भाई को तिलक लगाने, नए कार्य हेतु|
पूजा
प्रारम्भ का समय प्रात : प्रारम्भ काल महत्वपूर्ण -
श्रेष्ठ-(सर्व दोष मुक्त) श्रेष्ठ पूजा समय
समय - चित्रगुप्त पूजा, बहीखाता,
1/ 08:17-08:20 :
2/ 10:00--10:10:11
3/ 04:32-05:00 Pm
अन्य
उत्तम समय पूजा हेतु-
अभिजीत
काल-11:45-12:20
विजय
काल-02:-02:40
वर्जित
या बाधक काल(०८ प्रकार के दोष होते हैं,प्रमुख निम्न हैं-)
राहू
-07:48-09:14;
यमघंट-
गुलिक-
01:29-02:54
विद्यार्थी, प्रतियोगी परीक्षा वर्ग की सफलता के लिए भी विशेष पुस्तक ,पेन,
पूजा एवं व्यापरी वर्ग के लिए बहीखाता, तराजू पूजा मन्त्र के साथ साथ चित्रगुप्त, सरस्वती, कुबेर की पूजा की सरल संक्षिप्त विधि एवं मन्त्र प्रस्तुत सर्वकल्याण एवं जनहित में प्रस्तुत –
व्यापारी वर्ग -व्यापारिक कार्य,का नववर्ष प्रारम्भ होता है। नए बहीखाते श्री गणेश करने की परम्परा है। कार्तिक शुक्ल द्वितीया को चित्रगुप्त का पूजन लेखनी के रूप में किया जाता है।
भाईदूज
यमद्वितीया- सूर्य पुत्री यमुना के आमंत्रण पर भाई यमराज ने भोजन के पश्चात् यमुना को वर दिया-इस दिन जो भी यमुना में स्नान उपरांत बहन का सत्कार ग्रहण करेगा ,उसकी आकस्मिक मृत्यु कभी नहीं होगी |. इसप्रकार भाई-बहन का पर्व प्रसिद्द हुआ, भाई की हथेली पर बहनें चावल के आटे का घोल, के ऊपर सिंदूर, कद्दू के फूल, पान सुपारी रूपये - सिक्के आदि रखकर, पानी हाथों पर छोड़ते हुए बोलती हैं - 'गंगा पूजे यमुना को ,यमी पूजे यमराज को, सुभद्रा पूजे कृष्ण को, गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई की आयु बढ़े'.
तिलक लगाकर उनकी आरती हथेली में कलावाबांध कर,मीठा खिलाने की परंपरा है।
यमुना पूजा: -
यमस्वसर्नमस्तेऽसु यमुने लोकपूजिते।
वरदा भव मे नित्यं सूर्यपुत्रि नमोऽस्तु ते॥
यमराज प्रार्थना-
धर्मराज नमस्तुभ्यं नमस्ते यमुनाग्रज।
पाहि मां किंकरैः सार्धं सूर्यपुत्र नमोऽस्तु ते।।
यमराज अर्घ्य: -
एह्योहि मार्तंडज पाशहस्त यमांतकालोकधरामेश।
भ्रातृद्वितीयाकृतदेवपूजां गृहाण चार्घ्यं भगवन्नमोऽस्तु ते॥
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