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भारत देश के लिए गुरु+ शनि + मंगल का गोचर1965-2025;

] भारत देश के लिए गुरु+ शनि + मंगल का गोचर 1965-2025; अनुसंधान पत्र: 1965 और 2025 में भारत की कुंडली (वृष लग्न , कर्क राशि) पर गुरु , मंगल और शनि के गोचर के अशुभ प्रभावों के संदर्भ में है। भारत देश के लिए गुरु का गोचर (मिथुन राशि में 12 वां स्थान): गुरु का गोचर मिथुन राशि में जब भारत की कुंडली में 12 वें स्थान पर होता है , तो इसका प्रभाव विनाश , मानसिक तनाव , और खर्चों में वृद्धि के रूप में देखा जा सकता है। यह समय दे " गुरु: नीचस्थो दोषकरः स्यात्।" – बृहत्पाराशर होरा शास्त्र अर्थ: जब गुरु नीच या वक्री होता है , तो वह अशुभ फल प्रदान करता है। 12 वें स्थान में गुरु का गोचर भारत के लिए मानसिक दबाव , खर्चों में वृद्धि और मानसिक अशांति का कारण बन सकता है। भारत देश के लिए शनि का गोचर (कुंभ और मीन राशि में 8 वां और 9 वां स्थान): शनि का गोचर कुंभ और मीन राशि में , भारत की कुंडली के 8 वें और 9 वें स्थान पर , अशुभ परिणाम दे सकता है। 8 वां स्थान संकट , विपत्ति और मृत्यु के कारण होता है , जबकि 9 वां स्थान धर्म , भाग्य और यात्रा से संबंधित है। इस गोचर से ...