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वक्री गुरु किसको देगा ताज? किसका मुकुट उतरेगा ? 30 जून से नवंबर 2020 तक

हाहाकारी वक्री गुरु 30 जून से धनु राशि में प्रवेश कर किसको प्रतिष्ठा देगा और किस को अप्रतिष्ठित करेगा ?
भविष्य का रहस्य उद्घाटित करने वाला या लेख समान रूप से सभी स्तर  पर ,किसी भी क्षेत्र में प्रमुख या मुख्य व्यक्ति से लेकर प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति राज्यपाल तक प्रभाव डालेगा।
अकेला गुरु सभी प्रकार के या पूर्ण शुभ या अशुभ फल नहीं दे सकता ।इसलिए अशुभ होने पर भी  चिंता का विषय इसलिए नहीं है क्योंकि अन्य  8 ग्रह भी  अपनी स्थिति के अनुसार  फल प्रदान करेंगे  जब तक अन्य ग्रह  इसके अशुभ प्रभाव में सहयोग नहीं करेगा तब तक अकेला गुरु  कोई अनिष्ट नहीं कर सकेगा ।
परंतु यदि वह किसी के लिए शुभ है तो अन्य किसी ग्रह के सहयोग से सफलताएं प्रदान करेगा ।
और यदि या 30 जून से 20 नवंबर तक अशुभ है तो अन्य ग्रहों के साथ और अशुभ प्रभाव में वृद्धि करेगा।
भविष्य  प्रभावित करने वाले प्रमुख दो  स्तंभ में गुरु एवं शनि हैं।
ग्रह गुरु का वक्री होना विशेष विशेष तौर से देश विदेश एवं एवं समस्त चराचर के लिए शुभ अशुभ के रूप में प्रभावशील रहेगा।
विश्व स्तर पर यदि देश विदेश की बात पर विचार करें तो पाकिस्तान चीन जापान रूस एवं इटली आगे के लिए विशेष रुप से संकट एवं प्राकृतिक प्रकोप जन विरोध असंतोष आर्थिक हानि का सिद्ध होगा।
वैश्विक स्तर ( ग्रहों का वक्री गुरु के साथ  )प्रभाव-
गुरु ग्रह का 30 जून से 20 नवंबर तक धनु राशि में प्रवेश करेगा अर्थात पूर्वाषाढ़ा एवं उत्तराषाढ़ा नक्षत्र को प्रभावित करेगा जिसके कारण उत्पन्न वैश्विक स्तर पर क्या क्या संभावनाएं अन्य ग्रहों के सहयोग से बनती हैं उनके रहस्य का पटाक्षेप ज्योतिष के सिद्धांतों पर करने का प्रयास किया जा रहा है1- सर्प चोर एवं दांत वाले जीव जंतुओं की वृद्धि होगी जिससे जनसामान्य को कष्ट पहुंचेगा।
2-, गुरु ग्रह का राशि परिवर्तन राज्य प्रदेश नगर देश प्रमुखों के लिए विशेष अनिष्ट का री सिद्ध होगा वर्षा का अवरोध भी उत्पन्न करेगा फसल की क्षति होगी एवं नए प्रकार के रोग उत्पन्न होंगे।
3- वर्षा योग उत्तम रहेंगे। परंतु भारत के उत्तर और पश्चिम भाग में वर्षा का अभाव हो सकता है पूर्वी एवं पश्चिमी भाग में फसल नष्ट हो सकती है। जबकि सामान्य तौर पर 3 महीने वर्षा के उत्तम संयोग हैं। मत जुलाई के पश्चात ही बरसात की अधिकता रहेगी।
3- विश्व में गुरु और मंगल इस प्रकार का संयोग बना रहे है कि "हाहाकारी स्थिति' भी उत्पन्न हो सकती है। चीन विशेष एवम पाकिस्तान जनधन हानि के बड़े कारण बन,सकते हैं।प्रकृति भी रुष्ट हो कर विकराल प्रकोपि ,रहेगी।
4- सरीसृप वर्ग के जीवो की संख्या में वृद्धि होगी एवं इनके द्वारा संकट उपस्थित होंगे।
5- जापान जंगल अमेरिका इंग्लैंड रूस चीन वर्मा ऑस्ट्रेलिया मलाया आदि क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के आकस्मिक संकट उत्पन्न होंगे।भारत विश्व मे प्रतिष्ठित यशस्वी 15 जून से 10 अगस्त तक उत्तरोत्तर होगा। परंतु 10 जुलाई तक एवम द्वितिय सप्ताह सितम्बर से नवम्बर प्रथम सप्ताह तक विरोध विवाद युद्ध अन्य देश से हो सकते है।
6- पूर्वोत्तर क्षेत्र में उत्तम वर्षा होने के योग हैं।
7- गायन संगीत अस्त्र-शस्त्र के निर्माण में नए अनुसंधान एवं वृद्धि होगी।
8- 28 सितंबर तक का समय विश्व के लिए सुख शांति एवं आर्थिक दृष्टि से प्रतिकूल सिद्ध होगा।
9- अधिकांन्श अनाज की प्रजाति के मूल्य में कमी आएगी।
10- पशुओं से संबंधित रोगों में वृद्धि होगी।
11- विश्व में राजनीतिक संकट गहराएगा मतभेद मुखर होंगे प्रमुख राष्ट्र के व्यक्तियों के लिए संकट की स्थिति रहेगी।


12-  राज्य के मंत्रिमंडल में परिवर्तन एवं विभाग प्रमुख के पदों में परिवर्तन बार-बार तथा मुख्यमंत्री स्तर के पद भी परिवर्तन होने की प्रबल संभावनाएं 20 नवंबर तक बनेंगे।

विभिन्न राशियों से संबंधित चराचर व्यक्ति कंपनी संस्थान शहर  पर होने वाले गुरु ग्रह के प्रभाव का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत है।
1-मेष राशि -
12 जुलाई   तक  एवं 19 सितंबर से 20 नवंबर तक प्रत्येक क्षेत्र में सर्वाधिक अनुकूलता गुरु ग्रह प्रदान करेगा एवं इस अवधि में प्रत्येक क्षेत्र में विजय श्री अंतिम रूप से प्राप्त होगी जबकि 10 अगस्त से 15 सितंबर तक का समय प्रतिकूल ही सिद्ध होगा।
लंबित कार्य पूर्ण होने के अच्छे अवसर मिलेंगे। विवाह एवं दांपत्य सुख के अच्छे योग हैं। भाग्य में वृद्धि होगी। पद, अधिकार क्षेत्र में सफलता मिलेगी। विद्यार्थी वर्ग के लिए विशेष अनुकूल रहेगा ।पुत्र संतान से सुख एवं सहयोग मिलेगा। नए विचार एवं तार्किक शक्ति में वृद्धि होगी। इस अवधि में की बचत या आय में वृद्धि होगी। संतान सुख की संभावनाएं अच्छी रहेगी। हाथ में लिए हुए कार्य का अधिकांश पूर्ण होगा। बडों से   भी सहयोग प्राप्त होगा। धार्मिक कार्यों में रुचि बढ़ेगी ।तीर्थ यात्रा आदि भी संभव है।
मंगल ग्रह का उपाय किया जाना उचित होगा
वृषभ राशि-
यात्रा की अधिकता हो सकती है। यात्रा आसुविधाजनक होने के योग हैं। अति आवश्यक होने पर यात्रा करना औचित्य पूर्ण रहेगा। यात्रा के द्वारा यदि कोई कार्य संपूर्ण होना है तो उसमें बाधाएं आएंगी ।धन का व्यय बढ़ेगा ।विभिन्न प्रकार से चिंता एवं भय के संयोग बन सकते हैं। धन हानि रोग कष्ट या उच्च अधिकारी वर्ग से प्रतिकूल स्थिति या मिलेंगी। दांपत्य सुख में बाधा आ सकती है। दांपत्य साथी का स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है ।यदि कोई इंक्वायरी या जांच चल रही है तो प्रतिकूल परिणाम मिलने की संभावनाएं अधिक हैं। राजनीति एवं व्यवसाय क्षेत्र में व्यस्तता बढ़ेगी। स्थिति प्रतिकूल रहेगी। नए पद ,दायित्व मिलेंगे।रोजगार में अति सावधानी बरतें प्रतिकूल स्थितियां एवं परिस्थितियां बनेंगी। व्यापार में जोखिम नहीं लेना चाहिए। पुत्र वर्ग से मतभेद उत्पन्न हो सकता है।
15 जुलाई तक किसी भी प्रकार से कोई प्रतिकूल स्थिति या गुरु ग्रह नहीं बना सकेगा एवं इसी प्रकार 14 अक्टूबर से 20 नवंबर तक भी गुरु के कोई अशुभ प्रभाव नहीं हो सकेंगे तथापि यह अवधि वह विवाद या कार्य दिखता की रहेगी।।17 अगस्त से मंगल का उपाय करना उपयोगी सिद्ध होगा
मिथुन राशि -
समय आपके लिए अनुकूलता पूर्ण रहेगा। यात्रा  एवं उसके उद्देश्य की पूर्ति होगी। दांपत्य साथी एवं संतान पक्ष से सुख सहयोग  मिलेगा ।राज्य पक्ष में प्रगति होगी ।राजनैतिक में पद एवं अधिकार बढ़ेंगे एवं आपके निर्णय ,आप की योजना आपको प्रतिष्ठा प्रदान कराएगी ।व्यय पर नियंत्रण रखें एवं आपके प्रतिष्ठा बढ़ेगी।
14 सितंबर तक गुरु ग्रह की सर्वाधिक अनुकूलता आपको प्राप्त होगी।

कर्क राशि -
परेशानियों में वृद्धि होगी ।
पर्याप्त धन होने के बाद भी धन की आवश्यकता प्रतीत होगी ।राजनीतिक पक्ष कमजोर रहेगा ।शत्रु षड्यंत्र रचते रहेंगे। प्रत्येक कार्य सूझबूझ एवं सोच समझ के बाद करना उचित होगा ।किसी को किसी भी कार्य के लिए बचन देना या प्रॉमिस करना आपके लिये उचित नहीं रहेगा ।पुत्र वर्ग से वैचारिक अंतर आपको मानसिक कष्ट देगा। अग्निभय एवं उच्च अधिकारी वर्ग तथा प्रेम संबंधों में समस्या उत्पन्न होगी।
गुरु ग्रह की प्रतिकूलता 12 अगस्त से प्रतीत होगी एवं अक्टूबर 11:00 से 10 नवंबर तक भी प्रतिकूल समय रहेगा शेष समय में कोई चिंता का कारण नहीं बनेगा।
मंगल ग्रह का उपाय किया जाना उचित होगा
सिंह राशि-
पुत्र सुख ,समन्वय या पुत्र जन्म एवं मंगल कार्यों में रुचि बढ़ेगी ।अच्छे मित्र मिलेंगे ।उच्च अधिकारी वर्ग एवं राजनीतिक क्षेत्र में प्रतिष्ठा बढ़ेगी। व्यवसाय में लाभ होगा।  प्रशासनिक क्षेत्र में स्तरीय सफलता मिलेगी। परिवार के सदस्यों से सहयोग, यश प्राप्त होगा ।उच्च पद एवं ख्याति की संभावनाएं बनेंगी। आपके कार्य एवं विचारों को मूर्त रूप देने का स्वर्णिम अवसर पर उपस्थित होगा। अनुकूल परिस्थितियों से मनोबल बढ़ेगा। कार्य प्रशस्ति योग्य माने जाएंगे। उत्सव एवं मंगल कार्य संपन्न होने अथवा उपस्थित होने के आमंत्रण मिलेंगे ।
गुरु ग्रह के सर्वाधिक अनुकूलता वाले फल 15 जुलाई तक एवं 10 अक्टूबर से 10 नवंबर तक ही प्राप्त होंगे परंतु स्वास्थ्य रोग एवं चोट के प्रति सतर्कता रखें।
ग्रह के शुभ फल प्राप्त करने के लिए मंगल ग्रह का उपाय किया जाना उचित होगा
कन्या राशि -
परिवार के सदस्यों से विग्रह, विवाद।  वाहन तथा पशुओं से सावधानी बरतना उचित होगा। जोखिम ना लें ।धन का व्यय बढ़ेगा। लंबी यात्रा के योग हैं ।स्थान परिवर्तन या स्थानांतरण संभव है। अशांति की संभावनाएं हैं ।संपत्ति  संबंधित विवाद या परेशानी खड़ी होगी ।राजनीतिक क्षेत्र में अपेक्षित सफलता मिलना मुश्किल सिद्ध होगा।
गुरु की प्रतिकूलता 16 अगस्त से 4 अक्टूबर तक आपको प्रतीत नहीं होगी सामान्य रूप से अन्य ग्रह गुरु के अशुभ प्रभाव प्रतीत नहीं होने देंगे तथा विजय अंतिम रूप से आपके साथ होगी।
तुला राशि -
नए कार्य एवं दायित्व मिलेंगे। कार्य सोच समझ कर करना होगा। अन्यथा मतभेद विवाद स्थितियां बनेंगी ।परिवार के सदस्यों से विवाद टालने की कोशिश करें ।रोजगार में विभिन्न स्थिति उत्पन्न हो सकती है ।अपेक्षित सफलता नहीं मिलेगी ।इसलिए किसी भी प्रकार की कोई दायित्व, या व्यवहार में शिथिलता ना आने दे ।उच्च वर्ग का सहयोग अपेक्षित नहीं मिलेगा ।राजनीतिक स्थिति कमजोर होगी ।अपयश, अप्रतिष्ठा ना हो इस बात का ध्यान  रखे।।रोजगार एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में किसी भी प्रकार की जोखिम लेना अनुचित ही सिद्ध होगा ।
गुरु के प्रतिकूल प्रभाव की चिंता विशेष रूप से 11 अगस्त तक एवं 4 अक्टूबर से 20 नवंबर तक करने की कोई आवश्यकता ही नहीं है क्योंकि अन्य ग्रह अशुभ फल गुरु को नहीं देने देंगे।
वृश्चिक राशि -
आपके कार्यक्षेत्र में आपकी बात ,शक्ति में वॄद्धि होगी।आप की निर्णय क्षमता  में वृद्धि होगी। आपके प्रयास सफल होंगे ।कार्य क्षेत्र में सफलता एवं ख्याति मिलेगी ।व्यवसाय क्षेत्र में लाभ एवं बचत के अच्छे संयोग हैं। रुका धन प्राप्त होगा ।परिवार के सदस्यों से यश ,मान ,प्रतिष्ठा  समन्वय ,सहयोग यथेष्ट मिलेगा। धन की दृष्टि से अच्छा समय रहेगा। दांपत्य जीवन में सुख बढ़ेगा। प्रेम ,विवाह या दाम्पत्य के योग बनेंगे ।संतान जन्म की संभावना प्रबल होगी ।शत्रु संधि के लिए प्रयासरत रहेंगे। दान और परोपकार में रुचि बढ़ेगी ।स्थाई संपत्ति एवं कैश सर्टिफिकेट  बढ़ेंगे ।
गुरु ग्रह के विशेष शुभ फल की स्थिति होने के बाद भी 17 अगस्त तक प्रतिकूल स्थितियां बनी रहेंगी स्वास्थ्य एवं विवाद की स्थितियां रहेंगी। शेष समय गुरु के विशेष उपयोगी सिद्ध होंगे।                               गुरु ग्रह के शुभ फल अधिक से अधिक मिले इसके लिए आवश्यक है कि मंगल ग्रह का उचित उपाय करें।
धनु राशि -
अनावश्यक परिवार के सदस्यों से अपयश मिलेगा ।छोटे वर्ग से व्यवहार करने में सावधानी बरतें। रोजगार के क्षेत्र में अनुकूल स्थिति या प्रतीत नहीं होती हैं। व्यवसाय के क्षेत्र में कार्य रुकेंगे ।राजनीतिक क्षेत्र में आपको प्राप्त सुख एवं वचन पूर्ण नहीं होंगे। पद प्रतिष्ठा एवं स्थान परिवर्तन अथवा लंबी यात्रा की संभावनाएं बनेंगी ।यात्रा आवश्यक होने पर करें क्योंकि यात्रा में कष्ट एवं इस अवधि में सुख में कमी होगी।
आर्थिक संकट या आर्थिक स्थिति डांवाडोल रहेगी। रोजगार में प्रतिकूल स्थितियां यथावत रहेंगे ।उच्च अधिकारियों एवं कनिष्ठ वर्ग से व्यवहार के समय वाणी पर संयम रखें।
गुरु की प्रतिकूलता 19 सितंबर से 20 नवंबर तक प्राप्त नहीं होगी।
मकर राशि
- धन एवं वस्त्र आदि के शुभ फल मिलेंगे। आपका परिश्रम बढ़ेगा। लेखन एवं या कार्य की अधिकता बनी रहेगी ।दायित्व,व्यस्तता बढ़ेगी ।विवाद से बचें ।किसी से कोई अपेक्षा रखना दुख का कारण हो सकता है। पुत्र वर्ग से असहयोग एवं अलगाव की स्थिति।धन  पर्याप्त प्राप्त होता रहेगा ।आरोप अपयश निकटवर्ती मित्र या रिश्तेदारों से लगेंगे. शारीरिक स्वास्थ्य की  चिंता करें .
किसी को कोई परामर्श सुझाव यह सलाह देना व्यर्थ रहेगा । बिना मांगे कोई भी सलाह देना उचित नहीं कहा जा सकता है ।
गुरु ग्रह अन्य ग्रहों के सहयोग से 10 अगस्त से 20 सितंबर तक ही कष्टप्रद सिद्ध हो सकता है जबकि 15 अगस्त तक विशेष पक्ष में रहेगा तथा 4 अक्टूबर से पूर्ण प्रतिकूल स्थितियों पर नियंत्रण स्थापित रहेगा।
कुंभ राशि /
सामाजिक राजनीतिक दृष्टि से स्वर्णिम समय है ।उच्च पद प्रतिष्ठा के अवसर हैं ।रुके हुए कार्य पूर्ण होंगे। पुत्रों की प्रगति एवं उनकी समस्याओं का समाधान होगा। दांपत्य जीवन विवाह या संतान संबंधित लंबित कार्य पूर्ण होंगे। नौकरी में पद बृद्धि ,अधिकार वृद्धि होगी। उच्च वर्ग अधिकारी या राज्य पक्ष से पूर्ण अनुकूलन रहेगा ।शुभ कार्यों एवं मैत्री संबंधों में वृद्धि होगी ।आपकी योजना आपके वचन मंत्र वत सिद्ध होंगे ।समय का भरपूर उपयोग कर लेना भविष्य की दृष्टि से उचित होगा ।
गुरु का गुरु ग्रह का विशेष शुभ फल 19 जुलाई से 20 अगस्त तक ही प्राप्त होगा जबकि 14 सितंबर के पश्चात नवंबर तक कोई विशेष अनुकूल फल प्राप्त होना संदिग्ध है।
मीन राशि -
कलह, क्लेश, पीड़ा ,असंतोष मानसिक कष्ट मनोबल में कमी प्रतीत होगी।धन का व्यय, शत्रुओं की ओर से चिंता या आपके विरुद्ध प्रयास जारी रहेंगे ।स्त्री वर्ग से सुख सहयोग या समन्वय की संभावनाएं कम हैं। किसी भी प्रकार राजनीति एवं उच्च पद के क्षेत्र में सफलता की संभावना नहीं है ।अपनी स्थिति को यथावत बनाए रखने के लिए अपेक्षा हीनता, धैर्य एवं शांति बनाए रखें। धन के क्षेत्र में किसी भी प्रकार की कोई जोखिम  या विनियोजन करने का परामर्श नहीं दिया जा सकता है।
सामान्य रूप से गुरु अन्य ग्रहों के सहयोग से 10  सितंबर  के पश्चात ही प्रतिकूल स्थितियां निर्मित करेगा। 
गुरु के अनुसार प्रभाव कम करने के लिए आवश्यक है कि मंगल ग्रह का उपाय अवश्य करें।
नोट- ग्रहों के उपाय में विशेष सावधानी बरतना आवश्यक है अन्यथा शुभ होने के बदले या प्रतिकूल प्रभाव पर नियंत्रण होने के स्थान पर और अधिक अशुभ प्रभाव उत्पन्न होते हैं।
गुरु एवं मंगल के अशुभ प्रभाव रोकने के लिए कुंडली पर आधारित उन वस्तुओं का जो गुरु मंगल से संबंधित है सेवन उपयोग प्रयोग बढ़ाया जाए अथवा इन दोनों ग्रहों से संबंधित वस्तुओं का दान एवं व्रत पूजा आदि की जावे या व्यक्ति विशेष की कुंडली पर निर्धारित होता है राशि के आधार पर गुरु या मंगल के दान का परामर्श नहीं दिया जा सकता है। किसी योग्य ज्योतिषी से कुंडली के आधार पर जानकारी लेकर यह सुनिश्चित करें कि यदि मंगल आपके लिए उपयोगी है तो मूंगा आदि पहन कर एवं मंगल से संबंध वस्तुओं का उपयोग कर मंगल के प्रभाव बढ़ाए जाएं अथवा यदि जन्म कुंडली के आधार पर मंगल अशुभ ग्रह की यह कारक ग्रह की स्थिति में है तो मंगल से संबंधित दान करना उचित होगा पूजा करना उचित होगा या व्रत करना उचित होगा परंतु किसी भी स्थिति में शुभ होने पर दान करना सिद्धांत रूप से वर्जित है।
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श्राद्ध रहस्य - क्यों करे , न करे ? पिंड रहित , महालय ? किसी भी कर्म का पूर्ण फल विधि सहित करने पर ही मिलता है | * श्राद्ध में गाय का ही दूध प्रयोग करे |( विष्णु पुराण ) | श्राद्ध भोजन में तिल अवश्य प्रयोग करे | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि - श्राद्ध अपरिहार्य - अश्वनी माह के कृष्ण पक्ष तक पितर अत्यंत अपेक्षा से कष्ट की   स्थिति में जल , तिल की अपनी संतान से , प्रतिदिन आशा रखते है | अन्यथा दुखी होकर श्राप देकर चले जाते हैं | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि इसको नहीं करने से पीढ़ी दर पीढ़ी संतान मंद बुद्धि , दिव्यांगता .मानसिक रोग होते है | हेमाद्रि ग्रन्थ - आषाढ़ माह पूर्णिमा से /कन्या के सूर्य के समय एक दिन भी श्राद्ध कोई करता है तो , पितर एक वर्ष तक संतुष्ट/तृप्त रहते हैं | ( भद्र कृष्ण दूज को भरणी नक्षत्र , तृतीया को कृत्तिका नक्षत्र   या षष्ठी को रोहणी नक्षत्र या व्यतिपात मंगलवार को हो ये पिता को प्रिय योग है इस दिन व्रत , सूर्य पूजा , गौ दान गौ -दान श्रेष्ठ | - श्राद्ध का गया तुल्य फल- पितृपक्ष में मघा सूर्य की अष्टमी य त्रयोदशी को मघा नक्षत्र पर चंद्र हो | - क

विवाह बाधा और परीक्षा में सफलता के लिए दुर्गा पूजा

विवाह में विलंब विवाह के लिए कात्यायनी पूजन । 10 oct - 18 oct विवाह में विलंब - षष्ठी - कात्यायनी पूजन । वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए - दुर्गतिहारणी मां कात्यायनी की शरण लीजिये | प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना के समय , संकल्प में अपना नाम गोत्र स्थान बोलने के पश्चात् अपने विवाह की याचना , प्रार्थना कीजिये | वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए प्रति दिन प्रातः सूर्योदय से प्रथम घंटे में या दोपहर ११ . ४० से १२ . ४० बजे के मध्य , कात्ययानी देवी का मन्त्र जाप करिये | १०८बार | उत्तर दिशा में मुँह हो , लाल वस्त्र हो जाप के समय | दीपक मौली या कलावे की वर्तिका हो | वर्तिका उत्तर दिशा की और हो | गाय का शुद्ध घी श्रेष्ठ अथवा तिल ( बाधा नाशक + महुआ ( सौभाग्य ) तैल मिला कर प्रयोग करे मां भागवती की कृपा से पूर्वजन्म जनितआपके दुर्योग एवं   व्यवधान समाप्त हो एवं   आपकी मनोकामना पूरी हो ऐसी शुभ कामना सहित || षष्ठी के दिन विशेष रूप से कात्यायनी के मन्त्र का २८ आहुति / १०८ आहुति हवन करिये | चंद्रहासोज्

कलश पर नारियल रखने की शास्त्रोक्त विधि क्या है जानिए

हमे श्रद्धा विश्वास समर्पित प्रयास करने के बाद भी वांछित परिणाम नहीं मिलते हैं , क्योकि हिन्दू धर्म श्रेष्ठ कोटी का विज्ञान सम्मत है ।इसकी प्रक्रिया , विधि या तकनीक का पालन अनुसरण परमावश्यक है । नारियल का अधिकाधिक प्रयोग पुजा अर्चना मे होता है।नारियल रखने की विधि सुविधा की दृष्टि से प्रचलित होगई॥ मेरे ज्ञान  मे कलश मे उल्टा सीधा नारियल फसाकर रखने की विधि का प्रमाण अब तक नहीं आया | यदि कोई सुविज्ञ जानकारी रखते हो तो स्वागत है । नारियल को मोटा भाग पूजा करने वाले की ओर होना चाहिए। कलश पर नारियल रखने की प्रमाणिक विधि क्या है ? अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए , उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै प्राची मुखं वित्त्नाश्नाय , तस्माच्छुभम सम्मुख नारिकेलम अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए कलश पर - नारियल का बड़ा हिस्सा नीचे मुख कर रखा जाए ( पतला हिस्सा पूछ वाला कलश के उपरी भाग पर रखा जाए ) तो उसे शत्रुओं की वृद्धि होती है * ( कार्य सफलता में बाधाएं आती है संघर्ष , अपयश , चिंता , हानि , सहज हैशत्रु या विरोधी तन , मन धन सर्व दृष्टि से घातक होते है ) उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै कलश पर -