दुर्गा घट (कलश / कुम्भ) स्थापना
(प्रातः ,सायं कोई मुहूर्त कलश ,घट या कुम्भ स्थापना का नहीं है )
शारदीय नवरात्री कुम्भ/घट(कलश) स्थापन – 10 अक्टूबर 2018
कलश स्थापना - धनु लग्न 11.21.-13.26 बजे शुभ समय है |
A-013.05 से 13:26 बजे तक कलश स्थापना -ज्ञान,प्रतियोगिता एवं व्यापारिक सफलता प्राप्त करने के लिए उत्तम समय |धनु लग्न के साथबजे से बुध होरा उत्तम है|
B-11:21से 12.07 बजे तक धार्मिक कार्य ,हवन हेतु उपयोगी मुहूर्त है |(सूर्य होरा)
-C-12.07 बजे से 13:00 बजे भौतिक सुख समृद्धि प्रद मुहूर्त है |(शुक्र होरा)
श्रेष्ठ समय - प्रारंभिक २३ मिनट हैं |
देवी दुर्गा शक्ति की अद्धिष्ठात्री हैं |
कलश
स्थापना पूजा आदि विशेष सावधानी से करना ही हितकारी,कल्याणप्रद है |हिन्दू
पर्वों का अधिसंख्य ग्रहों की स्थिति पर निर्धारित है |सामान्य
नियम है कोई भी शुभ कार्य विशिष्ट निर्धारित तिथि एवं शुभप्रद समय अवधि में ही किया
जाना चाहिए |
देवी पुराण - देवी
आवाहन, प्रवेश.स्थापन, दैनिक
पूजा, एवं
विसर्जन प्रातःही किया जाना चाहिए |रात्रि या संध्या काल में नहीं |
(प्रातः प्रातश्च सम्पूज्य प्रातरेव विसृज्येत)
रुद्रयामल तंत्र –
वैधृतौ पुत्रनाश :स्या चित्रायां धन नाशनम |
तस्मान्न स्थापयेत
कुम्भं चित्रायां वैधृतौ|
स्यात्तदा मध्यं दिने
रवौ |चित्रादि निषेधे मूलम |)
चित्रा नक्षत्र,वैधृति
एवं व्यतिपात योग कुम्भ स्थापन या पूजा प्रारम्भ हेतु वर्जित हैं|
मत्स्य पुराण
- कलश
स्थापनं रात्रौ न कार्यं - रात्रि में कलश स्थापन किया नहीं जाना चाहिए |
जब
प्रातः एवं प्रतिपदा काल में चित्रा, वैधृति
कुयोग हो तो क्या करना चाहिए ? जैसा
कि इस वर्ष है |
रुद्रयामल तंत्र ग्रन्थ-अभिजीत या मध्य दिन में कलश स्थापन पूजा करे|
कात्यायन-आद्यपादौ परित्यज्य प्रारम्भे नवरात्रकाम |अर्थात प्रारम्भ के दो पाद त्याग कर नवरात्र प्रारम्भ करे|
दुर्गोत्सव ग्रन्थ-चित्रा वैधृति युक्तापि द्वितीययुक्त चेतसेव ग्राह्यत्युक्तं
दुर्गोत्सवे|
श्री पुत्र राज्य आदि विवृद्धि हेतु :|अर्थात चित्रा, वैधृति से युक्त द्वितीया को ग्रहण करे |धन ,पुत्र, राज्य सुख में वृद्धि |
अमावस्या के दिन -
अमायुक्ताम न कर्त्तव्या प्रतिपात पूजने मम
देवी भागवत - प्रतिपदा वर्जित |जबकिे एक ही दिन प्रतिपदा द्वितीया होना ग्रहण करने योग्य शुभद है |
प्रमुख ध्यतव्य है कि चित्रा एवं वैधृति संयोग कुयोग प्रतिपदा तिथि को नहीं होना चाहिए |
प्रारभ्यम
नवरात्रम स्याद्वित्वा चित्राम
च वैधृति |देवी भागवत |
निर्णय सिन्धु— अभिजीत मुहूर्त में कलश स्थापना ।
सम्पूर्ण प्रतिपद्येव चित्रायुक्ता यदा भवेत।
वैधृत्यावापि युक्तास्यात्तदा मध्य दिने रावौ।।
सम्पूर्ण प्रतिपद्येव चित्रायुक्ता यदा भवेत।
वैधृत्यावापि युक्तास्यात्तदा मध्य दिने रावौ।।
अभिजित मुहुर्त्त यत्तत्र स्थापनमिष्यते।
ग्रंथो
के अनुसार द्वितीया तिथि इन कुयोगो की
उपस्थिति में भी ग्रहण कि जासकती है | ग्रंथो
आधार पर -अमावस्या के दिन प्रतिपदा वर्जित जबकिे एक ही दिन प्रतिपदा द्वितीया
होना ग्रहण करने योग्य शुभद है |
मध्य दिन या अभिजीत
मुहूर्त में कुम्भ
स्थापना कि जा सकती है |
परन्तु
बुधवार को अभिजीत मुहर्त अमान्य है जबकि इस वर्ष १० अक्टूबर को बुधवार है |
ज्योतिष
मुहूर्त सिद्धांत से कलश स्थापना द्विस्वभाव लग्न में शुभ होता है |मध्य दिन में वृश्चिक लग्न है जो अनुपयोगी है |
सावधान- धन एवं पुत्र नाशक योग में कुम्भ स्थापना नहीं करे ?
नियमो के परिप्रेक्ष्य मे वर्ष 2018 घट स्थापना एवं व्रत पूजा आदि – वर्ष 2018 में कलश स्थापना का शुभ समय निर्धारण सामान्य जन के लिए समस्यापूर्ण है
क्योकि - अश्वनी माह ,शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा 10 अक्टूबर को है |चित्रा नक्षत्र (धन नाशक) 11.01बजे तक एवं वैधृति (पुत्र अहित) 11.59 बजे तक है |दुर्मुहूर्त -११.४४-१२.३०; राहु काल-१२.०७ से प्रारम्भ |
(प्रातः ,सायं कोई मुहूर्त कलश ,घट या कुम्भ स्थापना का नहीं है )
(सन्दर्भ ग्रन्थ-देवी भगवत पुराण, व्रत परिचय - पृष्ठ 114 एवं श्री दुर्गा सप्तशती
सर्वस्वम् पृष्ठ 41 घट स्थापना )|
Pt Vijendra Kumar
Tiwari (Jyotish Shiromani)
jyotish9999@gmail.com, 9424446706
मुहूर्त मर्मज्ञ -पंडित विजेंद्र कुमार तिवारी द्वारा जनहित में संशोधित संकलित प्रस्तुत
Very informative
जवाब देंहटाएंपर शाम को आरती तो कर सकते है़