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बुढवा मंगल 17 मई से 14 जून तक प्रेत बाधा, शत्रु दुख और कष्टों से मुक्ति के दिन Budva Tue from 17th May to 14th June. On the day of freedom from phantom obstacles, enemy sorrows and suffering

बुढवा मंगल 17 मई से 14 जून तक . सौभाग्य दिन प्रेत बाधा, शत्रु दुख और कष्टों से मुक्ति के दिन ज्येष्ठ मास के मंगल, बुढवा या बड़ा मंगल कहलाते है। पांच मंगलवार –दिनांक -17.24.31.मई एवं 7.14 जून . -एतिहासिक महत्व -ज्येष्ठ माह में ही हनुमान जी का प्रभु राम से प्रथम बार मिलन हुआ था . -ज्येष्ठ माह के मंगलवार दिन को ,हनुमान जी ने ,कुंती पुत्र ,अर्जुन अग्रज,10000 हाथी की शक्ति सम्पन्न , भीम को दर्शन देकर , उनके शक्ति गर्व / दर्प को वृद्ध वानर का रूप धारण कर भंग किया था .हनुमान जी की पुंछ तक भीम हिला नहीं सके थे . - लखनऊ (उत्तर प्रदेश ) में पर्व - बड़ा मंगल? - व्यावसायिक मंदी एवं इतर ,केसर आदि नहीं बिकने के कारण ,एक व्यापारी ने ,हनुमान जी से याचना की “केसर एवं इत्र यदि बिक जायेगा तो आपका मंदिर बन निर्माण कराऊँगा।“ सौभाग्य वशात ,तात्कालीन लखनऊ के नबाब वाजिद अली शाह ने उसका संपूर्ण इत्र और केसर खरीद लिया। याचना / मन्नत पूरी होने पर उस व्यापारी ने हनुमान जी का भव्य मंदिर निर्माण करवाया। तब से ही लखनऊ में प्रति वर्ष , ज्येष्ठ माह के प्रत्येक मंगलवार को बड़ा मंगल मनाये जाने की परम्परा प्रथा प्रारंभ हुई । 400 साल पूर्व अवध के नवाब ने बड़े मंगल की शुरुआत – अवध के नवाब ने बड़े मंगल की शुरुआत 400 साल पहले की थी। नवाब मोहम्मद अली शाह के बेटे अज्ञात रोग से बीमार थे। अवध के नवाब की बेगम को बेटे की सलामती के लिए लखनऊ के अलीगंज स्थित पुराने हनुमान मदिर में, मन्नत मांगने का परामर्श एक पंडित ने दिया । अवध के नवाब ने ,अलीगंज स्थित हनुमान मदिर में, मन्नत मांगी ,चमत्कारिक रूप से , बेटा स्वस्थ हो गया। इसके बाद अवध के नवाब और बेगम ने मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया। ज्येष्ठ माह की भीषण गर्मी में , हर मंगलवार को पूरे शहर में पानी और गुड़ वितरण करवाना प्रारंभ किया , इसके बाद से बड़ा मंगल मनाने की परंपरा शुरू हो गई। ..ज्योतिष – किसको मंगलवार को पूजा ,दान करना चाहिए - -जिनकी जन्म लग्न का अंक -2.3.6.7.10.11 हो उनके लिए उपयोगी पूजा . -कुम्भ ,मकर राशी के लिए उपयोगी . कुंडली में मंगल 1.4.2.7.8.12 भाव में मंगल हो उनको दाम्पत्य जीवन में सुख शांति के लिए उपयोगी . जन्म कुंडली के मंगल के दोष को दूर करने के लिए – - सूर्योदय समय से एक घंटे, 8वे ,15 वे ,21 वे घंटे में पूजा के शुभ समय होंगे . - मंगला गौरी मन्त्र . -हनुमान जी की पूजा –चालीसा,बाहुक,बजरंग वाण में से कोई पाठ. हनुमान के इष्ट प्रभु ram का स्मरण कर हनुमान पूजा , राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे। सहस्त्र नाम तत्तुन्यं राम नाम वरानने।। -लाल वस्त्र,ध्वजा,पुष्प,चमेली के तेल या तिल तेल का दीपक ,दीपक वर्तिका उत्तर दिशा की और हो .वर्तिका का रंग लाल हो श्वेत नहीं . -सुख,सौभाग्य एवं ज्ञान के लिए – वट वृक्ष के पत्ते पर ,‘हं पवन नन्दनाय नम: ‘ रोली से लिखे ,या हल्दी,केसर सुगंध मिश्रित अष्टगंध से लिखे . जल में प्रवाहित करे या पृथ्वी में दबा दे अथवा अर्स,पूजा स्थल या ताबीज में रखे ,आर्थिक लाभ भी होता है . भोग- गुड,चना,मीठी पुदी,या पुदी हलवा, किस राशी वाले को ,किस मंगलवार को आपत्ति विनाशक पूजा करने के फल अधिक मिलेंगे - 24 मई मंगलवार – सर्वार्थ सिद्धि योग रात्रि 10:38 से प्रारंभ ही ही होगा. किसी भी कार्य में सफलता के लिए उत्तम योग है. मंगलवार के दिन भद्रा काल में पूजा अनेक कष्ट बाधा दूर करने वाली होती है. प्रातः 7:10 के पश्चात भद्रा आरंभ होगी. मकर एवं तुला राशि को इस मंगलवार को पूजा करने से आने वाले आपत्ति विपत्ति पर नियंत्रण होगा. 31 मई के मंगलवार – चंद्र दर्शन का विशेष महत्व है . मेष एवं वृश्चिक राशि वालों को इस मंगलवार को मंगला गौरी एवं हनुमान जी की पूजा अर्चना के विशेष फल आपत्ति विपत्ति नाशक एवं सौभाग्य वर्धक के रूप में प्राप्त होंगे . 7 जून मंगलवार- विशेष अवसर सूर्य पूजा का भी है हनुमान जी के गुरु सूर्य देव ही माने गए हैं. भद्रा 20:13 तक रहेगी, इस अवधि में पूजा के विशेष फल प्राप्त होंगे . विशेष रूप से मिथुन एवं कर्क राशि बालों को अपनी आपत्ति विपत्ति रोकने के लिए अच्छा अवसर है. 14 जून को अंतिम मंगलवार ज्येष्ठ महीने का है. मन्वादि तिथि है. पितरों को जल एवं तिल अर्पण करने का एवं उनकी कृपा प्राप्त करने का अच्छा अवसर है. ज्वालामुखी योग भी अन्य किसी भी कार्य के लिए शुभ दिन नहीं है, परंतु पूजा की दृष्टि से मंगला गौरी एवं हनुमान जी की पूजा अर्चना करने के विशेष फल मिलेंगे . ज्योतिष की दृष्टि से मीन कन्या एवं वृषभ राशि वालों को विघ्न बाधा रोकने के लिए अवश्य पूजा करना चाहिए. सर्व ग्रह जन्य पीड़ा ,आधि -व्याधि, भौतिक दैविक पीड़ा कष्ट नाशक हनुमान स्त्रोत - विचित्रवीर हनुमानस्तोत्र अस्य श्री विचित्र वीर hanuman मन्त्रस्य श्री रामचन्द्रो भगवान ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः, श्रीविचित्रवीर हनुमान् देवता, मम अभीष्ट सिद्ध्यर्थे मन्त्र जपे विनियोगः । अथ करन्यासः । अंग स्पर्श करे ॐ ह्रां अङ्गुष्ठाभ्यां नमः । Touch the Thumb. ॐ ह्रीं तर्जनीभ्यां नमः । Touch Index Finger. ॐ ह्रूं मध्यमाभ्यां नमः । Touch the Middle Finger. ॐ ह्रैं अनामिकाभ्यां नमः । Touch the Ring Finger. ॐ ह्रौं कनिष्ठिकाभ्यां नमः । Touch the Little Finger. ॐ ह्रः करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः । अथ अङ्गन्यासः ॐ ह्रां हृदयाय नमः । Touch the Heart ॐ ह्रीं शिरसे स्वाहा । Touch the Head. ॐ ह्रूं शिखायै वषट् । Touch the Head crest place. ॐ ह्रैं कवचाय हुम् । Touch both the hands on the left right shoulder and the right on the left shoulder ॐ ह्रौं नेत्रत्रयाय वौषट् । Touch the middle part of the forehead and both the eyes ॐ ह्रः अस्त्राय फट् । अथ ध्यानम् । वामे करे वैरवहं वहन्तं शैलं परे श्रृङ्खलम । दधानम आध्मात सुवर्ण वर्णं भजे ज्वलत्कुण्डलम आञ्जनेयम् ॥ ॐ नमो भगवते विचित्र वीर हनुमते प्रलय कालानल प्रभाज्वलत प्रताप वज्र देहाय अञ्जनी गर्भ सम्भूताय प्रकट विक्रम वीर दैत्य- दानव यक्ष राक्षस ग्रह बन्धनाय भूत - ग्रह , प्रेत ग्रह ,पिशाच ग्रह ,शाकिनी ग्रह,डाकिनी ग्रह- काकिनी ग्रह - कामिनी ग्रह, ब्रह्म ग्रह, ब्रह्म राक्षस ग्रह- चोर ग्रह बन्धनाय एहि एहि आगच्छ आगच्छ- आवेशय आवेशय ,मम हृदयं प्रवेशय प्रवेशय, स्फुर स्फुर, प्रस्फुर प्रस्फुर, सत्यं कथय कथय ,व्याघ्र मुखं बन्धय बन्धय, सर्प मुखं बन्धय बन्धय ,राज मुखं बन्धय बन्धय, सभा मुखं बन्धय बन्धय ,शत्रु मुखं बन्धय बन्धय ,सर्व मुखं बन्धय बन्धय, लङ्का प्रासाद भञ्जन ,सर्वजनं मे वशमानय वशमानय, श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं सर्वान आकर्षय आकर्षय, शत्रून् मर्दय मर्दय ,मारय मारय, चूर्णय चूर्णय ,खे खे खे श्रीरामचन्द्र आज्ञया प्रज्ञया, मम कार्य सिद्धि कुरु कुरु मम शत्रून् भस्मी कुरु कुरु स्वाहा ॥ ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः फट् श्रीविचित्र वीर हनुमते मम सर्वशत्रून् भस्मी कुरु कुरु हन हन हुं फट् स्वाहा ॥ एकादशशतवारं जपित्वा सर्वशत्रून् वशमानयति नान्यथा इति ॥ इति श्रीविचित्रवीर हनुमन मन्त्रः समर्पयामी। हनुमान जी की आरती आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।। जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके।। अनजानी पुत्र महाबलदायी। संतान के प्रभु सदा सहाई । दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारी सिया सुध लाए। लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई। लंका जारी असुर संहारे। सियारामजी के काज संवारे। लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। आणि संजीवन प्राण उबारे। पैठी पताल तोरि जम कारे। अहिरावण की भुजा उखाड़े। बाएं भुजा असुरदल मारे। दाहिने भुजा संतजन तारे। सुर-नर-मुनि जन आरती उतारे। जै जै जै हनुमान उचारे। कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई। लंकविध्वंस कीन्ह रघुराई। तुलसीदास प्रभु कीरति गाई। जो हनुमान जी की आरती गावै। बसी बैकुंठ परमपद पावै। आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की। Budva Tue from 17th May to 14th June. On the day of freedom from phantom obstacles, enemy sorrows and suffering Mars of Jyeshtha month is called Budva or Bada Mangal. Five Tuesdays – Date – 17.24.31.May and June 7.14. -historical importance Hanuman ji had his first meeting with Lord Rama in the month of Jyestha. - On Tuesday of Jyeshtha month, Hanuman ji, son of Kunti, Arjun Agraj, who possessed the power of 10000 elephants, by giving darshan to Bhima, broke his power pride/darp by assuming the form of an old monkey. Till the tail of Hanuman ji Bhima could not move. - Festival in Lucknow (Uttar Pradesh) - Bada Mangal? - Due to commercial slowdown and not selling saffron etc., a businessman pleaded with Hanuman ji, "If saffron and perfume are sold, I will build your temple." Fortunately, the then Nawab of Lucknow, Wajid Ali Shah, bought his entire perfume and saffron. On the fulfillment of the request/vow, that merchant built a grand temple of Hanuman ji. Since then, the tradition of celebrating Bada Mangal on every Tuesday of Jyeshtha month started in Lucknow every year. 400 years ago the Nawab of Awadh started the big Mars - The Nawab of Awadh had started Bada Mangal 400 years ago. Nawab Mohammad Ali Shah's son was ill with an unknown disease. The Begum of the Nawab of Awadh was advised by a pandit to make a vow for the well being of the son in the old Hanuman temple at Aliganj, Lucknow. The Nawab of Awadh, in the Hanuman temple at Aliganj, sought a vow, miraculously, the son became healthy. After this the Nawab and Begum of Awadh got the temple renovated. In the scorching heat of the month of Jyeshtha, on every Tuesday, water and jaggery were distributed throughout the city, since then the tradition of celebrating Bada Mangal started. ..Jyotish - Who should worship, donate on Tuesday - Useful worship for those whose birth ascendant number is -2.3.6.7.10.11. Useful for Aquarius, Capricorn. If Mars is in the house of 1.4.2.7.8.12 in the horoscope, they are useful for happiness and peace in married life. To remove the dosha of Mars in the birth chart- Auspicious time of worship will be in one hour, 8th, 15th, 21st hours from sunrise time. - Mangala Gauri Mantra. Worship of Hanuman ji – Chalisa, Bahuk, Bajrang Vana any text. Hanuman worship by remembering Lord Ram, the favored Lord of Hanuman, Ram Rameti Rameti Rame Rame Manorme. Sahastra Naam Tattunyam Ram Naam Varane. Red cloth, flag, flowers, jasmine oil or sesame oil lamp, lamp should be in the north direction. The color of the lamp should be red and not white. For happiness, good luck and knowledge- Write 'Hum Pawan Nandanay Namah' on the leaves of the banyan tree with Roli, or with Ashtagandha mixed with turmeric and saffron fragrance. Flowing in water or buried in the earth or kept in aars, places of worship, or amulets, there is also economic benefit. enjoyment- Jaggery, Chana, Sweet Pudi, or Pudi Halwa, Which zodiac sign, on which Tuesday will get more results of worshiping the destroyer of objection - 24 May Tuesday – Sarvartha Siddhi Yoga will only start from 10:38 pm. The best yoga is for success in any work. Worship in Bhadra period on Tuesday is supposed to remove many troubles and obstacles. Bhadra will start after 7:10 am. Worshiping Capricorn and Libra on this Tuesday will control the calamity of objection. Tuesday of 31st May – Chandra Darshan has special significance. The people of Aries and Scorpio will get the special fruits of worshiping Mangala Gauri and Hanuman ji on this Tuesday in the form of objection, calamity and good luck. 7 June Tuesday- There is also a special occasion of sun worship, the guru of Hanuman ji is considered to be Surya Dev. Bhadra will remain till 20:13, during this period special results of worship will be received. Especially Gemini and Cancer hair have a good opportunity to stop their calamity. The last Tuesday on 14th June is of Jyeshtha month. Manvadi date. It is a good opportunity to offer water and sesame seeds to ancestors and get their blessings. Jwalamukhi Yoga is also not an auspicious day for any other work, but worshiping Mangala Gauri and Hanuman ji will get special results from the point of view of worship. From the point of view of astrology, the people of Pisces, Virgo and Taurus must worship to prevent obstacles. The pain caused by all the planets, half-disease, physical divine pain, trouble-destroyer Hanuman source -

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विवाह में विलंब विवाह के लिए कात्यायनी पूजन । 10 oct - 18 oct विवाह में विलंब - षष्ठी - कात्यायनी पूजन । वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए - दुर्गतिहारणी मां कात्यायनी की शरण लीजिये | प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना के समय , संकल्प में अपना नाम गोत्र स्थान बोलने के पश्चात् अपने विवाह की याचना , प्रार्थना कीजिये | वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए प्रति दिन प्रातः सूर्योदय से प्रथम घंटे में या दोपहर ११ . ४० से १२ . ४० बजे के मध्य , कात्ययानी देवी का मन्त्र जाप करिये | १०८बार | उत्तर दिशा में मुँह हो , लाल वस्त्र हो जाप के समय | दीपक मौली या कलावे की वर्तिका हो | वर्तिका उत्तर दिशा की और हो | गाय का शुद्ध घी श्रेष्ठ अथवा तिल ( बाधा नाशक + महुआ ( सौभाग्य ) तैल मिला कर प्रयोग करे मां भागवती की कृपा से पूर्वजन्म जनितआपके दुर्योग एवं   व्यवधान समाप्त हो एवं   आपकी मनोकामना पूरी हो ऐसी शुभ कामना सहित || षष्ठी के दिन विशेष रूप से कात्यायनी के मन्त्र का २८ आहुति / १०८ आहुति हवन करिये | चंद्रहासोज्

कलश पर नारियल रखने की शास्त्रोक्त विधि क्या है जानिए

हमे श्रद्धा विश्वास समर्पित प्रयास करने के बाद भी वांछित परिणाम नहीं मिलते हैं , क्योकि हिन्दू धर्म श्रेष्ठ कोटी का विज्ञान सम्मत है ।इसकी प्रक्रिया , विधि या तकनीक का पालन अनुसरण परमावश्यक है । नारियल का अधिकाधिक प्रयोग पुजा अर्चना मे होता है।नारियल रखने की विधि सुविधा की दृष्टि से प्रचलित होगई॥ मेरे ज्ञान  मे कलश मे उल्टा सीधा नारियल फसाकर रखने की विधि का प्रमाण अब तक नहीं आया | यदि कोई सुविज्ञ जानकारी रखते हो तो स्वागत है । नारियल को मोटा भाग पूजा करने वाले की ओर होना चाहिए। कलश पर नारियल रखने की प्रमाणिक विधि क्या है ? अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए , उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै प्राची मुखं वित्त्नाश्नाय , तस्माच्छुभम सम्मुख नारिकेलम अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए कलश पर - नारियल का बड़ा हिस्सा नीचे मुख कर रखा जाए ( पतला हिस्सा पूछ वाला कलश के उपरी भाग पर रखा जाए ) तो उसे शत्रुओं की वृद्धि होती है * ( कार्य सफलता में बाधाएं आती है संघर्ष , अपयश , चिंता , हानि , सहज हैशत्रु या विरोधी तन , मन धन सर्व दृष्टि से घातक होते है ) उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै कलश पर -