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24 दिसम्बर- कार्य-मुहूर्त- समय ,किस राशी? उपाय-दान,भोजन मन्त्र ,नाम- भविष्य,

 


उपाय,मुहूर्त,कार्य,मन्त्र,दान,नक्षत्र,तिथि,दिन,दोष

24 दिसम्बर- कार्य-मुहूर्त- समय ,किस राशी? उपाय-दान,भोजन मन्त्र  ,नाम- भविष्य,

(मुहूर्त चिंतामणि एवं वराहमिहिर सूत्र आधारित  -कौनसा कार्य,किस राशिवाले , किस समय प्रारंभ करे ?)

            By-Renowned Astrologer –Pt.V.K.tiwari”jyotish-Shiromani”

                          Vaastu, Palmist, Horo, Numerology; +49 Years Experience

                                                    jyotish9999@gmail.com;9424446706

                  -   भविष्य -नाम के  प्रथम  अक्षर से-

-नाम के  प्रथम  अक्षर (व्यक्ति,वस्तु,कम्पनी,स्थान का नाम ) वालो के लिए दिन सुख बाधक -- -ई,उ,एओ,वा,वी,वू,वे,वो टो,,पी,पू,,,,पे,पो भो,जा,जी,खी,खू,खे,खो,ग,गी. 

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    -आज के उपाय-

देवाधिदेव शिव –“प्रयास से अभीष्ट कार्य पूर्ण होते है |”

-वृश्चिक,सिंह,मीन  राशी /  नाम न.म,,, से प्रारंभ हो उनको निम्न उपाय करना चाहिए-

अनिष्ट नाशक एवं सफलता के उपाय-

जैन मंत्र-

श्री सुविधिनाथ भगवान या श्री पुष्पदंत भगवान ।

ॐ ह्रीं शुक्र ग्रहारिष्ट निवारक-श्री पुष्पदन्त नाथ जिनेन्द्राय नम:

सर्व शांतिं कुरु कुरु स्वाहा।।

मम (अपना नाम) दुष्ट ग्रह रोग कष्ट निवारणं सर्वशांतिं कुरू कुरू हूँ फट् स्वाहा।

-- दान- चावल ,चांदी मिश्री ,सफेद पुष्प,

-दही ,सफेद वस्त्रसफेद चंदनसुगंधित द्रव्य दान करे ।।

गायत्री मंत्र-

(गायत्री मन्त्र पश्चात् गृहस्थ को आवश्यक है बोलना  -)

आपो ज्योति रस अमृतम ।परो रजसे सावदोम 

ओम भृगुजाय विद्महे दिव्यदेहाय धीमहि

तन्नो शुक्रः प्रचोदयात् ।।आपो ज्योति रस अमृतम ।परो रजसे सावादोंम ।

- ॐ भृगुसुताय विद्महे दिव्यदेहाय धीमहि तन्नः शुक्रः प्रचोदयात् ॥

पौराणिक मंत्र -108 बारॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः ॥

- ब्रह्माण्डपुराण

दैत्य मन्त्री गुरुस्तेषां प्राणदश्च महामति:।

प्रभु: तारा ग्रहाणां च पीडां हरतु मे भृगु: ।।

दैत्यों के मंत्री और गुरु तथा उन्हें जीवनदान देने वालेतारा ग्रहों के स्वामी

महान् बुद्धिसंपन्न शुक्र मेरी पीड़ा को दूर करें ।। ब्रह्माण्डपुराण

- ॐ अन्नात्परिस्त्रुतो रसं ब्रह्मणा व्यपित्क्षत्रं पय: सोमं प्रजापति:। ऋतेन सत्यमिन्द्रियं विपानं  शुक्रमन्धस इन्द्रस्येन्द्रियमिदं पयोऽमृतं मधु।। (यजु. 19।75)

शाबर मन्त्र – (श्रद्धा आवश्यक शुद्धता सामान्य)

ओम गुरू जी शुक्रवार शुक्राचार।मन धरो धीर। कोई नर नारी वीर।नौ नाड़ी बहत्तर कोठा की रक्षा करे।शुक्रवार भार्गव गोत्र श्वेत वर्ण सोलह हजार जाप,भोजकट देशपूर्व स्थानपंचकोण मंडल ९ अंगुल वृष तुला राशि के गुरू को नमस्कार।

सत फिरे तो वाचा फिरे।पान फूल वासना सिंहासन धरे। तो इतरो काम शुक्रवार जी महाराज करे। ओम फट् स्वाहा ll

2-दान - सफ़ेद गाय कन्या या देवी मंदिर मे दान करे ।।

-3- घर से प्रस्थान पूर्व क्या खाएं–कच्चा दूध ,जौ barley

-दही अवश्य उपयोग करना चाहिए ।

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2- उपाय अवश्य करे- सिंह,धनु,कुम्भ  राशी वाले बाधा नाश के लिए ।

उपाय अवश्य करे -वृष,कन्या,मीन   राशी वाले बाधा नाश के लिए ।

- फल ,खट्टेपदार्थ; मूली, करेला, तेल व्यंजन उत्पाद का प्रयोग नहीं करे ।बेल फल,फल ,खटाई या खट्टी वस्तु खाने से कलंक लगता है।

- हविष्य (अग्नि को अर्पित भोजन का शेष )भोजन में शामिल करे ।

कार्य के पूर्व   - नागों की पूजा करने से विष का भय नहीं रहता ।स्त्री ,त्र और लक्ष्मी भी प्राप्त होती है।

मन्त्र-ॐ द्वादश नाग राजाय नम:। ऊं सर्पेभ्यो नम: तथा नाग गायत्री ऊं नव कुलाय विद महे विष दंताय धीमहि तन्नो सर्प प्रचोदयात।

ll नवनाग स्तोत्र ll

अनन्तं वासुकिं शेषं पद्म नाभं च कम्बलं,शन्ख पालं ध्रूतराष्ट्रं च तक्षकं कालियं तथा

एतानि नव नामानि नागानाम च महात्मनं,सायम काले पठेन्नीत्यं प्रातक्काले विशेषतः

तस्य विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेतll इति श्री नवनागस्त्रोत्रं सम्पूर्णं ll

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3 -मेष राशी /  नाम च,,अ प्रारंभ हो उनको निम्न उपाय करना चाहिए-

अग्रलिखित के दर्शन,दान,स्मरण,प्रसन्नता एवं पालन पोषण के उपाय उपयोगी कामना पूरक एवं विघ्न नाशक होंगे -देवता: पितर स्वामी: केतुनक्षत्र -पालनीय-पूज्य वृक्ष: बरगद; नक्षत्र तत्व प्रयोग या स्पर्श  या प्रयोग -: अग्नी

नक्षत्र प्राणी को भोजन --: उंदीर

हव्य-कव्य के द्वारा पूजे गए सभी पितृगण धन-धान्य, भृत्य, पुत्र तथा पशु प्रदान करते हैं।

-ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्. ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च। नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम: ।

ॐ पितृभ्य: स्वधायिभ्य स्वाधानम: पितामहेभ्य: स्वधायिभ्य: स्वधानम: ।

प्रपितामहेभ्य स्वधायिभ्य स्वधानम: अक्षन्न पितरोSमीमदन्त:

पितरोतितृपन्त पितर:शुन्धव्म । ॐ पितरेभ्ये नम: ।

पौराणिक मंत्र :

पितरः पिण्डह्स्ताश्च कृशाधूम्रा पवित्रिणःl

कुशलं द्घुरस्माकं मघा नक्षत्र देवताःll

नक्षत्र देवता मन्त्र:- ॐ पितृभ्यो नमःl

नक्षत्र नाम मंत्र:- ॐ मघायै नमः

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       आज प्रारंभ किये जाने वाले कार्य के शुभ - समय- “वराहमिहिर-सूत्र”

 

9:36 - 10:12

14:36 - 15:12,  21:00 - 21:36

16:48 - 17:32

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समान्य मुहूर्त -                  

कार्य प्रारंभ शुभ –

हवन,यज्ञ दिन –रात;विद्या आरंभ;

-सम्पत्ति, -19:41-04:10तक ;

Up to-04:10 AMरात्रि तक कटाई,रोपण संस्कार मुहूर्त, |

*अनुष्ठान,vaastu,,धार्मिक कार्य मुहूर्त नहीं |

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                    कौनसा कार्य?किस समय? किस राशिवाले करे ?

             संदर्भ-सुप्रसिद्ध  ग्रन्थ –“मुहूर्त चिंतामणि “के सूत्रों से निर्मित - राहू काल,गुलिक काल या पंचक, अशुभ चौघडिया आदि  हजारो दोष से मुक्त मुहूर्त  |

1-कोई भी शुभ योग या मुहूर्त सभी कार्यों या समस्त राशियों के लिए नहीं होता है |

          निम्न मुहूर्त किस कार्य एवं किस राशी के लिए किस समय कार्य प्रारंभ शुभ ?-

                            लग्न-होरा  आधरित कार्य के मुहूर्त निम्न हैं-

      - कार्य उद्देश्य के अनुसार एवं राशि के अनुसार ,प्रारम्भ हेतु शुभ समय |

- 1- 10:44-11:49 बजे तक -कुंभ स्थिर कार्य कार्य कर सकते हैं (लग्न एवं होरा-कार्य) -

आज किये जाने वाले  कार्य

व्यापार, कृषि, जल-यात्रा,भूमि,Project,नए नियम,शिलान्यास,जनहित कार्य|

कर्क राशि राशि छोड़ कर,शेष सभी राशियों के लिए उपयुक्त|

 

2-BY 12:14-13:16 PM-मीन लग्न एवं होरा-अस्थिर +स्थिरकार्य

-तिलक वस्त्र अलंकार -बनवाना धारण करना एवं मंगल,शुभ कार्य |

सिंह,राशि छोड़ कर सभी राशि के लिए उपयुक्त|

3- 13:48-15:01 -मेष लग्न एवं होरा-अस्थिर प्रकृति कार्य बजे तक :

कार्य सूचि -यात्रा,एग्रीमेंट, नए वस्त्र आभूषण, जमीन खोदना ,

 जोखिम के कार्य, टीका या राज्य तिलक,स्वागत,अभिनंदन।

कन्या,वृष,मकर ,मेष कुम्भ,कन्या राशि छोड़ कर,शेषसभी राशियों के लिए उपयुक्त|

4-17:36-19:13 बजे तक :मिथुन अस्थिर एवं स्थिर कार्य कर सकते हैं - (लग्न एवं होरा-कार्य)-कार्य)-विज्ञान ,विवाद ,शिल्प, कला ,शुभ कार्य राज्य अभिषेक।

यह मुहूर्त वृष,कर्क एवं वृश्चिक राशी के लिए वर्जित है|शेष समस्त राशियों के लिए शुभ है|

5- कर्क-अस्थिर प्रकृति कार्य  लग्न एवं होरा-19:31-:21-31:

जलाशय ,निर्माण प्रतिष्ठा ,शांति कार्य, चित्रकला, लेखन। cv बनाना।

सिंह एवं धनु राशि हेतु वर्जित शेष सभी राशियों के लिए उपयुक्त|

 (मकर राशि राशि छोड़ कर,शेष सभी राशियों के लिए उपयुक्त)|

6-00:11-01:49बजे तक :

(कन्या लग्न एवं होरा-कार्य)-अस्थिर एवं स्थिर कार्य कार्य कर सकते हैं-

ज्ञान, विद्यारंभ, आभूषण बनवाना, समस्त  औषधि निर्माण शिक्षा समस्त मंगल कार्य।

मिथुन,तुला कुम्भ राशि छोड़ कर,शेष सभी राशियों के लिए उपयुक्त|

7- 02:21-04:06-अस्थिर प्रकृति के कार्य –( तुला लग्न एवं होरा)-

कृषि यात्रा व्यापार मंगल कार्य यज्ञोपवीत पशुपालन पीतल की धातु से संबंधित।

मीन, राशि राशि छोड़ कर,शेषसभी राशियों के लिए उपयुक्त|

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-पंचक नहीं  - केवल 05 कार्य वर्जित ,अन्य समस्त कार्य नक्षत्र के अनुसार शुभ –

 1दाह संस्कार,2छप्पर डालना,3दक्षिण दिशा यात्रा 4लकड़ी घास

भूसा एकत्र,5पलंग या चारपाई बुनना ये पांच कर्म ही वर्जित (ज्योतिष  ग्रंथो में उल्लेखित )है |

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  भद्रा –रात्रि से है | 

 ( भद्रा सदैव अशुभ नहीं होती है |)

स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।

मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।

(दुर्गा पूजा श्रेष्ठ भद्रा काल,स्वर्ग भद्रा - आर्थिक , कृषि एवं अनाज सम्बंधित कार्यों के लिए ,

पाताळ भद्रा धन से सम्बंधित कार्य सफल ,मृत्यु लोक या भूमि की भद्रा सभी कार्यों में असफलता देती है |होली एवं रक्षाबंधन में विशेष वर्जित भद्रा काल |)शेष समस्त कार्य किये जासकते है |)

                 निर्विघ्न यात्रा सम्पन्न हो  -प्रस्थान पूर्व , मंत्र- 
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l

भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

                                               घर से प्रस्थान पूर्व-(Before Step out )

-*नासिका के दाहिने या वाएं जिस और से स्वास चल रही हो उस ओर का पैर पहले द्वार से बाहर निकाले |

मार्गशीर्ष माह -ताजी सब्जियां प्रयोग करें

 प्रयोग ना करें- जीरा ,मसूर ,चना ,लौकी ,जिमीकंद ,ग्वार फली, सहजन फली ,करेला ,नेनुआ ,ककडी, पपीता अनाज ,तरबूज ख,रबूज ,हरी मिर्च ,सूखा धनिया, हरा धनिया, लोग मटके का जल|

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समस्या उपाय-कुंडली निर्माण |

Success-job,Carrier,day to day life ?

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