दिवाली -लक्ष्मी पूजा पूर्व तैयारी एवं ,मंत्र ---
प्रदोष काल में पूजन मुहूर्त---
सूर्यास्त से 10 मिनट बाद से 45 मिनट उत्तम |
अधिकतम 90 मिनट तक प्रारम्भ करना चाहिए |
या भारत के अधिकांश भाग मे 17:50-19:00 तक शुभ मुहूर्त |
दीपक पूजा
21 दीपक श्रेष्ठ अभाव में 11 उतम या 5 दीपक शुभद माने जाते हैं।
इन्हें एक थाली में रखे ,ली, इत्र, चंदन, खील, मिठाई, केसर, हल्दी इत्र पर छिडके।
मंत्र –
त्वं ज्योतिस्त्वं रविश्चन्द्रो विधुदग्रिश्र तारकाः।
सर्वेषाम् ज्योतिर दीपावल्यै नमो नमः।।
द्वार एवं देहरी पूजा
* द्वार - स्वस्तिक, शुभ लाभ एवं श्री गणेशाय नमः द्वार पर सिंदूर, घी एवं इत्र मिश्रित कर लिखें।
* देहरी - ऊँ देहरी विनायकाय नमः कहकर रोली, पुष्प एवं चावल अर्पित करे।
दवात पूजा महाकाली पूजा
* स्याही दवात रखकर उस पर श्रीं महाकाल्यै नमः, महालक्ष्मयै नमः कहकर पुष्प रोली चढाए।
कलम पूजा
* लेखनी पर कलावा मौलि बांधे।
श्री सरस्वत्यै नमः।
लेखनीस्थ्यै देव्यैं नमः।
लेखनी निर्मिता पूर्व ब्रहाणा परमेष्ठिना।
लोकानां हितार्थाय तस्मातो पूजयाम्हम्।
बहीखाता पूजा
* बहीखाता एवं उस वस्त्र पर जिनमें बहीखाता रखें। रोली, चंदन, केसर से स्वस्तिक चिन्ह बनाए। चिन्ह बनाते समय मन में कहते रहें -
श्रीं श्रीं श्रीं नमः।
हल्दी गांठ, धनिया, चावल, दूर्वा, इत्र, कमल, गटा रखे।
श्रीं हीं ऐं नमः 11 बार बोले।
कुबेर पूजा
धन के अध्यक्ष कोष या संचय के देवता कुबेर हैं।
जहां धन आदि रखते हों, तिजोरी संदूक या आलमारी।
मंत्र - आपहयामि देवि त्वामिहा याहि कृपा कुरुं।
कोशं वर्धय नित्य त्वं परिरक्ष सुरेश्वर।
धनाध्यक्षाय कुबेराय नमःधन दाय नमस्तुभ्यं |
निधि पदम अधिपाय च भगवत् त्वत् प्रसादेन धन धान्य आदि संपदः।
1-ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन धान्य अधिपतये
धन धान्य समृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा ॥
2-ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः॥
3-ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः॥
मंत्र पढ़कर इत्र, हल्दी, धनिया, कमलगटा दूर्वा श्वेत हो तो उतम लाल वस्त्र में बांधकर रखें।
तुला पूजा
सिंदूर से तराजू पर स्वस्तिक मध्य में बनाएं शुभ तथा दाएं तथा दाएं लाभ लिखें।
मंत्र - ऊँ तुला अधिष्ठात दैव्यै नमः।
नमस्ते सर्व देवानाम् शक्तित्वे सत्यम् आश्रिता।
साक्षी भूता जगदधात्री निर्मिता विश्वयोनिना।
घर के बडे सदस्य को धनत्रयोदशी से पांच दिन तक तथा देव उठनी एकादशी को राकेट / उल्का आकाशगामी पटाखा अवश्य छोडना चाहिए। यह पितरों की प्रसन्नता के लिए आवश्यक माना गया है। इसे उल्का छोडना कहते है।
लक्ष्मी मंत्र-
1-ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमः॥
2-ॐ
श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै
नम:॥
3-ॐ
श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥
4- ऊँ हीं श्रीं क्लीं त्रैलौक्य व्यापीहीं श्रीं क्लीं ऋद्धि वृद्धि कुरु -कुरु स्वाहा।
5- ऊँ हीं क्रीं श्रीं क्लीं श्रीं लक्ष्मी मम गृहे धने पूरय 2 चिंतायै दूरय् स्वाहा।
108 बार जप करें 11 आहुति|
6- ऊँ हीं अष्टलक्ष्मयै दारिद्रय विनाशिनी सर्व सुख समृद्धि देहि हीं ऊँ नमः।
( दरिद्रता नाशक )
* *पूजा
के समय माँ लक्ष्मी जी का
मुख नेऋत्य में , अपना मुंह ईशान कोण
में रखें।।या पश्चिम मे आपका मुह पश्चिम एवं पूर्व मे देवि लक्ष्मी का
मुह श्रेष्ठ है |
लक्ष्मी जी का प्रादुर्भाव समुद्र से हुआ ,समुद्र की स्थिति पश्चिम दिशा मे इसलिए लक्ष्मी जी निवास पश्चिम दिशा मे होने से उस दिशा मे पूजन करने वाले का मुह होना चाहिए |
सूर्य के महत्व के आधार पर भी संध्या के बाद सूर्य पश्चिम मे होता है |
इसलिए भी रात्रिकालीन
पूजा पश्चिम दिशा मे मुह कर करना चाहिए |
विधि-
काँसे की थाली लक्ष्मी जी को बैठने के लिए उतम |
*माता
लक्ष्मी जी को लाल /केसरिया धागे में 108 मखाने या उसकी माला अर्पित करें।।
मखाने लक्ष्मी जी के
प्रिय पुष्प कमलगटा के होते हैं |इसका प्रसाद भी ग्रहण
करें|
*लक्ष्मी
जी को केसर,कस्तूरी और गोरचन का
तिलक लगाएं।।
*लक्ष्मी
जी के दायें तरफ पीतल में
देशी घी का दीपक जलाकर चीनी (शक्कर)
डालें।।
*लक्ष्मी
जी के बाएं तरफ Mahua oil ,आंवले के तेल का दीपक
(मिटटी का) जलाएं।।
* यश,वैभव और समृद्धि -माता लक्ष्मी को
पिपरमेंट,गुलकंद और वर्क लगा
पान अर्पण ।।
पान का आगे का भाग एवं डंठल तोड़ना
अनिवार्य है |
*क्षीर सागर से उत्पन्न सुर तथा असुरों
द्वारा नमस्कार की गई देवस्वरुपिणी
लक्ष्मी माता, आपको बार-बार नमस्कार
है। मेरे द्वारा दिए गए इस अर्घ्य को आप स्वीकार करें।
* पीला आसन, पीला वस्त्र या लाल वस्त्र।
*शुद्ध घी एवं चमेली तैल का दीपक।
* कलश ताम्र, उसमे पानी भरकर मोती डालें। पते बिल्व एवं आम वृक्ष के डालें।
* लक्ष्मी गणेश विष्णु प्रतिमा के बाएं ओर कलश रखें, दाहिनी ओर दीपक (पीतल /तांबा) रखे। स्टील दीपक नहीं रखे।
* कलश पर हल्दी, रोली, चावल मिश्रित कर स्वस्तिक बनाएं। चावल एक कटोरी में भरकर कलश पर रखें तथा उस पर लेटी / आडी अवस्था में एक नारियल पानीयुक्त जिसका पतला / पूंछ वाला भाग भगवान की ओर रखे/
नारियल पर कलावा या मौति बांधे।
* घी एवं चमेली तैल का दीपक।
* कलश ताम्र, उसमे पानी भरकर मोती डालें। पत्ते पारिजात,आवला,वट ,बिल्व एवं आम वृक्ष के डालें।
* लक्ष्मी गणेश विष्णु प्रतिमा के बाएं ओर कलश रखें, दाहिनी ओर दीपक (पीतल /तांबा) रखे। स्टील दीपक नहीं रखे।
* कलश पर हल्दी, रोली, चावल मिश्रित कर स्वस्तिक बनाएं। चावल एक कटोरी में भरकर कलश पर रखें तथा उस पर लेटी / आडी अवस्था में एक नारियल पानी|युक्त जिसका पतला / पूंछ वाला भाग भगवान की ओर रखे/ नारियल पर कलावा या मौलि बांधे |
दिवाली के दूसरे दिन से तीन दिन तक क्या करे -
पूजा के दूसरे दिन सुपारी एवं तांबा लाल वस्त्र में बांधकर भण्डार में रखें।
दीपावली के दूसरे दिन तक सूर्योदय पूर्व घर में झाडू लगाने से आगामी छह माह तक
धन संपदा का स्थायित्व रहता है।
* तीन दिन तुलसी को बिना स्पर्श किए दूध अर्पित करें।
* भवन एवं द्वार के मध्य प्रातः या प्रदोष काल में सात हरी मिर्च तथा एक नीबू धागे से बांधे। ग्यारह अमावस्या तक लगातार करने से सर्व सुरक्षा एवं संपदा रहती है।
* लगातार तीन दिन प्रातः सूर्योदय समय से पूर्व द्वार के दाहिने दूध, पांचे चावल एवं
जल अर्पित करे। द्वार की ओर मुंह हो।
* पांच सफेद, तीन लाल एवं तीन काले गुजा रत्ती दीपावली को पूजा में देवी को
अर्पित कर, पर्स या धन स्थान में रखना धन के लिऐ उत्तम होता है।
* प्रतिपदा एक तथा द्वितीया को दो दीपक जलाएं।
* द्वार को सजाए। रंगोली डाले। कमल पुष्प या भवन आकार की रंगोली श्रेष्ठ फलदायी होती है। दरवाजे पर स्वास्तिक एवं दो नाग बनाएं। चावल एक मुट्ठी रखकर उस पर सुपारी, कलावा, हल्दी, रोली चढ़ाएं।
* भवन द्वार एवं दुकान के द्वार पर फिटकरी लेकर ग्यारह बार घुमाएं द्वार के चारों ओर चैराहे पर दक्षिण या उत्तर दिशा में मुंह कर छोड दे। इससे इष्र्या, जलन, नजर का प्रभाव दूर होगा।
* पांच दिन तक हल्दी एवं चावल पीसकर उसमें कुंकुम, इत्र व चंदन मिला लें। इससे पूर्व या उतर की ओर मुंहकर ओम द्वार पर बनाएं।
* दीपावली के दिन विकलांग, वृद्ध को भोजन अवश्य दें।
* गाय को गुड, हाथी को केला या गन्ना, कुते को सरसो / तिल तैल लगाकर नमकीन रोटी, कौआ को तिल मिश्रित अन्न एवं मछलियों को आटा की गोली देना चाहिए।
* शमी, अशोक, तुलसी, आम, वट, आवंला, पीपल पर जल दूध, चावल चढाएं तथा सर्वसुख याचना करें।
* दो नारियल पूजा कर लाल वस्त्र में बांध कर एक भंडार स्थान तथा
एक हनुमान मंदिर में दीपावली को रखे या अर्पित करे।
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