शिव लिंग शब्द और जन भ्रम-निर्मूलन आलेख ?
शिव लिंग शब्द और जन भ्रम-निर्मूलन आलेख ?
जनहित में भ्रम उन्मूलन
के लिए साभार संकलन प्रतुतिकरण-
शिव लिंग शब्द से
अभिप्रेत के संदर्भ में , जन सामान्य में भ्रम है,
शिव लिंग पूजा के सन्दर्भ
में कैसे कैसे विचित्र प्रश्न पूछे जाते है –
1- जननांग की पूजा है क्या शिव लिंग ?
2- क्या स्व- लिंग की पूजा ही शिवलिंग पूजा है ?
3-शिवलिंग की पूजा स्त्री को करना चाहिए या नहीं
?
भ्रम क्यों?
1-भाषा का पतन एवं पंडित कथावाचक एवं पुरोहितों का अधकचरा
ज्ञान –भ्रम का मूल कारण.
2-परतंत्रता काल –
संस्कृत से hindi का उद्भव हुआ . हिंदी भाषा का ज्ञान कौशल ,विगत 100 वर्षों में
उत्तरोत्तर विघटित हो रहा
है .
-उत्तरभारत में प्रारंभ
-300 वर्ष मुग़ल कालीन साम्राज्य में उत्तर भारत में उर्दू भाषा के कारण+अंग्रेजो
के शासन काल से अब तक हो रहा है .
3-स्वतंत्रता उपरांत
शिक्षा प्रणाली-
- कार्यालयीन कार्य की
भाषा-कई शासकीय विभागोंके
अभिलेख में आज भी है .
-दक्षिण भारत में
अंग्रेजी भाषा के कारण(सखेद लिखना पड रहा है ,दक्षिण भारत के स्कूल शिक्षा में 3-7 कक्षा में hindi भाषा विषय की पुस्तकों में उर्दू ,फारसी शब्दों की भरमार /बहुलता से होने से) hindi भाषा का रसातल में जाना सुनिश्चयन ही प्रतीत होता है .
हिन्दी
में दो लिंग होते हैं - पुल्लिंग तथा
स्त्रीलिंग, . संस्कृत में तीन लिंग होते हैं- पुल्लिंग, स्त्रीलिंग तथा नपुंसक लिंग।
-संस्कृत निष्ठ hindi भाषा में एक शब्द के ही अनेक अर्थ होते हैं -
कथन की पुष्टि के लिए हिन्दी के एक शब्द “सूत्र”के अर्थ पर विचार करे -
1-“सूत्र” का अर्थ –अभिप्राय-
1-डोरी2-धागा 3-गणितीय सूत्र 4-कोई भाष्य
5-नियम6-सूत है।
जैसे कि नासदीय सूत्र ,ब्रह्म सूत्र इत्यादि ।
2 “योनि” के अर्थ – अभिप्राय--
“योनि” - 1 प्रादुर्भाव2प्रकटीकरण 3-नारी के प्रजनन अंग .जननांग 4-उदभव5-अस्तित्व
प्रारंभ संज्ञक अर्थ है.
जैसे उदाहरणार्थ- मनुष्य योनि, पशु योनि-, वृक्ष योनि, जीव-जंतु,केट –पतंग योनि। 84 लाख योनी /में जन्म हैं।(नारी के जनानांगही नहीं है अनेक अर्थ है ).
ज्योतिष में प्रयुक्त- 14
योनी यथा- गज योनी,अश्व योनी आदि.
*मनुष्य योनि अर्थात-पुरुष और स्त्री दोनों को मिलाकर मनुष्य
योनि है।
अकेले स्त्री या पुरुष के
लिए मनुष्य योनि शब्द का प्रयोग नहीं होता है।
भाषा विशेषता---हिंदी भाषा में ,संस्कृत भाषा की तरह एक शब्द अनेकार्थी होता है ,भाषायी अपूर्ण ज्ञान से अर्थ का अनर्थ होना ,भ्रम होना सुनश्चित .
1-भाषा के अनुसार –
लिंग शब्द से अभिप्रेत-प्रतीक,चिन्ह,लक्षण, या सामान्य अर्थ में कार्य या वस्तु जिससे उसकी
पहचान, ज्ञान,भान है,
जैसे- प्रकाश स्तंभ या लिंग, अग्नि स्तंभ या लिंग, उर्जा
स्तंभ या लिंग, ब्रह्माण्डीय स्तंभ या लिंग |
जैसे-1-पुरुष लिंग –पुरुष वाची या पुरुष का प्रतीक | प्रचलित अर्थ – पुरुष जननेंद्रिय , उपस्थ शिशिन.मेढ,ध्वज,
जीवों में वर्गीकरण के
अनुसार -मनुष्य-पिता,पुत्र,शेर,कुत्ता आदि .
2-स्त्रीलिंग - स्त्री वाची स्त्री का प्रतीक ।स्त्री-मान,पत्नि आदि,बिल्ली,
3-शिव लिंग का अर्थ शिव का प्रतिक ,चिन्ह या शिव की पहचान है .
शिव लिंग का अर्थ अनन्त
भी है (जिसका कोई प्रारंभ या अन्त ?*
4-द्वादश ज्योतिर्लिंग भी है .
4-पौराणिक
साहित्य ग्रंथो के अनुसार- लिंग पुराण .
-स्कन्दपुराण - आकाश स्वयं लिंग है।
शून्य, आकाश, अनन्त, ब्रह्माण्ड और निराकार परम पुरुष का प्रतीक होने के इसे लिंग कहा गया है।
शिवलिंग - ब्रह्माण्ड (क्योंकि, ब्रह्माण्ड गतिमान है) का अक्स/धुरी (axis) भी लिंग है।
शिवलिंग क्या है ?
-अनादिदेव शिव की पूजा का
प्रतीक ”शिव लिंग” है .
ब्रह्माण्ड की आकृति है.
शिव अलिंग हैं , लिंग उनका प्रतिक है .
शिवलिंग के सन्दर्भ में लिंग शब्द से अभिप्राय
चिह्न, गुण, व्यवहार
या प्रतीक है।
धरती उसका पीठ या आधार है
। अनन्त शून्य से पैदा + उसी में लय होने के कारण लिंग कहा है।
* शिव पदार्थ + शक्ति ऊर्जा का प्रतीक = शिवलिंग ।
ब्रह्माण्ड में उपस्थित
समस्त ठोस तथा ऊर्जा युक्त शिवलिंग है। अणु का आकार भी शिव लिंग जैसा ही है .
-महिलाओं को दाम्पत्य सुख
के लिए शिव पूजन कहा गया है .
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