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नवदुर्गा दैनिक संक्षिप्त पूजा

 


नवदुर्गा दैनिक संक्षिप्त पूजा

नवरात्रि के प्रतिदिन की देवी पूजा

प्रथम तिथि की देवी: शैलपुत्री

     मंत्र: "ऊँ शां शीं शूं शैलपुत्र्यै शुभं कुरू स्वाहा।"

    अर्चना मंत्र: "ऊँ जगतपूज्ये जगद् वन्द्ये शक्ति स्वरूपिणी पूजां ग्रहण कौमारी जगत् मातर नमोस्तुते।"

    स्तुति: "वन्दे वाञ्छित लाभाय चन्द्रार्धकृत शेखराम्।

 वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥"

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द्वितीय तिथि की देवी: ब्रह्मचारिणी

    मंत्र: "ऊँ ब्रां ब्रीं ब्रूं ब्रह्मचारिण्यै नमः।"

    अर्चना मंत्र: "ऊँ त्रिपुरां त्रिगुण धारां मार्ग ज्ञान स्वरूपिणी।

 त्रैलोक्य वंदितां देवी त्रिमूर्तिपूजयाम्यहम्।"

    स्तुति: "दधाना करपद्माभ्यां अक्ष माला कमण्डलू। देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥"

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 तृतीय तिथि की देवी: चंद्रघंटा

     मंत्र: "ऊँ ह्रीं क्लीं श्रीं चंद्रघंटायै स्वाहा।"

    अर्चना मंत्र: "पिण्डज प्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता। 

प्रसीदम तनुते महयं चन्द्रघण्टेति विश्रुता।"

    स्तुति: "सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।

 शुभदास्तु सदा देवी चंद्रघंटेति विश्रुता॥"

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चतुर्थ तिथि की देवी: कूष्मांडा

     मंत्र: "ऊँ ह्रीं नमो भगवती कूष्माण्डायै।"

    अर्चना मंत्र: "ऊँ अणिमादि गुणोदारां मकराकार चक्षुषम्।

 अनंत शक्ति भेदाम तां कामाक्षीम् पूजयाम्यहम्।"

    स्तुति: "सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च। 

दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्मांडा शुभदास्तु मे॥"

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पंचमी तिथि की देवी: स्कंदमाता

     मंत्र: "ऊँ ह्रीं सः स्कंदमातृयै नमः।"

    अर्चना मंत्र: "ऊँ चण्डवीरा चंडमायां रक्तबीज प्रभंजनीम् तां नमामि च देवेषीं कालरात्रिं पूजयाम्यहम्।"

    स्तुति: "सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रित करद्वया। 

शुभदास्तु सदा देवी स्कन्द माता यशस्विनी॥"

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षष्ठी तिथि की देवी: कात्यायनी

     मंत्र: "ऊँ ह्रीं श्रीं कात्यायन्यै स्वाहा।"

    अर्चना मंत्र: "स्वर्णा आज्ञा चक्र स्थितां षष्टम दुर्गा त्रिनेत्राम्।

 वराभीत करां षगपद धरां कात्यायन सुतां भजामि॥"

    स्तुति: "चन्द्रहासोज्ज्वल करां शार्दूल वर वाहनां।

 कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी  ॥"

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सप्तमी तिथि की देवी: कालरात्रि

     मंत्र: "ऊँ एं ह्रीं क्लीं कालरात्रि सर्व वश्यं कुरू स्वाहा।"

    अर्चना मंत्र: "ऊँ चण्डवीरा चंडमायां रक्तबीज प्रभंजनीम् 

तां नमामि च देवेषीं कालरात्रिं पूजयाम्यहम्।"

    स्तुति: "एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।

 लम्बोष्ठी कर्णिका कर्णी तैलाभ्यक्त शरीरिणी॥"

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अष्टमी तिथि की देवी: महागौरी

     मंत्र: "ऊँ ह्रीं गौरी दयिते योगेश्वरि हुं फट् स्वाहा।"

    अर्चना मंत्र: "ऊँ सुंदरी स्वर्ण वर्णागीम् महागौरी पूजयाम्यहम्।"

    स्तुति: "श्वेते वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचिः।

 महागौरी शुभंदद्याद् महादेव प्रमोददा॥"

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नवमी तिथि की देवी: सिद्धिदात्री

    मंत्र: "ऊँ ह्रीं सः सर्वार्थ सिद्धि दात्री स्वाहा।"

    अर्चना मंत्र: "स्वर्णावर्णा निर्वाण चक्र स्थितां नवम् दुर्गा त्रिनेत्राम्। 

शंख, चक्र, गदा, पद्म धरां सिद्धीदात्री भजेम्।"

    स्तुति: "सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि। सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥"

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दुर्गा सप्तश्लोकी (सभी तिथियों के लिए )

     ॐ ज्ञानिनाम अपि चेतांसि देवी भगवती हि सा। 

बलाद आकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति।।

    दुर्गे स्मृता हरसि भीतिम शेष जन्तोः। 

स्वस्थैर स्मृता मति मतीव शुभां ददासि।।

       शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे।

 सर्वस्यार्ति हरे देवी नारायणि नमोऽस्तुते।।

    सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्ति समन्विते। 

भयेभ्यस्त्राहि नो देवी दुर्गे देवी नमोऽस्तुते।।

    रोगान शेषान पहंसि तुष्टा रुष्टा तु कामान सकलान भीष्टान्।

 त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्या श्रयतां प्रयान्ति।।

    सर्वा बाधा प्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि। 

एवमेव त्वया कार्यम स्मद्वैरि विनाशनम्।

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