रुद्राष्टक :संगीत साधक मुकेश तिवारी द्वारा -राग भैरवी आधारित---अनेक रोगो की औषधि; शैव पंडित विजेंद्र कुमार तिवारी 'ज्योतिष शिरोमणि"
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कोई भी स्तुति प्रार्थना पल्ल्वित होती है*जब मन में समर्पण ,श्रद्धा ,आस्था की खाद हो।
मंत्र का प्रभाव स्वर ,शुद्धता ,दिशा,शारीरिक स्थिति पर निर्भर होता है.
यदि अर्थ का बोध हो तो मन्त्र का देवता अति शीघ्र भी याचक की याचना पूर्ण करता है। क्योकि भावना में नव रस का प्रवेश तभी होता है जब अर्थ ज्ञात हो. दुःख ,सुख ,हास्य,वीर ,श्रृंगार भावना के ही प्रकार हैं जो स्वर में प्रवेश करते हैं।
शिव तांडव या रुद्राष्टक सामान्य नहीं है.
अब तक जितने भी हमारे संज्ञान में रुद्राष्टक स्वर बद्ध किये गए उनमे अर्थ प्रवणता /गम्यता का आभाव है या शब्दों की अशुद्धता या उच्चारण ऐसा है जो अर्थ बोध /ज्ञान होने ही नहीं देता.
रुद्राष्टक राग भैरवी में स्वर बद्ध किया गया।
जिससे सुनने वाले को अद्भुत आध्यत्मिक,मानसिक कामना पूरक सुख संतोष मिले.
भजन सम्राट अनूप जलोटा जी के शिष्य श्रीयुत मुकेश तिवारी द्वारा
रुद्राष्टक को राग भैरवी में स्वर बद्ध करने के अनेक कारण हैं।
गांधार युक्त,ऋषभ रुद्राष्टक में बहुलता से प्रयोग हुआ है।
ऋषभ हृदय से उत्पन्न होता है ।
(बिना भाव या आत्म विभोर हुए, समर्पण के बिना भक्ति संगीत
प्रभावी नहीं होता है।)
इसके देवता ब्रह्मा है ।
पक्षी चातक या पपिहा के स्वर से साम्य रखता है।
इसका रंग हरा और पीला है ।
आध्यात्मिक मानसिक लाभ के अतिरिक्त रोगों में भी उपयोगी है।
स्वाधिष्ठान चक्र से संबंधित रोग
-सुनने का समय प्रातः 7 से 11 श्रेष्ठ है
या शाम को के उपरांत 7 से 11
अथवा 11 से 3 ratri का प्रयोग किया जा सकता है ।
राग़ रंजक होते हैं ।
मानसिक शारीरिक विचारों पर गहरा प्रभाव होता है ।
किसी भी राग का अधिकतम प्रभाव राग विशेष को उसके सही समय पर सुनने से मिलता है।
-यह शरीर के चक्र में स्वाधीष्ठान चक्र से संबंधित है ।इस राग़ का संबंध भक्ति ,करुणा एवं मानसिक प्रसन्नता से है ।
शरीर के आंतरिक चक्र ही विभिन्न मानसिक शारीरिक स्थितियों के कारण हैं
रुद्राष्टक रोगों की अद्भुत औषधि
— शैव पंडित वि.के. तिवारी, 9424446706
रुद्राष्टक का नियमित पाठ शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रोगों में अद्भुत औषधि के रूप में कार्य करता है। शिव की स्तुति करते हुए यह पाठ शरीर के विभिन्न चक्रों को सक्रिय करता है, जिससे ऊर्जा का प्रवाह संतुलित होता है और रोगों से मुक्ति मिलती है।
इसका प्रभाव विशेष रूप से मानसिक संतुलन, तनाव, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, और तंत्रिका तंत्र से जुड़े विकारों में देखा गया है। जब इसे भावपूर्ण और पूर्ण श्रद्धा के साथ किया जाता है, तो यह रोगी के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सकारात्मक परिवर्तन लाता है।
राग भैरवी और स्वाधिष्ठान चक्र: शारीरिक और मानसिक संतुलन
उपचार विधि:
रुद्राष्टक का पाठ सुबह और शाम के समय किया जाना चाहिए। इसे राग भैरवी में सुनने से मानसिक शांति और आंतरिक ऊर्जा का विकास होता है।
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