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धन वृद्धि;गोमय लक्ष्मी कथा (GAAY KE GOBAR SE LAKSHMI NIRMAN SE DHAN VRUDDHI UPAY )

  –गोमय लक्ष्मी कथा : धन वृद्धि का सिद्ध सरल उपाय (गोमय की   लक्ष्मी निर्माण , पूजा धन भंडार भरे ,व्यापर निर्बाध बढे )   ( पंडित विजेंद्र कुमार तिवारी भोपाल 9424446706, कुंडली मिलान , मुहूर्त , वास्तु) गोमय अर्थात गाय का गोबर ,इससे निर्मित लक्ष्मी तिजोरी में   धन की स्थिरता प्रद होती है |वर्ष में सर्व श्रेष्ठ मुहूर्त दीपावली अर्थात “कार्तिक अमावस्या “ के दिन   गोमय ग्रहण कर ,उससे लक्ष्मी जी की आकृति का निर्माण (06इन्च से बड़ी न हो )शुद्ध स्थान पर करना चाहिए | इसको धुप में सूखने दे द्वितीया के दिन लाल वस्त्र में लपेट कर तिजिरी में रखे या पूजा कक्ष में रखकर प्रतिदिन धुप दीप पुष्प से पूजा करे | गोसदन एवं गो पालक की आय का साधन- -गोसदन या गो पालक गोमय की लक्ष्मी सिद्ध मुहूर्त में निर्माण कर धन उपार्जन कर सकते है | कार्तिक अमावस्या का गोमय(गोबर ) अमूल्य अद्भुत प्रभावी धन व्रद्धी एवं लक्ष्मी की कृपा के लिए है | इसको मुहूर्त में एकत्र करे फिर दिए गए मुहूर्त में लक्ष्मी निर्माण कर रंग   रोगन ,श्रृंगार कर लक्ष्मी जी को सुखा ले |इसका विक्रय कर धन अर्जन भी कर सकते हैं | धन हानि ,अपव्यय

दिवाली -लक्ष्मी पूजा –मन्त्र कथा

  दिवाली -लक्ष्मी पूजा –मन्त्र  -पूजा मे कमल पुष्प कमलगटा   प्रयोग करे विल्ब वृक्ष पत्र ,  फल श्री फ़ल (लक्ष्मी जी से सम्बंधित है )प्रयोग करे  । -चौराहे पर तेल का दीपक जलाएं  शंख और घंटी बजाना चाहिए.  - महालक्ष्मी को तुलसी के पत्ते भी चढ़ाने चाहिए। -पीपल के पेड़ के नीचे तेल का दीपक रखे ।  -हल्दी की 11 गांठ लें। इन्हें पीले कपड़े में बांध लें।  - पांच गोमती चक्र को लाल वस्त्र में बांधकर घर की चौखट के ऊपर बांधने से धन लाभ मिलता है।  -- लक्ष्मी यंत्र, कुबेर यंत्र और श्रीयंत्र रखना चाहिए।–  किन्नर से उसकी खुशी से एक रुपया लें और इस सिक्के को अपने पर्स में रखें। बरकत बनी रहेगी।  A-लक्ष्मी पूजा मुहूर्त = = 17.35से 19.05 प्रदोष काल ;(19.40 to 21.25PM-nakshtra dosh kaal;)- दीपावली पर ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान करते समय नहाने के पानी में कच्चा दूध और गंगाजल मिलाएं। - स्नान के बाद अच्छे वस्त्र धारण करें और सूर्य को जल अर्पित करें।विशेष- पश्चिम मे मुँह कर लक्ष्मी एवं उत्तर मे मुँह कर  कुबेर गणेश आदि पंचदेव पूजा  । -दीपक वर्तिका भी  चारो दिशाओं  उत्तर , पश्चिम  चाहिए ।  रंग'लाल ,पीला के