सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

18-19 नवम्बर आपका भविष्य -पंडित वी के तिवारी

1972 से वास्तु ज्योतिष


*Astro Vastu Do’s Don’t’s  for Better Life  Planning
                         Pt. V K Tiwari  
(Vaastu Palmist,Horo, Since 1972,)cContact-9424446706
Awarded-till 1991-Jyotish Sammelan (city-Year) –
 Jaipur-1976,1986;Delhi-1980,1987;
Pune-1983,Kanpur-1987;Brahmpuri-1991;
Bhopal-19-78,80,83,84,88,90;
Many best astro answer all over world-at yahoo entertainment
आपके आगत दिन-17 नवम्बर 2019  17:04:44 से 19 नवम्बर 2019  21:21:46
मेष
17 नवम्बर 2019  17:04:44 से 19 नवम्बर 2019  21:21:46)  इस अवधि में चन्द्रमा आपके चतुर्थ भाव में होता हुआ गोचर करेगा । यह स्वास्थ्य से सम्बन्धित कुछ नकारात्मक परिणामों का सूचक है । अत: स्वयं का व परिवार के स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना व सावधानी बरतना आवश्यक है । हो सकता है कि आपको पेट की गड़बड़ी व छाती में बैचेनी जैसी समस्याएँ झेलनी पड़े । स्वास्थ्य में गिरावट चिन्ता का विषय बन सकता है । परिवार के किसी सदस्य अथवा सम्बन्धी का स्वास्थ्य चिन्ता का कारण बन सकता है ।  मानसिक रुप से आप अशांत व आस-पास के व्यक्तियों के प्रति सशंकित रह सकते हैं । आप विषाद, व्यर्थ का भय व मानसिक संताप को दूर रखने का भरसक प्रयास करें । अपने आत्मविश्वास पर उस समय विशेष रुप से भरोसा रखें । अपने मानसिक संतुलन को स्थिरता प्रदान करके बनाए रखें ।  आर्थिक दृष्टि से यह कठिन समय है, खर्चे बढ़ सकते हैं और आप द्वारा की गई गलतियाँ कार्य को प्रभावित कर सकती हैं । धन सावधानी पूर्वक खर्च करें ।  यह एक ऐसा समय है जब आपको अपने आत्मीयजनों से मधुर सम्बन्ध बनाए रखने में सतर्कता बरतनी है क्योंकि इसमें परस्पर शत्रुता पनप सकती है । अनियंत्रित क्रोध पर अंकुश रखें और ऐसी हर बात से दूर रहें जो इसका कारण बने ।

वृष
17 नवम्बर 2019  17:04:44 से 19 नवम्बर 2019  21:21:46)  इस अवधि में चन्द्रमा आपके तृतीय भाव में होता हुआ गोचर करेगा । चन्द्रमा की यह गति लक्ष्यों की प्राप्ति व प्रयासों में सफलता दर्शाती है । इस विशेष समय आप ख्याति का स्वाद भी चख सकते हैं ।  यह समय धन की दृष्टि से भी सौभाग्यपूर्ण है । बकाया राशि की प्राप्ति, धन की प्राप्ति तथा कार्य के फलस्वरुप आर्थिक लाभ की आप आशा कर सकते हैं ।  घर के लिए भी यह समय सुख से परिपूर्ण है । आपको अति उत्तम भोजन, वस्त्र व विपरीत लिंग वाले का अन्तरंग शारीरिक सम्पर्क मिल सकता है । आपके सामने आने वाली हर परिस्थिति व सम्पन्न किया गया हर कार्य आपको प्रसन्नता देगा । मन में पूर्ण संतोष का साम्राज्य रहेगा । यदि आप पुरुष हैं स्त्री मित्र और स्त्री हैं तो पुरुष बनेंगे और उनके साथ अच्छा समय व्यतीत होगा ।

मिथुन
17 नवम्बर 2019  17:04:44 से 19 नवम्बर 2019  21:21:46)  इस अवधि में चन्द्रमा आपके द्वितीय भाव में होता हुआ गोचर करेगा । यह विशेष रुप से धन की हानि दर्शाता है । अपने व्यय पर विशेष ध्यान देने रखें । कुछ ऐसी आडम्बरयुक्त वस्तुएं आपको लुभा लें जिन पर आप धन व्यय कर दें परन्तु बाद में वे आपको अनावश्यक प्रतीत हों ।  इस दौरान आप लोगों से अपने व्यवहार के प्रति विशेष सतर्क रहें । इन दिनों यदि आप विवाद में भी पड़ें तो वह व्यर्थ में झगड़े का रुप ले सकता है । आपके सम्मान के लिए ये अत्यंत नाजुक दौर है । अपना सम्मान व प्रतिष्ठा बचाए रखें क्योंकि तनिक सी भी असावधानी इन्हें ठेस पहुँचा सकती है ।  कार्यालय में बाधाएं आ सकती हैं परन्तु आप अविचलित रहें क्योंकि ये शीघ्र ही निकल जाएंगी । विश्वास रखें, परिश्रम का फल अवश्य मिलता है चाहे आप थकान ही महसूस क्यों ना करें । शारीरिक रुप से आप स्वास्थ्य में गिरावट महसूस करेंगे, विशेष रुप से आँखों की समस्या हो सकती है । मानसिक रुप से भी सदा की भाँति उत्फुल्ल न रहकर असंतोष अनुभव करेंगे । इस समय आँखों पर विशेष ध्यान दें व सतर्कता बरतें । इन दिनों आपको भोजन भी इतना रुचिकर नहीं लगेगा जैसा हमेशा लगता है । बस, जीवन में एक असंतोष सा छाया रहेगा । 

कर्क
17 नवम्बर 2019  17:04:44 से 19 नवम्बर 2019  21:21:46)  इस अवधि में चन्द्रमा आपके प्रथम भाव में होता हुआ गोचर करेगा । यह आपके जीवन में प्रत्यक्ष रुप से सकारात्मक परिवर्तन लाएगा । उनमें से एक है मन पसन्द इच्छित भोजन का आनन्द । यह काल निश्चित रुप से आपको सुस्वादु मनचाहा भोजन, सुविधापूर्वक उपलब्ध कराएगा । साथ ही आपको शारीरिक सुख-साधन, उत्तम वस्त्र व सुगंध तथा अन्य इच्छित सांसारिक वस्तुएं मिलेंगी। इस समय सर्वोत्तम मित्र व परिचित निश्चित रुप से मिलेंगे । विपरीत लिंग वालों से मित्रता का भी पूर्वाभास है । इस प्रकार के सम्बन्ध आपको शारीरिक एवम् भावनात्मक तुष्टि देंगे । आपके दाम्पत्य जीवन में भी आम दिनों की तुलना में अधिक आनन्द होगा । दाम्पत्य जीवन में आप अपने साथी के प्रेम में वृद्धि की आशा कर सकते हैं ।  इसके अतिरिक्त सौभाग्य, सुख व उच्चतम सम्मान इस अवधि की विशेषता है ।  यह समय आपके व आपके परिवार के लिए रोगों से मुक्त रहने का है । कोई शारीरिक व्याधि आपके पास नहीं फटकेगी ।  जीवन में शान्ति का मनोभाव आपको संतोष प्रदान करेगा ।  फिर भी प्रयत्न करिए कि आप अपनी ही भावनाओं के प्रति आवश्यकता से अधिक संवेदनशील न बन जाएं । आर्थिक रुप से भी यह एक अच्छा समय है । पुराने दिए ऋणों, आर्थिक लक्ष्य प्राप्ति तथा कार्य में उन्नति भी हो सकती है । 

सिंह
17 नवम्बर 2019  17:04:44 से 19 नवम्बर 2019  21:21:46)  इस अवधि में चन्द्रमा आपके बारहवें भाव में होता हुआ गोचर करेगा । आर्थिक दृष्टि से यह समय कठिनाइयों से परिपूर्ण है । खर्चे बढ़ेंगे । अपनी धन सम्पदा का ध्यान रखें क्योंकि आपकी कोई बहुमूल्य वस्तु खो सकती है । अपव्यय से बचें । अपने द्वारा किए जा रहे कार्यों के प्रति विशेष सचेत रहें क्योंकि संभव है आपको मनवांछित फल न मिले । स्वास्थ्य की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है । इस काल में आँखों में कोई संक्रमण हो सकता है अत: आँखों का विशेष ध्यान रखें । मानसिक रुप से आप व्यथा व बैचेनी अनुभव कर सकते हैं । आप अकर्मण्यता अथवा ईर्ष्या की भावना से भी त्रस्त हो सकते हैं । आप अपने निर्णय लेने में तथा दूसरों से व्यवहार के प्रति विशेष सतर्क रहें तथा आवेश में न आएँ । अपनी योजनाओं को क्रियान्वित करने से पूर्व सोच लें  क्योंकि संभव है आप अपने पद का लाभ उठाकर कोई अन्यायपूर्ण कार्य कर बैठें ।  घर पर भी सावधान रहें, ऐसा न हो कि सगे-सम्बन्धियों से व्यर्थ की शत्रुता हो जाए । अपना सम्मान व प्रतिष्ठा बनाए रखने का विशेष ध्यान रखना पड़ सकता है ।

कन्या
17 नवम्बर 2019  17:04:44 से 19 नवम्बर 2019  21:21:46)  इस अवधि में चन्द्रमा आपके ग्यारहवें भाव में होता हुआ गोचर करेगा । यह समय आपको अधिक धन उपार्जन व सम्पत्ति अर्जित करने में सहायक होगा । यदि आप कृषि से सम्बन्धित हैं तो उपज सामान्य से अधिक होगी । आपको अटकी हुई धनराशि भी प्राप्त हो सकती है ।  व्यक्तिगत रुप से यह समय आपको प्रसन्नता, सुख व विपरीत लिंग वाले व्यक्तियों के साथ आनन्ददायक है । परिवार के सदस्यों का मेलमिलाप व पुराने मित्रों के साथ एकत्रित होकर पुनर्मिलन के भी सुअवसर हैं । विवाहित व्यक्तियों के दाम्पत्य सुख की पूर्ण संभावना है । यदि आप अविवाहित हैं और विवाह हेतु उपयुक्त आयु के हैं तो आपको आदर्श साथी मिलने के पूर्ण अवसर हैं ।  इस समय आपको सुस्वादु भोजन व घर में समस्त सांसारिक सुख मिलने की संभावना है ।  स्वास्थ्य उत्तम रहेगा व इस पूरे काल में आप मानसिक रुप से प्रसन्न व शान्तचित्त रहेंगे ।

तुला

17 नवम्बर 2019  17:04:44 से 19 नवम्बर 2019  21:21:46)  इस अवधि में चन्द्रमा आपके दशम् भाव में होता हुआ गोचर करेगा । यह अच्छा समय है । यह समय इच्छापूर्त्ति, लक्ष्यप्राप्ति तथा सांसारिक व भौतिक सुख प्राप्त करने का है । यदि आप कुछ नया करने की योजना बना रहे हैं तो यही उपयुक्त समय है क्योंकि इसमें सफलता निश्चित है । इस काल के अनुकूल होने के कारण आप व आपका परिवार सामान्य रुप से सुखी रहेंगे ।  यह समय आपके कार्यस्थल के लिए भी शुभ है । आप सम्मान, पदोन्नति एवम् प्रशंसा की आशा कर सकते हैं । इस समय आप सत्ता में अधिकारी के पद पर आसीन हो सकते हैं तथा निर्धारित लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं । इस विशेष समय में आपकी सामाजिक प्रतिष्ठा भी बढ़ेगी ।  यदि आप महिला हैं तो इस समय गर्भ धारण न करने के प्रति विशेष सावधानी बरतें क्योंकि इस विशेष समय में आपको गर्भपात की यातना झेलनी पड़ सकती है ।  स्वास्थ्य इस अवधि में सामान्यत: अच्छा रहेगा । इस अवधि में आपके अति उत्तम, सुस्वादु भोजन का आनन्द लेने की संभावना है

वृषचिक
17 नवम्बर 2019  00:51:07 से 16 दिसम्बर 2019  15:27:41)  इस अवधि में सूर्य चन्द्रमा से आपके प्रथम भाव में होता हुआ गोचर करेगा । इसका आपके कार्य एवम् आपके व्यक्तिगत जीवन पर स्पष्ट प्रभाव पड़ेगा । इसमें स्थायी अथवा अस्थाई स्थान परिवर्तन, कार्य करने के स्थान पर कठिनाइयाँ तथा अपने वरिष्ठ अफसरों अथवा मालिक की अप्रसन्नता झेलना विशिष्ट हैं । अपने कार्य करने के स्थान या कार्यालय में बदनामी से बचने को आपको विशेष सावधानी बरतनी होगी ।  अपने नियत कार्य पूर्ण करने अथवा उद्देश्यों को प्राप्त करने हेतु आपको सामान्य से अधिक प्रयास करना होगा । आपको लम्बी यात्राओं पर जाना पड़ सकता है परन्तु आवश्यक नहीं है कि आपका मनचाहा परिणाम प्राप्त हो ।  इस समय के दौरान आप थकान महसूस कर सकते हैं । आपको उदर रोग, पाचन क्रिया सम्बन्धी रोग, नेत्र तथा ह्रदय से सम्बन्धित समस्याएँ हो सकती हैं । अत: स्वास्थ्य के प्रति विशेष सतर्क रहने व ध्यान देने की आवश्यकता है । इस काल के दौरान आप कोई भी खतरा मोल न लें ।  जहाँ तक घर का सम्बन्ध है, परिवार में अनबन तथा मित्रों से मन-मुटाव वाली परिस्थितियाँ गृह-कलह अथवा क्लेश का कारण बन सकती हैं । जीवन साथी से असहमति अथवा विवाद आपके वैवाहिक सम्बन्धों को प्रभावित कर सकता है । कुल मिलाकर घर की शान्ति एवम् परस्पर सामन्जस्य हेतु यह समय चुन्नौतीपूर्ण है ।

धनु
17 नवम्बर 2019  17:04:44 से 19 नवम्बर 2019  21:21:46)  इस अवधि में चन्द्रमा आपके आठवें भाव में होते हुए गोचर करेगा । यह चिन्तापूर्ण समय है अत: किसी शुभ समाचार की आशा मत कीजिए । यह रोजमर्रा के जीवन में परेशानियों व बाधाओं का द्योतक है । दुखद घटनाएँ व खतरे भी हो सकते हैं ।  आर्थिक दृष्टि से भी यह काल चुन्नौतीपूर्ण है । आपको धन वसूली में कठिनाई आ सकती है एवम् लाभप्रद व अच्छे कार्यों को बन्द करने की भी संभावना है । अपने वरिष्ठ व उच्चाधिकारी से कार्यालय में मधुर सम्बन्ध रखें क्योंकि आप उनकी नजरों में गिरना नहीं चाहते । उनसे किसी भी प्रकार की असहमति अथवा विवाद से बचें ।  स्वास्थ्य की ओर ध्यान देने की भी आवश्यकता है । स्वास्थ्य के प्रति सतर्क रहें क्योंकि पाचन तंत्र व श्वसन तंत्र में समस्या हो सकती है । व्यर्थ की चिन्ता व भय को पास न फटकने दें क्योंकि इनसे मानसिक तनाव उत्पन्न हो सकता है । अच्छे भोजन का लोभ संवरण करने का प्रयत्न करें । इपने जीवन के प्रति कोई खतरा मोल न लें ।

मकर
17 नवम्बर 2019  17:04:44 से 19 नवम्बर 2019  21:21:46)  इस अवधि में चन्द्रमा आपके सातवें भाव में होता हुआ गोचर करेगा । इस समय जीवन में कुछ सकारात्मक परिवर्तन होंगे । यह समय सुख व कार्यों में सफलता का द्योतक है ।  आर्थिक दृष्टि से भी यह समय आपके लिए शुभ है । आपको सट्टे में
अपने कार्य में) लाभ हो सकता है या अटका हुआ पैसा पुन: प्राप्त हो सकता है । यदि आप कोई वाहन खरीदने की सोच रहे हैं तो यही उचित समय है । यह खगोलीय गति सम्मान, सांसारिक सुख व सुस्वादु भोजन का आनन्द मिलने का सूचक है ।  यह अवधि आपको शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने में भी सहायक होगी । इसके अतिरिक्त नए मित्र, विशेषकर विपरीत लिंग वाले मित्र बनाने हेतु यह समय अनुकूल है । दाम्पत्य जीवन में सुख रहेगा और आपको अपने जीवनसाथी के साथ आमोद-प्रमोद के अवसर भी मिलेंगे । संतान आपके जीवन के सुख में और अधिक वृद्धि करेगी । वर्ष की इस अवधि में स्वास्थ्य अच्छा रहेगा । मन की शान्ति पुन: प्राप्त होगी । आप स्वयं अपने आप में व परिवार के साथ शान्ति अनुभव करेंगे । इस अवधि को कुल मिलाकर सुख से परिपूर्ण कहा जा सकता है ।

कुम्भ
17 नवम्बर 2019  17:04:44 से 19 नवम्बर 2019  21:21:46)  इस अवधि में चन्द्रमा आपके छठे भाव में से होता हुआ गोचर करेगा । यह समय आगे बढ़ कर लक्ष्य को पकड़ लेने का है क्योंकि आप सफल हो सकते हैं । यह समय आपके लिए आपके हिस्से की प्रतिष्ठा व पहचान पाने का हो सकता है । आप शत्रुओं पर विजय पाएँगे, नए मित्र भी बनाएँगे, विशेष रुप से विरीत लिंग वालों को ।  स्वास्थ्य अच्छा रहेगा और आप नीरोग काया का आनन्द उठाएँगे । कुल मिलाकर इस अवधि में आप प्रसन्न रहेंगे । 

मीन
17 नवम्बर 2019  17:04:44 से 19 नवम्बर 2019  21:21:46)  इस अवधि में चन्द्रमा आपके पंचम भाव में होता हुआ गोचर करेगा । इसमें कुछ मिले जुले नकारात्मक
विरोधी) परिणाम आते हैं । यदि चन्द्रमा क्षीण
चन्द्राकृति वाला) है तो आपको अपने द्वारा ली गई जिम्मेदारी अथवा कार्य में निराशा ही हाथ लगेगी । चन्द्रमा के इस परागोचर की गति बाधाओं की सूचक है । यदि आप व्यापारी हैं तो जो भी लाभप्रद लेन-देन है । उसे सम्पन्न करने में कुछ कठिनाइयाँ आ सकती हैं । यदि आप विदेश जाने की योजना बना रहे हैं तो यात्रा हेतु हरी झंडी मिलने से पहले आपको कुछ बाधाएं पार करनी होंगी ।  अपने कार्य इच्छानुसार पूरे न कर पाने के कारण आप मानसिक रुप से अशांत रहेंगे । जो भी हो आपको इस कटु सत्य को झेलना ही पड़ेगा जबकि आपके मित्रों को मनचाही सराहना मिलेगी, और इस सबसे आप और भी त्रस्त होंगे ।  वित्तीय दृष्टि से भी अपके लिए ये कठिन समय है । आप कुछ रुपया गँवा सकते हैं अथवा आपको हानि हो सकती है अत: धन व्यय करने पर नियंत्रण रखें ।  स्वास्थ्य की ओ सदा से अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है । आप पेट की समस्याओं अथवा हवा में व्याप्त कीटाणुओं के संक्रमण से बीमार हो सकते हैं । निराशा जीवन को अकर्मण्य अथवा सुस्त बना सकती है ।  विशेष सावधानी रहें व कुछ ऐसा न करें जिससे आपकी सामाजिक प्रतिष्ठा अथवा कार्यालय में सम्मान कम हो । 
         Vastu-
 +9600 Vastu suggestions till date
 (out of which App +1400,S Hotel , and School bulding-
As-DPS School Building,Three star hotel ,2–to 10 acre area
              Astro Match
Kundli Milan expert (Own Method Instead of ashtkoot ,+30 koot or point
1-    New compability /match method-30points Instead of 08 Ashtkoot method
2-Kaalprakashika 44point match method
4- new method -Match by Navmansh and Lagn
5-Match by Neumrology

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

श्राद्ध की गूढ़ बाते ,किसकी श्राद्ध कब करे

श्राद्ध क्यों कैसे करे? पितृ दोष ,राहू ,सर्प दोष शांति ?तर्पण? विधि             श्राद्ध नामा - पंडित विजेंद्र कुमार तिवारी श्राद्ध कब नहीं करें :   १. मृत्यु के प्रथम वर्ष श्राद्ध नहीं करे ।   २. पूर्वान्ह में शुक्ल्पक्ष में रात्री में और अपने जन्मदिन में श्राद्ध नहीं करना चाहिए ।   ३. कुर्म पुराण के अनुसार जो व्यक्ति अग्नि विष आदि के द्वारा आत्महत्या करता है उसके निमित्त श्राद्ध नहीं तर्पण का विधान नहीं है । ४. चतुदर्शी तिथि की श्राद्ध नहीं करना चाहिए , इस तिथि को मृत्यु प्राप्त पितरों का श्राद्ध दूसरे दिन अमावस्या को करने का विधान है । ५. जिनके पितृ युद्ध में शस्त्र से मारे गए हों उनका श्राद्ध चतुर्दशी को करने से वे प्रसन्न होते हैं और परिवारजनों पर आशीर्वाद बनाए रखते हैं ।           श्राद्ध कब , क्या और कैसे करे जानने योग्य बाते           किस तिथि की श्राद्ध नहीं -  १. जिस तिथी को जिसकी मृत्यु हुई है , उस तिथि को ही श्राद्ध किया जाना चाहिए । पिता जीवित हो तो, गया श्राद्ध न करें । २. मां की मृत्यु (सौभाग्यवती स्त्री) किसी भी तिथि को हुईं हो , श्राद्ध केवल

*****मनोकामना पूरक सरल मंत्रात्मक रामचरितमानस की चौपाईयाँ-

*****मनोकामना पूरक सरल मंत्रात्मक रामचरितमानस की चौपाईयाँ-       रामचरितमानस के एक एक शब्द को मंत्रमय आशुतोष भगवान् शिव ने बना दिया |इसलिए किसी भी प्रकार की समस्या के लिए सुन्दरकाण्ड या कार्य उद्देश्य के लिए लिखित चौपाई का सम्पुट लगा कर रामचरितमानस का पाठ करने से मनोकामना पूर्ण होती हैं | -सोमवार,बुधवार,गुरूवार,शुक्रवार शुक्ल पक्ष अथवा शुक्ल पक्ष दशमी से कृष्ण पक्ष पंचमी तक के काल में (चतुर्थी, चतुर्दशी तिथि छोड़कर )प्रारंभ करे -   वाराणसी में भगवान् शंकरजी ने मानस की चौपाइयों को मन्त्र-शक्ति प्रदान की है-इसलिये वाराणसी की ओर मुख करके शंकरजी को स्मरण कर  इनका सम्पुट लगा कर पढ़े या जप १०८ प्रतिदिन करते हैं तो ११वे दिन १०८आहुति दे | अष्टांग हवन सामग्री १॰ चन्दन का बुरादा , २॰ तिल , ३॰ शुद्ध घी , ४॰ चीनी , ५॰ अगर , ६॰ तगर , ७॰ कपूर , ८॰ शुद्ध केसर , ९॰ नागरमोथा , १०॰ पञ्चमेवा , ११॰ जौ और १२॰ चावल। १॰ विपत्ति-नाश - “ राजिव नयन धरें धनु सायक। भगत बिपति भंजन सुखदायक।। ” २॰ संकट-नाश - “ जौं प्रभु दीन दयालु कहावा। आरति हरन बेद जसु गावा।। जपहिं नामु जन आरत भारी। मिटहिं कुसंकट होहि

दुर्गा जी के अभिषेक पदार्थ विपत्तियों के विनाशक एक रहस्य | दुर्गा जी को अपनी समस्या समाधान केलिए क्या अर्पण करना चाहिए?

दुर्गा जी   के अभिषेक पदार्थ विपत्तियों   के विनाशक एक रहस्य | दुर्गा जी को अपनी समस्या समाधान केलिए क्या अर्पण करना चाहिए ? अभिषेक किस पदार्थ से करने पर हम किस मनोकामना को पूर्ण कर सकते हैं एवं आपत्ति विपत्ति से सुरक्षा कवच निर्माण कर सकते हैं | दुर्गा जी को अर्पित सामग्री का विशेष महत्व होता है | दुर्गा जी का अभिषेक या दुर्गा की मूर्ति पर किस पदार्थ को अर्पण करने के क्या लाभ होते हैं | दुर्गा जी शक्ति की देवी हैं शीघ्र पूजा या पूजा सामग्री अर्पण करने के शुभ अशुभ फल प्रदान करती हैं | 1- दुर्गा जी को सुगंधित द्रव्य अर्थात ऐसे पदार्थ ऐसे पुष्प जिनमें सुगंध हो उनको अर्पित करने से पारिवारिक सुख शांति एवं मनोबल में वृद्धि होती है | 2- दूध से दुर्गा जी का अभिषेक करने पर कार्यों में सफलता एवं मन में प्रसन्नता बढ़ती है | 3- दही से दुर्गा जी की पूजा करने पर विघ्नों का नाश होता है | परेशानियों में कमी होती है | संभावित आपत्तियों का अवरोध होता है | संकट से व्यक्ति बाहर निकल पाता है | 4- घी के द्वारा अभिषेक करने पर सर्वसामान्य सुख एवं दांपत्य सुख में वृद्धि होती है | अवि

श्राद्ध:जानने योग्य महत्वपूर्ण बातें |

श्राद्ध क्या है ? “ श्रद्धया यत कृतं तात श्राद्धं | “ अर्थात श्रद्धा से किया जाने वाला कर्म श्राद्ध है | अपने माता पिता एवं पूर्वजो की प्रसन्नता के लिए एवं उनके ऋण से मुक्ति की विधि है | श्राद्ध क्यों करना चाहिए   ? पितृ ऋण से मुक्ति के लिए श्राद्ध किया जाना अति आवश्यक है | श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम ? यदि मानव योनी में समर्थ होते हुए भी हम अपने जन्मदाता के लिए कुछ नहीं करते हैं या जिन पूर्वज के हम अंश ( रक्त , जींस ) है , यदि उनका स्मरण या उनके निमित्त दान आदि नहीं करते हैं , तो उनकी आत्मा   को कष्ट होता है , वे रुष्ट होकर , अपने अंश्जो वंशजों को श्राप देते हैं | जो पीढ़ी दर पीढ़ी संतान में मंद बुद्धि से लेकर सभी प्रकार की प्रगति अवरुद्ध कर देते हैं | ज्योतिष में इस प्रकार के अनेक शाप योग हैं |   कब , क्यों श्राद्ध किया जाना आवश्यक होता है   ? यदि हम   96  अवसर पर   श्राद्ध   नहीं कर सकते हैं तो कम से कम मित्रों के लिए पिता माता की वार्षिक तिथि पर यह अश्वनी मास जिसे क्वांर का माह    भी कहा जाता है   | पितृ पक्ष में अपने मित्रगण के मरण तिथि

श्राद्ध रहस्य प्रश्न शंका समाधान ,श्राद्ध : जानने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य -कब,क्यों श्राद्ध करे?

संतान को विकलांगता, अल्पायु से बचाइए श्राद्ध - पितरों से वरदान लीजिये पंडित विजेंद्र कुमार तिवारी jyotish9999@gmail.com , 9424446706   श्राद्ध : जानने  योग्य   महत्वपूर्ण तथ्य -कब,क्यों श्राद्ध करे?  श्राद्ध से जुड़े हर सवाल का जवाब | पितृ दोष शांति? राहू, सर्प दोष शांति? श्रद्धा से श्राद्ध करिए  श्राद्ध कब करे? किसको भोजन हेतु बुलाएँ? पितृ दोष, राहू, सर्प दोष शांति? तर्पण? श्राद्ध क्या है? श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम क्या संभावित है? श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम क्या संभावित है? श्राद्ध की प्रक्रिया जटिल एवं सबके सामर्थ्य की नहीं है, कोई उपाय ? श्राद्ध कब से प्रारंभ होता है ? प्रथम श्राद्ध किसका होता है ? श्राद्ध, कृष्ण पक्ष में ही क्यों किया जाता है श्राद्ध किन२ शहरों में  किया जा सकता है ? क्या गया श्राद्ध सर्वोपरि है ? तिथि अमावस्या क्या है ?श्राद्द कार्य ,में इसका महत्व क्यों? कितने प्रकार के   श्राद्ध होते   हैं वर्ष में   कितने अवसर श्राद्ध के होते हैं? कब  श्राद्ध किया जाना अति आवश्यक होता है | पितृ श्राद्ध किस देव से स

गणेश विसृजन मुहूर्त आवश्यक मन्त्र एवं विधि

28 सितंबर गणेश विसर्जन मुहूर्त आवश्यक मन्त्र एवं विधि किसी भी कार्य को पूर्णता प्रदान करने के लिए जिस प्रकार उसका प्रारंभ किया जाता है समापन भी किया जाना उद्देश्य होता है। गणेश जी की स्थापना पार्थिव पार्थिव (मिटटीएवं जल   तत्व निर्मित)     स्वरूप में करने के पश्चात दिनांक 23 को उस पार्थिव स्वरूप का विसर्जन किया जाना ज्योतिष के आधार पर सुयोग है। किसी कार्य करने के पश्चात उसके परिणाम शुभ , सुखद , हर्षद एवं सफलता प्रदायक हो यह एक सामान्य उद्देश्य होता है।किसी भी प्रकार की बाधा व्यवधान या अनिश्ट ना हो। ज्योतिष के आधार पर लग्न को श्रेष्ठता प्रदान की गई है | होरा मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ माना गया है।     गणेश जी का संबंध बुधवार दिन अथवा बुद्धि से ज्ञान से जुड़ा हुआ है। विद्यार्थियों प्रतियोगियों एवं बुद्धि एवं ज्ञान में रूचि है , ऐसे लोगों के लिए बुध की होरा श्रेष्ठ होगी तथा उच्च पद , गरिमा , गुरुता , बड़प्पन , ज्ञान , निर्णय दक्षता में वृद्धि के लिए गुरु की हो रहा श्रेष्ठ होगी | इसके साथ ही जल में विसर्जन कार्य होता है अतः चंद्र की होरा सामान्य रूप से सभी मंगल कार्यों क

गणेश भगवान - पूजा मंत्र, आरती एवं विधि

सिद्धिविनायक विघ्नेश्वर गणेश भगवान की आरती। आरती  जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।  माता जा की पार्वती ,पिता महादेवा । एकदंत दयावंत चार भुजा धारी।   मस्तक सिंदूर सोहे मूसे की सवारी | जय गणेश जय गणेश देवा।  अंधन को आँख  देत, कोढ़िन को काया । बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया । जय गणेश जय गणेश देवा।   हार चढ़े फूल चढ़े ओर चढ़े मेवा । लड्डूअन का  भोग लगे संत करें सेवा।   जय गणेश जय गणेश देवा।   दीनन की लाज रखो ,शम्भू पत्र वारो।   मनोरथ को पूरा करो।  जाए बलिहारी।   जय गणेश जय गणेश देवा। आहुति मंत्र -  ॐ अंगारकाय नमः श्री 108 आहूतियां देना विशेष शुभ होता है इसमें शुद्ध घी ही दुर्वा एवं काले तिल का विशेष महत्व है। अग्नि पुराण के अनुसार गायत्री-      मंत्र ओम महोत काय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो दंती प्रचोदयात्। गणेश पूजन की सामग्री एक चौकिया पाटे  का प्रयोग करें । लाल वस्त्र या नारंगी वस्त्र उसपर बिछाएं। चावलों से 8पत्ती वाला कमल पुष्प स्वरूप बनाएं। गणेश पूजा में नारंगी एवं लाल रंग के वस्त्र वस्तुओं का विशेष महत्व है। लाल पुष्प अक्षत रोली कलावा या मौली दूध द

श्राद्ध रहस्य - श्राद्ध क्यों करे ? कब श्राद्ध नहीं करे ? पिंड रहित श्राद्ध ?

श्राद्ध रहस्य - क्यों करे , न करे ? पिंड रहित , महालय ? किसी भी कर्म का पूर्ण फल विधि सहित करने पर ही मिलता है | * श्राद्ध में गाय का ही दूध प्रयोग करे |( विष्णु पुराण ) | श्राद्ध भोजन में तिल अवश्य प्रयोग करे | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि - श्राद्ध अपरिहार्य - अश्वनी माह के कृष्ण पक्ष तक पितर अत्यंत अपेक्षा से कष्ट की   स्थिति में जल , तिल की अपनी संतान से , प्रतिदिन आशा रखते है | अन्यथा दुखी होकर श्राप देकर चले जाते हैं | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि इसको नहीं करने से पीढ़ी दर पीढ़ी संतान मंद बुद्धि , दिव्यांगता .मानसिक रोग होते है | हेमाद्रि ग्रन्थ - आषाढ़ माह पूर्णिमा से /कन्या के सूर्य के समय एक दिन भी श्राद्ध कोई करता है तो , पितर एक वर्ष तक संतुष्ट/तृप्त रहते हैं | ( भद्र कृष्ण दूज को भरणी नक्षत्र , तृतीया को कृत्तिका नक्षत्र   या षष्ठी को रोहणी नक्षत्र या व्यतिपात मंगलवार को हो ये पिता को प्रिय योग है इस दिन व्रत , सूर्य पूजा , गौ दान गौ -दान श्रेष्ठ | - श्राद्ध का गया तुल्य फल- पितृपक्ष में मघा सूर्य की अष्टमी य त्रयोदशी को मघा नक्षत्र पर चंद्र हो | - क

विवाह बाधा और परीक्षा में सफलता के लिए दुर्गा पूजा

विवाह में विलंब विवाह के लिए कात्यायनी पूजन । 10 oct - 18 oct विवाह में विलंब - षष्ठी - कात्यायनी पूजन । वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए - दुर्गतिहारणी मां कात्यायनी की शरण लीजिये | प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना के समय , संकल्प में अपना नाम गोत्र स्थान बोलने के पश्चात् अपने विवाह की याचना , प्रार्थना कीजिये | वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए प्रति दिन प्रातः सूर्योदय से प्रथम घंटे में या दोपहर ११ . ४० से १२ . ४० बजे के मध्य , कात्ययानी देवी का मन्त्र जाप करिये | १०८बार | उत्तर दिशा में मुँह हो , लाल वस्त्र हो जाप के समय | दीपक मौली या कलावे की वर्तिका हो | वर्तिका उत्तर दिशा की और हो | गाय का शुद्ध घी श्रेष्ठ अथवा तिल ( बाधा नाशक + महुआ ( सौभाग्य ) तैल मिला कर प्रयोग करे मां भागवती की कृपा से पूर्वजन्म जनितआपके दुर्योग एवं   व्यवधान समाप्त हो एवं   आपकी मनोकामना पूरी हो ऐसी शुभ कामना सहित || षष्ठी के दिन विशेष रूप से कात्यायनी के मन्त्र का २८ आहुति / १०८ आहुति हवन करिये | चंद्रहासोज्

कलश पर नारियल रखने की शास्त्रोक्त विधि क्या है जानिए

हमे श्रद्धा विश्वास समर्पित प्रयास करने के बाद भी वांछित परिणाम नहीं मिलते हैं , क्योकि हिन्दू धर्म श्रेष्ठ कोटी का विज्ञान सम्मत है ।इसकी प्रक्रिया , विधि या तकनीक का पालन अनुसरण परमावश्यक है । नारियल का अधिकाधिक प्रयोग पुजा अर्चना मे होता है।नारियल रखने की विधि सुविधा की दृष्टि से प्रचलित होगई॥ मेरे ज्ञान  मे कलश मे उल्टा सीधा नारियल फसाकर रखने की विधि का प्रमाण अब तक नहीं आया | यदि कोई सुविज्ञ जानकारी रखते हो तो स्वागत है । नारियल को मोटा भाग पूजा करने वाले की ओर होना चाहिए। कलश पर नारियल रखने की प्रमाणिक विधि क्या है ? अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए , उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै प्राची मुखं वित्त्नाश्नाय , तस्माच्छुभम सम्मुख नारिकेलम अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए कलश पर - नारियल का बड़ा हिस्सा नीचे मुख कर रखा जाए ( पतला हिस्सा पूछ वाला कलश के उपरी भाग पर रखा जाए ) तो उसे शत्रुओं की वृद्धि होती है * ( कार्य सफलता में बाधाएं आती है संघर्ष , अपयश , चिंता , हानि , सहज हैशत्रु या विरोधी तन , मन धन सर्व दृष्टि से घातक होते है ) उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै कलश पर -