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27JAN, नाम से भविष्य एवं 05 मिनट के उपाय; - किस राशी वाले के लिए विशेष उपयोगी ?- Future by name and 5 -minute measures, make the day successful. - The day, constellation, the date is important for the event, the moon sign is the latter. Their lord affects pastoralism. Therefore, their remedies are useful for success. - To stop the inauspicious effects (of day, date, constellation) of which zodiac sign, 'take measures that prevent calamity and calamity.'

    उपाय क्यों करे ? 1- राशिफल कार्य प्राथमिकता निर्धारण के लिए उपयोगी है.परन्तु उपाय ही चिंता- में कमी कर सकते हैं। - घटना के लिए दिन , नक्षत्र , तिथि प्रमुख है ।इनके स्वामी चराचर को प्रभावित करते हैं ।इसलिए इनका प्रबंधन सफलता के लिए उपयोगी है ।     गुरुवार दिन , विशाखा नक्षत्र , तिथि-दशमी ,चन्द्र गोचर राशी- वृश्चिक   – भविष्य -नाम के प्रथम अक्षर से- -        नाम के   प्रथम   अक्षर (व्यक्ति , वस्तु , कम्पनी , स्थान का नाम ) वालो के लिए दिन व्यय,व्यस्तता ,विवाद या सुख बाधक सिद्ध हो सकता है – - ये यो भ , भी भू ध , फ , ढ , भे. मा मी , मू , मे , मो , टा , टी , टू , टे , चू , चे , चो ला ली लू ले लो अ. शेष समस्त नाम अक्षर हेतु उत्तम रहेगा l - सिंह , मेष , धनु राशी वालो को उपाय करना हित कर होगा - For those with the first letter of the name (name of person, thing, company, place), the day can prove to be a hindrance to expenditure, busyness, dispute or happiness. -Yo Bh , F dh, Dh . M , T C hu - cho La Lu . Rest all names will be good for alphabets. - It may be benefic

कथाएं-सकट चौथ , संकष्टी चतुर्थी, तिलकुट, माघ चतुर्थी Festival of children's safety

  कथाएं-सकट चौथ , संकष्टी चतुर्थी , तिलकुट , माघ चतुर्थी Festival of children's safety   महिलाएं अपनी संतान संतान के स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए ,शाम तक निर्जला व्रत रखती हैं। शाम को चंद्र दर्शन और चंद्र को अर्घ्य देने के बाद फलाहार किया जाता है। विघ्नहर्ता गणेश जीएवं चंड्रामा की पूजा का विधान है। पूजा के अवसर पर पढ़ी या कही जाने वाली कथाएं -              लोक परम्परा में प्रचलित संकलित कथाये - 1-कथा भगवन शिव जी बहुत समय से अन्यत्र थे   । देवी पार्वती ,स्नान के समय , बाल गणेश जी को दरवाजे के बाहर बिठा कर कह देती थी “किसी को भी अंदर नहीं आने देंना”। एक दिन देव वशात मान की आज्ञा से ,गणेश जी द्वार पर बैठे थे । भगवान शिव आ पहुंचे। गणेश जी ने भगवान शिव को दरवाज़े के बाहर रोक दिया। शिव जी क्रोध पूर्वक त्रिशूल से बाल गणेश की गर्दन धड़ से अलग कर दी। पार्वती जी बाहर आईं। पुत्र गणेश की कटी हुई गर्दन देख शोक मग्न हो गईं और। शिव जी से अपने बेटे के जीवित करने के लिए कहा । गणेश जी की गर्दन की जगह एक हाथी के बच्चे का सिर लगा कर जीवित कर दिया । चतुर्थी कृष्ण पक्ष के दिन से माताएं , अ