प्रतिदिन पूजा प्रारम्भ के समय सर्वप्रथम पढ़िये.
नवग्रहाय नमः। ओम हृीं क्रीं
क्रीं क्रां चंडिका देव्यै शाप नाश अनुग्रहं कुरू 2। नमः गणाधिपतये नमः। ओम ब्रहम
वशिष्ठ विश्वामित्र शापाद् विमुक्ता भव। कुल्लुका मंत्र - क्रीं हूं स्त्रीं ह्रीं
फट्।
प्रातः घट स्थापना
शुभ समय
मीन लग्न
में विशेश शुभ| प्रातः घट स्थापना शुभ समय –भोपाल-06:23-07;20;बंगलोर-06:24-07;27;हैदराबाद-06:20-07;20;रायपुर-06:00-06;55; मुंबई--06:42-07;40; ग्वालियर--06:19-07;15 जयपुर--06:23-07;20 आगरा-06:20-07;15लखनऊ-06:23-07;20 कानपुर- -06:23-07;20 कलकत्ता--06:23-07;20 देहली-06:23-07:17
चंडीगढ़-06:24-07;15 कलकत्ता-05:39-6:35
लंदन-07:50-09:00 बजे तक |
पूजा के पूर्व अंगों को स्पर्श करते
हुए पढ़े:-
ओम ऐं हृीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै
नमः ।
ओम मूलं 9
नमः शिरसे स्वाहा। ओम मूलं 9 नमः शिखायै वशट्।
ओम मूलं 9
नमः कवचाय हुम। ओम मूलं 9 नमः नेत्रत्रयाय वौशट।
ओम मूलं 9
नमः अस्त्राय फट्। हृदयाय नमः।
नारियल कलश पर आड़ा रखेएमोटा
भाग अपनी ओर होए कलश मे नारियल फसाना अशुभ वर्जित
दीपक प्रज्वलित नमस्कार मंत्र
रुई की श्वेत बत्ती वर्जित एउसे लाल नरगी रंग
ले या मौली;कलावा की बत्ती प्रयोग करे
दीप ज्योति पर ब्रह्म, दीप ज्योति जनार्दनाः।
दीपो हरतु पापम, संध्या दीप नमोस्तुतेः।
शुभं करोति कल्याणं, आरोग्य सुख संपदामः।
शत्रु बुद्धि विनाशानं, मम् सर्व बाधा हरणं,
संपूर्ण पाठ क्रम:- 09 दिन मे पूरा पाठ कैसे
करे -
प्रतिपदा-प्रथम अध्याय; द्वितीया-द्वितीय; तृतीय
अध्याय;
तृतीया-चतुर्थ अध्याय; चतुर्थी-पंच, शष्ठ सप्तम,
अध्याय; पंचमी-अष्ठम नवं;
शष्ठी-दषंम, एकदश ; सप्तमी-द्वादश अष्टमी- त्रयोदशअध्याय।
दिनांक
मंत्र 25 मार्च
से 02
अप्रैल 2020
कामना पूर्ति हेतु देवी को अर्पण /वितरण
सामग्री
हवन .कमलगटातिल, जौ़
गुग्ल तिल, जायफल
चावल
बुधवार25
मार्च
ऊँ जगतपूत्ये जगद् वन्द्ये
शक्ति स्वरूपिणी
पूजाम ग्रहण कौमारी जगत् मातर
नमोस्तुते।
ऊँ शां शीं शूं शैलपुत्र्यै
मे शुंभ कुरू 2 स्वाहा।
ब्राह्मी ऊँ आं हौं ग्लूं
क्रौ व्री फट् ।
अर्पण
सामग्री दांपत्य सुख
रंग बिरंगे वस्त्र, दूब
चुनरी,खीर,दूध
कमलगटा पताका,
गाय,घी,
भजिया, शकर, पान
26गुरुवार
ऊँ त्रिपुरां त्रिगुण
धारां मार्ग ज्ञान स्वरूपिणी्।
त्रैलोक्य वंदितां देवी
त्रिमूर्ति पूजयाम् अहम्।
ऊँ ब्रां ब्रीं ब्रूं
ग्रह्मचारिष्यै नमः।
महेष्वरी ऊँ ह्रीं नमो
भगवती म्हाष्वर्ये- स्वाहा ।
अर्पण
सामग्री सफलता
दही,शक्कर बताषा, इत्र, फल, विष्णुकांता
पुष्प, पत्र उड़द
शकर, शहद, खीर, पान
27 शुक्रवार
ऊँ कालिकां तु कालातीतां
कल्याण हृदयाम् षिवम्।
कल्याण जननीं नित्यं
कल्याणीं पूजयाम्य अहम्।
ऊँ ह्रीं क्लीं श्रीं
चंद्रघंटायै स्वाहा । क्रौं कौमार्ये नमः।
अर्पण
सामग्री लौकिक सुख
तिल, मिश्री चूड़ी, गुलाल, शहद, रत्न, पान, वट
पत्र
पुआ, शहद, घी,
पान
28 शनिवार
ऊँ अणिमादि गुणोदारां मकराकार चक्षुशम्।
अनंत शक्ति भेदाम ताम कामाक्षीम्
पूज्ययाम्य हम्।
ऊँ ह्रीं नमो भगवती कूष्माण्डायै मम
शुभाषुभं स्वप्ने सर्व प्रर्दशय
प्रर्दष्य।
अर्पण
सामग्री बाधा शमन
दूध, तिल, मेवा,बिंदी, कमल पुष्प, बिल्व
पत्र
दूध, चना, लड्डू, पान
29 रविवार
ऊँ चण्डवीरां चण्डमायां
चण्डमुडं प्रभंजनीम्
तां नमामि च देवेर्षीं
चण्डिकां पूजयाम्य अहम्।
ऊँ ह्रीं सः
स्कंदमात्र्यै नमः। वाराही-ऐं ग्लौं ठं ठं ठं हुं स्वाहा
अर्पण
सामग्री कामना-पूर्ण
दही, मसूर, सिंदूर, बिल्वपत्र, फल, जायफल
केला, चूड़ी, खीर, पान
30 सोमवार
ऊँ सुखानंद करीं शांतां सर्व देत्यै
नमस्कृताम्।
सर्व भूतात्मिकां देवीं शांभवी पूजयाम्य अहम्।
ऊँ ह्रीं श्रीं कात्यायन्यै स्वाहा।
ऊँ श्रीं ह्रीं ऐ सौः क्लीं इंद्राक्षि
वज्र हस्तो फट् स्वाहा।
Arpan samgri
दान विजय
गायत्री, रिबिन, पीपल पत्र, शक्कर, हल्दी, फूल
माला,
शांक, शहद, लड्डू, पान
31मंगलवार
ऊँ चण्डवीरा चंडमायां
रक्तबीज प्रभंजनीम्।
तां नमामि च देवेषीं
गायत्री पूजयाम्य अहम्।
ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं
कालरात्रि सर्व वष्यम
ॐ
कुरू 2 वीर्य देहि 2 गणेष्वर्ये नमः।
Arpan samgri
आपदा-नाश
दूब पताका, चुनरी, खीर, दूध
कमलगटा यज्ञोपदीत
गुड़, मिश्री, खीर, पान
1अप्रेल बुधवार अष्टमी
ऊँ सुन्दरी स्वर्ण वर्णागीम्
सुख सौभाग्य दायिनीम्
संतोश जननीं देवीं सुभद्राम्
पूजां अहम्। ऊँ ह्रीं गौरी दयिते योगेष्वरि हुं फट् स्वाहा। ह्रीं श्रीं
महालक्ष्म्यै नमः।
Arpan samgri
धन वृद्धि
दही,शक्कर इत्र, फल, विष्णुकांता
पुष्प, उड़द
फल,
मुनक्का, पूड़ी, पान
2अप्रेल गुरुवार नवमी
ऊँ दुर्गमे दुस्तर कार्ये भव दुख
विनाषिनीं।
पूजां अहम् सदा भक्तया दुर्गा दुर्गति
नाषिनीम्।
ऊँ ह्रीं सः सर्वार्थसिद्धि दात्री
स्वाहा।
क्षौं नारसिंहये नमः। ॐ ह्रीं षिव
दूत्यै नमः।
Arpan samgri
संकल्प-पूर्ति
तिल, शक्कर चूड़ी, गुलाल, शहद, पान,
खीर, मीठी पूड़ी, पान
क्षमा याचना:- मंत्र हीनम् क्रिया
हीनम् भक्ति हीनम् सुरेष्वरिः तत् सर्वं क्ष्म्यतां देवि प्रसीद परमेश्वरी।
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दुर्गति हारिणी देवी दुर्गा की आरती
जगजननी जय ! जय!! माँ जगजननी जय ! जय
!! ।
भयहरिणी, भवतारिणि भवभमिनि जय जय।। टेक ।।
तू ही सत्-चित-सुखमय शुद्ध ब्रम्हरूपा ।
सत्य सनातन सुन्दर पर-षिव सुर-भूपा ।।1।।
जग.
आदि अनादि अनामय अविचल अविनाषी ।
अमल अनन्त अगोचर अज आनॅदराषी ।।2।।
जग.
अविकारी, अघहारी, अकल कलाधारी।
कर्ता विधि, भर्ता
हरि, हर सॅहारकारी ।।3।। जग.
तू विधि, वघू, रमा, तू उमा, महामाया।
मूल प्रकृति, विद्या
तू, तू जननी,
जाया।।4।। जग.
राम, कृष्ण तू, सीता, ब्रजरानी
राधा।
तू वान्छाकल्पद्रुम, हारिणि
सब बाधा।।5।। जग.
दश विद्या, नव
दुर्गा, नाना शस्त्रकरा।
अष्टमातृका, योगिनि, नव-नव-रूप-धरा
।।6।।
जग.
तू परधामनिवासिनि, महाविलासिनि
तू ।
तू ही श्मषानविहारिणि, ताण्डव-लासिनि
तू ।।7।। जग.
सुर-मुनि-मोहिनी सौम्या तू शोभाधारा।
विवसन विकट-सरूपा, प्रलयमयी, धारा।।8।।
जग.
तू ही स्नेहसुधामयि, तू
अति गरलमना।
रत्नविभूषित तू ही, तू
ही अस्थि-तना ।।9।। जग.
मूलाधार निवासिनी,
इह-पर-सिद्धिप्रदे ।
कालातीता काली, कमला
तू वरदे ।।10।। जग.
शक्ति शक्तिधर तू ही नित्य अभेदमयी ।
भदेप्रदर्षिनि वाणी विमले !
वेदत्रयी ।।11।।
जग.
हम अति दीन दुखी माँ ! विपत-जाल घेरे ।
हैं कपूत अति कपटी, पर
बालक तेरे ।।12।। जग.
निज स्वभाववश जननी ! दयादृष्टि की जै।
करूणा कर करूणामयि ! चरण-शरण दीजै ।।13।।
जग.
’
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