मोहनी एकादशी- (Mohini Ekadashi ) वैशाख की शुक्ल पक्ष . (संदर्भ- पद्म एवं कूर्म पुराण)-पंडित विजेंद्र तिवारी
मोहनी एकादशी-मोहिनी एकादशी(Mohini Ekadashi ) वैशाख शुक्ल
पक्ष .
(संदर्भ- पद्म पुराण,कुर्म पुराण)
-शिक्षा- मानव कुसंगति से
पतित एवं सुसंगति से सुखी होता है .आचार विचार का पतन अनर्थ कारी, दुर्गति और दुःखदाई
होता है .
-समस्त एकादशी जन्म म्रत्यु के बंधन से मोक्षप्रद
.
भगवन विष्णु ने मोहनी रूप धारण इस दिन किया था .
-एकादशी की पूर्व संध्या उपरांत ,नियम प्रभावशील.
भोजन सात्विक हो .रात्रि में वर्जित .
-दीपक पीतल ,मिटटी,ताम्बे का ,उसमे टिल या गाय का
शुद्ध घी या दो दीपक (तेल एवं घी का एक एक ),कलावे या लालरंग की बत्ती (श्वेत नहि),
बत्ती की अग्नि शिखा पूर्व दिशा की और हो .
-तुलसी का पत्ता नहीं तोड़ना चाहिए.
-तामसिक भोजन का विचार नहीं करना चाहिए ,मांस मदिरा से परहेज
करें.
-दूध केसर युक्त उपयोग करे .
- कलह ,क्लेश,क्रोध,कुविचार,कुकर्म,कुकृत्य,कलुषित वचन,दिन में शयन,
पति पत्नी में विवाद वर्जित .
-ज्योतिष :किस राशी एवं नाम वालों को विपत्ति विनाश
के लिए अवश्य विष्णु पूजा एकादशी के दिन करना चाहिए . मेष,वृश्चिक,कुम्भ, राशी या जिनके
नाम अ,चु-चो,ल,न,य,स,ग,श,अक्षरों से प्रारंभ हो . -तुला,मकर
राशी / नाम र,त,ख,ज,से प्रारंभ नाम
हो उनको निम्न उपाय उपयोगी होंगे –
किये जाने वाले कार्य - यज्ञ,धार्मिक,
विद्या, गृह,औषधि, आभूषण, नए वस्त्र, वृक्षारोपण,
.
किये
जाने वाले कार्य -
व्रत , सभी
प्रकार के धार्मिक कार्य, , उद्यापन ,वास्तु ,युद्ध – कर्म, शिल्प ,यज्ञोपवीत, गृह
आरम्भ और यात्रा.
कार्य के
पूर्व एवं घर से प्रस्थान पूर्व - विश्वेदेवों की भली प्रकार से पूजा करनी
चाहिए.
सभी
के लिए उपयोगी य परन्तु मेष ,वृश्चिक
राशी के लिए उपाय विशेष,उपयोगी हैं .
-
आँवले को स्नान जल में मिलाये .
शिम्बी(सेम),मटर, परवल, चावल या चावल से बने कोई भी भोजन
पदार्थ भोज्य पदार्थ वर्जित . दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए.
- जौ
,फल, शाक सब्जी ,रस,
शरबत आदि लीजिए.आलू,सेंधा नमक प्रयोग करिए.
-कार्य के पूर्व एवं घर से प्रस्थान पूर्व मन्त्र - राम
रामेति रामेति . रमे रामे मनोरमे .. सहस्त्र नाम त तुल्यं . राम नाम वरानने ..
-ॐ विश्वेदेवाय नम:. विष्णवे नम:.
पारिवारिक
कलह रोकने का उपाय-विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें .
-स्नान जल मे मिला नदी या तीर्थ जल,-चमेली
पुष्प,सफेद या
पीली सरसों ,गूलर ,मुलेठी ,मिला कर स्नान करे .
2-- दान-
पीला अनाज ,चना,शकरपीले पुष्प .हल्दी,केसर.
पीला वस्त्र पीला फल पपीता केला आदि दान करे.
3-दान किसको दे -
गुरु,ज्ञानी
पुरुष,ब्राह्मण या ज्ञान,शिक्षा कर्म
करने वाले को या
शिक्षण संस्था,शिक्षक,विष्णु,कृष्ण,राम मंदिर मे दान
करना चाहिए .
3- प्रस्थान पूर्व खाएं–––दही curd,जीरा .
ब्रह्माण्डपुराण मन्त्र-
-देवमन्त्री विशालाक्ष: सदा लोकहिते रत:.
अनेक शिष्य सम्पूर्ण: पीडां हरतु मे गुरु: ..
सर्वदा लोक कल्याण में निरत रहने वालेदेवताओं के
मंत्रीविशाल नेत्रों वाले
तथा अनेक शिष्यों से युक्त बृहस्पति मेरी पीड़ा को
दूर करें ..
वैदिक मन्त्र - ॐ बृहस्पते अति यदर्यो अर्हाद्
द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु. यद्दीदयच्छवस ऋतुप्रजात तदस्मासु द्रविणं धेहि
चित्रम्.. (यजु. 26.3) एक बार ॥
या पौराणिक मंत्र -108 बारॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरूवे
नमः ॥
जैन मंत्र-
ॐ ह्रीं णमो आयरियाणं .ॐ ह्रीं गुरु ग्रहारिष्ट निवारक श्री महावीर
जिनेन्द्राय नम: -देवमन्त्री विशालाक्ष: सदा लोकहिते रत:.
अनेक शिष्य सम्पूर्ण: पीडां हरतु मे गुरु: ..
सर्वशांतिं कुरु कुरु स्वाहा.मम (.अपना नाम ) दुष्ट ग्रह
रोग कष्ट निवारणं सर्वशांतिं कुरू कुरू हूँ फट् स्वाहा.
विधि-
-एकादशी सूर्योदय काल में (से एक घने में स्नान
उत्तम )स्नान कर.एक आसन (ऊनी या कुश का श्रेष्ठ ) ,उस पर बैठ कर. विष्णु-लक्ष्मी के समक्ष ,हथेली में जल लेकर ,अपना
नाम ,गोत्र,शहर,मोहल्ले या अपार्टमेंट,दिन, का नाम लेकर ,आरोग्य,मनो कामना आदि पूजा
का उद्देश्य बोल कर,’ व्रतं अहम करिष्ये” या मई यह व्रत पूजा करुँगी /करूँगा बोलते
हुए ,जल पृथ्वी पर छोड़ दे .
-दिन में फल ,सूखे मेवे का आहार (चावल वर्जित,
नाख़ून,दाडी,बाल कर्तंन निषेध )
कथा-
समुद्र मंथन के पश्चात् , भगवान् विष्णु ने ,अमृत
कलश देवों के पास रहे ,इसलिए त्वरित प्रत्युत्पन्न मति से ,मोहिनी रूप धारण कर, मोहनी
रूप धारण कर असुरों को भ्रमित मोहित किया .
धर्मराज युधिष्ठिर द्वारा ,भगवान श्रीकृष्ण से
इस एकादशी की घटना के विषय में पूछा-श्री कृष्ण जी ने घटनाक्रम कथात्मक शुरू करते हुए
कहा-
पत्नी वियोग में व्याकुल श्री राम को,एक दिन
सौभाग्य वशात महर्षि वशिष्ठ मिल गए . श्री राम ,ने उनससे प्रश्न किया” सीता जी के वियोग
में,मै पल-पल मोह माया जन्य मनोपीडा ,संत्रास,व्यथा-व्याकुल
हूँ . कोई एसा उपाय बताइए जिससे माया मोह जन्य दुःख एवं प्रारब्ध
के सब पाप एवं दुःख दूर हो जाये.” -वशिष्ठ मुनि ने समाधान
के लिए एक प्राचीन घटना सुनाई –
सरस्वती नदी के पास , भद्रावती नगर का राजा
चंद्रवंशी धृतिमान था. भद्रावती नगर का धर्मपाल भगवान श्री
विष्णु का अनन्य भक्त, समृद्धशाली,दान पुण्य कर्ता वैश्य था. जनहित में कुआं, मठ बगीचा, पोखर,सरोवर और घर
बनवाया करता था. धर्मपाल के पांच पुत्र सुमना, द्युतिमान, मेधावी, सुकृत व धृष्टबुद्धि, धृष्टबुद्धि पांचवा
पुत्र थे.
प्रारब्ध वशात धर्मपाल पांचवा पुत्र
धृष्टबुद्धि नास्तिक,अत्यंत पापी और दुराचारी, वेश्यागामी था. अंततःपुत्रकर्म से दुखी,त्रस्त
धर्मपाल ने उसे राज्य से बहिष्कृत कर दिया .
धृष्टबुद्धि घर से बहिष्कृत ,निर्धन विपन्न
,एकाएक अंधकारमय भविष्य के कारण शोकाकुल ,निरुद्देश्य,दींन-ही,भूखे-प्यासे(वन के फल
कंदमूल खाते खाते ) भटकते2 भाग्य वशात ,
वैशाख के महीने में महर्षि कौण्डिन्य के आश्रम पहुंचा. थकित धृष्टबुद्धि ने कातर
रुंधे गले से मंद स्वर में अपने जीवन की घटना बताते हुए निवेदन किया -‘ मुनिवर उपाय
बताइए जिसके प्रभाव से मेरे पाप कर्म एवं प्रारब्ध जन्य कष्टों का नाश हो और मैं सुखी
पीड़ामुक्त ,शोक रहित जीवन जी सकू .
महर्षि कौडिन्य ने , वैशाख के महीने की,
शुक्ल पक्ष की,मोहिनी एकादशी का व्रत विधान बताते हुए करने का निदेश दिया .
धृष्टबुद्धि ने ,मोहिनी एकादशी विधि
विधान से व्रत किया और उस व्रत के प्रभाव से सुखी राजसी जीवन जीने के पश्चात् वह दिव्य देह धारण कर
गरुण पर सवार होकर विष्णुधाम गया.
वैशाख शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान् विष्णु
की पूजा ,स्मरण करने से प्रारब्ध के पाप का क्षय एवं मायामोह जन्य दुखो की निवृत्ति
होती है .
मंत्र-
- 'ॐ वासुदेवाय नमः.
-मंगलम भगवान विष्णु,मंगलम गरुड़ ध्वजा,
मंगलम पुंडरीकाक्ष
मंगलाय तनो हरी .
- ऊं
नारायणाय विद्महे. वासुदेवाय धीमहि. तन्नो विष्णु प्रचोदयात्.. आपो ज्योति रसोमृतम.परो रजसे सावदोम .ओम नमोः भगवते
वासुदेवाय॥
-शान्ताकारम् भुजगशयनम्
पद्मनाभम् सुरेशम्
विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्.
लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्॥
- भगवान विष्णु ,सृष्टि पालक और रक्षक,
जो शांतिपूर्ण है, सर्प के ऊपर लेटे हुए हैं ,
नाभि से कमल सुमन उद्गमित पुष्पित ,
ब्रह्मांड के सृजक, सर्वव्यापी , शयामल मेघ के स्वरूप ,
नेत्र कमल के समान सुंदर , समस्त संपत्तियों के स्वामी हैं, सांसारिक भय के नाशक हैं. जों सबके स्वामी हैं. योगी भी जिनका ध्यान करते
हैं, , ऐसे भगवान विष्णु मै नमस्कारकरताहूँ,वंदना ,अभ्यर्थना
करता हूँ..
Mohani Ekadashi-12.5.2022
The day of freedom from sorrow,
worry and suffering arising out of intense love and sinful deeds - Lord Vishnu
worship
Mohini Ekadashi Vaishakh Shukla Paksha.
(Reference-
Padma Purana, Kurma Purana)
-Learning from the story
- Man degenerates from misfortune and
becomes happy with the consistency. The fall of ethics is
disastrous, misfortune, and painful.
- All
Ekadashi are liberated from the bondage of birth and death.
-Lord Vishnu assumed the form of Mohini
on this day.
After the eve of Ekadashi, the rules are
effective.
-Food should be sattvik. Prohibited at
night.
- The lamp
should be of brass, clay, copper, in it pure ghee of til or cow or two lamps
(one each of oil and ghee), Yellow , Orange. or Red Batti light (not white),
the fire crest of the lamp should be towards east.
-Tulsi leaves should not be broken.
-One should not think of vengeful food, and
abstain from meat and alcohol.
-Use milk containing saffron.
-Discord, tribulation, anger, bad
thoughts, misdeeds, misdeeds, polluted words, sleeping during the day, disputes
between husband and wife are prohibited.
Astrology:
- Those with which zodiac sign and name
must do Vishnu Puja on Ekadashi for the destruction of calamity. Aries,
Scorpio, Aquarius, Rashi or whose names start with the letters a, chu-cho,
l, na, y, s, c, sh.
- Libra, Capricorn / Names
starting with Ra, Ta, K, J, the following measures will be useful for them –
- Work to be done - Yagya, religious,
learning, home, medicine, jewellery, new clothes, plantation, .
Fasting, all kinds of religious work,
Udyapan, Vastu, war-karma, craft, sacrifice, home beginning and journey.
Before work and before leaving home -
Vishvedev should be worshiped properly.
-Useful for all, but for Aries and
Scorpio, the remedies are special, useful.
Mix amla in bath water.
Avoid-Shimbi
(beans), peas, parwal, rice or any food item made from rice is prohibited. Hair
should not be cut during the day.
-Take
barley, fruit, vegetable, juice, syrup
etc. Use potato, rock salt.
Mantra before work and before departure
from home –
Ram Rameti Rameti. Rame Rame Manorame..
Sahastra Naam Ta Tulyam. Ram Naam Varane..
-Om
Visvedevaya Namah. Vishnave Namah.
Remedy to stop family discord - Read the name Vishnu Sahastra.
- The
river or pilgrimage water found in the bathwater, - Jasmine flower, white or
Take a bath by mixing yellow mustard,
sycamore, liquorice.
2-- Donation-
Yellow grains, gram, sweet yellow
flowers. Turmeric, saffron.
Donate yellow clothes, yellow fruits,
papaya, banana etc.
3- To whom
give charity -
Guru, a wise person, a brahmin or a
person who does knowledge, education, orDonations should be made to educational
institution, teacher, Vishnu, Krishna, Ram temple.
3- Eat
before departure---curd, cumin.
Brahmanda Purana Mantra-
Devmantri Vishalaksha: Always Lokhite
Rat:.
Many disciples complete: Peedan Hartu
Mein Guru: ..
The ministers of the gods, who are
always engaged in public welfare, have huge eyes.And Jupiter with many
disciples, remove my pain.
Vedic Mantra –
Om Jupiter ati yadaryo ahad dyumadvibhati
kratumjjaneshu. Yaddidaychchhavas Rituprajat Tadasamasu Dravinam Dheeh
Chitram.. (Yaju. 26.3) Once.
Or the mythological mantra - 108 times, gram grim grum sah guruve namah
Jain Mantra-
Om Hreem Namo Ayrianam.
Many disciples complete: Peedan Hartu
Mein Guru: ..
Sarvshantim kuru kuru swaha.mam (.your
name) wicked planetary disease trouble prevention.
Method-
-Ekadashi
during sunrise (better than bathing in a dense) Take a bath. Take a seat (best
of woolen or kush), sitting on it. In front of Vishnu-Lakshmi, taking water in
the palm, taking the name of my name, gotra, city, locality or apartment, day,
health, mind, wish, etc. By saying the purpose of worship, "Vratam aham
karishye" or I will worship this fast. / I will, while speaking, leave the
water on the earth.
Fruits, dry fruit diet in the day (rice
prohibited, nails, grandmother, hair clipping prohibited)
Story-
After the churning of the ocean, Lord
Vishnu kept the nectar urn with the deities, therefore, with a quick
regenerated mind, by impersonating the form of Mohini, assuming the form of
Mohini, bewildered the Asuras.
By Dharmaraj Yudhishthira, Lord Krishna
was asked about the incident of this Ekadashi - Shri Krishna ji, starting the
story narrative, said-
Shri Ram, distraught in the separation
of his wife, one day, fortunately, met Maharishi Vashistha. Shri Ram asked him,
"In the separation of Sita ji, I am terribly depressed, anxious, upset due
to illusion. Tell me any such remedy by which all the sins and sorrows of
delusion and destiny due to illusion can be removed. Vashistha Muni narrated an
ancient incident for the solution –
Near the Saraswati river, the king of
Bhadravati city, Chandravanshi was Dhritiman. The Dharmapala of Bhadravati city
was a Vaishya, an exclusive devotee of Lord Vishnu, a prosperous, charitable
donor. He used to build wells, monasteries, gardens, ponds, lakes, and houses in
the n public interest. Dharmapala had five sons, Sumana, Dyutimaan, Medhavi,
Sukrit and Dhrishtabuddhi, and Dhrishtabuddhi was the fifth son.
The fifth son of Due to last birth deed,
Dharmapala, Dhrishtabuddhi, was an atheist, a very sinful and abusive,
prostitute. Ultimately, saddened by his son's karma, the stricken Dharmapala
excommunicated him from the kingdom.
Dejected from home, impoverished, poor,
suddenly mournful due to a bleak future, aimless, humbled, hungry and thirsty
(eating the fruits of the forest, eating the roots of the forest) wandering, 2 fortunes, reached Maharishi Kaundinya's ashram in the month of
Vaishakh. Exhausted, Dhrutibuddhi, while telling the incident of his life in a
low voice with a tearful throat, requested –
Tell
me the sage remedy, with the effect of which my sins and sufferings due to
destiny are destroyed and I can live a happy, pain-free, sorrow-free life.
Maharishi Kaudinya instructed to observe
the fast of Mohini Ekadashi in the month of Vaishakh, Shukla Paksha, stating
the law.
Dhrishtabuddhi fasted on Mohini Ekadashi
according to the law and after leading a happy princely life with the effect of
that fast, he assumed a divine body and went to Vishnudham riding on Garuna.
Worshiping Lord Vishnu on the Ekadashi
of Vaishakh Shukla Paksha, by remembering it, destroys the sins of destiny and
the sorrows caused by illusion.
-Learning from the story
- Man degenerates from misfortune and
becomes happy with the consistency. The fall of ethics is
disastrous, misfortune, and painful.
Mantra-
- 'Om Vasudevaya Namah.
- Mangalam Lord Vishnu, Mangalam Garuda
Dhwaja,
Mangalam pundarikaksha mangalaya tano
green.
- Oh Narayanaya Vidmahe. Vasudevay slow.
Tanno Vishnu Prachodayat.. Apo Jyoti Rasomritam. Paro Rajase Savdom.
Shantakaram Bhujagasayanam Padmanabham
Suresham
Vishwadharam gaganasdrisham meghavarnam
shubhangam.
Lakshmikantam kamalanayanam
yogibhirdhyanagamyam
Vande Vishnum Bhavabhayharam
Sarvolokaikanatham
-Lord Vishnu, the preserver, and
protector of the universe, the one who is peaceful, lying on the serpent, the
lotus flower springing from the navel, the creator of the universe,
omnipresent, as beautiful as the cloud, the eye as beautiful as the lotus, the
lord of all possessions, He is the destroyer of worldly fears. Who is the lord of
all? Even the yogis who meditate, I salute, worship, and pray to Lord Vishnu
like this..
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