवसाय करते हैंवे अपने - अपने व्यापार में और भी अधिक मुनाफे की आशा रख सकते हैं ।
यदि आप सेवारत हैं तो पदोन्नति की संभावना है । उच्च शिक्षा हेतु यह समय शुभ है । यह आपके सोच को और भी उद्यमशील बनाने का समय है ।  सामाजिक जीवन भी संतोष प्रद रहेगा । समाज में आपका मानस्तर व प्रतिष्ठा बढ़ने की संभावना है ।
आपमें से कुछ को समाज द्वारा विशिष्ट पुरस्कार से सम्मानित किया जा सकता है ।  
यदि आप विवाहेच्छुक हैं तो आपको मनपसन्द साथी मिल सकता है व विवाह हो सकता है । आपके मित्र आपके सहायक होंगे व नए मित्र बन सकते हैं । आपके मालिक व सहयोगियों का आपके प्रति व्यवहार सकारात्मक होगा । पत्नी / पति व बच्चे सुख प्राप्ति के स्त्रोत होंगे । आप परिवार की मनोकामना पूर्ण करने वाली वस्तुएँ प्राप्त करेंगे । स्वास्थ्य अच्छा रहेगा । 
श्रीशनि अष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् ॥*
शनि बीज मन्त्र - 
॥ ॐ प्राँ प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः॥
शनैश्चराय शान्ताय सर्वाभीष्ट प्रदायिने । शरण्याय वरेण्याय सर्वेशाय नमो नमः ॥ १॥
सौम्याय सुरवन्द्याय सुर लोकविहारिणे । सुखासन पविष्टाय सुन्दराय नमो नमः ॥ २॥
घनाय घन रूपाय घनाभरण धारिणे । घनसार विलेपाय खद्योताय नमो नमः ॥ ३॥
मन्दाय मन्द चेष्टाय महनीय गुणात्मने । मर्त्य पावन पादाय महेशाय नमो नमः ॥ ४॥
छाया पुत्राय शर्वाय शर तूणीर धारिणे । चर स्थिर स्वभावाय चञ्चलाय नमो नमः ॥ ५॥
नील वर्णाय नित्याय नीलाञ्जन निभाय च । नीलाम्बर विभूषाय निश्चलाय नमो नमः ॥ ६॥
वेद्याय विधि रूपाय विरोधा धार भूमये । भेदास्पद स्वभावाय वज्र देहाय ते नमः ॥ ७॥
वैराग्यदाय वीराय वीत रोग भयाय च । विपत्परम्परेशाय विश्व वन्द्याय ते नमः ॥ ८॥
गृध्न वाहाय गूढाय कूर्माङ्गाय कुरूपिणे । कुत्सिताय गुणा ढ्याय गोचराय नमो नमः ॥ ९॥
अविद्या मूल नाशाय विद्याऽविद्या स्वरूपिणे । आयुष्य कारणायाऽपदुद्धर्त्रे च नमो नमः ॥ १०॥
विष्णु भक्ताय वशिने विविधागम वेदिने । विधि स्तुत्याय वन्द्याय विरूपाक्षाय ते नमः ॥ ११॥
वरिष्ठाय गरिष्ठाय वज्राङ्कुश धराय च । वरदा भय हस्ताय वामनाय नमो नमः ॥ १२॥
ज्येष्ठा पत्नी समेताय श्रेष्ठाय मितभाषिणे । कष्टौघनाश कर्याय पुष्टिदाय नमो नमः ॥ १३॥
स्तुत्याय स्तोत्र गम्याय भक्ति वश्याय भानवे । भानुपुत्राय भव्याय पावनाय नमो नमः ॥ १४॥
धनुर्मण्डल संस्थाय धनदाय धनुष्मते । तनु प्रकाश देहाय तामसाय नमो नमः ॥ १५॥
अशेषजन वन्द्याय विशेष फल दायिने । वशीकृत जनेशाय पशूनाम्पतये नमः ॥ १६॥
खेचराय खगेशाय घननील म्बराय च । काठिन्य मानसाया ऽर्यगण स्तुत्याय ते नमः ॥ १७॥
नीलच्छत्राय नित्याय निर्गुणाय गुणात्मने । निरामयाय निन्द्याय वन्दनीयाय ते नमः ॥ १८॥
धीराय दिव्यदेहाय दीनार्ति हरणाय च । दैन्य नाश करायाऽर्यजन गण्याय ते नमः ॥ १९॥
क्रूराय क्रूर चेष्टाय काम क्रोध कराय च । कळत्र पुत्र शत्रुत्व कारणाय नमो नमः ॥ २०॥
परिपोषित भक्ताय पर भीति हराय । भक्त सङ्घमन ऽभीष्ट फलदाय नमो नमः ॥ २१॥
इत्थं शनैश्चरायेदं नांनाम ष्टोत्तरं शतम् । प्रत्यहं प्रजपन्मर्त्यो दीर्घम युरवाप्नुयात् ॥
ॐ शं शनैश्वराय नम:*
अर्थ-
है शनैश्चर देव - धीरे- धीरे चलने वाले हैं |,शांत रहने वाले हैं |
सभी इच्छाओं को पूरा करने वाले हैं |शरण्य- रक्षा करने वाले हैं |
सबसे उत्कृष्ट,सारे जगत के देवता सौम्य- स्वभाव वाले हैं |
सुरवन्द्य- सबके, देवताओं से भी  पूजनीय,सुरलोक मे भ्रमण करने वाले हैं |
सुख आसान पर बैठने वाले,सुन्दर , बहुत सशक्तशाली,कठोर रूप वाले, हैं |
लोहे के आभूषण पहनने वाले,कपूर के लेप करने वाले हैं |

जुगनू वत,मंद-मंद रोशनी,धीमी गति , धीरे से घूमने एवं महान गुणों वाले हैं |
देवो के देव आपके चरण पूजनीय हैं |छाया के बेटा, पीड़ा दायी, सौ तीरों के  धारण कर्ता,
अनवरत , या व्यवस्थित रूप से चलने वाले वाले हैं |
अटल ,कभी ना हिलने वाले,नीले रंग के , नीला अंजन ,नीले परिधान में प्रिय,अनन्त एक काल तक,रोगोपचारी,सब कुछ जानने वाले हैं |
पवित्र उपदेश,जमीन की बाधाओं का शमन कर्ता हैं |प्रकृति का पृथक्करण करने वाले हैं |
वज्र शरीर , वैराग्य के दाता,वीर ,डर और रोगों से मुक्त,दुर्भाग्य के देवता,सबके द्वारा पूजे जाने वाले हैं |
गिद्ध की सवारी , छुपा कछुए जैसे शरीर वाले,असाधारण कुत्सित रूप परंतु भरपूर गुणों वाले हैं ||गतिमान,अनदेखा करने वालो के नाश, करने वाले हैं |
आप विष्णु के भक्त ज्ञान प्रद,आयुष्यकारी ,दुर्भाग्य नाशक,सर्व शास्त्रज्ञ,पवित्र अन से पूजनीय
आदरणीय ,उत्कृष्ट विरूपाक्ष कई नेत्रों वाले हैं |
छोटे आकार के ,वज्र-अंकुश रखने वाले,शरणागत को अभयप्रद,ज्येष्ठ आयु पत्नी के पति,
श्रेष्ठ ,मितभाषि,कष्टो के  हारी,सौभाग्य के दाता,सस्तुति करने योग्य, स्तुति से प्रसन्न,भक्ति वश्य हैं |
भानु के पुत्र ,तेजस्वी आकर्षक, पवित्र धन प्रद,धनुमंडल वासी, धनुष्मत् विशेष आकार वाले
मनुष्यों ,जानवरों,पक्षियों के देवता ,प्रकाशवान शरीर ,तामसी प्रकृती,,सजीव द्वारा पूजनीय, विशेष फल दायक हैं |
गहरानीला वस्त्र पहनने वाले, निष्ठुर स्वभाव , आर्य पूजक, नीला छ्त्र धारी,निरोगी, निंदक,निर्गुण, गुणी, दृढ़निश्चयी न्दनीय,धीर,दीन दुखी के कष्ट मोचक हैं |
आर्यजनगण्य ,क्रूर , दंड देने वाले , काम और क्रोध का दाता, पत्नी और बेटे मे मतभेद्क, भक्तों द्वारा पोषित,भय,चिंता को दूर करने वाले भक्तों के मन की इच्छा पूरी करने वाले।


First Time in world-May Don’t get any where-
1-LiFe-Gita- Do’s &Don’s-
Know Yours-Best & worst day,color,Period
2-Don’t take risk-while you may get-
New Compability -Match Method-
Match by Navmansh and Lagn nakshtr part  
 (30points Instead of 08 Ashtkoot method)


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श्राद्ध क्यों कैसे करे? पितृ दोष ,राहू ,सर्प दोष शांति ?तर्पण? विधि             श्राद्ध नामा - पंडित विजेंद्र कुमार तिवारी श्राद्ध कब नहीं करें :   १. मृत्यु के प्रथम वर्ष श्राद्ध नहीं करे ।   २. पूर्वान्ह में शुक्ल्पक्ष में रात्री में और अपने जन्मदिन में श्राद्ध नहीं करना चाहिए ।   ३. कुर्म पुराण के अनुसार जो व्यक्ति अग्नि विष आदि के द्वारा आत्महत्या करता है उसके निमित्त श्राद्ध नहीं तर्पण का विधान नहीं है । ४. चतुदर्शी तिथि की श्राद्ध नहीं करना चाहिए , इस तिथि को मृत्यु प्राप्त पितरों का श्राद्ध दूसरे दिन अमावस्या को करने का विधान है । ५. जिनके पितृ युद्ध में शस्त्र से मारे गए हों उनका श्राद्ध चतुर्दशी को करने से वे प्रसन्न होते हैं और परिवारजनों पर आशीर्वाद बनाए रखते हैं ।           श्राद्ध कब , क्या और कैसे करे जानने योग्य बाते           किस तिथि की श्राद्ध नहीं -  १. जिस तिथी को जिसकी मृत्यु हुई है , उस तिथि को ही श्राद्ध किया जाना चाहिए । पिता जीवित हो तो, गया श्राद्ध न करें । २. मां की मृत्यु (सौभाग्यवती स्त्री) किसी भी तिथि को हुईं हो , श्राद्ध केवल

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