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मकर संक्रांति अनजाना रहस्य

                                                          क्या है मकर संक्रांति?
(उत्तरायण देवताओं का प्रभात काल )
रवे:संक्रमणे राशो संक्रान्तिरिति कथ्यते|
-सूर्य का एक राशी से जब दूसरी राशी पर गमन होता है ,प्रवेश , संक्रमण होता है इसको संक्रांति कहा जाता है |
धनु राशी  से मकर राशी पर प्रवेश का नाम ,”मकर संक्रांति है |
                व्रत कौन नहीं करे ?
 पुत्रवती गृहणि व्रत नहीं करे -
सामान्यता; प्रचलन है कि दान देने के पूर्व व्रत रखा जाता है | परन्तु नारद मुनि के निर्देशानुसार गृहस्थ इस पर्व पर व्रत नहीं रखे यदि वे पुत्रवान हैं |
आदित्येहनी संक्रान्तो ग्रहणे चंद्र्सुर्यो |
उपवासों  कर्तव्यो गृहिणा पुत्रिणातथा
कृष्णएकादशीति विशेष:|(नारद)
अर्थात जिनके पुत्र हो उन ग्रहणि को रविवार,संक्रांति , ग्रहण तथा एकादशी (कृष्ण पक्ष) को व्रत नहीं रखना चाहिए |
                    पूजा किसकी ?कैसे?
विशेष- उत्तरायण के दिन ही मकर संक्राति होती है |खगोल एवं वैदिक मत से भी उत्तरायण एवं मकर संक्रांति एक ही दिन होते हैं | खगोल विद भी मकर रेखा पर सूर्य की उपस्थति इस दिन ही मानते हैं |इस प्रकार 21/22 दिसम्बर को वास्तविक मकर संक्रांति है | मकर एवं उत्तरायण एक दिन होते हैं |
    *  भूतपूर्व प्रधान मंत्री पंडित नेहरु द्वारा गठित पंचांग रिफार्म कमिटी द्वारा एवं मूर्धन्य वेदज्ञ शकराचार्य जी द्वारा १२३ वर्ष पूर्व भी मान्य  मकर संक्रांति एवं उत्तरायण 21/22 दिसम्बर  | हिन्दुओं के राष्ट्र में संक्रांति जेसे पर्व के लिए शासन को जनहित में वस्तुपरक निर्णय लेकर स्थिति स्पष्ट कर,अवकाश आदि नियत करना निवेदित |
*सूर्य की गति पर आधारित एक वर्ष में -12 संक्रांतियां होती हैं |खगोलीय घटना के आधार पर मकर,मेष ,कर्क,तुला का विशेष महत्त्व है |
* प्रत्येक माह होने वाली संक्रांति के महत्व दान आदि पुराणों धर्म ग्रंथों में वर्णित हैं |
पतंग महोत्सवी -परंपरागत प्रचलित जनवरी माह में समस्त भारत में एवं विदेशो में भी यह मनाई जाती है |तिल के पकवान एवं पतंग महोत्सव व्यापक स्थर पर है (अपुष्ट-१९८९ से प्रारंभ पतग महोत्सव में 44 देश के 150 पतंगबाज, गुजरात -290 से अधिक,18 राज्य ,हेदराबाद भी विगत 3 वर्ष से पतंग महोत्सव प्रारंभ |

सूर्य देव कि पूजा करना चाहिये|
ॐ सूर्याय नम:ॐ खखोल्काय नंम: | आदित्य हृदय का पाठ | सूर्य के मन्त्र से हवन| पूर्वदिशा की औरमुह कर अष्टदल कमल पर ताम्बे का कलश रखे | सूर्य देव को उसमे आमंत्रित करे |कलश पूजा करे |तिल के तेल का दीपक जिसकी वर्तिका पूर्व (रुई की श्वेत बत्ती वर्जित) की और हो | कलावा या मौली की वर्तिका बनायेदाहिने हाथ में जल; लेकर मम अखिल दोष प्रशमन  पूर्वक तेज: प्राप्ति कामान इदं पूर्ण पात्रम गंध पुष्प आदि अर्चितम आयु आरोग्य  एश्वर्यम यतो देहि नाम..... गोत्र...... द्विजर्पितम |
           दान क्यों?
संधि या संक्रमण काल ,किसी भी शुभ कार्य के लिए वर्जित ,निषेध है |इसलिए सम्बंधित देवता की पूजा एवं दान करने के निदेश है | सम्बंधित देव जो उस समय का स्वामी है ,उसका कोई अशुभ प्रभाव नहींहो इसलिए ,उसकी कृपा केलिए दान ,स्मरण.हवन आदि का विधान है |
         कब् दान करे ?
             वशिषठ मुनि - -अह्नि संक्रमणे पुण्यमह: सर्व प्रकीर्तिता|
 अर्थात दिन मे संक्रान्ति हो तो पूरे दिन दान पूजा कर सकते है | इस दृष्टि से सुर्योदय से एक घण्टे की अवधि श्रेष्ठ |
दोपहर1.32 से सर्वार्थ सिद्ध योग  सुर्यास्त तक उत्तम दान अनेक ग्रंथो में 20 घटि पूर्व से पश्चात तक अर्थात लगभग 8 घण्टे पूर्व(2.04बजे संक्रांति -8.00 घंटे= पुण्यकाल मानते है इस प्रकार सूर्योदय  से दान प्रारंभ || विद्वानो के अधिकान्श के अनुसार 5 घंटे पूर्व अर्थात 9 बजे प्रातः से दान शुभ समय सूर्यास्त के पश्चात दान वर्जित |
            क्या दान करे- (विभिन्न  पुराण ,धर्म ग्रंथो के अनुसार )
1-मुनि विश्वामित्र- अग्नि एवं लकड़ी दान करना श्रेष्ठ है |
2-हेमाद्री एवं स्कन्द पुराण
धेनुम तिलमयिम राजन दध्यध्य उत्तरायणे|
सर्व कामनांवाप्नोति विन्दते  परमंसुखं |
अर्थात- उत्तरायणे मे तिल कि गाय दान मे देने vवाले कि सब् कामना पूर्ण होती हैं |
3-विष्णु धर्म-  वस्त्र दान महान फ़ल् देत है | रोगनाश के लिये तिल का बैल दान श्रेष्ठ |
4- शिव रहस्य काले तिल से उबटन ,स्नान | ब्रह्मणो को तिल दान एवं शिव मन्दिर मे तिल तैल क दीपक प्रज्वलित करे |
5-कल्पतरु एवं कालिका पुराण-तिल से हवन  |


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