23 दिसम्बर- कार्य-मुहूर्त- समय ,किस राशी? उपाय-दान,भोजन
मन्त्र ,नाम- भविष्य,
(मुहूर्त
चिंतामणि एवं वराहमिहिर सूत्र आधारित -कौनसा
कार्य,किस राशिवाले , किस समय प्रारंभ करे ?)
By-Renowned
Astrologer –Pt.V.K.tiwari”jyotish-Shiromani”
Vaastu, Palmist, Horo, Numerology; +49 Years
Experience
jyotish9999@gmail.com;9424446706
- भविष्य -नाम
के प्रथम अक्षर से-
-नाम के प्रथम अक्षर (व्यक्ति,वस्तु,कम्पनी,स्थान का नाम ) वालो के लिए
दिन सुख बाधक
-ये यो भ,भी भू ध,फ,ढ,भे. मा मी,मू,मे,मो,टा,टी,टू, टे ,चू,चे,चो ला ली लू ले लो अ.
-सिंह,मेष,धनु राशी वालो को उपाय करना
हित कर होगा _______________________________________________________________
अशुभ योग- वैधृति 12:11 बजे तक PM l
आज प्रारंभ किये जाने वाले कार्य के लिए शुभ समय- “वराहमिहिर-सूत्र”
शुभ समय-17:24 - 18:12; 21:36 - 23:12
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समान्य मुहूर्त -
अनिष्ट नाशक धार्मिक कार्य
मुहूर्त 12:11 तक |
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–
किस राशिवाले के लिए दिन में कौनसा समय अनुकूल ?
कौनसा
कार्य,किस समय करे ?
संदर्भ-सुप्रसिद्ध ग्रन्थ –“मुहूर्त चिंतामणि “के सूत्रों से
निर्मित - राहू काल,गुलिक काल या पंचक, अशुभ
चौघडिया आदि हजारो दोष से मुक्त
मुहूर्त |
-कोई भी शुभ योग या मुहूर्त सभी कार्यों या
समस्त राशियों के लिए नहीं होता है |
निम्न
मुहूर्त किस कार्य एवं किस राशी के लिए किस समय कार्य प्रारंभ शुभ ?-
लग्न-होरा आधरित कार्य के मुहूर्त निम्न हैं-
- कार्य उद्देश्य के अनुसार एवं राशि के
अनुसार ,प्रारम्भ हेतु शुभ समय |
- 1- 10:14-11:39 बजे तक -कुंभ स्थिर कार्य कार्य कर सकते हैं (लग्न
एवं होरा-कार्य) -
आज
किये जाने वाले कार्य –
व्यापार, कृषि, जल-यात्रा,भूमि,Project,नए
नियम,शिलान्यास,जनहित कार्य|
कर्क
राशि राशि छोड़ कर,शेष सभी राशियों के लिए उपयुक्त|
2-BY 12:11-13:06 PM-मीन लग्न एवं
होरा-अस्थिर +स्थिरकार्य
-तिलक
वस्त्र अलंकार -बनवाना धारण करना एवं मंगल,शुभ कार्य |
सिंह,राशि छोड़
कर सभी राशि के लिए उपयुक्त|
कन्या,वृष,मकर ,मेष कुम्भ,कन्या
राशि छोड़ कर,शेषसभी राशियों के लिए उपयुक्त|
3-18:06-19:03 बजे तक :मिथुन अस्थिर एवं स्थिर कार्य कर सकते हैं -
(लग्न एवं होरा-कार्य)-कार्य)-विज्ञान ,विवाद ,शिल्प, कला ,शुभ कार्य राज्य अभिषेक।
यह
मुहूर्त वृष,कर्क एवं वृश्चिक राशी के लिए वर्जित है|
शेष
समस्त राशियों के लिए शुभ है|
4-19:31-:21-31: कर्क-अस्थिर प्रकृति कार्य लग्न एवं होरा-
जलाशय ,निर्माण प्रतिष्ठा ,शांति
कार्य, चित्रकला, लेखन। cv बनाना।
सिंह एवं धनु राशि हेतु वर्जित शेष सभी
राशियों के लिए उपयुक्त|
(मकर राशि राशि छोड़ कर,शेष
सभी राशियों के लिए उपयुक्त)|
5-19:21-:21:11:कर्क-अस्थिर
प्रकृति कार्य लग्न एवं होरा-
जलाशय
,निर्माण
प्रतिष्ठा ,शांति कार्य, चित्रकला, लेखन।
cv बनाना।
सिंह
एवं धनु राशि हेतु वर्जित शेष सभी राशियों के लिए उपयुक्त
6-00:11-01:45बजे तक :
(कन्या
लग्न एवं होरा-कार्य)-अस्थिर एवं स्थिर कार्य कार्य कर सकते हैं-
ज्ञान, विद्यारंभ, आभूषण
बनवाना, समस्त
औषधि निर्माण शिक्षा समस्त मंगल कार्य।
मिथुन,तुला
कुम्भ राशि छोड़ कर,शेष सभी राशियों के लिए उपयुक्त|
7- 02:11-04:01-अस्थिर प्रकृति के कार्य –( तुला लग्न
एवं होरा)-
कृषि यात्रा व्यापार मंगल कार्य
यज्ञोपवीत पशुपालन पीतल की धातु से संबंधित।
मीन, राशि राशि छोड़ कर,शेषसभी
राशियों के लिए उपयुक्त|
-आज
के उपाय-
देवाधिदेव
शिव –“प्रयास से अभीष्ट कार्य पूर्ण होते है |”
-तुला,मकर
राशी / नाम र,त,ख,ज,से
प्रारंभ हो उनको निम्न उपाय करना चाहिए-
--सौभाग्य
सफलता वृद्धि के लिए
*सर्व
सिद्धिम,सफलताम च सर्व वान्छाम पूरय पूरय में नम: /
स्वाहा ।
-स्नान
जल मे मिला नदी या तीर्थ जल,-चमेली पुष्प ,सफेद के अभाव मे
पीली
सरसों ,गूलर ,मुलेठी
,मिला कर स्नान करे ।
2--
दान-
पीला
अनाज ,चना,शकरपीले
पुष्प .हल्दी,केसर।
पीला
वस्त्र पीला फल पपीता केला आदि दान करे।
3-दान
किसको दे -
गुरु,ज्ञानी पुरुष,ब्राह्मण
या ज्ञान,शिक्षा कर्म करने वाले को या
शिक्षण
संस्था,शिक्षक,विष्णु,कृष्ण,राम
मंदिर मे दानकरना चाहिए ।
-
गायत्री मंत्र-
- ॐ सुराचार्याय विद्महे सुरश्रेष्ठाय धीमहि
तन्नो गुरुः प्रचोदयात् ॥
ओम
अंगिरसाय विद्महे दिव्यदेवताय धीमहि तन्नो जीवः प्रचोदयात ।।आपो ज्योति रस अमृतम
।परो रजसे साव दोम ।
-देवमन्त्री
विशालाक्ष: सदा लोकहिते रत:।
अनेकशिष्यसम्पूर्ण:
पीडां हरतु मे गुरु: ।।
सर्वदा
लोक कल्याण में निरत रहने वालेदेवताओं के मंत्रीविशाल नेत्रों वाले
तथा
अनेक शिष्यों से युक्त बृहस्पति मेरी पीड़ा को दूर करें ।। ब्रह्माण्डपुराण
वैदिक
मन्त्र –
ॐ
बृहस्पते अति यदर्यो अर्हाद् द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु। यद्दीदयच्छवस ऋतुप्रजात
तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम्।। (यजु. 26।3) एक बार ॥
या
पौराणिक मंत्र -108 बारॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरूवे नमः ॥
जैन
मंत्र-
ॐ
ह्रीं णमो आयरियाणं ।ॐ ह्रीं गुरु
ग्रहारिष्ट निवारकश्री महावीर जिनेन्द्राय नम
सर्वशांतिं
कुरु कुरु स्वाहा।मम (.अपना नाम ) दुष्ट ग्रह रोग कष्ट निवारणं सर्वशांतिं कुरू
कुरू हूँ फट् स्वाहा।
शाबर
मन्त्र –ll
ओम
गुरूजी बृहस्पतिवार मनमें बसे।पांचो इन्द्रिय बस मे करे।
सो
निशि घर उग्या भाण। ध्यावो बृहस्पतिवार गंगा का है सिनान।
बृहस्पतिवार
अंगिरा गोत्र,पीत वरण उन्नीस हजार जाप सिन्धुदेश
उत्तरस्थानचतुर्थ मंडल ६ अंगुल।धनु मीन राशि केगुरू को नमस्कार।सत फिरे तो वाचा
फिरे।
पान
फूल वासना सिहासन धरे तो इतरो काम बृहस्पतिवारजी महाराज करे।
ओम
फट् स्वाहा ll
-
प्रस्थान पूर्व क्या खाएं–
––दही
curd,जीरा ।
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2- उपाय
अवश्य करे-
-तुला
एवं मकर राशी वाले बाधा नाश के लिए ।
-नमक, बाल नाख़ून काटना, बेल
पत्र तोडना व्यंजन उत्पाद का प्रयोग नहीं करे ।
-मूली
खाने से धन का नाश होता है।- हलवा भोजन में शामिल करे ।
-कार्य
के पूर्व
-
गणेश का पूजन करना चाहिए। इससे सभी विघ्नों का नाश हो जाता है।
-ॐगं
गणपतये नम:।
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3 अग्रलिखित के दर्शन,दान,स्मरण,प्रसन्नता
एवं पालन पोषण के
उपाय उपयोगी कामना पूरक एवं विघ्न नाशक होंगे –
-मीन राशी /
नाम च,द से प्रारंभ हो उनको निम्न उपाय करना चाहिए-
अग्रलिखित
के दर्शन,दान,स्मरण,प्रसन्नता एवं पालन पोषण के उपाय उपयोगी कामना
पूरक एवं विघ्न नाशक होंगे –
नक्षत्र
देवता: सर्प नक्षत्र स्वामी : बुध
नक्षत्र
आराध्य वृक्ष: नागकेसर नक्षत्र प्राणी : मार्जार ,नक्षत्र तत्व : जल
नागों
की पूजा करने से नागदेव निर्भय कर देते हैं, काटते
नहीं।
अनन्तं
वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलं,शन्खपालं
ध्रूतराष्ट्रं च तक्षकं कालियं तथाएतानि नव नामानि नागानाम च महात्मनं,सायम काले पठेन्नीत्यं प्रातक्काले विशेषतःतस्य
विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेतll इति
श्री नव नाग स्त्रोत्रं सम्पूर्णं ll
वेद
मंत्र
ॐ
नमोSस्तु सर्पेभ्योये के च पृथ्विमनु:।
ये
अन्तरिक्षे यो देवितेभ्य: सर्पेभ्यो नम: ।
ॐ
सर्पेभ्यो नम:।
पौराणिक
मंत्र:
सर्पोरक्त
स्त्रिनेत्रश्च फलकासिकरद्वयःl
आश्लेषा
देवता पितांबरधृग्वरदो स्तुमे ll
नक्षत्र
देवता नाममंत्र:- ॐ सर्पेभ्यो नमःl
नक्षत्र
नाम मंत्र:-
ॐ
आश्लेषायै नमःl
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-पंचक है - केवल 05 कार्य वर्जित ,अन्य समस्त कार्य नक्षत्र के अनुसार
शुभ –
1दाह संस्कार,2छप्पर डालना,3दक्षिण
दिशा यात्रा 4लकड़ी घास
भूसा एकत्र,5पलंग
या चारपाई बुनना ये पांच कर्म ही वर्जित (ज्योतिष
ग्रंथो में उल्लेखित )है |
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भद्रा –नहि |
( भद्रा सदैव अशुभ नहीं होती है |)
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले
च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य
विनाशिनी।।
(दुर्गा
पूजा श्रेष्ठ भद्रा काल,स्वर्ग भद्रा - आर्थिक , कृषि
एवं अनाज सम्बंधित कार्यों के लिए ,
पाताळ
भद्रा धन से सम्बंधित कार्य सफल ,मृत्यु लोक या भूमि की भद्रा सभी कार्यों में
असफलता देती है |होली एवं रक्षाबंधन में विशेष वर्जित भद्रा काल
|)शेष
समस्त कार्य किये जासकते है |)
निर्विघ्न यात्रा सम्पन्न हो -प्रस्थान पूर्व , मंत्र-
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
घर से प्रस्थान पूर्व-(Before Step out )
-*नासिका के दाहिने या वाएं जिस और से स्वास चल रही हो उस ओर का पैर
पहले द्वार से बाहर निकाले |
मार्गशीर्ष माह -ताजी सब्जियां प्रयोग करें
प्रयोग ना करें- जीरा ,मसूर ,चना ,लौकी ,जिमीकंद ,ग्वार फली, सहजन फली ,करेला ,नेनुआ ,ककडी, पपीता अनाज
,तरबूज ख,रबूज ,हरी मिर्च ,सूखा धनिया, हरा धनिया, लोग मटके का जल|
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समस्या उपाय-कुंडली निर्माण |
Success-job,Carrier,day to day life ?
Would you like to know yours Lucky –
Days,Nights,Months,Years,Partners,Spouse
name,
-City,Company,Institute,Directions,
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