गणेश विसृजन-17.9.2024
चतुर्दशी तिथि महत्व-
वर्ष में कुल 24 चतुर्दशी तिथियां होती हैं, तिथि के देवता भगवान शंकर है।
- चतुर्दशी तिथि - भगवान शिव का पूजन से पापों से मुक्ति एवं कल्याण होता है.
भगवान शंकर पूजा करने से मनुष्य . समस्त ऐश्वर्य प्राप्त होते है।
ज्योतिष शास्त्र –तिथि की दिशा पश्चिम है जिसके स्वामी शनि देव हैं।
-यह तिथि चंद्रमा ग्रह की जन्म तिथि है,
चतुर्दशी की चन्द्र कला का अमृत भगवान शिव पीते है. भगवान शंकर ग्रहण करते हैं
गर्ग संहिता - तिथि महत्व का वर्णन है -
उग्रा चतुर्दशी
विन्द्याद्दारून्यत्र कारयेत्।
बन्धनं
रोधनं चैव पातनं च विशेषतः।। तिल के तेल, लाल रंग का
साग तथा कांसे के पात्र में भोजन करना भी निषेध माना जाता.
गणेश विसृजन मुहूर्त - चतुर्दशी के दिन क्यों? 17.9.2024
विसृजन मुहूर्त 06:07 बजे से दोपहर 01:53 बजे तक
अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति जी का विसर्जन
अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश जी का विसृजन किया जाता है।
एक पौराणिक तथ्य-कथ्य –
भाद्र शुक्ल चतुर्दशी को , वेदव्यास जी ने महाभारत लिखने के लिए गणेश जी को महाभारत की बाते सुनानी शुरू की थी ,गणेश जी का काम कथा लिखना था .
गणेश जी लगातार 10 दिनों तक महाभारत लिखते रहे।
महाभारत की बाते वेदव्यास जी ध्यान मग्न हो कर , आंखें बंद कर गणेश जी को लगातार 10 दिनों तक सुनाते रहे थे।
-दसवे दिन जब वेदव्यास जी ने आंखें खोली तो देखा कि एक जगह बैठकर लिखते लिखते गणेश जी के शरीर का तापमान बहुत बढ़ गया था।
- वेदव्यास जी ने गणेश जी के शरीर का तापमान को शीतलता प्रदान करने के लिए ,उन्हें अलकनंदा और सरस्वती नदी के संगम पर ले गए। गणेश जी को डुबकी लगवाई वह दिन अनंत चतुर्दशी का था।
इसलिए ही अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश जी के पार्थिव शरीर का विसर्जन किया जाता है। ---10 दिनों तक गणेश पूजन करने के बाद उनका विसर्जन किया जाए तो इससे मनवांछित फल प्राप्त होते हैं.वर्ष भर में 24 चतुर्थी को होने वाले अनिष्ट भी नहीं होते क्योकि चतुर्थी तिथि के स्वामी गणेश जी हैं.
गणेश मंदिर- विभीषण द्वारा स्थापित
तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में रॉक फोर्ट एक पहाड़ी की चोटी है, 273 फीट की ऊंचाई पर पिल्लयार गणेश का प्रसिद्ध मंदिर 400 सीढ़ियां वालाहै।
- पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, रावण के वध के बाद श्रीराम ने विभीषण को भगवान रंगनाथ की मूर्ति भेंट की थी। विभीषण उस मूर्ति को लंका ले जाना चाहते थे।
-श्री राम ने विभीषण से कहा ‘ध्यान रखना कि तुम इस मूर्ति को जहां भी रख दोगे, यह वहीं स्थापित हो जाएगी। काल प्रबलता , विभीषण को कावेरी नदी दिखी, स्नान करने की इच्छा हुई।मूर्ति रख कर स्नान किया ,मूर्ति वाही स्थापित होगई, विभीषण उस मूर्ति को लंका ले नहीं जा सके;
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