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26 दिसम्बर- उपाय,मुहूर्त एवं समय? नाम से भविष्य, राशी का दिन में शुभ समय आदि –अमूल्य बहुउपयोगी दुर्लभ जानकारी ।-मुहूर्त चिंतामणि एवं वराहमिहिर सूत्र आधारित -कौनसा कार्य,किस राशिवाले , किस समय प्रारंभ करे ?




नाम एवं राशी के लिए
- विश्व के प्रमुख नगरो में ,किसी कार्य को करने के लिए कौनसा समय शुभ

रहेगा (ज्योतिष के प्रसिद्ध मुहूर्त ग्रन्थ ,मुहूर्त चिंतामणि एवं आचार्य वराहमिहिर के अनुसार )?

-दिन में संभावित विघ्न ,बाधा,अवरोध,कष्ट रोकने के सरल उपाय जनहित में प्रस्तुत ।

Presented for public interest and for a happy and successful life.

-For the zodiac signs ,(in majaor cities of the world ), to do specific work,

Rare priceless versatile calculation of auspicious time based on the famous text of astrology – Muhurta Chintamani: and Acharya Varahmihir's formula -Simple steps to remove obstacles.

            By-Renowned Astrologer –Pt.V.K.tiwari”jyotish-Shiromani”

                          Vaastu, Palmist, Horo, Numerology; +49 Years Experience

                                 jyotish9999@gmail.com;9424446706

                          -   भविष्य -नाम के  प्रथम  अक्षर से-

-नाम के  प्रथम  अक्षर (व्यक्ति,वस्तु,कम्पनी,स्थान का नाम ) वालो के लिए दिन सुख बाधक -- सी, सू,से, सो, द, रा, री रू,रे ,रो, ता,ती, तू ते. का, की, कू,,,,के, को, ह.

-मिथुन,तुला,कुम्भ राशी को उपाय करना चाहिए ।

शेष समस्त के लिए उत्तम दिन व्यतीत होगा |

  _________________________________________________________________                                                  -आज के उपाय-

           दिन स्वामी,नक्षत्र स्वामी एवं तिथि देवता जन्य शुभ –अशुभ परिणाम होते हैं

 इसलिए इनके देवताओं से सम्बंधित उपाय करने से अनिष्ट का नियंत्रण होता है -  

संभावित अनिष्ट का प्रयास प्रतिरोध आवश्यक-

देवाधिदेव शिव –“प्रयास से अभीष्ट कार्य पूर्ण होते है

सभी मन्त्र आवश्यक नहीं जो सरल संभव हो (वैदिक श्रेष्ठ )उनका प्रयोग करे |

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दिन दोष उपाय -

मेष राशी या च ल,अ,अक्षरसे प्रारंभ नाम वालो को उपाय करना चाहिए-

-स्नान जल मे कनेर पुष्प ,केसर,खस.इलायची मिला कर स्नान करे ।

-सूर्य देव को जल अर्पण करे ।मंत्र -खखोलकाय नमः ।

-  दान-गुड,लाल,वस्त्र,पुष्पतांबा नारंगी वस्तु,लाल चन्दन कनेर लाल पुष्प ।

दान -लाल गाय ,सूर्य मंदिर10 वर्ष तक के बच्चे,विष्णु,कृष्ण मंदिर मे  दे सकते है।।

3- घर से प्रस्थान पूर्व खाएं–

–रसाल,आम,घी,पान मे से कोई भी पदार्थ ।

गायत्री मन्त्र-

–ओम सप्त तुरंगाय विद्महे सहस्त्र किरणाय धीमहि

तन्नो सूर्यः प्रचोदयात् ।।आपो ज्योति रस अमृतम ।परो रजसे सावादोंम ।

पौराणिक-मन्त्र-

ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः ॥

जैन धर्म मंत्र-

’ ऊँ ह्रीं अर्हं सूर्य ग्रहारिष्ट निवारक। श्री पद्म प्रभु जिनेन्द्राय नमः सर्वशांतिं कुरू कुरू स्वाहा।

मम (अपना नाम) दुष्टग्रहरोगकष्टनिवारणं सर्वशांतिं कुरू कुरू हूँ फट् स्वाहा।

ब्रह्माण्डपुराण-मन्त्र

                     ग्रहाणाम आदिरात्यो लोक रक्षण कारक:।

विषम स्थान सम्भूतां पीडां हरतु मे रवि: ।।

ग्रहों में प्रथम परिगणित अदिति के पुत्र तथा विश्व की रक्षा करने वाले,

भगवान सूर्य विषम स्थान जनित मेरी पीड़ा का हरण करें ।।

वैदिक मन्त्र

- ॐ आ कृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यं च। हिरण्ययेन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन् (यजु. 33। 4334। 31)

शाबर मन्त्र –

ll ओम गुरूजी दीत दीत महादीत । दूत सिमरू दसो द्वार । घट मे राखे घेघट पार तो गुरू पावूं दीतवार । दीतवार कश्यप गोत्र,रक्त वर्ण जाप सात हजार कलिंग देश मध्य स्थान वर्तुलाकार मंडल १२ अंगुल सिंह राशि के गुरू को नमस्कार ।सत फिरे तो वाचा फिरे,पीन फूल वासना सिंहासन धरेतो इतरो काम दीतवार जी महाराज करे ओम फट् स्वाहा ।

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तिथि दोष उपाय -

उपाय अवश्य करे -मिथुन,कर्क राशी वाले बाधा नाश के लिए ।

-ताड़ का फल खाने से रोग होते हैं एवं आवला,कटहल व्यंजन उत्पाद का प्रयोग नहीं करे ।

- पूआ भोजन में शामिल करे ।

-फलाहार अथवा मीठा भोजन ।नमक के परित्याग करने से भगवान सूर्यदेव कि कृपा सदैव बनी रहती है।

कार्य के पूर्व   - चित्रभानु नामवाले भगवान सूर्यनारायण का पूजन करना चाहिएये सबके स्वामी एवं रक्षक हैं।

-ॐ चित्रभानवे नम।ऊँ घृणि सूर्याय नम:।।”

ऊँ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्नो सूर्यः प्रचोदयत।।

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नक्षत्र जन्यदोष शांति के उपाय -

अग्रलिखित के दर्शन,दान,स्मरण,प्रसन्नता एवं पालन पोषण के उपाय उपयोगी कामना पूरक एवं विघ्न नाशक होंगे -देवता - अर्यमा , स्वामी: रवि; , प्राणी को भोजन --: गाय; , तत्व प्रयोग या स्पर्श  या प्रयोग - :वायु;वृक्ष पाकड़

वेद मंत्र
ॐ दैव्या वद्धर्व्यू च आगत गवं रथेन सूर्य्यतव्चा ।
मध्वायज्ञ गवं समञ्जायतं प्रत्नया यं वेनश्चित्रं देवानाम ।
ॐ अर्यमणे नम: ।
पौराणिक मंत्र:
संपूजयाम्यर्यमणं फाल्गुनी तार देवताम् l
धुम्रवर्णं रथारुढं सुशक्तिकरसंयुतम् ll
नक्षत्र देवता मन्त्र :- ॐ अर्यम्ने नमः
नक्षत्र नाम मंत्र:- ॐ उत्तरा फाल्गुनीभ्यां नमःl

                           ------------------------------------------

                    कौनसा कार्य?किस समय? किस राशिवाले करे ?

             संदर्भ-सुप्रसिद्ध  ग्रन्थ –“मुहूर्त चिंतामणि “के सूत्रों से निर्मित - राहू काल,गुलिक काल या पंचक, अशुभ चौघडिया आदि  हजारो दोष से मुक्त मुहूर्त 

1-कोई भी शुभ योग या मुहूर्त सभी कार्यों या समस्त राशियों के लिए नहीं होता है

          निम्न मुहूर्त किस कार्य एवं किस राशी के लिए किस समय कार्य प्रारंभ शुभ ?-

India and Abroad

 Method of amending the time mentioned in the auspicious time article - (+/-hours, minutes)

                     India : (+/- hours: minutes, modified to local time of city)

Delhi (+) 00:02, Mumbai, Surat (+) 00:16, Ahmedabad (+) 00:21, Amritsar(+) 00:08, Chennai (-) 00:08, Raipur- CG (-) 00: 07, Jabalpur (-) 00:12, Patna (-) 00: 31, Calcutta (-) 00:44;

                      World (+/- hours: minutes, modified in their local time) :

Singapore (+) 01:08, Kathmandu (-) 00:15, Tokyo (-) 00.:18, Paris (-) 00:19, London (+) 00:33, Toronto (+) 00:21, Moscow (-) 00:11, Taipei (+) 00:09. ,

                           -----------------------------------------------------------

       आज प्रारंभ किये जाने वाले कार्य के शुभ - समय- “वराहमिहिर-सूत्र”

Time-8:12 - 8:48 ; 20:00 - 20:24 ; 00:12 - 00:48  

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   मुहूर्त -  कार्य प्रारंभ शुभ   -

सर्वार्थ सिद्ध योग -07:11 से 17:30तक ;            

– सूर्योदय पूर्व 05:30 तक गुरु ग्रह हवन विशेष उपयोगी |

             - सूर्योदय पूर्व 05:30 से राहू की  अनिष्ट नाशक आहुति |

*संस्कार ,अनुष्ठान, कृषि कार्य ,बागबानी,शपथ,तिलक,अग्रीमेंट , मुहूर्त 08:27 के बाद ।

शल्य क्रिया,औषधि प्रयोग,चिकित्सक परामर्श , वेद,पूराण,धर्म ग्रन्थ वाचन श्रवण -17:30 के पश्चात |

---------------------------------------------------------------------------------------

      -राशियों हेतु कार्य ,प्रारम्भ के-शुभ उपयोगी समय समय

- 1- 10:44-11:39 बजे तक -कुंभ स्थिर कार्य कार्य कर सकते हैं (लग्न एवं होरा-कार्य) -

आज किये जाने वाले  कार्य

व्यापार, कृषि, जल-यात्रा,भूमि,Project,नए नियम,शिलान्यास,जनहित कार्य

कर्क राशि राशि छोड़ कर,शेष सभी राशियों के लिए उपयुक्त

 

2-BY 12:14-13:06 PM-मीन लग्न एवं होरा-अस्थिर +स्थिरकार्य

-तिलक वस्त्र अलंकार -बनवाना धारण करना एवं मंगल,शुभ कार्य ।

सिंह,राशि छोड़ कर सभी राशि के लिए उपयुक्त।

3- 13:28-14:41 -मेष लग्न एवं होरा-अस्थिर प्रकृति कार्य बजे तक :

कार्य सूचि -यात्रा,एग्रीमेंट, नए वस्त्र आभूषण, जमीन खोदना ,

 जोखिम के कार्य, टीका या राज्य तिलक,स्वागत,अभिनंदन।

कन्या,वृष,मकर ,मेष कुम्भ,कन्या राशि छोड़ कर,शेषसभी राशियों के लिए उपयुक्त।

4-17:26-18:43 बजे तक :मिथुन अस्थिर एवं स्थिर कार्य कर सकते हैं - (लग्न एवं होरा-कार्य)-कार्य)-विज्ञान ,विवाद ,शिल्प, कला ,शुभ कार्य राज्य अभिषेक।

यह मुहूर्त वृष,कर्क एवं वृश्चिक राशी के लिए वर्जित हैशेष समस्त राशियों के लिए शुभ है

5- 19:31-:21-11 कर्क-अस्थिर प्रकृति कार्य  लग्न एवं होरा-:

जलाशय ,निर्माण प्रतिष्ठा ,शांति कार्य, चित्रकला, लेखन। cv बनाना।

सिंह एवं धनु राशि हेतु वर्जित शेष सभी राशियों के लिए उपयुक्त।

 (मकर राशि राशि छोड़ कर,शेष सभी राशियों के लिए उपयुक्त)

6-00:01-01:39बजे तक :

(कन्या लग्न एवं होरा-कार्य)-अस्थिर एवं स्थिर कार्य कार्य कर सकते हैं-

ज्ञान, विद्यारंभ, आभूषण बनवाना, समस्त  औषधि निर्माण शिक्षा समस्त मंगल कार्य।

मिथुन,तुला कुम्भ राशि छोड़ कर,शेष सभी राशियों के लिए उपयुक्त

7- 02:11-03:46-अस्थिर प्रकृति के कार्य –( तुला लग्न एवं होरा)-

कृषि यात्रा व्यापार मंगल कार्य यज्ञोपवीत पशुपालन पीतल की धातु से संबंधित।

मीन, राशि राशि छोड़ कर,शेषसभी राशियों के लिए उपयुक्त।

--------------------------------------------------------------------------------------

-पंचक नहीं  - केवल 05 कार्य वर्जित ,अन्य समस्त कार्य नक्षत्र के अनुसार शुभ –

 1दाह संस्कार,2छप्पर डालना,3दक्षिण दिशा यात्रा 4लकड़ी घास

भूसा एकत्र,5पलंग या चारपाई बुनना ये पांच कर्म ही वर्जित (ज्योतिष  ग्रंथो में उल्लेखित )है

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  भद्रा –नहीं  है  

 ( भद्रा सदैव अशुभ नहीं होती है )

स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।

मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।

(दुर्गा पूजा श्रेष्ठ भद्रा काल,स्वर्ग भद्रा - आर्थिक , कृषि एवं अनाज सम्बंधित कार्यों के लिए ,

पाताळ भद्रा धन से सम्बंधित कार्य सफल ,मृत्यु लोक या भूमि की भद्रा सभी कार्यों में असफलता देती है होली एवं रक्षाबंधन में विशेष वर्जित भद्रा काल )शेष समस्त कार्य किये जासकते है )

                 
 
 
 
                निर्विघ्न यात्रा सम्पन्न हो  -प्रस्थान पूर्व , मंत्र- 
               शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l

                 भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

                                               घर से प्रस्थान पूर्व-(Before Step out )

-*नासिका के दाहिने या वाएं जिस और से स्वास चल रही हो उस ओर का पैर पहले द्वार से बाहर निकाले ।

मार्गशीर्ष माह -ताजी सब्जियां प्रयोग करें।

 प्रयोग ना करें- जीरा ,मसूर ,चना ,लौकी ,जिमीकंद ,ग्वार फली, सहजन फली ,करेला ,नेनुआ ,ककडी, पपीता अनाज ,तरबूज ख,रबूज ,हरी मिर्च ,सूखा धनिया, हरा धनिया, लोग मटके का जल।

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समस्या उपाय-कुंडली निर्माण ।

Success-job,Carrier,day to day life ?

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Days,Nights,Months,Years,Partners,Spouse name,

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विवाह में विलंब विवाह के लिए कात्यायनी पूजन । 10 oct - 18 oct विवाह में विलंब - षष्ठी - कात्यायनी पूजन । वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए - दुर्गतिहारणी मां कात्यायनी की शरण लीजिये | प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना के समय , संकल्प में अपना नाम गोत्र स्थान बोलने के पश्चात् अपने विवाह की याचना , प्रार्थना कीजिये | वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए प्रति दिन प्रातः सूर्योदय से प्रथम घंटे में या दोपहर ११ . ४० से १२ . ४० बजे के मध्य , कात्ययानी देवी का मन्त्र जाप करिये | १०८बार | उत्तर दिशा में मुँह हो , लाल वस्त्र हो जाप के समय | दीपक मौली या कलावे की वर्तिका हो | वर्तिका उत्तर दिशा की और हो | गाय का शुद्ध घी श्रेष्ठ अथवा तिल ( बाधा नाशक + महुआ ( सौभाग्य ) तैल मिला कर प्रयोग करे मां भागवती की कृपा से पूर्वजन्म जनितआपके दुर्योग एवं   व्यवधान समाप्त हो एवं   आपकी मनोकामना पूरी हो ऐसी शुभ कामना सहित || षष्ठी के दिन विशेष रूप से कात्यायनी के मन्त्र का २८ आहुति / १०८ आहुति हवन करिये | चंद्रहासोज्

कलश पर नारियल रखने की शास्त्रोक्त विधि क्या है जानिए

हमे श्रद्धा विश्वास समर्पित प्रयास करने के बाद भी वांछित परिणाम नहीं मिलते हैं , क्योकि हिन्दू धर्म श्रेष्ठ कोटी का विज्ञान सम्मत है ।इसकी प्रक्रिया , विधि या तकनीक का पालन अनुसरण परमावश्यक है । नारियल का अधिकाधिक प्रयोग पुजा अर्चना मे होता है।नारियल रखने की विधि सुविधा की दृष्टि से प्रचलित होगई॥ मेरे ज्ञान  मे कलश मे उल्टा सीधा नारियल फसाकर रखने की विधि का प्रमाण अब तक नहीं आया | यदि कोई सुविज्ञ जानकारी रखते हो तो स्वागत है । नारियल को मोटा भाग पूजा करने वाले की ओर होना चाहिए। कलश पर नारियल रखने की प्रमाणिक विधि क्या है ? अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए , उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै प्राची मुखं वित्त्नाश्नाय , तस्माच्छुभम सम्मुख नारिकेलम अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए कलश पर - नारियल का बड़ा हिस्सा नीचे मुख कर रखा जाए ( पतला हिस्सा पूछ वाला कलश के उपरी भाग पर रखा जाए ) तो उसे शत्रुओं की वृद्धि होती है * ( कार्य सफलता में बाधाएं आती है संघर्ष , अपयश , चिंता , हानि , सहज हैशत्रु या विरोधी तन , मन धन सर्व दृष्टि से घातक होते है ) उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै कलश पर -