व्रत धर्म दान आदि को सही समय पर क्यों न करे ? |
त्रुटी पूर्ण प्रकाशित केलेंडर ,पंचांग का बहिष्कार क्यों न करे ?
धर्म शिरोमणि शंकराचार्यजी की स्वीकृति का पालन क्यों न करे ?
15 जनवारी को उत्तरायन नहीं ,दिन छोटे रात बड़ी होना प्रारम्भ नहीं , सूरी की परम दक्षिण क्रांति नहीं ।प्रमाण-मकर एवं कर्क रेखा | 22 संक्रांति/23 दिसंबर को उत्तरायन पंचांगों का अधिकांश लिख रहा | मकर संक्रांति ओर उत्तरायन एक साथ शर्त|
सुविज्ञ शिक्षित हम ,वैज्ञानिक युग मे सत्य को अनदेखा क्यों करे?*हमारे व्रत आदि अयन आधारित हैं (उत्तरायन,दक्षिनायन ),ऋतु अयन पर आधारित ,ऋतु विशेष मे पर्व विशेष,15 जनवरी को इनमे से कोई शर्त लागू नहीं ,कोई खगोलीय घटना नहीं,फिर बिना आयन के निरयण आधारित मकर संक्रांति पर्व का ओचित्य क्या ? वेद पुराण के नियमों की अवलेलना का ओचित्य क्या ?
सुविज्ञ शिक्षित हम ,वैज्ञानिक युग मे सत्य को अनदेखा क्यों करे?*हमारे व्रत आदि अयन आधारित हैं (उत्तरायन,दक्षिनायन ),ऋतु अयन पर आधारित ,ऋतु विशेष मे पर्व विशेष,15 जनवरी को इनमे से कोई शर्त लागू नहीं ,कोई खगोलीय घटना नहीं,फिर बिना आयन के निरयण आधारित मकर संक्रांति पर्व का ओचित्य क्या ? वेद पुराण के नियमों की अवलेलना का ओचित्य क्या ?
आज12,13,14 ओर 15 जनवरी एक दिन आएगाया जुलाई दक्षिणायन मे आने वाली पीढ़ी मनाएगी |
प्रमाण -
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2-अयनस्योत्तर स्यादौ मकारम याति भास्कर: A तत कुम्भ च मीनम च राशे राश्यांतरद्विज: AA
(विष्णु पुराण-उत्तरायण के साथ सूर्य का मकर राशी में प्रवेश होता हैA)दिन छोटे रात्रि बड़ी होना प्रारम्भ |
3-उदगयन मकरादों ऋतव: शिशिराद्याश्च सुर्यवशातA(वराहमिहिर-उत्तरायण होते ही सूर्य मकर संक्रांति तथा शिशिर ऋतुसूर्य के कारण होते है A
4-भारत शासन की1955 केलेंडर रिफार्म कमेटी –पेज 260
-“निरयन पद्दति वाले पंचांगकार यदि ये समझते हैं कि वे धर्म का अनुसरण कर/करा रहे हैं ,तो वे भूल कर रहे हैं A वे तो हिन्दू जनो को अधर्म पालन के लिए विवश कर रहे हैं A
5-“ज्योतिष विवेक” पुस्तक के लेखक आचार्य पूज्यपाद श्री ब्रहमानंद सरस्वती –
“हम आज 22 दिसंबर को मकर संक्रांति पर्व नहीं मनाएंगे तो एक दिन एसा भविष्य में आएगा,जब सूर्य दक्षिणायन होगा हम उत्तरायण मान कर पर्व मनाएंगे A
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123 वर्ष पूर्व स्वयं द्वारका मठ के जगद्गुरु शंकराचार्य श्री ने एक मठादेश जारी करके हिन्दुओं को चेताया था, निरयण पंचांग धार्मिक रूप से ग्राह्य नहीं हैं क्योंकि उनसे व्रत पर्वों के निर्धारण में गम्भीर त्रुटि हो रही हैं।
7-काशी हिन्दू विश्व विद्यालय के पूर्व प्रोफेसर केदार दत्त जोशी जी ,उनकी पुस्तक ' मुहूर्त्तमार्तण्डः'कीभूमिका- -
"…… परन्तु खगोल ज्ञान शून्य आज के अनभिज्ञ पञ्चाङ्गकार सारणियों पर अशुद्ध पंचांग निकाल कर अपनी अज्ञानता के अहं को तुष्ट करने पर लगे हैं। यथा मकर राशि पर सूर्य २१ दिसम्बर को ही वेध से आता स्पष्ट प्रतीत होने पर भी १४ ,१५ जनवरी को ही मकर संक्रांति पंचांगों में करना कहाँ तक समीचीन है? ………………… जब तक पञ्चाङ्ग शुद्ध गृह गणित से नहीं निकालेंगे तब तक फलित शास्त्र विश्वशनीय नहीं हो पायेगा। आज प्रायः सभी भारतीय पञ्चाङ्ग गृह गणित से अशुद्ध हैं। परम्परावादी सुधार करना भी नहीं चाहते।
"…… परन्तु खगोल ज्ञान शून्य आज के अनभिज्ञ पञ्चाङ्गकार सारणियों पर अशुद्ध पंचांग निकाल कर अपनी अज्ञानता के अहं को तुष्ट करने पर लगे हैं। यथा मकर राशि पर सूर्य २१ दिसम्बर को ही वेध से आता स्पष्ट प्रतीत होने पर भी १४ ,१५ जनवरी को ही मकर संक्रांति पंचांगों में करना कहाँ तक समीचीन है? ………………… जब तक पञ्चाङ्ग शुद्ध गृह गणित से नहीं निकालेंगे तब तक फलित शास्त्र विश्वशनीय नहीं हो पायेगा। आज प्रायः सभी भारतीय पञ्चाङ्ग गृह गणित से अशुद्ध हैं। परम्परावादी सुधार करना भी नहीं चाहते।
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edj ladzkfr &गणना विधि
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The Committee's Report was submitted to CSIR in 1955 and the Government, in accepting the recom- mendations of the Committee, decided that 'a unified National Calendar' (the Saka Calendar) be adopted for
The Indian calendars put up by almanac-makers commit the violation of the following principles of science : —.
The winter season (ki&ira) begins on the winter solstice-
day which date is also marked in all the Siddhdntas by
sun's entry (sankranti) into Makara. This event occurs on
the 22nd December. But the Indian calendar makers, following the nirayana system, state that the Makara
Sankranti happens not on the 22nd December but on the 14th January and the winter season also begins on that date.
Similar is the case with other seasons also. The result
is that there is a* clear difference of 23 days in the reckoning
of seasons. . A system which deviates from this practice is
wrong. The majority of the Indian calendar makers have not,
however, followed this definition. The reason is more
psychological than scientific
It is therefore absolutely wrong to stick to the nirayana system.
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आचार्य द्वारा निर्मित मकर संक्रांति का परित्याग कर vxz iwT; 'kadjkpk;Z th ds }kjk 22 fnlacj dks edj ladzkfr vuqeksfnr मान्य करेSA
विज्ञानं के युग में ,(शिक्षित) हमारा दायित्व एसी ४५७ वर्ष से प्रचलित अशुद्ध,अवैज्ञानिक.अवैदिकता का बहिष्कार करे A
*पंचांगों मे सायन संक्रांति लिखी जाने लगी हे ,22 दिसंबर |यही दान पुण्य के लिए मानी जाना चाहिए |
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