दुर्गा विसृजन- मुहूर्त एवं विधि?
muhurt-12.10.2024 -01-21-15:31
कब करे-विसृजन
दुर्गा विसर्जन,नियम-
1-स्थापना एवं विसृजन प्रात: ही उत्तम दुर्गा देवी से सम्बंधित ग्रन्थ में उल्लेख मिलता हैं.
2-दशमी तिथि में अपराह्न अथवा प्रात:काल के समय करना चाहिए.
संध्या या रात्रि उचित नहीं.
3-श्रवण नक्षत्र तथा दशमी तिथि दोनों अपराह्न के समय हो, तो अपराह्न काल विसृजन कार्य श्रेष्ठ या प्रातःकाल से अधिक उत्तम है।
4-नवमी तिथि को संध्याकाल मे श्रवण नक्षत्र होने पर किया जा सकता है|
कलश एवं मूर्ति विर्सजन विधिः।।
देवी घट में प्रधान
देवता का मूलतत्व विराजमान माने घट के पास जाकर श्रांस उपर खींचे तथा भावना करे कि
प्रधान देवता कुंभ में से अब मेरे हृदय में आकर बैठ गये हैं। मृण्यमयी प्रतिमा को
उठाकर प्रार्थना करे।
केसे करे विधि-देवी घट मे -देवी दुर्गा,वरुण,सूर्य,शिव,गणेश,विष्णु उपस्थित है , एसा स्मरण कर , घट के समीप जाकर गहरी सांस ले.मन मे यह विचार करे की ,समस्त देव जो घट मे हैं |वे सभी मेरे हृदय मे एक २ कर आकर विराज रहे हैं |
मिटटी की प्रतिमा एवं कलश उठा कर मंन्त्र /प्रार्थना करे-
उत्तिष्ठ देवी चंडेशि, शुभाम् पूजां प्रगृह्य च कुरुष्व मम त्रलोक्य मातर देवी A
त्वं सर्व भुत दयान्विते.कल्याणम अभीष्ट शक्तिभिःA
गच्छ 2 परम स्थानं ,स्व स्थानं देवी चण्डिके A
सह.दुर्गे देवी जगन्मातः स्थानं गच्छ ,पूजिते संवत्सर व्यतीते तु पुनरागमनाय वैA
मंत्र-ॐ काली काली महाकाली कालिके पाप नशनी
काली कराल निष्क्रान्ते,कालिके त्वां नामौस्तुते.AA
सिंह वाहिनी चामुंडे पिनाक धनुवल्लभे,
उपहारं ग्रुहित्वैव प्रसीद परमेश्वरी. AA
नदी या सरोवर पर ले जाएँ A जल मे स्थापित करे. देवी प्रतिमा को वस्त्र आभूषण सहित जल में प्रवेश करा कर उनके मुख को देखना नहीं चाहिए A
मंत्र- ॐ उत्तिष्ठ2 देवी चामुंडे शुभाम पूजाम प्रगृह्य च A
वज्र त्वं स्त्रोती जले वृद्धोचस्थीयता मीही A
निर्माल्य धारिणी पूज्या चंडाली गंध चन्दने. समर्पयित्वा A
मंत्रें मंत्र मेतदुदिर्येत .निमज्यम अम्मसी संपूज्या परिकाल अर्चितिते जले A
संतान पुत्रायु वर्धने वृद्द्यार्थम स्थापितासी जले मया A
विजय दसमी oct-शमी पूजन-25अक्टूबर
विजय दसमी – दोपहर मे खंजन या नीलकंठ पक्षी के दर्शन शुभ होते हैं. A
नीलकंठ दर्शन के बाद मंत्र-
वासुदेव स्वरूपेण सर्व काम फल प्रद A खंज्नाय नमस्तुभ्यम सर्व अभीष्टप्रदाय च
नीलकंठ महादेव खंजरीट नमोस्तुते. A
शमी-
शमी के कांटों का प्रयोग तंत्र, मंत्र बाधा नाश के लिए होता है।
शमी , शनि संबंधी दोषों को दूर करता है।
भविष्यवक्ता वृक्ष,कृषि आपदा पूर्व संकेतक ,पीपल,बरगद ,तुलसी जैसा महत्व |
काल मे शमी वृक्ष के समीप जाकर .भूमि पर जल छिडके. A
श्वत वस्त्र पर चावलों से आठ पंखुरी वाला कमल बनाये A उस पर ताम्बे का लोटा रखे. A 5 बत्ती का दीपक प्रज्वलित करे A हाथ मे जल लेकर.पूर्व या उत्तर दिशा मे मुह कर हाथ में जल लेकर संकल्प करे-
अध्येत्यादी यात्रयाम च सर्व कामानाम विजय सिद्ध्यर्थ गणेश मातृका A
वास्तु दिक्पाल पूजन ,मार्ग देवता पूजन, अपराजिता पूजनं च करिष्ये A
ॐ अपरजिताये नम दक्षिणे ॐ क्रियाये नमः वामे उमाये A
शमी वृक्ष की पूजा करे-
त्वं च अपराजिते देवी शमी वृक्षस्थिते जाये A
राज्यं देहि देहि विश्वेशी श्त्रु नाम च पराजयम A
अमंगलानाम शमनीम दुह कृतस्य च शमनीम A.
शमी शमयते पापं शमी सर्वार्थ साधनी A
Pt.V.K.tiwari-9424446706
Jyotish-shiromani
Astrologer,Palmist.Vastu
Expert-
1.Horo creation-out of 42 dasha
2Gem suggestion
3Kundli milaan 13 koot and 44 hun 5nadi etc +D9 ;
Mars manglik dosh rules and exceptions
Bangalor- 560103; 9424446706;
Jyotish9999@gmail.com-1000 Dakshina
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें