संदर्भ भविष्य पुराण, जाबाली उपनिषद.
वैशाख पूर्णिमा भोग, मोक्ष दायिनी दिन
पूर्व काल में श्रुतदेव द्वारा राजा जनक को उपदेश दिया गया था, नारद जी द्वारा, राजा अंबरीश को बताया गया( भविष्य पुराण).
सुख, समृद्धि एवम यश का दिन.
विष्णु पूजा सर्वोत्तम फ़ल दायिनी.
विष्णु जी को दूध से स्नान कराना चाहिए.
भागवत पुराण पढ़ना, सुनना श्रेष्ठ.
वैशाख मास के अंतिम तीन दिन स्नान का बहुत अधिक महत्व है। पुष्करिणी, पुण्य दायनी, पाप नाशनी, संतान सुख दायनी कही गईं हैं.
******
वैशाख माह के अंतिम तीन दिन माया, मोह, लोभ, कामना पर नियंत्रण से भगवान विष्णु की कृपा प्रसन्नता मिलती है. (स्कन्द पुराण)
एक समय सात्विक पदार्थ का भोजन करना चाहिए। सत्यनारायण कथा पढ़ना, सुनना चाहिए।
दान एवम सयम महत्व
इस पर्व के दिन तिल का महत्व है ।
स्नान जल मे तिल मिलाए।तिल का तेल का दीपक जलाएं। दान की प्रत्येक वस्तु में तिल सफेद या काले जो सामर्थ में हो दान करना चाहिए. तेल एवं शहद या शहडी के अभाव में शक्कर का दान करने से सर्व पाप मुक्त होते हैं।
पितरों को तिल एवम जल दक्षिण दिशा में मुंह कर अर्पण करे। पितृ दोष का उपाय है. पितरों का आशीर्वाद मिलने से कामों में रूकावटे आना कम होती है।
दान का विशेष लाभ
1 विष्णु ,राम, कृष्ण, जगन्नाथ, या बद्रीनाथ के मंदिर में घी शक्कर एवं तिल अर्पण करना चाहिए.
घी शक्कर और तिल के द्वारा हवन का विशेष महत्व है.
2 स्वच्छ भूमि, थाली या चौकी पर काले तिल से एक काला हिरण पूंछ एवम सींग सहित बनाए। उसे वस्त्र आदि दान करे। दूसरे दिन किसी ब्राह्मण को दे।
3. 5ब्राह्मणों को शकर, एवम तिल दान करे।
4 यमराज की कल्पना कर जल एवम मिठाई, गजक आदि दान करे। फिर प्रेस रूप में स्वयं न लेकर सबको वितरित करे.
*********""""******""""""**********
Vaishakh Purnima - 16.5.2022 - Bath, charity, fulfillment of wishes
Reference Bhavishya Purana, Jabali Upanishad.
Vaishakh Purnima Bhog, the day of salvation
In earlier times the preaching was given by Shrutdev to King Janak, by Narada ji, it was told to King Ambareesh(Bhavishya Purana).
A day of happiness, prosperity and success.
Vishnu worship best results.
Lord Vishnu should be bathed with milk.
Best to read, listen to Bhagwat Purana.
Bathing on the last three days of Vaishakh month is of great importance. Pushkarini, the virtuous giver, the destroyer of sins, the giver of child happiness.
,
Control of Maya, attachment, greed and desire on the last three days of the month of Vaishakh gives the blessings of Lord Vishnu. (Skanda Purana)
One should eat sattvik food at one time. Satyanarayan Katha should be read and listened to.
importance of charity and time
Sesame seeds have significance on this festival.
Mix sesame in the bath water. Light a lamp of sesame oil. Sesame white or black, which is in power, should be donated in every item of charity. Donating sugar in the absence of oil and honey or honey frees all sins.
Offer sesame and water to ancestors facing south. It is the remedy for Pitra Dosh. Due to the blessings of the ancestors, there are less obstacles in the work.
special benefit of donation
Ghee, sugar and sesame should be offered in the temple of Vishnu, Ram, Krishna, Jagannath or Badrinath.
Havan with ghee, sugar and sesame has special significance.
Make a black deer with tail and horns from black sesame on clean land, plate or post. Donate clothes etc. to him. Give it to a Brahmin on the second day.
3. Donate sugar and sesame seeds to 5 brahmins.
4 Imagining Yamraj, donate water and sweets, Gajak etc. Then do not take it in press form and distribute it to everyone.
श्राद्ध क्यों कैसे करे? पितृ दोष ,राहू ,सर्प दोष शांति ?तर्पण? विधि श्राद्ध नामा - पंडित विजेंद्र कुमार तिवारी श्राद्ध कब नहीं करें : १. मृत्यु के प्रथम वर्ष श्राद्ध नहीं करे । २. पूर्वान्ह में शुक्ल्पक्ष में रात्री में और अपने जन्मदिन में श्राद्ध नहीं करना चाहिए । ३. कुर्म पुराण के अनुसार जो व्यक्ति अग्नि विष आदि के द्वारा आत्महत्या करता है उसके निमित्त श्राद्ध नहीं तर्पण का विधान नहीं है । ४. चतुदर्शी तिथि की श्राद्ध नहीं करना चाहिए , इस तिथि को मृत्यु प्राप्त पितरों का श्राद्ध दूसरे दिन अमावस्या को करने का विधान है । ५. जिनके पितृ युद्ध में शस्त्र से मारे गए हों उनका श्राद्ध चतुर्दशी को करने से वे प्रसन्न होते हैं और परिवारजनों पर आशीर्वाद बनाए रखते हैं । श्राद्ध कब , क्या और कैसे करे जानने योग्य बाते किस तिथि की श्राद्ध नहीं - १. जिस तिथी को जिसकी मृत्यु हुई है , उस तिथि को ही श्राद्ध किया जाना चाहिए । पिता जीवित हो तो, गया श्राद्ध न करें । २. मां की मृत्यु (सौभाग्यवती स्त्री) किसी भी तिथि को हुईं हो , श्राद्ध केवल
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें