दुर्गा-देवी की भागवत पुराण मार्कंडेय पुराण
में उपलब्ध जानकारी प्रस्तुत
( त्रिदेव में श्रेष्ठ मां
भगवती योग माया)
देवी भागवत के पंचम स्कंध में त्रिदेव में श्रेष्ठ मां
भगवती को बताया गया है|
व्यास जी द्वारा त्रिदेवों
की तुलना में भगवती की
श्रेष्ठता प्रतिपादित की गई है |
भगवती योग माया के ही प्रभाव से प्रत्येक युग में भगवान विष्णु
विभिन्न अवतार लेते हैं |
अत्यंत रहस्य वाली भगवती नेत्र की पलक झपकने मात्र से जगत की
उत्पत्ति पालन तथा सम्हार कर सकती हैं |
इन्हीं मां भगवती योग माया के द्वारा श्रीकृष्ण को प्रसूति
गृह से निकालकर गोप राजनंद के भवन में पहुंचा कर उनकी रक्षा की गई|
यही योग माया कंस के विनाश के लिए श्री कृष्ण को मथुरा ले गई|
श्री कृष्ण को द्वारका बनाने की प्रेरणा इन्हीं मां भगवती ने दी |
मकड़ी के तंतु जाल में फंसे कीट की भांति विष्णु महेश आदि सभी देवी
भगवती की लीला से माया रूपी बंधन में पड़ जाते हैं और आवागमन के चक्र में भ्रमण
करते रहते हैं |
अर्थात मां देवी भगवती की पूजा का विशिष्ट महत्व है |
-वर्ष में तीन-तीन माह में इनकी पूजा के अवसर
आते हैं परंतु सामान्य वर्ग के लिए वर्ष में दो बार चैत्र एवम शारदीय नवरात्र
के रूप में इनकी पूजा का विधान है |
यह आगामी 6 माह तक आपत्ति विपत्ति को दूर करने मैं
सक्षम है|
नवरात्रि के नव दिन शारदीय नवरात्र कहलाते हैं| शारदीय नवरात्रि के अवसर पर खीर का भोग
प्रतिदिन श्रेष्ठ माना गया है श्रीमद् देवी भागवत के अष्टम स्कंध में इसका उल्लेख
है|
दुर्गा जी के हवन के लिए -
प्रथम 3 दिन ही उपयुक्त हैं अर्थात 25,26सितंबर एवं 27 मार्च |
अग्निवास के आधार पर 29
, सितंबर 1,3,5,7,9 अक्टूबर भी विशेष उपयोगी है |
प्रथम 3 दिन सूर्य ग्रह की उपासना के लिए |
सूर्य ग्रह के मंत्र का हवन भी विशेष उपयुक्त होगा| जिन कुंडली में सूर्य अशुभ हो अथवा सूर्य
की महादशा अंतर्दशा के बुरे परिणाम मिल रहे हो वह प्रथम 3 दिन यदि सूर्य का हवन करेंगे तो उनकी समस्त
आपत्ति विपत्ति दूर होंगी|
नवरात्रि के 9 दिनों की संक्षिप्त भोग एवं
अर्पण सामग्री की जानकारी -
25 मार्च -गुड़ी पड़वा,तिलक ,आरोग्य, एवं विद्या व्रत; मूल,मीन खरमास,उत्पात योग ,पंचक |
प्रतिपदा तिथि -स्वास्थ्य
के लिए -प्रतिपदा तिथि के दिन घी का दान एवं घी से देवी की पूजा करना चाहिए तथा घी
का ही दीपक प्रज्वलित करना चाहिए जिसकी बत्ती उत्तर अभिमुख हो|
बुधवार का दिन है
इसलिए मां भगवती को ताजा मक्खन का भोग लगाना श्रेष्ठ होता है
स्नान जल मे मिलाएँ सौभाग्य वृद्धि के लिए नदी या
तीर्थ जल,चावल,मोती शहद, जायफल ,पिपरामुल ,नदी या तीर्थ जल;
बाधा
मुक्ति के लिए दान- मूंग ,हरा वस्त्र ,चूड़ी,पालक ,फल कपूर(कन्या,व्यापारी,हिजड़ा,)
26 मार्च- सफलता प्रद सर्वार्थ सिद्धि योग -07.16प्रातः से/पर्यंत |
द्वितीय तिथि -दीर्घायु
के लिए -ग्रहों के आयु पर बाधा जनक प्रभाव को दूर करने के लिए द्वितीय तिथि को मां
जगदंबा की पूजा शक्कर से करना चाहिए अर्थात शक्कर उनको अर्पण करना चाहिए ब्राह्मण
को भी शक्कर ही दान करना चाहिए|
*गुरुवार का दिन * कारण लाल रंग की शक्कर अथवा गुड़ से
निर्मित शक्कर श्रेष्ठ मानी गई है कारण श्वेत शर्करा जैसे शक्कर का भोग लगाना
उत्तम माना गया है
स्नान जल मे मिलाएँ सौभाग्य वृद्धि के लिए नदी या
तीर्थ जल,-चमेली पुष्प ,सफेद के अभाव मे पीली सरसों ,गूलर ,मुलेठी ,
बाधा मुक्ति के लिए दान- पीला अनाज ,चना दाल, नमक ,शकर, पीले पुष्प पीला वस्त्र पीला फल पपीता केला आदि(ज्ञानी पुरुष,ब्राह्मण को ,विष्णु,कृष्ण,राम मंदिर मे )
27 मार्च- तृतीया है|गणगौर व्रत,मत्स्य अवतार,मनवादी, \
सफलता प्रद रवि योग व सर्वार्थ सिद्धि
योग -10.07प्रातः से/पर्यंत |
शुभ कार्य में सफलता के लिए 2:30 तक रवि योग है एवं विशेष पूजन के लिए रात्रि 12:45 से भद्रा योग है
दुख एवं शोक से मुक्ति के लिए तृतीया तिथि को देवी भगवती की पूजा में दूध अर्पण करना
चाहिए एवं दूध का ही दान करना प्रशस्त है|
स्नान जल मे मिलाएँ सौभाग्य वृद्धि के लिए नदी या तीर्थ जल,पिपरामुल,जायफल ,केसर,चंदन ,हल्दी,
बाधा मुक्ति के लिए दान- चावल ,चांदी मिश्री ,सफेद पुष्प, दही ,सफेद वस्त्र, सफेद चंदन, सुगंधित द्रव्य(सफ़ेद गाय को ।कन्या या देवी मंदिर)
28 मार्च -गणेश चतुर्थी व्रत है |रवियोग सफलता प्रद-सूर्योदय से दोपहर 12.50 तक |
विघ्न बाधाओं से सुरक्षा के लिए चतुर्थी तिथि को देवी जगदंबा को
मीठी पूरी अर्थात हुआ अर्पण करना चाहिए एवं हुआ का ही दान करना शुभ होगा|
शनिवार का दिन होने के कारण गाय के घी से निर्मित भोग
अर्पित करना श्रेष्ठ माना गया है|
स्नान जल मे मिलाएँ सौभाग्य वृद्धि के लिए काले तिल, लोबान ,
बाधा
मुक्ति के लिए दान-उरद,तिल,लोभान,काला,वस्त्र,,नीले पुष्प,(काली गाय,वृद्ध,सेवक,कनिस्ठ)
29 मार्च- श्री
व्रत, रवियोग सफलता प्रद-सूर्योदय से दोपहर 03:15 से |
*बुद्धि वृद्धि के लिए स्मृति के लिए निर्णय
क्षमता बढ़ाने के लिए मां भगवती की पूजा में अकेला अर्पण करना श्रेष्ठ होता है एवं
केले का दान करने से मनुष्य में बुद्धिमत्ता की वृद्धि होती है|
स्नान जल मे मिलाएँ कनेर पुष्प ,केसर,खस, इलायची ,
दान-गुड,लाल,वस्त्र,पुष्प, तांबा नारंगी वस्तु,लाल चन्दन कनेर लाल पुष्प,(लाल गाय,(लाल गाय ,सूर्य
मंदिर, 10 वर्ष तक के बच्चे,विष्णु,कृष्ण)
रविवार का दिन है खीर का भोग अर्पित करें
30 मार्च –स्कन्द षष्ठी,कुमार व्रत,
रवियोग सफलता
प्रद-सूर्योदय से शाम 05:16 तक इसके पश्चात सर्वार्थ सिद्धि योग |
आज तेज एवं कांति वृद्धि के लिए सस्ती तिथि को मां जगदंबा को शहद
अथवा मधु अर्पण करना चाहिए एवं इसका दान करने से व्यक्ति में वह जितेश कांति तथा
प्रभाव शक्ति में वृद्धि होती है|
स्नान जल मे मिलाएँ सौभाग्य वृद्धि के लिए नदी या तीर्थ जल,पंचगव्य , दूध , सफेद चंदन ,गोमूत्र,सफ़ेद
बाधा
मुक्ति के लिए दान-चावल,सफ़ेद पुष्प,वस्त्र,दूध,मिश्री,श्वेत चन्दन(सफ़ेद गाय,युवा
स्त्री,)
सोमवार का दिन होने
के कारण मां भगवती को दूध अर्पण करना चाहिए |
31 मार्च
–कमला ,धाता,सूर्य सप्तमी|
·
रवियोग सफलता प्रद-सूर्योदय 07:21-18:42 तक |
विशेषकर विद्यार्थी एवं प्रतियोगी परीक्षाओं में सम्मिलित होने
वालों के लिए श्रेष्ठ अवसर है
सप्तमी तिथि को शोक मुक्ति के लिए गुड़ दान करना एवं भगवती को अर्पण
करना श्लोकों से मुक्ति के लिए श्रेष्ठ माना गया है|
मंगलवार का दिन होने के कारण मां भगवती को केले
का भोग श्रेष्ठ माना गया है स्नान जल मे
मिलाएँ सौभाग्य
वृद्धि के लिए जटामांसी ,मौलश्री , लाल पुष्प-
बाधा मुक्ति के लिए दान-लाल गाय ,गुड,मसूर, तांबा
,लाल चन्दन युवा पुरुष,रक्षक,कनेर लाल पुष्प,
मूल नक्षत्र में मां भगवती को गुड़ अर्पण
करना चाहिए
01अप्रेल -दुर्गा अष्टमी व्रत|
संताप मुक्ति अथवा पूर्व में लिए गए निर्णय से मानसिक कष्ट से
मुक्ति या मनोविकार दूर करने के लिए अष्टमी तिथि को देवी को प्रसाद स्वरूप
नारियल अर्पित करना चाहिए एवं नारियल का दान करने से मनुष्य सब पापों
से मुक्त हो जाता है मनोरोग मनोविकार में कमी आती है|
बुधवार का दिन है
इसलिए मां भगवती को ताजा मक्खन का भोग लगाना श्रेष्ठ होता है
पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में चुड़ा चावल का अर्पण करना चाहिए |
स्नान जल मे मिलाएँ सौभाग्य वृद्धि के लिए नदी या तीर्थ जल,चावल,मोती शहद, जायफल ,पिपरामुल ,नदी या तीर्थ जल;
स्नान जल मे मिलाएँ सौभाग्य वृद्धि के लिए नदी या तीर्थ जल,चावल,मोती शहद, जायफल ,पिपरामुल ,नदी या तीर्थ जल;
बाधा
मुक्ति के लिए दान- मूंग ,हरा वस्त्र ,चूड़ी,पालक ,फल कपूर(कन्या,व्यापारी,हिजड़ा,)
02 अप्रेल
-दुर्गा नवमी ,रामनवमी,मातृका व्रत |
·
सर्वार्थ
सिद्धि योग - रवियोग सफलता प्रद-रात्रि 07:24-से |
सर्वसिद्धि योग प्रारंभ होगा जो रात्रि अंत
तक रहेगा|
मृत्यु उपरांत परम सुख -नवमी तिथि को भगवती को लावा या लाई अर्पण करने से एवं उसका दान
ब्राह्मण को करने से मृत्यु उपरांत भी सुख की प्राप्ति होती है या परलोक गामी होने पर /मृत्यु उपरांत परम सुख मिलता है ऐसा मार्कंडेय पुराण में
उद्धृत है|
गुरुवार का दिन * कारण लाल रंग की शक्कर अथवा गुड़ से निर्मित शक्कर श्रेष्ठ मानी
गई है कारण श्वेत शर्करा जैसे शक्कर का भोग लगाना उत्तम माना गया है उत्तराषाढ़ा
नक्षत्र होने के कारण दाग अर्पण किया जाए|
स्नान जल मे मिलाएँ सौभाग्य वृद्धि के लिए नदी या
तीर्थ जल,-चमेली पुष्प ,सफेद के अभाव मे पीली सरसों ,गूलर ,मुलेठी ,
बाधा मुक्ति के लिए दान- पीला अनाज ,चना दाल, नमक ,शकर, पीले पुष्प पीला वस्त्र पीला फल पपीता केला आदि(ज्ञानी पुरुष,ब्राह्मण को ,विष्णु,कृष्ण,राम मंदिर मे )
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