स्थापना, व्रत, अर्पण वस्तु, कन्या भोजन, पाठ ब्राह्मण संख्या
स्थापना विधि
मिट्टी की मूर्ति: यदि स्थापना में विशेष मंडल आदि निर्माण की क्षमता या ज्ञान ना हो, तो मिट्टी की मूर्ति बनाकर उसमें गेहूं बोएं। उसके ऊपर कलश रखकर मिट्टी की मूर्ति की प्रतिष्ठा करें।
कागज की मूर्ति: यदि मिट्टी की मूर्ति भी उपलब्ध नहीं हो, तो कागज पर सिंदूर आदि से मूर्ति बना सकते हैं और उस पर दर्पण लगा सकते हैं।
स्वास्तिक और त्रिशूल: यदि किसी प्रकार की मूर्ति नहीं बनानी चाहते, तो कलश के पीछे स्वास्तिक बनाएं और उसके दोनों तरफ त्रिशूल बनाकर दुर्गा का चरित्र पुस्तक या साल ग्राम रखकर पूजन करें।
व्रत के संदर्भ में
- नवरात्रि के व्रत: अगर 9 दिन व्रत रखने की शक्ति या रुचि नहीं है, तो निम्नलिखित विकल्प हैं:
- सप्त रात्रि व्रत: प्रतिपदा से सप्तमी तक।
- पंचरत्न व्रत: पंचमी को एक समय भोजन, षष्ठी को नक्त व्रत, सप्तमी को अयाचित, अष्टमी को उपवास, और नवमी के पारण से पूरा होता है।
- त्रिरत्न व्रत: सप्तमी, अष्टमी और नवमी को एक समय भोजन।
- एक रात्रि व्रत: आरंभ और समाप्ति के दो दिन व्रत रखें। पारण नवमी को ही करें; दशमी को पारण अशुभ है।
दुर्गा देवी को अर्पण सामग्री
- प्रतिपदा: केश से संबंधित वस्तुएं, आंवला, और सुगंधित तेल अर्पण करें।
- द्वितीया: बाल बांधने के लिए रेशमी डोरी।
- तृतीया: सिंदूर और दर्पण।
- चतुर्थी: मधु पार्क, तिलक, और नेत्र रंजन।
- पंचमी: शरीर के सुंदरता के लिए अलंकार।
- षष्ठी: फूल।
- सप्तमी: गृह मध्य में दुर्गा पूजा।
- अष्टमी: उपवास + पूजन।
- नवमी: महा पूजा और कुमारी पूजा + मीठा भोजन।
- दशमी: निराजन एवं विसृजन।
कन्या भोजन
- कन्या की आयु: 2 से 10 वर्ष की कन्या को कन्या माना जाता है।
- 2 वर्ष: कुमारी
- 3 वर्ष: त्रिमूर्ति
- 4 वर्ष: कल्याणी
- 5 वर्ष: रोहिणी
- 6 वर्ष: काली
- 7 वर्ष: चंडिका
- 8 वर्ष: शांभवी
- 9 वर्ष: दुर्गा
- 10 वर्ष: सुभद्रा
कन्या भोजन: 10 कन्याओं का मीठा भोजन, यदि सभी अलग-अलग आयु की हैं, तो दुर्गा माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
दुर्गा पाठ और ब्राह्मण संख्या
- ब्राह्मणों को आमंत्रित करने के लिए विषम संख्या में होना चाहिए:
- 1 ब्राह्मण: फल सिद्धि के लिए।
- 3 ब्राह्मण: उपद्रव शांति के लिए।
- 5 ब्राह्मण: सभी प्रकार की शांति के लिए।
- 7 ब्राह्मण: चिंता से मुक्त होने के लिए।
- 9 ब्राह्मण: यज्ञ फल की प्राप्ति के लिए।
- 11 ब्राह्मण: उच्च पद प्रतिष्ठा के लिए।
- 12 ब्राह्मण: विशिष्ट मनोकामना सिद्ध के लिए।
- 15 ब्राह्मण: सुख संपत्ति के लिए।
- 16 ब्राह्मण: धन और संतान सुख के लिए।
- 17 ब्राह्मण: शत्रु रोग और राजभय से बचने के लिए।
- 18 ब्राह्मण: पत्नी या प्रिया की प्राप्ति के लिए।
- 20 ब्राह्मण: बुरे ग्रह के दोष की शांति के लिए।
- 25 ब्राह्मण: बंधन से मुक्त करने के लिए।
- 100 या 1000 ब्राह्मण: मृत्यु भय और व्यापक कष्ट से सुरक्षा के लिए।
शारदीय नवरात्र (3 से 22 अक्टूबर)
- दुर्गा आगमन: मां दुर्गा अपने मायके, पितृ गृह पधार रही हैं।
- प्रभाव: विश्वव्यापी प्राकृतिक प्रकोप, युद्ध, रोग आदि।
- प्रार्थना: देवी दुर्गा से आगामी 6 माह के सुखद भविष्य के लिए प्रार्थना करें।
वाहन का चयन:
- रविवार/सोमवार: भैंस - शोक प्रद।
- मंगलवार/शनिवार: मुर्गा - कष्ट वृद्धि।
- बुधवार/शुक्रवार: हाथी - उत्तम फल।
- गुरुवार: मानव - सर्व सुख समृद्धि।
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