सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

01जनवरी - राशिफल –नाम,जन्म नक्षत्र ,जन्म राशी और व्रत-पर्व, नए वस्त्र-आभूषण मुहूर्त , दिन के अनिष्ट उपाय

01जनवरी - राशिफल –नाम,जन्म नक्षत्र ,जन्म राशी और व्रत-पर्व, नए वस्त्र-आभूषण मुहूर्त , दिन के अनिष्ट उपाय

ज्योतिष शिरोमणि" पंडित वी.के. तिवारी
ऑनलाइन समाधान: 8:30 - 20:30
संपर्क करें: 9424446706

तिथि: तृतीया. बुध वार, धनु राशी ;

देवी की पूजा ,

          नए वस्त्र और आभूषण प्रयोग के परिणाम  :-

वस्त्र, वस्तु और आभूषण प्रयोग के प्रभाव :-
इन वस्त्रों, वस्तुओं या आभूषणों का भविष्य में प्रयोग करने पर आपको स्वादिष्ट और रुचिकर भोजन का अनुभव प्राप्त होगा, साथ ही जब भी प्रयोग करेंगे दैनिक व्यावहारिक जीवन सुखद रहेगा।


v       

                                         प्रचलित नाम से दिन - रहेगा:      

  • जिनके नाम के प्रथम अक्षर सी, सू, से, सो, , रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते, का, की, कू, , , , के, को, से शुरू होते हैं, उनके लिए दिन व्यय, व्यस्तता, विवाद या सुख बाधक हो सकता है।
  • बाकी सभी नाम अक्षरों के लिए दिन उत्तम रहेगा।
  • गृह प्रवेश, ज्वाइनिंग, आवेदन, परामर्श देना, लेना, जोखिम वाले काम, और विवाद सफल होंगे।

·         व्रत-पर्व: -तृतीया,देवी पूजा,बुधवार,पुर्वशाधा नक्षत्र,धनु राशी चन्द्र;हवन यज्ञ –उत्तम ;

  • निम्न नक्षत्र में जन्म लेने वालो का दिन सुखद अनुकूल होगा       जन्म नक्षत्र (भविष्य-यात्रा, नए कार्य,पूजा,शपथ,निर्माण,आवेदन,नीति निर्धारण,योजना निर्माण,उच्च अधिकारी से मिलना,दान,सभी मंगल शुभ कार्य ,देव -देवी दर्शन ,संधि, विवाह, बैंक सम्बंधित-नया लेखा ,आदि दीर्घकालिक परिणाम वाले कार्य के उद्देश्य सफल होंगे.
  •      भरणी रोहिणी मॄगशिरा पुनर्वसु अश्लेशा पूर्वाफाल्गुनी हस्त चित्रा विशाखा ज्येष्ठा पूर्वाषाढा श्रवण धनिष्ठा पूर्व भाद्रपद रेवती
  • **********
  • नाम का प्रथम अक्षर है तो आज दैनिक व्यावहारिक कार्य-जेसे  स्थान प्रवेश,मित्रता,सहयोग,व्यापारिक कार्य,,आदि कार्य में सफलता मिलेगी- ली , लू , ले, लो; अ इ , ऊ . ली , लू , ले, लो  ; , , वि , वू ; वे , वो , का ,की ; के , को , , हि ; डी, डु, डे, ड़ो;
  • मो, टा, टी, टू;  पू , , , ; पे , पो , रा , री ; ती, तू, ते , तो ; नो , या , यी , यू; भू,धा,धि ,धू,ढे,ढो,फा,फी,फु,फे.फ़ो.ढ; ,खी , खू , खे , खो; , गी गू , गे ; से , सो , दा दी दे, दो, चा, ची

मेष राशि (Aries) – चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो,

आर्थिक: इस समय आर्थिक रूप से आपके लिए शुभ संयोग बन रहे हैं। अटका हुआ पैसा वापस मिलने की संभावना है, और यदि आप कोई वाहन खरीदने की योजना बना रहे हैं, तो यह उचित समय है। किसी निवेश या खरीदारी के मामले में यह समय सफल रहेगा।

पारिवारिक: परिवार में सुख और समन्वय का वातावरण रहेगा। संतान आपके जीवन में सुख का संचार करेगी, और दाम्पत्य जीवन में भी समन्वय बना रहेगा।

रोजगार: आपके कामों में सफलता मिलने के योग हैं। कार्यक्षेत्र में शत्रुओं पर विजय प्राप्त होगी, और आपको सम्मान तथा प्रशंसा प्राप्त होगी। नई योजनाओं पर काम करने के लिए यह समय अनुकूल है।

सामाजिक-राजनीतिक: मित्रों से सहयोग मिलेगा, और आप सामाजिक रूप से सक्रिय रहेंगे। आप अपने सामाजिक सम्मान में वृद्धि का अनुभव करेंगे।

स्वास्थ्य: स्वास्थ्य की दृष्टि से यह समय आपके लिए अच्छा रहेगा। मन आपके पक्ष में है, इसलिए इच्छानुसार कार्य करने का यह सही समय है।

प्रेम-मित्रता: यह समय प्रेम संबंधों और नए मित्र बनाने के लिए अनुकूल है। दाम्पत्य जीवन में भी सुख-शांति बनी रहेगी, और आपको नए मित्रों से सहयोग मिलेगा। "दोस्त वो नहीं होता जो सिर्फ साथ रहे, दोस्त वो होता है जो हर मुश्किल घड़ी में साथ खड़ा हो।"


वृष राशि (Taurus) – , , , , वा, वी, वू, वे, वो

आर्थिक: प्राथमिकता के आधार पर कार्य करें क्योंकि सफलता की संभावना अधिक है। यह समय आपके लिए प्रतिष्ठा और पहचान पाने का है। आर्थिक दृष्टि से यह समय आपके लिए अनुकूल है।

पारिवारिक: पारिवारिक जीवन में समन्वय बना रहेगा। परिवार के साथ सुखद समय व्यतीत करेंगे, और पारिवारिक मामलों में आपको सफलता मिलेगी।

रोजगार: कार्यक्षेत्र में सफलता प्राप्त करेंगे। आपके प्रयासों को पहचान मिलेगी, और पदोन्नति के योग बन रहे हैं। साथ ही, मित्रों का सहयोग भी आपको मिलेगा।

सामाजिक-राजनीतिक: राजनीतिक और सामाजिक कार्यों में सफलता मिलेगी। जनसंपर्क बढ़ेगा और इससे आपको लाभ होगा।

स्वास्थ्य: स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। आप शारीरिक रूप से फिट महसूस करेंगे, और मनोबल उत्तम रहेगा।

सफलता-नए कार्य: यह समय इच्छाओं की पूर्ति और लक्ष्य प्राप्ति का है। नया कार्य शुरू करने के लिए यह समय उत्तम है क्योंकि इसमें सफलता निश्चित है।

प्रेम-मित्रता: प्रेम संबंधों में कुछ मतभेद हो सकते हैं। मित्रों का सहयोग मिलेगा, लेकिन कुछ मित्र रुखा व्यवहार कर सकते हैं। प्रेम संबंधों में सच्चा प्रेम वही है जो हर तूफान में भी स्थिर रहता है।


मिथुन राशि (Gemini) – का, की, कू, , , , के, को,

आर्थिक: व्यापारिक मामलों में कुछ कठिनाइयाँ आ सकती हैं। वित्तीय स्थिति कमजोर रहेगी, अतः धन व्यय में सावधानी बरतें। आपको धन हानि का सामना करना पड़ सकता है।

पारिवारिक: परिवार में कुछ अस्थिरता हो सकती है। मानसिक रूप से आप अशांत रहेंगे और परिवार के साथ संबंधों में सामंजस्य बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

रोजगार: कार्यस्थल पर वरिष्ठ अधिकारियों से असहमति या विवाद से बचें। किसी भी महत्वपूर्ण कार्य में जल्दबाजी न करें।

सामाजिक-राजनीतिक: सामाजिक प्रतिष्ठा को बनाए रखने के लिए सतर्क रहें। किसी प्रकार की अफवाहों पर ध्यान न दें और संयमित रहें।

स्वास्थ्य: स्वास्थ्य पर ध्यान देने की आवश्यकता है, खासकर पाचन तंत्र और श्वसन तंत्र के संबंध में। व्यर्थ की चिंताओं से दूर रहें।

सफलता-नए कार्य: नए कार्यों में सफलता पाने के लिए यह समय अनुकूल नहीं है। विशेष कार्यों को स्थगित करना उचित रहेगा।

प्रेम-मित्रता: प्रेम संबंधों में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। इस समय आपको धैर्य और संयम की आवश्यकता है। प्रेम वही है जो मुश्किल समय में भी विश्वास बनाए रखे।


कर्क राशि (Cancer) – ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो

आर्थिक: यह समय आपके लिए आर्थिक दृष्टि से चुनौतीपूर्ण हो सकता है। खर्चों पर नियंत्रण रखना आवश्यक है। धन के मामलों में सोच-समझकर कदम उठाएँ।

पारिवारिक: परिवार के किसी सदस्य का स्वास्थ्य चिंता का कारण बन सकता है। परिवार में सामंजस्य बनाए रखने के लिए धैर्य से काम लें।

रोजगार: कार्यक्षेत्र में आप अपने कार्यों को सही समय पर पूरा नहीं कर पाएंगे जिससे मानसिक अशांति हो सकती है। धैर्य बनाए रखें क्योंकि यह समय जल्द ही बीत जाएगा।

सामाजिक-राजनीतिक: सामाजिक रूप से सक्रिय रहने के बावजूद आपको अपेक्षित परिणाम नहीं मिल सकते। किसी भी विवाद या मतभेद से बचें।

स्वास्थ्य: स्वास्थ्य की दृष्टि से यह समय आपके लिए अच्छा नहीं है। विशेष सावधानी बरतें और स्वास्थ्य का ध्यान रखें।

सफलता-नए कार्य: इस समय नए कार्यों की शुरुआत से बचें। मनोबल ऊँचा रखें और धैर्य बनाए रखें।

प्रेम-मित्रता: प्रेम संबंधों में सतर्क रहें। परिवार और दोस्तों के साथ संबंधों में शांति बनाए रखें। मधुर संबंध बनाए रखने के लिए शब्दों की मिठास बेहद आवश्यक होती है।


सिंह राशि (Leo) – मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे

आर्थिक: धन के मामलों में आपको सफलता मिलेगी। बकाया राशि की प्राप्ति हो सकती है। धन से संबंधित किसी भी कार्य में सफलता निश्चित है।

पारिवारिक: परिवार के साथ सुखद समय व्यतीत करेंगे। घर में शांति और संतोष का माहौल रहेगा।

रोजगार: कार्यक्षेत्र में आपके प्रयासों को सफलता मिलेगी। नई योजनाओं पर काम करने के लिए यह समय उत्तम है। पदोन्नति के योग भी बन रहे हैं।

सामाजिक-राजनीतिक: सामाजिक रूप से आपको सम्मान और पहचान मिलेगी। मित्रों और सहयोगियों के साथ आपके संबंध अच्छे रहेंगे।

स्वास्थ्य: स्वास्थ्य की दृष्टि से यह समय अनुकूल है। शारीरिक और मानसिक रूप से आप स्वस्थ महसूस करेंगे।

सफलता-नए कार्य: यह समय आपके लिए लक्ष्यों की प्राप्ति का है। नए कार्यों में सफलता मिलेगी, और आप हर कार्य में सफलता प्राप्त करेंगे।

प्रेम-मित्रता: प्रेम और मित्रता के संबंध में यह समय आपके लिए अनुकूल है। मित्रों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने में आप सफल रहेंगे। "दोस्ती वो नहीं जो कभी खत्म हो, बल्कि वो है जो हर मुश्किल में साथ रहे।"

कन्या राशि (Virgo)टो, , पी, पू, , , , पे, पो.

  • धन हानि: धन की हानि के योग हैं। व्यय पर विशेष ध्यान दें।
  • व्यवहार में सावधानी: लोगों से व्यवहार करते समय सतर्क रहें। विवादों और परामर्श से बचें।
  • सम्मान और प्रतिष्ठा: असावधानी आपके सम्मान को ठेस पहुंचा सकती है। प्रतिष्ठा बचाने के लिए सतर्क रहें।
  • कार्यालय में बाधाएं: काम में कुछ अड़चनें आ सकती हैं, पर धैर्य रखें। यह समय जल्दी ही गुजर जाएगा।
  • स्वास्थ्य: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में गिरावट की संभावना है। असंतोष और थकावट महसूस हो सकती है।
  • यात्रा और योजनाएं: यात्रा स्थगित रखें। धैर्य और अल्पभाषी बने रहना इस समय सफलता का मूल है।
  • व्यापार: व्यापार में लाभप्रद लेन-देन करने में कठिनाइयाँ आ सकती हैं।
  • वित्तीय स्थिति: खर्चों पर नियंत्रण रखें, अन्यथा हानि हो सकती है।
  • विशेष सलाह: अप्रिय, अनपेक्षित बाधाओं के प्रति सतर्क रहें। मौन और निष्क्रियता सर्वोत्तम उपाय होगा।

तुला राशि (Libra)रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते.

  • धन हानि: धन की हानि का संकेत है, अपने व्यय पर ध्यान दें।
  • व्यवहार में सतर्कता: लोगों से व्यवहार करते समय सावधान रहें और विवादों से दूर रहें।
  • सम्मान और प्रतिष्ठा: सम्मान बचाने के लिए सतर्क रहें। कार्यालय में बाधाएं आ सकती हैं।
  • स्वास्थ्य: शारीरिक स्वास्थ्य में गिरावट और मानसिक असंतोष हो सकता है।
  • यात्रा और योजनाएं: यात्रा स्थगित रखें। धैर्य और अल्पभाषी बने रहना सफलता का मूल है।
  • वित्तीय स्थिति: खर्चों पर नियंत्रण रखें, अन्यथा हानि हो सकती है।
  • विशेष सलाह: सामाजिक प्रतिष्ठा और कार्यालय में सम्मान बचाने के लिए सावधान रहें। अप्रिय बाधाओं के प्रति सतर्क रहें।

वृश्चिक राशि (Scorpio)तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू.

  • भोजन: मनपसंद और सुस्वादु भोजन का आनंद मिलेगा।
  • सुख-सुविधाएं: शारीरिक सुख-साधन, उत्तम वस्त्र, और सांसारिक वस्तुएं मिलेंगी।
  • पारिवारिक सुख: पारिवारिक जीवन में आनंद मिलेगा और प्रेम संबंधों में वृद्धि होगी।
  • स्वास्थ्य: रोगों से मुक्त रहेंगे और मन में शांति का भाव रहेगा।
  • आर्थिक स्थिति: आर्थिक लक्ष्य पूरे होंगे और पुराने ऋण वसूल होंगे।
  • व्यवसाय: कार्य में उन्नति और सम्मान मिलेगा।
  • विशेष सलाह: यह समय इच्छाओं की पूर्ति और लक्ष्यों को प्राप्त करने का है।

धनु राशि (Sagittarius)ये, यो, , भी, भू, , , , भे.

  • धन और संपत्ति: धन और संपत्ति अर्जित करने का यह समय है। अटकी हुई धनराशि मिल सकती है।
  • सुख और संतोष: परिवार और मित्रों के साथ सुखद समय बिताएंगे। स्वास्थ्य अच्छा रहेगा।
  • व्यवसाय: व्यापार में लाभ और सम्मान मिलेगा। राजनीतिक क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए उत्तम समय।
  • प्रेम संबंध: प्रेम और दाम्पत्य जीवन में सुख की संभावना है।
  • विशेष सलाह: यह समय इच्छाओं की पूर्ति और लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए उपयुक्त है। आपकी सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ेगी।

मकर राशि (Capricorn)भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, , गी.

  • भोजन और सुख-सुविधाएं: मनचाहा भोजन और शारीरिक सुख-सुविधाएं प्राप्त होंगी।
  • पारिवारिक जीवन: पारिवारिक जीवन में आनंद रहेगा। मित्रों से सहयोग मिलेगा।
  • आर्थिक स्थिति: आर्थिक स्थिति सामान्य रहेगी। कार्य में उन्नति और सम्मान मिलेगा।
  • प्रेम संबंध: प्रेम और दाम्पत्य जीवन में सुख का अनुभव होगा।
  • विशेष सलाह: यह समय कार्यस्थल के लिए शुभ है। सफलता की संभावना है।

कुंभ राशि (Aquarius)गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, द.

  • परिश्रम: व्यापार और कार्यालय में अधिक परिश्रम करना पड़ सकता है।
  • स्वास्थ्य: स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दें। मानसिक थकान और अनिद्रा की संभावना है।
  • धन-व्यय: धन-व्यय के समय सावधान रहें। शत्रुओं से सतर्क रहें।
  • योजना और निर्णय: यात्रा और निर्णय स्थगित रखें। अपव्यय से बचें।
  • सामाजिक प्रतिष्ठा: समाज में अपनी प्रतिष्ठा और सम्मान बनाए रखें।
  • विशेष सलाह: भावनात्मक अस्थिरता से बचें और संतुलित रहें।

मीन राशि (Pisces) – दी, दू, , , , दे, दो, चा, ची

  • आज का दिन सुविधा, सहयोग और समन्वय से भरा रहेगा। आपको मनपसंद भोजन और उत्तम वस्त्र आसानी से मिलेंगे। परिवार के साथ समय आनंदमय बीतेगा और प्रेम या दाम्पत्य जीवन में संतोष प्राप्त होगा। अगर आप कुछ नया करने की योजना बना रहे हैं, तो यह समय अत्यंत शुभ है। आपके कार्य में उन्नति और प्रशंसा मिलेगी, और आपको उच्च सम्मान प्राप्त होगा। आर्थिक दृष्टिकोण से भी यह समय लाभकारी रहेगा। पुराने दिए ऋणों की वापसी और आर्थिक लक्ष्यों की प्राप्ति के योग हैं। यह समय आपके स्वास्थ्य के लिए भी अनुकूल रहेगा और जीवन में सुख, शांति का अनुभव होगा।

विशेष सभी राशियों के लिए दिन मंगलमय बनाने के उपयोगी सुझाव :-   

 प्राथमिकता: मंदिरों का निर्माण, घरों का निर्माण, अभिषेक अनुष्ठान करना, जल नियंत्रण, राज्य कार्य, और सांप से संबंधित गतिविधियाँ। खुदाई, व्यवसाय, और वाणिज्यिक गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करें।
नए कपड़े पहनने का प्रभाव: मीठा भोजन प्राप्त करने की संभावना। नए कपड़े पहनने से उत्सवों, समारोहों, और वैश्विक लाभकारी योजनाओं में सफलता प्राप्त होगी।
दान: तिल।
लाभकारी खाद्य पदार्थ: नींबू, शक्कर, बिल्वा पत्तियाँ, घी, दही, और खीर।
बचने योग्य खाद्य पदार्थ: करेला, इलायची, कस्तूरी, लहसुन।

वेद मंत्र उत्तराषाढा
ॐ विश्वे अद्य मरुत विश्वSउतो विश्वे भवत्यग्नय: समिद्धा:
विश्वेनो देवा अवसागमन्तु विश्वेमस्तु द्रविणं बाजो अस्मै।

पौराणिक मंत्र :-
विश्वां देवान् अहं वंदेषाढनक्षत्रदेवताम्।
श्रीपुष्टिकीर्तीधीदात्री सर्वपापानुमुक्तये॥

नक्षत्र देवता मंत्र :-
ॐ विश्वेभ्यो देवेभ्यो नमः।
नक्षत्र मंत्र :-
ॐ उत्तराषाढाभ्यां नमः।

 जन्म राशि के अनुसार किए जाने वाले कार्य :-
विवाहे सर्वमांगल्ये यात्रादौ ग्रह गोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशि च चिन्तयेत्।।विद्यारम्भे विवाहे च सर्व संस्कार कर्मषु।

जन्मराशिः प्रधानत्वं, नाम राशि व चिन्तयेत्।।
यात्रा प्रारंभ से पूर्व क्या खाना चाहिए :-
विजय और सफलता के लिए घर वापसी से पहले शनि को काले तिल अर्पित करें।


दिन का भविष्य जानने की विधि :-
नाम एवं जन्म राशि दोनों का प्रभाव होता है।

  1. अपने प्रचलित नाम और जन्म राशि के भविष्य को पढ़िए। यदि दोनों उत्तम हैं, तो दिन श्रेष्ठ और सफल रहेगा।
  2. यदि नाम से भविष्य शुभ है, तो व्यवहार, यात्रा आदि में सफलता मिलेगी।
  3. यदि नाम से अशुभ है, तो यात्रा, गृह प्रवेश, व्यवहारिक कार्य, आवेदन आदि के लिए समय हितकर नहीं होगा।


 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

श्राद्ध की गूढ़ बाते ,किसकी श्राद्ध कब करे

श्राद्ध क्यों कैसे करे? पितृ दोष ,राहू ,सर्प दोष शांति ?तर्पण? विधि             श्राद्ध नामा - पंडित विजेंद्र कुमार तिवारी श्राद्ध कब नहीं करें :   १. मृत्यु के प्रथम वर्ष श्राद्ध नहीं करे ।   २. पूर्वान्ह में शुक्ल्पक्ष में रात्री में और अपने जन्मदिन में श्राद्ध नहीं करना चाहिए ।   ३. कुर्म पुराण के अनुसार जो व्यक्ति अग्नि विष आदि के द्वारा आत्महत्या करता है उसके निमित्त श्राद्ध नहीं तर्पण का विधान नहीं है । ४. चतुदर्शी तिथि की श्राद्ध नहीं करना चाहिए , इस तिथि को मृत्यु प्राप्त पितरों का श्राद्ध दूसरे दिन अमावस्या को करने का विधान है । ५. जिनके पितृ युद्ध में शस्त्र से मारे गए हों उनका श्राद्ध चतुर्दशी को करने से वे प्रसन्न होते हैं और परिवारजनों पर आशीर्वाद बनाए रखते हैं ।           श्राद्ध कब , क्या और कैसे करे जानने योग्य बाते           किस तिथि की श्राद्ध नहीं -  १. जिस तिथी को जिसकी मृत्यु हुई है , उस तिथि को ही श्राद्ध किया जाना चा...

*****मनोकामना पूरक सरल मंत्रात्मक रामचरितमानस की चौपाईयाँ-

*****मनोकामना पूरक सरल मंत्रात्मक रामचरितमानस की चौपाईयाँ-       रामचरितमानस के एक एक शब्द को मंत्रमय आशुतोष भगवान् शिव ने बना दिया |इसलिए किसी भी प्रकार की समस्या के लिए सुन्दरकाण्ड या कार्य उद्देश्य के लिए लिखित चौपाई का सम्पुट लगा कर रामचरितमानस का पाठ करने से मनोकामना पूर्ण होती हैं | -सोमवार,बुधवार,गुरूवार,शुक्रवार शुक्ल पक्ष अथवा शुक्ल पक्ष दशमी से कृष्ण पक्ष पंचमी तक के काल में (चतुर्थी, चतुर्दशी तिथि छोड़कर )प्रारंभ करे -   वाराणसी में भगवान् शंकरजी ने मानस की चौपाइयों को मन्त्र-शक्ति प्रदान की है-इसलिये वाराणसी की ओर मुख करके शंकरजी को स्मरण कर  इनका सम्पुट लगा कर पढ़े या जप १०८ प्रतिदिन करते हैं तो ११वे दिन १०८आहुति दे | अष्टांग हवन सामग्री १॰ चन्दन का बुरादा , २॰ तिल , ३॰ शुद्ध घी , ४॰ चीनी , ५॰ अगर , ६॰ तगर , ७॰ कपूर , ८॰ शुद्ध केसर , ९॰ नागरमोथा , १०॰ पञ्चमेवा , ११॰ जौ और १२॰ चावल। १॰ विपत्ति-नाश - “ राजिव नयन धरें धनु सायक। भगत बिपति भंजन सुखदायक।। ” २॰ संकट-नाश - “ जौं प्रभु दीन दयालु कहावा। आरति हरन बेद जसु गावा।। जपहिं ना...

दुर्गा जी के अभिषेक पदार्थ विपत्तियों के विनाशक एक रहस्य | दुर्गा जी को अपनी समस्या समाधान केलिए क्या अर्पण करना चाहिए?

दुर्गा जी   के अभिषेक पदार्थ विपत्तियों   के विनाशक एक रहस्य | दुर्गा जी को अपनी समस्या समाधान केलिए क्या अर्पण करना चाहिए ? अभिषेक किस पदार्थ से करने पर हम किस मनोकामना को पूर्ण कर सकते हैं एवं आपत्ति विपत्ति से सुरक्षा कवच निर्माण कर सकते हैं | दुर्गा जी को अर्पित सामग्री का विशेष महत्व होता है | दुर्गा जी का अभिषेक या दुर्गा की मूर्ति पर किस पदार्थ को अर्पण करने के क्या लाभ होते हैं | दुर्गा जी शक्ति की देवी हैं शीघ्र पूजा या पूजा सामग्री अर्पण करने के शुभ अशुभ फल प्रदान करती हैं | 1- दुर्गा जी को सुगंधित द्रव्य अर्थात ऐसे पदार्थ ऐसे पुष्प जिनमें सुगंध हो उनको अर्पित करने से पारिवारिक सुख शांति एवं मनोबल में वृद्धि होती है | 2- दूध से दुर्गा जी का अभिषेक करने पर कार्यों में सफलता एवं मन में प्रसन्नता बढ़ती है | 3- दही से दुर्गा जी की पूजा करने पर विघ्नों का नाश होता है | परेशानियों में कमी होती है | संभावित आपत्तियों का अवरोध होता है | संकट से व्यक्ति बाहर निकल पाता है | 4- घी के द्वारा अभिषेक करने पर सर्वसामान्य सुख एवं दांपत्य सुख में वृद्धि होती...

श्राद्ध:जानने योग्य महत्वपूर्ण बातें |

श्राद्ध क्या है ? “ श्रद्धया यत कृतं तात श्राद्धं | “ अर्थात श्रद्धा से किया जाने वाला कर्म श्राद्ध है | अपने माता पिता एवं पूर्वजो की प्रसन्नता के लिए एवं उनके ऋण से मुक्ति की विधि है | श्राद्ध क्यों करना चाहिए   ? पितृ ऋण से मुक्ति के लिए श्राद्ध किया जाना अति आवश्यक है | श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम ? यदि मानव योनी में समर्थ होते हुए भी हम अपने जन्मदाता के लिए कुछ नहीं करते हैं या जिन पूर्वज के हम अंश ( रक्त , जींस ) है , यदि उनका स्मरण या उनके निमित्त दान आदि नहीं करते हैं , तो उनकी आत्मा   को कष्ट होता है , वे रुष्ट होकर , अपने अंश्जो वंशजों को श्राप देते हैं | जो पीढ़ी दर पीढ़ी संतान में मंद बुद्धि से लेकर सभी प्रकार की प्रगति अवरुद्ध कर देते हैं | ज्योतिष में इस प्रकार के अनेक शाप योग हैं |   कब , क्यों श्राद्ध किया जाना आवश्यक होता है   ? यदि हम   96  अवसर पर   श्राद्ध   नहीं कर सकते हैं तो कम से कम मित्रों के लिए पिता माता की वार्षिक तिथि पर यह अश्वनी मास जिसे क्वांर का माह    भी कहा ज...

श्राद्ध रहस्य प्रश्न शंका समाधान ,श्राद्ध : जानने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य -कब,क्यों श्राद्ध करे?

संतान को विकलांगता, अल्पायु से बचाइए श्राद्ध - पितरों से वरदान लीजिये पंडित विजेंद्र कुमार तिवारी jyotish9999@gmail.com , 9424446706   श्राद्ध : जानने  योग्य   महत्वपूर्ण तथ्य -कब,क्यों श्राद्ध करे?  श्राद्ध से जुड़े हर सवाल का जवाब | पितृ दोष शांति? राहू, सर्प दोष शांति? श्रद्धा से श्राद्ध करिए  श्राद्ध कब करे? किसको भोजन हेतु बुलाएँ? पितृ दोष, राहू, सर्प दोष शांति? तर्पण? श्राद्ध क्या है? श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम क्या संभावित है? श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम क्या संभावित है? श्राद्ध की प्रक्रिया जटिल एवं सबके सामर्थ्य की नहीं है, कोई उपाय ? श्राद्ध कब से प्रारंभ होता है ? प्रथम श्राद्ध किसका होता है ? श्राद्ध, कृष्ण पक्ष में ही क्यों किया जाता है श्राद्ध किन२ शहरों में  किया जा सकता है ? क्या गया श्राद्ध सर्वोपरि है ? तिथि अमावस्या क्या है ?श्राद्द कार्य ,में इसका महत्व क्यों? कितने प्रकार के   श्राद्ध होते   हैं वर्ष में   कितने अवसर श्राद्ध के होते हैं? कब  श्राद्ध किया जाना...

गणेश विसृजन मुहूर्त आवश्यक मन्त्र एवं विधि

28 सितंबर गणेश विसर्जन मुहूर्त आवश्यक मन्त्र एवं विधि किसी भी कार्य को पूर्णता प्रदान करने के लिए जिस प्रकार उसका प्रारंभ किया जाता है समापन भी किया जाना उद्देश्य होता है। गणेश जी की स्थापना पार्थिव पार्थिव (मिटटीएवं जल   तत्व निर्मित)     स्वरूप में करने के पश्चात दिनांक 23 को उस पार्थिव स्वरूप का विसर्जन किया जाना ज्योतिष के आधार पर सुयोग है। किसी कार्य करने के पश्चात उसके परिणाम शुभ , सुखद , हर्षद एवं सफलता प्रदायक हो यह एक सामान्य उद्देश्य होता है।किसी भी प्रकार की बाधा व्यवधान या अनिश्ट ना हो। ज्योतिष के आधार पर लग्न को श्रेष्ठता प्रदान की गई है | होरा मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ माना गया है।     गणेश जी का संबंध बुधवार दिन अथवा बुद्धि से ज्ञान से जुड़ा हुआ है। विद्यार्थियों प्रतियोगियों एवं बुद्धि एवं ज्ञान में रूचि है , ऐसे लोगों के लिए बुध की होरा श्रेष्ठ होगी तथा उच्च पद , गरिमा , गुरुता , बड़प्पन , ज्ञान , निर्णय दक्षता में वृद्धि के लिए गुरु की हो रहा श्रेष्ठ होगी | इसके साथ ही जल में विसर्जन कार्य होता है अतः चंद्र की होरा सामा...

गणेश भगवान - पूजा मंत्र, आरती एवं विधि

सिद्धिविनायक विघ्नेश्वर गणेश भगवान की आरती। आरती  जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।  माता जा की पार्वती ,पिता महादेवा । एकदंत दयावंत चार भुजा धारी।   मस्तक सिंदूर सोहे मूसे की सवारी | जय गणेश जय गणेश देवा।  अंधन को आँख  देत, कोढ़िन को काया । बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया । जय गणेश जय गणेश देवा।   हार चढ़े फूल चढ़े ओर चढ़े मेवा । लड्डूअन का  भोग लगे संत करें सेवा।   जय गणेश जय गणेश देवा।   दीनन की लाज रखो ,शम्भू पत्र वारो।   मनोरथ को पूरा करो।  जाए बलिहारी।   जय गणेश जय गणेश देवा। आहुति मंत्र -  ॐ अंगारकाय नमः श्री 108 आहूतियां देना विशेष शुभ होता है इसमें शुद्ध घी ही दुर्वा एवं काले तिल का विशेष महत्व है। अग्नि पुराण के अनुसार गायत्री-      मंत्र ओम महोत काय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो दंती प्रचोदयात्। गणेश पूजन की सामग्री एक चौकिया पाटे  का प्रयोग करें । लाल वस्त्र या नारंगी वस्त्र उसपर बिछाएं। चावलों से 8पत्ती वाला कमल पुष्प स्वरूप बनाएं। गणेश पूजा में नार...

श्राद्ध रहस्य - श्राद्ध क्यों करे ? कब श्राद्ध नहीं करे ? पिंड रहित श्राद्ध ?

श्राद्ध रहस्य - क्यों करे , न करे ? पिंड रहित , महालय ? किसी भी कर्म का पूर्ण फल विधि सहित करने पर ही मिलता है | * श्राद्ध में गाय का ही दूध प्रयोग करे |( विष्णु पुराण ) | श्राद्ध भोजन में तिल अवश्य प्रयोग करे | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि - श्राद्ध अपरिहार्य - अश्वनी माह के कृष्ण पक्ष तक पितर अत्यंत अपेक्षा से कष्ट की   स्थिति में जल , तिल की अपनी संतान से , प्रतिदिन आशा रखते है | अन्यथा दुखी होकर श्राप देकर चले जाते हैं | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि इसको नहीं करने से पीढ़ी दर पीढ़ी संतान मंद बुद्धि , दिव्यांगता .मानसिक रोग होते है | हेमाद्रि ग्रन्थ - आषाढ़ माह पूर्णिमा से /कन्या के सूर्य के समय एक दिन भी श्राद्ध कोई करता है तो , पितर एक वर्ष तक संतुष्ट/तृप्त रहते हैं | ( भद्र कृष्ण दूज को भरणी नक्षत्र , तृतीया को कृत्तिका नक्षत्र   या षष्ठी को रोहणी नक्षत्र या व्यतिपात मंगलवार को हो ये पिता को प्रिय योग है इस दिन व्रत , सूर्य पूजा , गौ दान गौ -दान श्रेष्ठ | - श्राद्ध का गया तुल्य फल- पितृपक्ष में मघा सूर्य की अष्टमी य त्रयोदशी को मघा नक्षत्र पर चंद्र ...

विवाह बाधा और परीक्षा में सफलता के लिए दुर्गा पूजा

विवाह में विलंब विवाह के लिए कात्यायनी पूजन । 10 oct - 18 oct विवाह में विलंब - षष्ठी - कात्यायनी पूजन । वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए - दुर्गतिहारणी मां कात्यायनी की शरण लीजिये | प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना के समय , संकल्प में अपना नाम गोत्र स्थान बोलने के पश्चात् अपने विवाह की याचना , प्रार्थना कीजिये | वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए प्रति दिन प्रातः सूर्योदय से प्रथम घंटे में या दोपहर ११ . ४० से १२ . ४० बजे के मध्य , कात्ययानी देवी का मन्त्र जाप करिये | १०८बार | उत्तर दिशा में मुँह हो , लाल वस्त्र हो जाप के समय | दीपक मौली या कलावे की वर्तिका हो | वर्तिका उत्तर दिशा की और हो | गाय का शुद्ध घी श्रेष्ठ अथवा तिल ( बाधा नाशक + महुआ ( सौभाग्य ) तैल मिला कर प्रयोग करे मां भागवती की कृपा से पूर्वजन्म जनितआपके दुर्योग एवं   व्यवधान समाप्त हो एवं   आपकी मनोकामना पूरी हो ऐसी शुभ कामना सहित || षष्ठी के दिन विशेष रूप से कात्यायनी के मन्त्र का २८ आहुति / १०८ आहुति हवन कर...

कलश पर नारियल रखने की शास्त्रोक्त विधि क्या है जानिए

हमे श्रद्धा विश्वास समर्पित प्रयास करने के बाद भी वांछित परिणाम नहीं मिलते हैं , क्योकि हिन्दू धर्म श्रेष्ठ कोटी का विज्ञान सम्मत है ।इसकी प्रक्रिया , विधि या तकनीक का पालन अनुसरण परमावश्यक है । नारियल का अधिकाधिक प्रयोग पुजा अर्चना मे होता है।नारियल रखने की विधि सुविधा की दृष्टि से प्रचलित होगई॥ मेरे ज्ञान  मे कलश मे उल्टा सीधा नारियल फसाकर रखने की विधि का प्रमाण अब तक नहीं आया | यदि कोई सुविज्ञ जानकारी रखते हो तो स्वागत है । नारियल को मोटा भाग पूजा करने वाले की ओर होना चाहिए। कलश पर नारियल रखने की प्रमाणिक विधि क्या है ? अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए , उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै प्राची मुखं वित्त्नाश्नाय , तस्माच्छुभम सम्मुख नारिकेलम अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए कलश पर - नारियल का बड़ा हिस्सा नीचे मुख कर रखा जाए ( पतला हिस्सा पूछ वाला कलश के उपरी भाग पर रखा जाए ) तो उसे शत्रुओं की वृद्धि होती है * ( कार्य सफलता में बाधाएं आती है संघर्ष , अपयश , चिंता , हानि , सहज हैशत्रु या विरोधी तन , मन धन सर्व दृष्टि से घातक होते है ) उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै कलश ...