- 05 नाड़ी कुण्डली मिलान ,कुंडली के 09 ग्रहों से मिलान ;अनुसंधानित रहस्यमयि विद्या :पंडित वी के तिवारी
दाम्पत्य जीवन विखंडन –उत्तरदायी कौन पालक , ज्योतिषी ?
अलगाव ,तलाक ,मतभेद की आहुति में भस्मीभूत होता दांपत्य
जीवन
दोषी कौन –पालक, मिलान की विधि या ज्योतिषियों के अधिकांश
का इस विषय पर अधकचरा ज्ञान?या ये तीनों ?
विवाह पश्चात मतभेद,अलगाव,तलाक आदि समस्याएँ दिनो दिन सुरसा मुख की तरह बढ़
रही हैं ..महानगरों में ,प्रतिशत भयावह,विशेष रूप
से उच्च वर्ग में होता जा रहा है .
विचारणीय
एवं ध्यातव्य तथ्य यह है की 1980 से पूर्व इस प्रकार की समस्या घर द्वार तक सीमित थी,
ये घटनाएँ 2 प्रतिशत से भी कम थीं .
-कुंडली
मिलान कर विवाह का प्रतिशत 1970 तक 40 भी नहीं था . बिना कुंडली मिलान के दांपत्य जीवन
अटूट ही रहता था .
आज कारण
क्या हैं ?
1- संस्कार विहीनता के
वट वृक्ष काल में , संस्कार हीन बाल्य काल परिणाम ,बच्चों में घटती
सम्मान भावना .
2- आज की जीवन शैली .
3 नारी के पक्ष में न्याय विधान / एक पक्षीय नियम .
जिनका महानगरों में बहुतायत से दुरूपयोग हो रहा है .
4 - कन्या आज वर के समान ज्ञान ,शिक्षा और आर्थिक आत्म निर्भर (कन्या विवश नहीं पति पर या पिता पर आश्रित
) हो चुकी है .
5-पालकों
द्वारा मुहूर्त का परिपालन गंभीरता से नहीं करना.(मुहूर्त से अधिक बूटी पार्लर सजावट,प्रदर्शन
नाच गाना प्राथमिकता हो गई है .
6-कुंडली
मिलान की 36 गुण वाली विद्या का ओपूर्ण ज्ञान ( अपवाद नियम की)अज्ञानता तथाकथित
नवांकुर ज्योतिषी एवं कथावाचक वर्ग में व्याप्त .
ज्योतिष ग्रंथों में कुंडली मिलान का विवरण 15 वी
सदी से पूर्व अनुपलब्ध है .संभवत पूर्वकाल में मध्यम या आर्थिक विपन्न या अपने से कम शक्ति
वाले (फिर चाहे कोई भी हो )वर्ग की कन्या को सक्षम,शसक्त वर्ग अपनी पसंद की
कन्या /स्त्री को ,(एक या अनेक को) जीवन साथी बनाना अपना अधिकार मानता था .
-
राजा आदि स्वयंवर को महत्व देते थे .
-अनाचार ,दुराचार ,अपहरण अदि से सुरक्षा के लिए बाल विवाह भी इस प्रकार पनपा था .शिक्षा अभाव , आवागमन सीमित, परिचय सीमित,जाति,कुल, वंश वृद्धि के कारण धीरेधीरे पंडित ,ज्योतिष्यों से पूछ परख प्रारंभ हुई .
जन्म नक्षत्र चरण के आधार पर नाम एवं उनके साम्य
गुण अनुसार संभावित सुखद जीवन की कल्पना को मूर्त रूप दिया गया .
अशिक्षित अवस्था में नक्षत्र सीमा होना
त्रुटिपूर्ण नहीं था परन्तु आज ज्योतिषियों का अधिकाँश कुंडली,या जन्म चक्र को कुंडली मिलान के लिए उपयोगी मानता है .उत्तर भारत की तुलना में दक्षिण भारत की नक्षत्र से मिलाने की विधि (8 के
स्थान पर 10 विशेषता ) दशकूट श्रेष्ठ है ,परन्तु पर्याप्त या सर्वोत्तम नहीं .
दुष्परिणाम-
आज 30 प्रतिशत से अधिक जन , इस अष्टकूट की अप्रयोज्य प्रचलित
विधि के कारण विवाह पूर्व (विलम्ब) या
विवाह पश्चात कष्ट भोगने को बाध्य हैं .जन हित,देश हित, समाज हित और विद्या के प्रति
ज्योतिषियों तथा सुविज्ञ शिक्षित वर्ग का भी दायित्व है कि, विवाह मिलान के लिए योग्य ज्योतिषी का ही चयन करे , 36 गुण की सीमा से बहिर्गमन करे .
*.समय समय पर अनेक ज्योतिषियों ने इस क्षेत्र में
अनुपम अतुलनीय विचार भी प्रस्तुत किये ,परन्तु प्रचलित अपूर्ण ,असार्थक एवं अप्रयोज्य मिलान विधि को बहिष्कृत या परिष्कृत नहीं कर
सके .
-समस्या यह है कि- वर वधु पक्ष में एक पक्ष का भी सलाहकार पंडित ज्योतिषी नक्षत्र चरण
से मिलान या 05 नाडी नियम या अपवाद नियम नहीं जानता तो वह उस पक्ष को भ्रमित करता
है एवं विवाह होने से रोक देता है.
COMPUTER , कथा वाचक वर्ग की तुलना मे 10 पर्तिशत भी *सुविज्ञ
ज्योतिषियों की पैठ घर घर में ,नहीं है .इसलिए नक्षत्र मिलान विधि का
संशोधन.परिवर्धन ,उन्नयन आज भी टेडी खीर है .
कुंडली मिलाने के लिये केवल नक्षत्र की विशेषता
पर्याप्त नहीं रही,वरन कुण्डली
मे स्थित ग्रह एवं उनकी स्थिति का विश्लेषणात्मक अध्ययन आवशयक है .
ज्योतिषी
का नैतिक दायित्व –
जो आपके
ज्ञान पर आस्था,ज्योतिष पर विश्वास लेकर आपके द्वार आया ,
अपने लिए,ज्योतिष
विद्या के अस्तित्व के लिए ,पूर्ण ज्ञान होने पर ही समाधान करे .
अकल्पनीय परन्तु यथार्थत: सत्य -
16 वी सदी की विवाह पूर्व कुंडली मिलान विधि
(अष्टकूट 36 गुण ), 20 वी सदी में भी पूर्ववत प्रचलित ?
ज्योतिषियों का नैतिक दायित्व नवमांश ,जन्म
चक्र से कुंडली मिलाएँ . लग्न नक्षत्र या नवमांश से ज्योतिष विधि, लग्न.नक्षत्र चरण से विवाह मिलान कर
ज्योतिष के स्थापित ग्रन्थ ,सिद्दांत के प्रति विशवास बढाए एवं उचित मूल्याङ्कन (16वी सदी
के 36 गुण से आगे ..) कर जन सामान्य की अपेक्षा / विश्वास पर जाने- अनजाने पानी फेरन अनुचित है .
विडंबना- - उत्तर भारत में प्रचलित अष्टकूट
विवाह –मिलान के सन्दर्भ में ,मेरे अनुभव में शताधिक प्रकरण हैं ,जब ज्योतिष ग्रंथो के आधार पर
पूर्ण लिखित प्रमाण देने के बाद भी शिक्षित वर्ग अपने तथाकथित पंडित ज्योतिषी
(अल्पज्ञान ) के –“मेरे अनुभव ..मेरे परिवार ..पुश्तैनी ज्ञान ...”जेसे वाक्यों के
विरुद्ध , सप्रमाण ज्ञान ग्रन्थ आदि आधरित
तथ्यों के अनुरूप निर्णय लेने से समर्थ / सक्षम नहीं हुए ...तो अल्प शिक्षित या
मध्यम वर्ग इन पंडितों या अल्प ज्ञानी तथाकथित ज्योतिष की दूकान चलाने वालो की
उपेक्षा केसे कर सकता है ?
ज्योतिषी क्या करे ?
नाडी 3.4.5.
नाडी होती हैं , केवल तीन नाडी मिलान असत्य अपूर्ण ज्ञान
है . नक्षत्र के अनुसार 3.4.या 5 नाडी लागू कर मिलान करना चाहिए . या 27 नक्षत्र से नाडी के स्थान पर नक्षत्र के
108 भागो की नाडी का प्रयोग करे
-05 नाड़ी कुण्डली मिलान ,कुंडली के 09 ग्रहों से मिलान
विवाह के लिए जन्म कुंडली के ग्रहो-नक्षत्रो से
कुण्डली मिलाएँ.
1-कुंडली मिलाएँ सभी ग्रहों ,लग्न नक्षत्र से या नक्षत्र चरण / नवमांश से -
.2-नाम से अवश्य मिलान करे . 2-12,9-5 एवं 6-8 दोष का विशेष ध्यान रखे .
नक्षत्र से नक्षत्र मिलान में 27 नक्षत्र *27
नक्षत्र =729 संयोग बनेगे जबकि 27 नक्षत्र के 4 चरण =108*108 =116664 .
मेरा
व्यक्तिगत अनुभव बहुत 2 कटु,निराशाजनक विगत 45 वर्ष में रहा .
-पूर्ण तथ्य ,ग्रंथो का सन्दर्भ देने के बाद
भी उच्च शिक्षित वर्ग या उच्चपदस्थ वर्ग का अधिकाँश आज भी अल्प / अधरे ज्ञान वाले
पंडितों / ज्योतिषियों पर पूर्ण श्रद्धा ,आस्था,विश्वास /निर्भर है,आश्रित है .
-नक्षत्र चरण का उपयोग हो .-6-8.;12-2;9-5; दोष का अवलोकन सभी ग्रहों से
किया जाना चाहिए.
भाव का अवलोकन हो इनमे शनि,सूर्य,मंगल,राहू अशुभ दाम्पत्य जीवन के
लिए ,लग्न के अनुसार इनका विचार करे
.
1-केवल
चन्द्र ग्रह राशि+60 घंटे एवं नक्षत्र +23 घंटे और केवल नक्षत्र की विशेषता के 8
बिंदु पर विचार .
2- सूक्ष्म व्यष्टि स्वरूप
मुल्यांकन विधि –
नक्षत्र चरण (06 घंटे ) नवमांश (45 मिनट ) ,
- लग्न 02 घंटे लगभग ,
-नक्षत्र वेध, 05 नाड़ी ( नक्षत्र नाडी/ नवमांश नाडी ),
-09 ग्रहों की राशि दूरी -6-8 , 9-5,02-12 ,3-11,04-10;
-जन्मचक्र के
नवग्रहों की राशी एवं उनके नक्षत्र चरण , वर- कन्या के परस्पर ग्रह एवं नक्षत्र स्थित दूरी , (ग्रहों की ही नहीं वरन विभिन्न नक्षत्रो कि दूरी
परस्पर ),
-प्रचिलित नाम को भी महत्त्व देना अपरिहार्य जिससे तात्कालिक मत भिन्नता से सुरक्षा .
*36 गुण भ्रमोत्पादक यदि इस
प्रकार की गणना करे तो मेरे द्वारा विकसित विधि में 35 बिन्दुओ पर विचार के 620 गुण होंगे .
-36 गुण में अनेक अपवाद शामिल हुए .
अनेक नक्षत्र नाडी दोष मुक्त हैं ,परन्तु रेडीरेकनर पंचांगो या ज्योतिष सॉफ्टवेरों के आधार पर 36 में से 18 उचित .
- *ब्राह्मणों के लिए नाडी दोष ?
मेने कोई एसा पंडित नहीं देखा है नाडी , वर्ण आदि गुण छोड़ कर कुंडली जो वैश्य की कुंडली मिलाता हो .मेरा मत -कन्या का नक्षत्र यदि ब्राह्मण है तो नाडी दोष ,महत्वपूर्ण दोष होगा .
*समसप्तक उत्तम मिलान यदि है तो ग्रह मैत्री का महत्व ?
* इसलिए
+60 घंटे की राशी के स्थान पर नवमांश स्वामी की उपेक्षा नहीं की जाए .
ज्योतिष में अनेक गूढ़ता पूर्ण रहस्य हैं .विचार कर समाज को कुछ नया दीजिये .
* श्रेष्ठ ज्ञान जनसामान्य तक पहुँचने से पहले
ज्ञाता की परिस्थितयां / आर्थिक बंधन की सीमा
ज्ञान के पथ में विशाल फन फेलाए बैठ जाती हैं .
आग्रह ,निवेदन
वैवाहिक जीवन में कांटे नहीं बोयें ?
-लाडली के लिए अनजाने में सुख बाधक कुंडली नहीं
ढूढे .
आप आज भी सदियों पुरानी 36 गुण वाली विधि पर ही
आश्रित न हो ,इससे श्रेष्ठ दश कूट है .
संतान के वैवाहिक सुखद दाम्पत्य जीवन एवं भविष्य के
लिए -पालको (माता-पिता) से आग्रह /निवेदन
क्या आप जानते हैं ,36 गुण वाली कुंडली से मिलान करने वाले विद्वान पंडित या ज्योतिषी का अधिकांश ,किस प्रकार चूक जाते हैं -
* कुंडली के ग्रह नहीं देखते .
*जन्म समय चन्द्र ग्रह जिस राशी या नक्षत्र में
होता है उसको ही आधार मानते है .
*केवल 9हों में से एक चंद्रमा ही आपके बच्चे या
बच्ची का भविष्य सुखद बना सकता है ?शेष ग्रह
कुंडली में निरर्थक होते है ?
*ग्रह मैत्री -एक राशी +60hours ( दो-तीन नक्षत्रों ) का समूह .एक नक्षत्र (+23 hours)?
* नक्षत्र चरण (06hours) स्वामियों की मित्रता नहींअपनाते ?
- नवमांश स्वामी (45मिनट)
की मित्रता पर विचार नहीं करते जबकि नियम या अपवाद है .
- कुंडली
के सप्तम भाव – कारक,भावेश,भावस्थ, ग्रह दृष्टी से प्रभावित स्थान/भाव एवं ग्रह , सप्तमेश किस नक्षत्र पर स्थित, मित्र –शत्रु किसके साथ सप्तमेश /कारकेश , उच्च-नीच राशी स्थिति आदि आदि अनेक तथ्यों की
उपेक्षा .
क्या प्यार –दुलार से पोषित लाडली के जीवन का अधिकाँश जीवन, सडी गली अधकचरी प्रचलित मिलान विधि को भेंट चढ़ा
देंगे ?
हमारा विशवास हे कि, 10 मिनट की इस विधि पर विश्वास कर लाडली / लाडले
को दुखो,कष्टों,संत्रास, अपमान ,उपेक्षा
के कटघरों में घुट २ कर क्षण-क्षण ,पल
प्रतिपल जीने को विवश
करने की आपका अंतर्मन की भावना कदापि नहीं हो सकती और न ही आपके पास कोई उपयुक्त /पर्याप्त कारण है .
**अधुनातम
मिलान विधि 8 के स्थान पर +27 सूक्ष्म बिन्दुओं एवं कुंडली से कुंडली मिलान (जिसमे कमसे कम 03 घंटे
से भी अधिक समय लगता है ) का ही सुविज्ञ ज्योतिषी से आंकलन कराये .
विवाह जीवन भर का सम्बन्ध (किसी बैंड वाले या
आतिशबाजी या सजावट पर किया गया व्यय का आउटपुट ,परंपरा
व्यय है जो उनके जीवन में सार्थकता नहीं देगा परन्तु कुंडली से कुंडली मिलान,नक्षत्र
चरण या नवांश चरनम सेमिलान शुद्ध शुभ मुहूर्त ,विवाह
मंत्रो , पर किया गया व्यय बहुत उपयोगी होगा .
- jyotish9999@gmail.com;
9424446706 .
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