श्रावण (सावन)मास –अनिष्ट
नाशक ,बाधक कार्य विलम्बित के सरल उपाय
प्रत्येक माह सूर्य ,देवी ,विष्णु, शिव आदि देवों के पृथक नाम से पूजा आदि करना
श्रेष्ठ होता है।
- तिथि विशेष के जो देवता स्वामी होते हैं ,उनकी पूजा
फल देती है .प्रत्येक तिथि .प्रत्येक नक्षत्र आदि के पृथक पृथक देवी देवता होते
हैं ।
-दैनिक जीवन में सुख भोग एवं शांति के लिए कुछ तिथियां जो कि अधिक
अशुभ प्रभाव करती हैं, उनमें यदि विशिष्ट देवी देवताओं के नाम लेकर हम
स्मरण एवं क्या दान आदि का ध्यान रखें तो( ग्रंथों के कथन आधार पर
हमें विजय एवं सफलता प्राप्त होती है।
-आज प्रतियोगिता के युग में
सफलता एक कठिन कार्य हो गया है। इसलिए हम विशिष्ट तिथि को जैसे सिंह
वृश्चिक धनु राशि के लिए तृतीया तिथि या अशुभ होती है परंतु यदि तृतीया को
देवी की पूजा करेंगे तो निश्चित रूप से बाधाएं कम होंगी या सफलता के योग ज्यादा बनेंगे।
सावन माह में,किस देवी
देवता को किस दिनांक को स्मरण करें तो अनिष्ट फल में कमी होगी प्रयास सार्थक होंगे
।(संदर्भ-श्रुति,स्मृति,भविष्यपूरण ग्रंथ)|
-प्रयास जीवन में आवश्यक हैं ,प्रयासों की सार्थकता या सफलता
के लिए प्रारब्ध के अशुभ प्रभाव
से मुक्ति के लिए व्रत,उपवास पूजा आदि का मार्गदर्शन हमारे
पूर्वज ऋषि मुनियों ने दिया है .
सनातन हिन्दू धर्म में वेद,पूराण द्वारा ,प्रारब्ध जन्य(विगत
जन्म में किये पाप या अनुचित कर्म के कारण कुफल )ग्रह एवं नक्षत्रों के द्वारा संभावित
अशुभ या अनिष्ट प्रभाव रोकने की विधि
का अद्भुत अमूल्य ज्ञान दिया गया है .
पाप और पुण्य क्या है ?
आपके कर्म ही आपका आगामी जीवन या भविष्य है ,इस जन्म में
किये गए कार्य ही आपके आगामी जीवनके सुख दुःख के कारण हैं .
-किसी भी जीव को अकारण(जब तक आपको कोई हानी या कष्ट उसके द्वारा
संभव न हो )कष्ट देना (दुर्व्यवहार)पाप है .
-किसी जीव के साथ सद्व्यवहार (उपकार,दया,दान,याचित वस्तु देना)
करना पुण्य है .
दान का समय –
ग्रह के आधार पर किस समय
दान करना चाहिए?
मत्स्य पुराण के अनुसार-
1-सूर्य एवं शुक्र
ग्रह का दान- सूर्योदय
से 12 मिनट पूर्व से
पश्चात तक श्रेष्ठ होता है.
2-चंद्र एवं गुरु ग्रह
का दान सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व
से पश्चात तक उत्तम होता
है.
3-मंगल ग्रह का दान
सूर्योदय से 48 मिनट पश्चात तक श्रेष्ठ होता है.
4-बुध का दान सूर्योदय से
02 घंटे पश्चात तक श्रेष्ठ होता है.
5- शनि ग्रह का दान दोपहर
या अभिजीत मे श्रेष्ठ होता है.
6-राहू ,केतू ग्रह का दान रात्रि मे श्रेष्ठ होता है.
श्रावण या सावन माह - इस माह देवी पार्वती,लक्ष्मी,स्वामी कार्तिकेय,सूर्य,एवं भगवान शिव की पूजाप्रार्थना किस नाम से करना चाहिए ?कोई भी मन्त्र
11 ,27,54 या 108बार रिपीट करना चाहिए .
दान-
दूध से भरा बर्तन(लोटा,कुंड़ या घड़ा ),पूड़ी और ऋतु में उपलब्ध फलदान ,भगवान श्रीधर की कृपा हेतु
अर्पण किया जाना चाहिए .
1देवी स्मरण तृतीया-15जुलाई-
स्कंदमाता एवं “श्रीदेवी “ श्री देव्यै नमः-से देवी भगवती की पूजा कर, फल दान करने से कामनाओं की पूर्ति होती है।
बिल्वपत्र या उसके वृक्ष की पूजा करना चाहिए।
अनिष्ट- सुरक्षा ज्योतिष परामर्श–सिंह, धनु,कुम्भ राशी के लिए विशेष उपयोगी .
2-पंचमी तिथि श्री
लक्ष्मी जी की पूजा स्मरण-18 जुलाई
पंचमी तिथि को
"रमा" श्रीरमायै नमः|नाम से भगवती लक्ष्मी का स्मरण कर निवेदन करना
चाहिए -हे देवी आप क्षीर सागर के मंथन से उद्भूत हैं.भगवान विष्णु का वक्षस्थल आप का निवास है.आप सभी कामनाओं को प्रदान करने वाली हैं ,अतः मुझे आप रिद्धि सिद्धि प्रदान करें.आपको मेरा नमस्कार।
अनिष्ट- सुरक्षा ज्योतिष परामर्श–वृष,कन्या,मकर राशी के लिए विशेष उपयोगी .
षष्ठी तिथि-19 जुलाई
स्वामी कार्तिकेय का
स्मरण सष्ठी तिथि, दोपहर में, स्वामी
कुमार को,"गुह " ॐ गुहेभ्य नम:.नाम से स्मरण करे।तिल से हवन तथा
नीबू/ऋतुफल अवश्य खाना चाहिए।
मंत्र- चंद्र मंडल भूता नाम भवभूति पवित्रता।
गंगा कुमार धारैयम पतिता
तब मस्तके ।
सूर्य का पूजन कर ।कृतिका
पुत्र कार्तिकेय का निम्न
मंत्र से पूजन करें -
देवसेनापते स्कंद
कार्तिकेय भव उद्भवे।
कुमार गुह गांगेय शक्ति
हस्त नमोस्तुते ।
अन्न फल एवं चन्दन अर्पित करना चाहिए।
माता पार्वती का भी स्मरण
करें।
अनिष्ट- सुरक्षा ज्योतिष परामर्श–मेष,वृश्चिक राशी के लिए विशेष उपयोगी .
सप्तमी तिथि- 20 जुलाई
तापीया या लोलार्क के नाम -ॐ लोलर्काय नमः.से पूजन करने से सौत्रामणी यज्ञ का फल प्राप्त
होता है।
अनिष्ट- सुरक्षा ज्योतिष परामर्श–मिथुन, कर्क राशी के लिए विशेष उपयोगी .
त्रयोदशी-शिव स्मरण-25july
शिव का
"उमापति" नाम से पूजन कर करना चाहिए यह सर्व कल्याण प्रद है.
अनिष्ट- सुरक्षा ज्योतिष परामर्श–सिंह, धनु,कुम्भ राशी के लिए विशेष उपयोगी .
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