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COIVID-19 कोरोना आतंक रहस्य एवं पटाक्षेप





COIVID-19 कोरोना आतंक रहस्य एवं पटाक्षेप

(भारत के माननीयप्रधानमंत्री श्री युत मोदी जी की जन हित मे  सटीक निर्णय दक्षता एवं क्षमता को साधुवाद एवं सर्व सफलता की शुभ कामना |)
विश्व की प्रमुख घटनाओं में समस्त नौ ग्रह एवं उपग्रह ग्रहों का प्रभाव होता है ।
जिसका आकलन भारत के ऋषियों के द्वारा समय-समय पर किया जाता रहा था।
यह विद्या अब किस स्वरूप में है?
हां तक मेरा अनुमान है एवं अनुभव है ऋषि
 मुनि वर्ग के द्वारा पृथ्वी पर बैठे-बैठे ,ग्रहों की कारगुजारी , एवं उन पर नियंत्रण
 कैसे किया जा सकता था इसका उनको अद्भुत ज्ञान था ।
जो कालांतर में काल के गाल में समा गया। अब उसका 5% शेष है यह
कहना मुश्किल है ।पृथ्वी पर नक्षत्र का प्रभाव, नक्षत्रों पर ग्रहों के संचरण 
 प्रभाव की व्याख्या के लिए गोचर,कुंडली निर्माण का सिद्धांत लागू किया गया ।
जिसमें कुंडली के नैसर्गिक स्थान 1 से 12 है ।
   महामारी के लिए उत्तरदाई ग्रह ,नक्षत्र ?
मूलभूत रूप से बड़ी बड़ी घटनाओं के लिए ,महामारी के लिए,शनि, राहु, बुध एवं
गुरु उत्तरदाई होते हैं ।मंगल के द्वारा उनके सहयोग किया जाता है ।
चन्द्र सूर्य की भूमिका किसी भी कार्य को प्रारंभ करने में ही महत्वपूर्ण होती है ।
उसके बाद नियंत्रण राहु शनि  ग्रह के हाथ में चला जाता है ।
क्या कोई ग्रह अकेले ही घटना को घटित कर सकता है ?
विशेष ध्यातव्य तथ्य यह हे कि ,09 ग्रह एवं इनके उपग्रह मे से कोई अकेले
कोई बड़ी घटना करने मे सक्षम नहीं |प्रत्येक ग्रह चराचर पर जीव से निर्जीव तक,
पशु,पक्षी,पत्थर ,वनस्पति,पाँच तत्व पर पृथक 2 एवं सीमित अधिकार ही रखता हे |
रोग विशेष क्यो? किस कारण? इसका उत्तर ,शरीर का पीड़ित समीष्टि रूपक
अंग ,अन्य किस 2 अंग से जुड़ा संबन्धित हे ?व्यष्टि सूक्ष्म रूप से
कौन 2 से  कितने अंग रोग विशेष से संबन्धित, इन अंगो
की सहायक नसे,तन्तु,नाड़ी कौन2 सी हें ,उनमे द्रव्य,प्रवाहित तरल क्या हे ?
यह जान लेने के पश्चातम किस ग्रह,उपग्रह से परोक्ष एवं प्रत्यक्ष प्रभावित हें |
Covid-19 क्यो?कब तक :ज्योतिष के नेत्रों से-
   "कोरोना वाइरस "  सांसों के द्वारा फेफड़ों तक पहुंचकर कष्टकारी स्थिति बनाता है
 या प्रत्यक्ष रूप से सर्दी जुकाम खांसी बुखार के रूप में पनपता है.
इनके कारणभूत ग्रह ,नक्षत्र कौन2 से हें ?
        
महामारी परिपेक्ष्य:सर्वप्रथम नक्षत्रों का प्रभाव ,कारक या कारण
किसी कार्य को करने में नक्षत्र की अहम भूमिका होती है।
नक्षत्र ही प्रमुख आधार हैंनक्षत्र के चार चरण होते हें | ये नक्षत्र एवं
इनके चरण ग्रह विशेष के साथ जुड़ कर ही फलदायी कारणभूत होते हें|
कोई ग्रह जब नक्षत्र विशेषपर पहुंचता है, तो छद्म शक्ति को जागृत या
 परोक्ष को प्रत्यक्ष मे परिवर्तित कर देता है, जैसे बीज मे वृक्ष:अग्नि ,
अंगारे में विद्यमान होती है, वायु एवं ईंधन के सहयोग से धधक कर ,
विनाशकारी हो जाती है।ऐसे ही सूर्य, शनि,मंगल, राहु,केतु ग्रह जैसे ही
विनाशक ,रोगद,महामारी की क्षमता वाले नक्षत्र पर पहुँचते हैं या अपनी प्रकृति के ,
नक्षत्र के भाग अपने परम मित्र नक्षत्र ,या उसके किसी भाग विशेष मे/
चरण  मे पहुँचते हें उनके कारी एवं पृकृति के अनुरूप,विश्व मे
चराचर प्रभावित होने लगते हें एवं घटनाएं घटित होने लगती है।
सभी ग्रह अपने 3 नक्षत्रो पर विशेष फलदायी होते हें |
मित्र नक्षत्रो पर सहयोग करते हें | उच्च राशि के नक्षत्रो पर प्रबल होते हें |
    महामारी किन नक्षत्र की कारगुजारी-
     
कुछ नक्षत्र विशिष्ट हैं महामारी के लिए- पूर्वाषाढा नक्षत्र उत्तराभाद्र नक्षत्र
 
उग्र  नक्षत्रों में पूर्वाभाद्र तथा उत्तराभाद्र का विशिष्ट महत्व है।
उत्पात,मृत्यु,अकाल काल की दृष्टि सेनक्षत्र एवं ग्रह का संयोग -
1-रेवती , मूल ,रेवती;नक्षत्र पर बुद्ध
2-सूर्य-उत्पात- विशाखा नक्षत्र पर;मृत्यु अनुराधा;काल-ज्येष्ठा।
  
3- मंगल- शतभिषा ,पूर्वाभाद्रपद ,धनिष्ठा  पर अशुभ कारी बन जाता है ।
4- राहू -आर्द्रा,मृगशिरा,शतभीषा ,स्वाति |
   "कोरोना वाइरस "  सांसों के द्वारा फेफड़ों तक पहुंचकर कष्टकारी
स्थिति बनाता है |
इस वाइरस के पोषण संकमण करने वाले नक्षत्र
आर्द्रा, मृगशिरा हें जो कि ,सर्दी जुकाम खांसी बुखार के*खांसी, जुकाम,
निमोनिया, दमा,गले की सूजन ,नजला रोग हैं।
महामारी के लिए राहू ,मृत्यु के लिए राहू ,केतू शनि,मगल हें |
आर्द्रा, नक्षत्र पर महामारी का कारक राहू 22 सितंबर तक विराजित रहेगा |
महामारी का कारक राहु , अपनी उच्चराशि मिथुन ,जो बुध ग्रह का घर हे ,
उसमे बैठा है |मिथुन राशि (समूह)जो कि आर्द्र,मृगशिरा,एवं आंशिकत: पुनर्वसु
नक्षत्रों का समूह है |
मिथुन राशि कि प्रकृति एवं इसके अधिकार क्षेत्र मे शरीर के अंग एवं
उनसे संबन्धित रोग मूल रूप से कंठ,फेफड़े, छाती में कफ,दमा, संक्रमण है।*
महामारी का कारक ,गंदा,अपवित्र,नष्ट कर्ता ,विच्छेदक,विध्वंसक प्रकृति वाला राहु
मिथुन राशि पर है जो मिथुन राशि के गुणो द्वारा महामारी /
मृत्यु ,अकाल काल के गाल मे ,कोरोना वाइरस कि अग्नि मे मानव प्राणो
कि  आहुती दे रहा है |
आपदा विपदा कब तक -

जब तक यह ग्रह इस मिथुन राशि पर रहेगा ,तब तक आपदा,विषाणु,
जीवाणु संक्रामण के नए 2 उपकरण उत्पन्न कर्ता रहेगा क्योकि इसका मित्र
दंडाधिकारी शनि इसको भरपूर सहयोग कर्ता रहेगा |
मिथुन राशि का क्षेत्र पाश्चात्य विद्वान के अनुसार,
मिथुन राशि का परिणाम कोरोना वायरस है |
मिथुन राशि किस प्रकार से इस रोग या महामारी से संबंधित है इस संदर्भ में-
Gemini-1-Internal-Nervous Disease.
               2-External-Arms,Hands
3-,From cslvicleto the phalangas of the fingers.
4-The oxygenation of the blood is prominent function.
5-Thymus glands.
Ref-Medical Astrology by Heinrich Saath-
)
       
ग्रह उपग्रह पृथक पृथक शुभ अशुभ स्थितियों में आते रहते हैं ,
परंतु 9 में से अधिकांश ग्रह यदि उत्पात, मृत्यु ,काल,उग्र एवं रोग विशेष में
 प्रबल या उच्च स्थिति में हो तो विनाशलीला प्रारंभ।नक्षत्रों की स्थिति में हो
अथवा जब ग्रह विशेषकर बुध वक्री होता है तब स्थिति और विकट हो जाती है।
              उदय अस्त का भी बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है।
शुक उदय अस्त 
अनीष्टद भी होताहे | चंद्रमा अति शीघ्र चलने वाला ग्रह है परंतु जब भी
 वह शनि के साथ आता है तो जन धन का अनिष्ट करने में प्रभावी हो जाता है ।
  
महामारी:  ग्रह की स्थिति नक्षत्र, उदय,अस्त, वक्री-
उग्र नक्षत्र-पूर्वाषाढ़ा(शीत, ज्वर कारी) एवं पूरवाभाद्र नक्षत्र पर देखें .
केतु मोक्ष/मृत्यु के नक्षत्र मूल पर 12 फरवरी2020 से है।
राहू -22 सितंबर एशिया ,भारत से कोरोना मुक्ति |
सूर्य 29 दिसंबर से 11 जनवरी एवं 4 मार्च से 14 मार्च तक :
बुध 31 मार्च से 7 अप्रैल तक ;
शनि 26 दिसंबर 2019 तक प्रत्यक्ष इसके बाद मकर राशि पर परोक्ष |
-korona control-समस्त नियंत्रणात्मक आदेश योजना शासन की 5 से 
अधिक बार होंगी ,पंचक नक्षत्रों मे ही होंगी|
(धनिष्ठा,शतभीषा,पूर्वा,उत्तरा भाद्र ,रेवती) आदेश नियंत्रण -औचित्यपरक
अवश्यकता, हे शुभ मंगलकार्य  नहीं  |
     राहु उच्च राशि के नक्षत्र आर्द्रा एवं मृगशिरा पर ।
जिसमें आर्द्रा पर राहु 27 सितंबर 2019 से प्रवेश कर चुका था ।
आर्द्रा को शिव का नक्षत्र या प्रलयंकारी नक्षत्र भी माना जाता है ।
केतु ग्रह-मूल नक्षत्र पर है जो मोक्ष कारक है ।
शुक्र 30 मई 2020 को अस्त होकर 8 जून को उदय होगा-दुर्भिक्ष करेगा। इसका
मृगशिरा में अस्त होना भी जनहितकारी नहीं है।
शुक्र माह मई जून में जापान,इटली,रोम,बंगाल,वर्मा आदि में प्राकृतिक प्रकोप
भूगर्भीय प्रकोप में लिए तत्पर रहेगा।जून से शुक्र राजनेताओ,महापुरुषों
के लिए, सरकार के लिए विशेष अशुभ।मार्च,जून मे महगाई में अनपेक्षित वृद्धि रस,
फल,आलू,कपूर,आदि महगे |
पंजाब,गुजरात के लिए जून से 8अगस्त तक अशुभ।
महामारी प्रकोप" कब तक-
बुध " प्रमुख सहयोगी -
1-बुध महामारी के लिए ततपर रहता है ज्येष्ठा, पुभा, उभा, रेवती,
अश्वनी नक्षत्र पर ।"तीक्ष्ण गति"संज्ञा।
16
दिसम्बर से 25 दिसम्बर तक ज्येष्ठा,
पुभा, से अश्वनी तक-बुध31 मार्च से 14 मई तक रहेगा।
2-बुध ग्रह उत्तराभाद्र नक्षत्र में 16 अप्रैल को अस्त हो जाएगा जो कि
18 मई को प्रभाव में पुनः आएगा ।
3-बुध रोग ,शोक,क्लेश देने के लिए मूल,पूषा, उषा नक्षत्रीय कुप्रभाव
को चुनता है  | इन पर बुद्ध की गति को"योगन्तिका गति"कहा गया
 जो अत्यंत अनिष्टकारी मानी जाती है।जन हानि /लोगो की मृत्यु
बड़ी संख्या में होती है।दुर्घटनाये अनपेक्षित होती हैं।
25
दिसम्बर 2019 से 19 जनवरी 2020 तक बुध हाहाकारी था।
   
इसका अर्थ है -16 अप्रैल से कोरोना वायरस पर नियंत्रण के लिए बुद्ध तत्पर है।

शनि
  
1- शनि ऊषा एवं श्रवण पर होने से पूरे वर्ष में शस्त्र प्रयोग,राष्ट्र प्रमुखों में
 मतभेद वैमनस्यता वृद्धि करेगा।कृषि नष्ट।
2-मकर का शनि-जनवरी2020 से रोग से जन विनाश।अग्नि से हानि।अशांति जन्य।
यवन, पहाड़ी वर्ग के लिए मृत्यु तुल्य।रोग संक्रमण से जन हानि।
3-श्रवण में प्रवेश 22 जनवरी 2021 से राज्यपाल,मुख्यमंत्री, राष्ट्रपति,
राष्ट्र अध्यक्ष ,देश प्रधान के लिए अनिष्टकारी होगा।
4-11 मई से 11 दिन मे 11शनि गति प्रभाव से कोरोना मे नया निर्णय होगा | 
शनि जनहित मे निर्णय करायर्गा | मंगल-
1-वृश्चिक राशी में मंगल 12 दिसम्बर2019 में आया था, जिसके कारण बीमारियों का प्रकोप,
राजनीतिक उठापटक, महामारी विशेष पूर्वी देशों में।
2-19 जनवरी से रोग वृद्धि कर रहा,ज्येष्ठा पर विराजित।8फरवरी से पीड़ा दाई मूल पर।
3-पूषा उषा पर 27 फरवरी से 6अप्रेल तक महगाई विशेष रूप से दाले।
इसके बाद दक्षिण दिशा के देश प्रदेश में उत्पात।
4-03 मार्च से  मकर राशि में-शनि के साथ उच्च राशि मे--
फसल में रोग,पशु को रोग,गेहुंगुड,मसाले में महगाई, उत्तरी देशों प्रदेशो को आर्थिक कष्ट।
गुरु
1-गुरु 15 दिसम्बर 2019 को धनु राशि मे अस्त हुआ ,इस कारण
चिंता,भय,रोग की वृद्धि हुई।पाप ग्रहों के साथ  होने से ओर अधिक कुप्रभावित।
2-29 मार्च से गुरु तत्पर है नियंत्रण के लिए।
3-गुरु का मकर में प्रवेश 29 मार्च में होगा जो कि एक प्रकार से नियंत्रण
कार्य प्रतिकूल स्थितियों पर होगा |
4- 14 मई से 23 जून 30 जून कोवक्री होकर धनु राशि में 20 नवंबर तक रहेगा।
COVID-*19 निर्मूलन ?
  
  उक्त संक्षिप्त विश्लेषण उपरांत स्पष्ट रूप से नवंबर2019 से
ग्रह महामारी, जनधन हानि के लिए राहु एवं केतु को सहयोग करने लगे थे।
जिसमें राहू,शनि,के साथ ,मंगल ,बुध ग्रह अधिक सक्रीय थे,गुरु परोक्षतः
1-गुरु के द्वारा 29 मार्च से "रोग -सहयोग"बंद हो जाएगा।
2-बुध16 अप्रेल से ,
3-मंगल 24 अप्रेल से "कोरोना आतंक पर नियंत्रण"शुरू कर देगा।
आगे क्या ?
     1-  शनि एवं राहु ग्रह तथापि जनधन हानि ,विप्लव कारी
23 सितंबर तक "कोरोना" या नए रोग मृत्यु कारण के लिए बने रहेंगे।जून अंतिम सप्ताह से 29 अगस्त
 तक उत्तरोत्तर कोरोना संकट बढ़ेगा विशेष कर्नाटकबंगलोर विशेष,मुंबई,मध्यप्रदेश विशेष इंदोर ;भोपाल |23 सितंबर 
2-एकदम कोरोना की गति मे कमी आएगी ||
शनि एवं राहु सक्रीय कुछ नया विध्वंस करने की तैयारी में सन्नद्ध रहेंगे|
जिसके प्रभाव 2021 में मध्य वर्ष तक स्प्ष्ट विश्व पटल पर परिलक्षित होंगे।
3-स्पष्ट है की इटली जैसे देश के लिए आने वाले 15 महीने अनिष्ट कारी ही रहेंगे।
  
यह लेख "कोरोना' कारण एवं कब तक ।" तक सीमित है।
उपाय-शिव की पूजा।मंत्र।हवन।
आर्द्रा नक्षत्र वेद मंत्र

ॐ नमस्ते रूद्र मन्यवSउतोत इषवे नम: बाहुभ्यां मुतते नम: ।

ॐ रुद्राय नम: ।

मृगशिरा नक्षत्र वेद मंत्र

ॐ सोमधेनु गवं सोमाअवन्तुमाशु गवं सोमोवीर: कर्मणयन्ददाति

यदत्यविदध्य गवं सभेयम्पितृ श्रवणयोम । ॐ चन्द्रमसे नम: ।



 
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श्राद्ध रहस्य - क्यों करे , न करे ? पिंड रहित , महालय ? किसी भी कर्म का पूर्ण फल विधि सहित करने पर ही मिलता है | * श्राद्ध में गाय का ही दूध प्रयोग करे |( विष्णु पुराण ) | श्राद्ध भोजन में तिल अवश्य प्रयोग करे | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि - श्राद्ध अपरिहार्य - अश्वनी माह के कृष्ण पक्ष तक पितर अत्यंत अपेक्षा से कष्ट की   स्थिति में जल , तिल की अपनी संतान से , प्रतिदिन आशा रखते है | अन्यथा दुखी होकर श्राप देकर चले जाते हैं | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि इसको नहीं करने से पीढ़ी दर पीढ़ी संतान मंद बुद्धि , दिव्यांगता .मानसिक रोग होते है | हेमाद्रि ग्रन्थ - आषाढ़ माह पूर्णिमा से /कन्या के सूर्य के समय एक दिन भी श्राद्ध कोई करता है तो , पितर एक वर्ष तक संतुष्ट/तृप्त रहते हैं | ( भद्र कृष्ण दूज को भरणी नक्षत्र , तृतीया को कृत्तिका नक्षत्र   या षष्ठी को रोहणी नक्षत्र या व्यतिपात मंगलवार को हो ये पिता को प्रिय योग है इस दिन व्रत , सूर्य पूजा , गौ दान गौ -दान श्रेष्ठ | - श्राद्ध का गया तुल्य फल- पितृपक्ष में मघा सूर्य की अष्टमी य त्रयोदशी को मघा नक्षत्र पर चंद्र हो | - क

विवाह बाधा और परीक्षा में सफलता के लिए दुर्गा पूजा

विवाह में विलंब विवाह के लिए कात्यायनी पूजन । 10 oct - 18 oct विवाह में विलंब - षष्ठी - कात्यायनी पूजन । वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए - दुर्गतिहारणी मां कात्यायनी की शरण लीजिये | प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना के समय , संकल्प में अपना नाम गोत्र स्थान बोलने के पश्चात् अपने विवाह की याचना , प्रार्थना कीजिये | वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए प्रति दिन प्रातः सूर्योदय से प्रथम घंटे में या दोपहर ११ . ४० से १२ . ४० बजे के मध्य , कात्ययानी देवी का मन्त्र जाप करिये | १०८बार | उत्तर दिशा में मुँह हो , लाल वस्त्र हो जाप के समय | दीपक मौली या कलावे की वर्तिका हो | वर्तिका उत्तर दिशा की और हो | गाय का शुद्ध घी श्रेष्ठ अथवा तिल ( बाधा नाशक + महुआ ( सौभाग्य ) तैल मिला कर प्रयोग करे मां भागवती की कृपा से पूर्वजन्म जनितआपके दुर्योग एवं   व्यवधान समाप्त हो एवं   आपकी मनोकामना पूरी हो ऐसी शुभ कामना सहित || षष्ठी के दिन विशेष रूप से कात्यायनी के मन्त्र का २८ आहुति / १०८ आहुति हवन करिये | चंद्रहासोज्

कलश पर नारियल रखने की शास्त्रोक्त विधि क्या है जानिए

हमे श्रद्धा विश्वास समर्पित प्रयास करने के बाद भी वांछित परिणाम नहीं मिलते हैं , क्योकि हिन्दू धर्म श्रेष्ठ कोटी का विज्ञान सम्मत है ।इसकी प्रक्रिया , विधि या तकनीक का पालन अनुसरण परमावश्यक है । नारियल का अधिकाधिक प्रयोग पुजा अर्चना मे होता है।नारियल रखने की विधि सुविधा की दृष्टि से प्रचलित होगई॥ मेरे ज्ञान  मे कलश मे उल्टा सीधा नारियल फसाकर रखने की विधि का प्रमाण अब तक नहीं आया | यदि कोई सुविज्ञ जानकारी रखते हो तो स्वागत है । नारियल को मोटा भाग पूजा करने वाले की ओर होना चाहिए। कलश पर नारियल रखने की प्रमाणिक विधि क्या है ? अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए , उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै प्राची मुखं वित्त्नाश्नाय , तस्माच्छुभम सम्मुख नारिकेलम अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए कलश पर - नारियल का बड़ा हिस्सा नीचे मुख कर रखा जाए ( पतला हिस्सा पूछ वाला कलश के उपरी भाग पर रखा जाए ) तो उसे शत्रुओं की वृद्धि होती है * ( कार्य सफलता में बाधाएं आती है संघर्ष , अपयश , चिंता , हानि , सहज हैशत्रु या विरोधी तन , मन धन सर्व दृष्टि से घातक होते है ) उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै कलश पर -