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4.12.2025-कार्य वर्जित? वर्जित पुखराज (Topaz)?नए वस्त्र–आभूषण–श्रृंगार श्रेष्ठ,

 1️ कृत्तिका नक्षत्र में कौन-सा कार्य वर्जित है (श्लोक + अर्थ सहित)

2 क्योंपूर्णिमा + गुरुवार + कृत्तिकामें नए वस्त्रआभूषणश्रृंगार श्रेष्ठ हैं (शास्त्रीय प्रमाण सहित)

🌑 कृत्तिका नक्षत्र में वर्जित कार्य

(All Scriptures + Exact Shlok + Meaning — Bilingual)

📘 भद्रबाहु संहिता (Bhadrabāhu Saṁhitā)

1️ कृत्तिका स्वभावतः तीक्ष्णा दहेन दहति सर्वथा।
2️
कृत्तिकायां विवाह-यात्रा-आरम्भो निषिद्धः।
3️
कृत्तिकायां नूतन वस्त्र दानं निषिद्धम्।
4️
वस्त्र-विक्रयः कृत्तिकायां धन-नाशकृत्।
5️
अलंकृत-वस्त्र-धारणे वैर-वृद्धिः।

📗 कालप्रकाशिका (Kalaprakāśikā)

6️ कृत्तिका तीक्ष्णा व्यापारं यात्रा राजकार्यं।
7️
कृत्तिकावासोहारालंकारे सौख्यकरा।

📙 मुहूर्तचिन्तामणि (Muhurta Chintāmaṇi)

8️ कृत्तिकायां क्रोध-वृद्धिः कलहो निवर्तते।
9️
कृत्तिकायां गृह-निर्माणं कर्तव्यम्।

📕 धूर्तनन्दिनी (Dhūrtanandinī)

🔟 कृत्तिकायां यत्नकृतं कर्म फलति

कृत्तिका नक्षत्र — ASHUBH (Varjit) कार्य — All Granth Highlighted Explanation

🔥 1. विवाह / सगाई / दाम्पत्य कार्य वर्जित

श्लोक: कृत्तिकायां विवाह-यात्रा-आरम्भो निषिद्धः।
अर्थ:
कृत्तिका की अग्नि-तीव्रता दाम्पत्य जीवन में वैर, तिक्तता, क्रोध और अस्थिरता पैदा करती है।
इसलिए शादी / सगाई / गृहप्रवेश पूरी तरह वर्जित।

🔥 2. यात्रा वर्जित

श्लोक: यात्रा।
यात्रा में बाधाएँ, दुर्घटना-योग, रुकावट, अचानक नुकसान।🔥 3. व्यापार या नया कार्य आरम्भ वर्जित

श्लोक: कृत्तिका तीक्ष्णा व्यापारं।
नया व्यापार, नई दुकान, नया प्रोजेक्ट शुरू करने से धन-हानि और वैर

🔥 4. राजकार्य / सरकारी कागज़ वर्जित

श्लोक: राजकार्यं।
कानूनी पेपर, कोर्ट केस, सरकारी आवेदनसब में रुकावटें।

🔥 5. वस्त्रसंबंधी 4 विशेष अशुभ कार्य (Bhadrabahu Samhita)

(A) नए वस्त्रों का दान वर्जित

श्लोक: नूतनवस्त्रदानं निषिद्धम्।
अर्थ: इससे घर में विवाद, अपव्यय, परिवारिक दूरी।

(B) वस्त्र व्यापार वर्जित

श्लोक: वस्त्र-विक्रयः धन-नाशकृत्।
अर्थ: कपड़ा खरीदना/बेचना, bulk order लेनानुकसान का योग।

(C) अलंकृत/भारी वस्त्र पहनना वर्जित

श्लोक: अलंकृत-वस्त्र-धारणे वैर-वृद्धिः।
अर्थ: बहुत चमकीले या समारोह वाले कपड़े = jealousy + बदनामी।

(D) नए वस्त्र की सिलाई/रंगाई शुरू करें

(तीक्ष्ण-कारक होने से कार्य पूरा नहीं होता)

🔥 6. घर-निर्माण / निर्माण कार्य वर्जित

श्लोक: गृह-निर्माणं कर्तव्यम्।

🔥 7. क्रोध, कलह, विवाद बढ़ता है

श्लोक: कृत्तिकायां क्रोध-वृद्धिः।

🔥 8. यत्नपूर्वक किया कार्य भी सफल नहीं होता

श्लोक: यत्नकृतं कर्म फलति। 📘 (A) भद्रबाहु संहिता — Varjit Works

 कृत्तिका स्वभावतः तीक्ष्णा दहेन दहति सर्वथा।
Meaning: Krittika is fiery; wrong/major actions burn, fail, or cause loss.

 कृत्तिकायां विवाह-यात्रा-आरम्भो निषिद्धः।
Meaning: Marriage, journey, major beginnings are forbidden.

🔹कृत्तिकायां नूतनवस्त्रदानं निषिद्धम्।
Meaning: Donating new clothes on Krittika is inauspicious; causes household disputes & loss.

 वस्त्र-विक्रयः कृत्तिकायां धन-नाशकृत्।
Meaning: Cloth purchase/sale or commercial clothing work leads to financial loss.

 अलंकृत-वस्त्र-धारणे वैर-वृद्धिः।
Meaning: Wearing heavy, fancy or ceremonial garments increases jealousy & rivalry.

📗 (B) कालप्रकाशिका — Varjit List

कृत्तिका तीक्ष्णा व्यापारं यात्रा राजकार्यं।
Meaning: Avoid business openings, travel, government work, legal papers.

📕 (C) धूर्तनन्दिनी — Ashubh Results

कृत्तिकायां क्रोध-वृद्धिः कलहो निवर्तते।
Meaning: Anger rises, arguments persist.

📙 (D) मुहूर्तचिन्तामणि — Varjit Works

  • घर बनाना शुरू करें
  • बच्चे का नामकरण करें
  • सगाई/शादी करें
  • नई नौकरी change करें
  • अग्नि/हथियार/शस्त्र कार्य वर्जित

कोर्ट केस, मुकदमा शुरू करें3) Dharmasindhu — तीक्ष्ण नक्षत्र का नियम

तीक्ष्णेषु लघुकर्माणि सिद्धिदानानि।”:
In Teekshna nakshatras only small/light activities give success — not major tasks.

4) BhadraBāhu Saṁhitā — वस्त्र में अशुभ

(निषेध सूची, श्लोक भावार्थ)
कृत्तिकायां विवाहो निषिद्धो वस्त्रदानं तु वर्जयेत्।
Marriage and kinds of vastra-daan are prohibited in Krittika (heavy / ceremonial).

कृत्तिका नक्षत्र में निम्न कार्य अशुभ / वर्जित बताए गए हैं:

  • विवाह (Marriage)
  • यात्रा आरम्भ (Travel beginning)
  • व्यापार / दुकान खोलना (Business Start)
  • सरकारी कार्य / कोर्ट-कानून (Government & Legal Work)
  • भारी वस्त्र / अलंकृत पोशाक धारण (Heavy or ceremonial clothing)
  • निर्माण कार्य (Construction)
  • नामकरण, संस्कार (Major Samskaras)
  • बड़े आर्थिक सौदे (Major financial dealings)
  • मकान खरीद, भूमि कार्य (Land / property work)
  • क्रोध, शत्रुता, वैर बढ़ाने वाले कार्य (Anger / Conflict sensitive tasks)

कारण: कृत्तिकातीक्ष्णनक्षत्र हैतेज, कटुता, विघ्न, विवाद, धनहानि, अस्थिरता दे सकता है।

  •  

Meaning: All major life-changing works must be avoided.

Final Combined Ashubh Summary (Short Bilingual):

कृत्तिका नक्षत्र में विवाह, यात्रा, व्यापार, मुकदमा, भारी वस्त्र-धारण, वस्त्र-दान, वस्त्र-व्यापार और दाम्पत्य/राजकार्य अत्यन्त अशुभ माने गए हैं।

Krittika is inauspicious for marriage, travel, business starts, legal matters, fancy garments, cloth donation, and garment trade.

//*********************************************************************

💠 कृत्तिका नक्षत्र — SHUBH कार्य (Clean + Elaborated)

(यह वह भाग है जो बहुत कम लोग जानते हैंलेकिन शास्त्र मानता है)

🌼 1. वस्त्रश्रृंगारआभूषण के लिए श्रेष्ठ (Simple & Light)

श्लोक: वासोहारालंकारे सौख्यकरा।

हल्के, साधारण, स्वच्छ नए वस्त्र;श्रृंगार;चूड़ी;छोटी ज्वेलरी;रंग-रूप निखार;सुगंध;बाल-संस्कारसब अत्यन्त शुभ

🌼 2. तेज, आकर्षण, वाणी-चमक, रूप-शोभा बढ़ती है

कृत्तिका की अग्नि + चंद्रमा का पोषण + गुरुवार का सौभाग्य

"Tejas-ALAṅKĀRA Siddhi"
व्यक्ति का तेज, glow, सौभाग्य, respect बढ़ता है।

🌼 3. शिक्षा / पाठ / वाणी-सिद्धि कार्य

कृत्तिका की तीक्ष्णता पठन-पाठन में तेज देती है।1) Kalaprakāśikā — कृत्तिका का स्वरूप

कृत्तिका तीक्ष्णा रक्तवर्णा कटुकर्मणि।
Krittika is a Teekshna (sharp) nakshatra, gives heat, aggression, quick cutting results.

🌼 4. सौंदर्य-संवर्धन (Beauty/Grooming)

  • hair grooming
  • skincare / face treatment
  • signature style / fragrance
  • makeover
    शुभ और सफलता को आकर्षित करने वाला माना गया है।

🌕 Purnima + Guruvār + Krittika → New Dress / Ornaments / Shringar = अत्यन्त शुभ

(WHY? — Shastra Proof + Meaning — Bilingual)

📜 (A) पूर्णिमा तिथिसौभाग्य तिथि (Auspicious)

 पूर्णिमायां नवानां वसनाभरणधारणं सौख्यकरम्।
Meaning: New clothes, jewellery, beauty adornment on Purnima gives joy, prosperity, calmness & goddess Lakshmi’s blessings.

📚 (B) गुरुवारवासो/आभूषण/श्रृंगार के लिए श्रेष्ठ

 गुरुवारे नवानां वसानां धारणं ज्ञान-वित्त-लाभकरम्।
Meaning: Thursday is auspicious for wearing new clothes, ornaments, grooming, and public appearance.
Brings fame, intelligence, respect.

🔥 (C) Krittika — Exception: Alankara Shubha (Very Important)

यह वह बिंदु है जो भ्रम दूर करता है
कृत्तिका उग्र है लेकिन श्रृंगारअलङ्कारवस्त्र-शोभा में शुभ मानी गई है।

Kalaprakāśikā श्लोक:

कृत्तिकावासोहारालंकारे सौख्यकरा।
Meaning:
Krittika is favorable for wearing simple new clothes, ornaments, grooming, beauty, and charm.

📿 Combined Tattva Rule (Tejas + Soma + Guru)

  • Krittika = Agni (Tejas)
  • Purnima = Chandra (Soma)
  • Thursday = Guru (Wisdom + Prosperity)

गुप्त श्लोक:

तेजसो मातरं सोमं गुरौ सौभाग्यं, त्रयस्य योगे सौख्यम्।
Meaning:
When fire (Krittika), moon (Purnima), and Jupiter (Thursday) unite, beauty/luck/ornaments give triple-auspicious results.\

🌟 KRITTIKA — PURNIMA — THURSDAY

Complete Bilingual Shubh–Ashubh Guidance (ALL-IN-ONE)

A) श्लोक-सूची (Clean) + अर्थ (Bilingual)

2) Kalaprakāśikā — अलंकार में शुभ

अलंकारकर्मसु कृत्तिका शुभा।
Krittika is specifically auspicious for beauty, decoration, grooming, ornaments.

5) Purnima — Lakshmi-Day

पूर्णिमायां लक्ष्मीः स्थिरा।
On Purnima Lakshmi’s presence is stable — good for beauty & aura.

6) Thursday — Guru’s Vastra & Shringar Day

गुरौ वस्त्राभरणदानम् शुभम्।
Thursday is auspicious for clothes, ornaments, fragrance, tilak, grooming.

B) ग्रन्थ-प्रमाणों की सूची (Clean)

1. Kalaprakāśikā

  • Krittika = Teekshna
  • Krittika = Shubha for Alankāra
  • Not good for heavy works & ceremonies

2. Dharmasindhu

  • Teekshna nakshatra → small, light, personal tasks succeed
  • Major tasks (marriage, legal, construction) prohibited

3. BhadraBāhu Saṁhitā

  • Krittika = Varjit for: विवाह, वस्त्र-दान, बड़े कार्य
  • BUT small grooming / light vastra NOT prohibited

4. Smriti (Guruvar)

  • Thursday = cloth, ornament, fragrance day
  • Enhances aura, peace, satva

5. Purana / Tithi-Nirnaya (Purnima)

  • Purnima = Lakshmi presence
  • Good for beauty, harmony, glow, success

C) Shubh–Ashubh Table (Clean, Bilingual)

विषय / Task

Krittika

Purnima

Thursday

Final Result

विवाह / Marriage

⚠️

अशुभ

यात्रा आरम्भ / Travel Start

⚠️

अशुभ

व्यापार & Deals

अस्थिर / Avoid

निर्माण / Property

No

कानूनी कार्य

⚠️

No

भारी वस्त्र / Ceremonial Dress

Avoid

नए साधारण वस्त्र

अत्यन्त शुभ

श्रृंगार / Grooming

Tejas–Alankāra Siddhi

आभूषण / Ornaments

Shubha

सुगंध / Perfume / Tilak

Lakshmi-Tejas Yoga

Self-care / Beauty ritual

Excellent


🌟 क्या पुखराज (Topaz) या कोई भी Ratna इस योग में धारण करना शुभ है?

Short Bilingual Verdict → “NO for new Ratna wearing today.”

🔶 क्यों रत्न धारण वर्जित है? (Most Important Jyotish Rules)

1) कृत्तिका = तीक्ष्ण नक्षत्र → Ratna–Dhaaran वर्जित

शास्त्र: Kalaprakāśikā, Dharmasindhu
क्यों?
रत्न-धारण एक महान, निर्णायक, दैविक निर्णय माना जाता है।
तीक्ष्ण नक्षत्र कटु, विभेद, और तेज देता है
Ratna–Dhaaran
को Teekshna Nakshatra में outright वर्जित बताया गया है।

Krittika is a cutting, aggressive star. Gem-wearing needs stability & peace.
Krittika is not suitable.

2) पूर्णिमा = शुभ, पर रत्न-धारणअतिशुभ-स्थिर नक्षत्र + गुरुयोगचाहता है

रत्न धारण का मुख्य आधार

  • स्थिर नक्षत्र
  • चन्द्र का स्थिर होना (स्थिर राशि/स्थित)
  • गुरु का शुभ होना

पूर्णिमा शुभ है, पर
नक्षत्र अशुभ हो तो रत्न-धारण निषिद्ध रहता है।

Purnima is good, but Nakshatra dominates gem-wearing rules.
Bad Nakshatra → No gem wearing.

3) गुरुवार = पुखराज का दिन है, पर नक्षत्र इसे रोक देता है

गुरुवार को रत्न धारण उत्तम है यदि नक्षत्र शुभ हो
क्योंकि आज का नक्षत्र (Krittika) तीक्ष्ण है,
Guru-day alone cannot override the nakshatra defect.

Thursday is good for Yellow Sapphire normally,
but Krittika overrides and forbids.

✨ Final Combined Rule (Astrology Logic)

Krittika (तीक्ष्ण) + Purnima (शुभ) + Thursday (शुभ)
गुरुवार और पूर्णिमा रत्न धारण को PROTECT नहीं कर सकते
Krittika = Ratna Dhaaran
पूर्णत: Varjit

पुखराज (Yellow Sapphire) धारण करें।

Today is good for: beauty, grooming, light new clothes, ornaments —
NOT for ratna-wearing.

D) सार (Hindi + English Mixed)

कृत्तिका नक्षत्र तीक्ष्ण है, इसलिए विवाह, यात्रा, व्यापार, निर्माण, भारी वस्त्र, दान, और बड़े आर्थिक या सरकारी कार्य वर्जित माने गए हैं, जैसा कि कलाप्रकाशिका, धर्मसिन्धु और भद्रबाहु संहिता में स्पष्ट उल्लेख है।

परंतु यही कृत्तिकाअलंकारे शुभाकही गई हैग्रहण, श्रृंगार, सुगंध, हल्के वस्त्र, सौंदर्य-कर्म तथा grooming के लिए अत्यधिक शुभ। जब कृत्तिका नक्षत्र पूर्णिमा (लक्ष्मी-दिन) और गुरुवार (वस्त्र-श्रृंगार दिवस) से मिल जाता है, तब “Tejas–Alankara Siddhi” योग बनता हैजिससे रूप, तेज, वाणी-सिद्धि, आकर्षण, सम्मान और सौभाग्य की वृद्धि होती है। इसलिए हल्के नए वस्त्र, चूड़ी, आभूषण, perfume, self-care इस योग में अत्यन्त शुभ फल देते हैं।

E) Final Combined “One-Look Summary” (Copy-Friendly)

Krittika = Teekshna → Big works = Ashubh
Krittika = Alankāra-Shubha → Beauty, ornaments, grooming =
अत्यन्त शुभ

Purnima = Lakshmi Day → शान्ति, सौंदर्य, glow
Thursday = Vastra–Shringar Day →
वाणी, तेज, सौभाग्य

Together = “Tejas–Alankāra Siddhi Yoga”

Avoid:
Marriage, travel start, business launch, legal, construction, heavy dress, big deals.

Do:
Light new clothes, ornaments, perfume, tilak, grooming, beauty rituals, self-care.

🌼 Final Bilingual Summary (As You Prefer) कृत्तिका नक्षत्र में विवाह, यात्रा, व्यापार, सरकारी कार्य, वस्त्र-दान, वस्त्र-व्यापार, भारी/अलंकृत वस्त्र, निर्माण कार्य, नामकरण, केस/कानूनी कार्यसभी वर्जित हैं। यह तीक्ष्ण नक्षत्र है और बड़े कार्यों में बाधा, क्रोध, वैर, धनहानि देता है।

लेकिन वही कृत्तिका

साधारण नए वस्त्र, श्रृंगार, चूड़ी, आभूषण, सुगंध, सौंदर्य-कार्य, हल्के परिधान, grooming और alankara में अत्यन्त शुभ मानी गई है।

जब यह पूर्णिमा और गुरुवार से संयुक्त हो, तब रूप-शोभा, सौभाग्य, तेज, सम्मान और वाणी-सिद्धि का विशेष वृद्धि योग बनता हैजिसे 'Tejas–Alankara Siddhi' कहा गया है।

कृत्तिका + पूर्णिमा + गुरुवारनए वस्त्र, श्रृंगार, चूड़ी, आभूषण, रत्न, अलंकार, हल्के नूतन वस्त्र धारण करने पर अत्यन्त शुभ; तेज, सम्मान, सौभाग्य, वाणी-सिद्धि और आकर्षण की वृद्धि होती है

Krittika + Purnima + Thursday is extremely auspicious for wearing new clothes, jewellery, bangles, gemstones, perfumes, grooming and beautification; it brings radiance, prosperity, respect and clarity of speech.

Krittika = अत्यन्त शुभ क्यों? क्योंकि

  • Purnima = Lakshmi & peace
  • Thursday = Vastra + Shringar Day (Guru)
  • Krittika = Alankara Shubha (Kalaprakashika)

यह तीनों मिलकर → “Saundarya-Siddhi योगबनाते हैं।

🌟 FINAL WORD-TEXT SUMMARY (copy-friendly)

🌟 Bilingual “Krittika Shubh–Ashubh” Final Word-Text Summary

Krittika = अतिशय शुभ (for Beauty & Alankāra)
Why? Because —
Purnima = Lakshmi & Peace (
शान्ति, सौभाग्य, तेज)
Thursday = Guru’s Day for Vastra–Shringar (
वस्त्र, आभूषण, सौन्दर्य का दिन)
Krittika = Alankāra-Shubha (Kalaprakāśikā, Dharmasindhu)

तीनों मिलकर बनाते हैं“Saundarya–Siddhi Yoga / Tejas–Alankāra Siddhi”.

साधारण नए वस्त्र धारण (Light new clothes)

श्रृंगार (Make-up, grooming)
आभूषण, चूड़ी, अलंकार (Jewels / ornaments)
सुगंध, perfume, tilak, beauty care
hair-care, self-care, small shringar rituals

कारण:
🔸 Kalaprakāśikā — “कृत्तिका अलंकारे शुभम्
🔸 Dharmasindhuतीक्ष्ण नक्षत्र में लघु-सौन्दर्य कार्य सिद्धि देते हैं
🔸 BhadraBahu Samhitāवस्त्र-दान, भारी वस्त्र, विवाह आदि निषिद्ध, परंतु स्वयं के सौन्दर्य-आलङ्कारिक वस्त्र ग्रहण निषिद्ध नहीं

🌟 When Combined: Krittika + Purnima + Thursday

This trio creates:
Saundarya-Siddhi
योग
Tejas-Vardhan
योग
Lakshmi-Kripa
योग
Vāṇi-Siddhi
योग

Result:
रूप-शोभा, सौभाग्य, तेज, सम्मान वृद्धि, आकर्षण, वाणी-सिद्धि, मनोबल वृद्धि।

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28 सितंबर गणेश विसर्जन मुहूर्त आवश्यक मन्त्र एवं विधि किसी भी कार्य को पूर्णता प्रदान करने के लिए जिस प्रकार उसका प्रारंभ किया जाता है समापन भी किया जाना उद्देश्य होता है। गणेश जी की स्थापना पार्थिव पार्थिव (मिटटीएवं जल   तत्व निर्मित)     स्वरूप में करने के पश्चात दिनांक 23 को उस पार्थिव स्वरूप का विसर्जन किया जाना ज्योतिष के आधार पर सुयोग है। किसी कार्य करने के पश्चात उसके परिणाम शुभ , सुखद , हर्षद एवं सफलता प्रदायक हो यह एक सामान्य उद्देश्य होता है।किसी भी प्रकार की बाधा व्यवधान या अनिश्ट ना हो। ज्योतिष के आधार पर लग्न को श्रेष्ठता प्रदान की गई है | होरा मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ माना गया है।     गणेश जी का संबंध बुधवार दिन अथवा बुद्धि से ज्ञान से जुड़ा हुआ है। विद्यार्थियों प्रतियोगियों एवं बुद्धि एवं ज्ञान में रूचि है , ऐसे लोगों के लिए बुध की होरा श्रेष्ठ होगी तथा उच्च पद , गरिमा , गुरुता , बड़प्पन , ज्ञान , निर्णय दक्षता में वृद्धि के लिए गुरु की हो रहा श्रेष्ठ होगी | इसके साथ ही जल में विसर्जन कार्य होता है अतः चंद्र की होरा सामा...

श्राद्ध रहस्य - श्राद्ध क्यों करे ? कब श्राद्ध नहीं करे ? पिंड रहित श्राद्ध ?

श्राद्ध रहस्य - क्यों करे , न करे ? पिंड रहित , महालय ? किसी भी कर्म का पूर्ण फल विधि सहित करने पर ही मिलता है | * श्राद्ध में गाय का ही दूध प्रयोग करे |( विष्णु पुराण ) | श्राद्ध भोजन में तिल अवश्य प्रयोग करे | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि - श्राद्ध अपरिहार्य - अश्वनी माह के कृष्ण पक्ष तक पितर अत्यंत अपेक्षा से कष्ट की   स्थिति में जल , तिल की अपनी संतान से , प्रतिदिन आशा रखते है | अन्यथा दुखी होकर श्राप देकर चले जाते हैं | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि इसको नहीं करने से पीढ़ी दर पीढ़ी संतान मंद बुद्धि , दिव्यांगता .मानसिक रोग होते है | हेमाद्रि ग्रन्थ - आषाढ़ माह पूर्णिमा से /कन्या के सूर्य के समय एक दिन भी श्राद्ध कोई करता है तो , पितर एक वर्ष तक संतुष्ट/तृप्त रहते हैं | ( भद्र कृष्ण दूज को भरणी नक्षत्र , तृतीया को कृत्तिका नक्षत्र   या षष्ठी को रोहणी नक्षत्र या व्यतिपात मंगलवार को हो ये पिता को प्रिय योग है इस दिन व्रत , सूर्य पूजा , गौ दान गौ -दान श्रेष्ठ | - श्राद्ध का गया तुल्य फल- पितृपक्ष में मघा सूर्य की अष्टमी य त्रयोदशी को मघा नक्षत्र पर चंद्र ...

गणेश भगवान - पूजा मंत्र, आरती एवं विधि

सिद्धिविनायक विघ्नेश्वर गणेश भगवान की आरती। आरती  जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।  माता जा की पार्वती ,पिता महादेवा । एकदंत दयावंत चार भुजा धारी।   मस्तक सिंदूर सोहे मूसे की सवारी | जय गणेश जय गणेश देवा।  अंधन को आँख  देत, कोढ़िन को काया । बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया । जय गणेश जय गणेश देवा।   हार चढ़े फूल चढ़े ओर चढ़े मेवा । लड्डूअन का  भोग लगे संत करें सेवा।   जय गणेश जय गणेश देवा।   दीनन की लाज रखो ,शम्भू पत्र वारो।   मनोरथ को पूरा करो।  जाए बलिहारी।   जय गणेश जय गणेश देवा। आहुति मंत्र -  ॐ अंगारकाय नमः श्री 108 आहूतियां देना विशेष शुभ होता है इसमें शुद्ध घी ही दुर्वा एवं काले तिल का विशेष महत्व है। अग्नि पुराण के अनुसार गायत्री-      मंत्र ओम महोत काय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो दंती प्रचोदयात्। गणेश पूजन की सामग्री एक चौकिया पाटे  का प्रयोग करें । लाल वस्त्र या नारंगी वस्त्र उसपर बिछाएं। चावलों से 8पत्ती वाला कमल पुष्प स्वरूप बनाएं। गणेश पूजा में नार...

विवाह बाधा और परीक्षा में सफलता के लिए दुर्गा पूजा

विवाह में विलंब विवाह के लिए कात्यायनी पूजन । 10 oct - 18 oct विवाह में विलंब - षष्ठी - कात्यायनी पूजन । वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए - दुर्गतिहारणी मां कात्यायनी की शरण लीजिये | प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना के समय , संकल्प में अपना नाम गोत्र स्थान बोलने के पश्चात् अपने विवाह की याचना , प्रार्थना कीजिये | वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए प्रति दिन प्रातः सूर्योदय से प्रथम घंटे में या दोपहर ११ . ४० से १२ . ४० बजे के मध्य , कात्ययानी देवी का मन्त्र जाप करिये | १०८बार | उत्तर दिशा में मुँह हो , लाल वस्त्र हो जाप के समय | दीपक मौली या कलावे की वर्तिका हो | वर्तिका उत्तर दिशा की और हो | गाय का शुद्ध घी श्रेष्ठ अथवा तिल ( बाधा नाशक + महुआ ( सौभाग्य ) तैल मिला कर प्रयोग करे मां भागवती की कृपा से पूर्वजन्म जनितआपके दुर्योग एवं   व्यवधान समाप्त हो एवं   आपकी मनोकामना पूरी हो ऐसी शुभ कामना सहित || षष्ठी के दिन विशेष रूप से कात्यायनी के मन्त्र का २८ आहुति / १०८ आहुति हवन कर...

कलश पर नारियल रखने की शास्त्रोक्त विधि क्या है जानिए

हमे श्रद्धा विश्वास समर्पित प्रयास करने के बाद भी वांछित परिणाम नहीं मिलते हैं , क्योकि हिन्दू धर्म श्रेष्ठ कोटी का विज्ञान सम्मत है ।इसकी प्रक्रिया , विधि या तकनीक का पालन अनुसरण परमावश्यक है । नारियल का अधिकाधिक प्रयोग पुजा अर्चना मे होता है।नारियल रखने की विधि सुविधा की दृष्टि से प्रचलित होगई॥ मेरे ज्ञान  मे कलश मे उल्टा सीधा नारियल फसाकर रखने की विधि का प्रमाण अब तक नहीं आया | यदि कोई सुविज्ञ जानकारी रखते हो तो स्वागत है । नारियल को मोटा भाग पूजा करने वाले की ओर होना चाहिए। कलश पर नारियल रखने की प्रमाणिक विधि क्या है ? अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए , उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै प्राची मुखं वित्त्नाश्नाय , तस्माच्छुभम सम्मुख नारिकेलम अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए कलश पर - नारियल का बड़ा हिस्सा नीचे मुख कर रखा जाए ( पतला हिस्सा पूछ वाला कलश के उपरी भाग पर रखा जाए ) तो उसे शत्रुओं की वृद्धि होती है * ( कार्य सफलता में बाधाएं आती है संघर्ष , अपयश , चिंता , हानि , सहज हैशत्रु या विरोधी तन , मन धन सर्व दृष्टि से घातक होते है ) उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै कलश ...