गृह क्लेश बचाए आटा?आटे का रहस्य- प्रेम ,प्रगति,प्रतियोगिता में सफलता
.
(आलेख –द्वारा पंडित विजेंद्र कुमार तिवारी धर्म,अनुष्ठान,वास्तु एवं
ज्योतिष मर्मज्ञ -9424446706)
माँ,पत्नी,बहिन द्वरा निर्मित भोजन: अद्भुत सफलता.
सनातन धर्म में अनेक स्थानों में उल्लेख
है की नारी की क्षमता (पत्नी,माँ,बहिन)पुरुष से ,
सहस्त्र गुना अधिक होती है .पत्नी पति
की प्रगति ,समृद्धि वृद्धि में,माँ अपने बच्चों के ,
ज्ञान.स्वास्थ्य,प्रतियोगिता या परीक्षा
में,बहिन के द्वारा अपने भाई के आरोग्य,सुख,समृद्धि
एवं सफलता में भोजन द्वारा अद्भुत योग दान दे सकती है .
-बहिन के हाथ से निर्मित भोजन ,भाई
के द्वारा किये जाने का वर्ष में एक विशेष दिन ,
दीपावली के पश्चात् भाई दूज के दिन
को विशेष पर्व की संज्ञा दी गयी है .
इस दिन बहिन के हाथ से निर्मित ,भोजन
की आज्ञा / निदेश दिए गए हैं .
ध्यातव्य- पण्डे,पुजारी बड़े विद्वान अपने
लिए समर्पित परम भक्त या
स्वयं भोजन का निर्माण करते हैं .
भोजन निर्माण के समय जैसे विचार होंगे,वैसे ही
विचार खाने वाले के मन मे संचारित होंगे
.
-कुक से भोजन निर्माण की स्थिति
के दोष एवं निराकरण के उपाय-
नौकर या नौकरानी तन-मन से स्वच्छ,शुचिता,पावन
हो यह कतई आवश्यक नहीं ,उनके
द्वारा निर्मित भोजन अनेक प्रकार से
सुख बाधक,रोग,कष्ट आदिसमस्या उत्पन्न करता है .
सामान्य तथ्य है,कि नौकर या नौकरानी
का धन एवं अनेक असुविधाओं से भरे मकडजाल के
दैनिक जीवन से ग्रस्त होना स्वाभाविक है. नौकर या
नौकरानी के मन ,
सदैव वर्तमान जीवन की चिंता(आर्थिक,पारिवारिक आदि) या ,भविष्य की अनिश्चतता
की
लहरे मन को उदेलित करती रहती हैं .इस कारण उनके द्वारा
निर्मित भोजन असुरक्षित है .
अपरिहार्य एवं आवश्यक स्थिति में ,शारीरिक
स्वच्छता स्नान उपरांत एवं धुले वस्त्र पहनने की
शर्त रखी जा सकती है . किचन या रसोई घर में कार्य
दिशा निर्धारित की जा सकती है .
किचन में धार्मिक स्लोगन,सुविचार,मन्त्र
आदि लिखे हुए कार्य दिशा में लगाये जा सकते है.
धर्म का विरोधाभास न हो तो कार्य के
पूर्व एक आर पढने के लिए कहा जा सकता है .
आटा गूंथने या माड़ते समय
की सावधानी-
1दिशा- भोजन निर्माण के लिए आता गूथना या
माड़ना कार्य
हमेशा पूर्व
या उत्तर दिशा की ओर मुंह कर करना
चाहिए।
संध्या पश्चात पश्चिमी या उत्तर दिशा की
ओर मुंह कर करना चाहिए।
क्योंकि ये जल की दिशाएं हैं। जल के द्वारा किए जाने वाले कार्य के
लिए सकारात्मक दिशा हैं।
2-पूर्व दिशा सूर्य की इससे ओज,तेज, ज्ञान, बुद्धि , यश की वृद्धि होता
है।
3 -उत्तर दिशा बुध-मूल रूप से धन, समृद्धि , सुख से संबंधित है।
4 - पश्चिमी दिशा शनि- लक्ष्मी,धन, प्रेम, मधुर संबंध की है। परस्पर प्रेम संबंध
में वृद्धि होती है। गृह क्लेश में कमी होती है।
5 - आटा गूंथने या माड़ते समय जल,उंगलियों एवम हथेली से स्पर्श का रहस्य-
हमारे विचार ,
ऊर्जा, भावना उंगलियों के मूल में स्थित ग्रहों का
प्रभाव, उंगलियों के
अग्र भाग से मिश्रित होते है।
उस समय मन की विचार शक्ति उसमे प्रवेश करती है।
निर्विकार भाव से "ॐ नमो भगवते
वासुदेवाय"अन्नपूर्णायै नम:.मन ही मन कहते रहे।
या शुभम कल्याणम अस्तु।
- 'ॐ ह्रीं श्रीं
क्लीं भगवति माहेश्वरि अन्नपूर्णे स्वाहा।।
' * 'ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं
भगवति अन्नपूर्णे नम:।।
- अन्नपूर्णे
सदा पूर्णे शंकर प्राण वल्लभे ।
ज्ञान वैराग्य सिद्ध्य भिक्षां देहि च पार्वति ।।
या परिवार के सभी सदस्य के लिए कामना करे
इस आटे से बना भोजन खाने वाले को आरोग्य, सौंदर्य, ज्ञान, धन, संपदा, सफलता मिले।
-आटा माड़ने के बाद की प्रक्रिया -
अ - माड़े हुए आटे
पर अपनी उंगलियों से दबाकर उंगलियों का चिन्ह बनाइए।
आ – उँगलियों के चिन्ह या छाप के प्रभाव -
माडा हुआ आटा ,
पिंड स्वरूप होता है। पिण्ड पूर्वजों
को तृप्त करने के लिए प्रयोग किया जाता है।
इससे बना भोजन मन में अशंति, विवाद, मतभेद उत्पन्न करता है।
आटे के पिंड स्वरूप
को उंगलियां के दबाव / स्पर्श से निर्मित चिन्ह स्वरूप परिवर्तित कर
देव योग्य कर देता है।आटे को 5मिनट के लिए ढक कर रख दीजिए।
-लोई
-पिंड स्वरूप को पुन:,देवभोग योग्य करना -
* - रोटी बनाने के पूर्व, गोल आकार या चपटा आकार दिया जाता है।
यह पुन: पिंड स्वरूप हो जाता है।
इसलिए पुन:
उंगलियों से दबाइए देव अर्पण योग्य बनाइए। इसके पश्चात बेलन द्वारा मन चाहा
आकार दीजिए।
* - ये प्राचीन प्रचलित परंपरा भी है। गृहणियों के आधिकांश द्वारा ऐसा
अनजाने में किया भी जाता है।
* - हथेलियों के माध्यम से आटे को रोटी का आकार देने में स्वमेव ही
पिंड स्वरूप परिवर्तित हो जाएगा।
वास्तु-टिप्स -किचन
में गुलाबी ,पीले शेड,गेरू शेड के रंग दीवार,प्लेटफार्म,एवं भोजन निर्माण
के समय
उत्तम होते है.अन्नपूर्णा देवी का चित्र .
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