आषाढ़ माह
से श्रवण माह देव शयन काल -
अशुन्य शयन
-शेष शैयापर लक्ष्मी सहित विष्णु जी शयन करते है इसलिए कहा गया .दाव शयनी एकादशी से
देव उतनी एकादशी तक विष्णु जी सोते है .10.7.2022 से 16.7.2022तक देव शयन प्रारंभ .
-त्रयोदशी
को कामदेव ,चतुर्दशी को यक्ष गण,पूर्णिमा को शिव,प्रतिपदा को ब्रह्मा ,द्वितीया को
विश्वकर्मा,तृतीया को उमा जी, शयन करती है .
-जुलाई से
अक्टूबर तक ,प्रत्येक माह की कृष्ण पक्ष द्वितीया को विष्णु मंदिर या ब्राह्मण को ऋतु
फल ,९वर्जित फल खट्टे स्वाद वाले जैसे नीबू,कैरी,इमली,अनार,मौसंबी,संतरा,एवं स्त्री
वाची फल देना निषेध है .)दक्षिणा दान करे .
-चार माह
एसा करने से अक्स्न्द दाम्पत्य सुख,पितु कृपा,सौभग्य बढ़ता है
-स्नान उपरांत
विष्णु भगवान की पूजा करे.
-दिन
में यथासंभव मौन रहे .
-संध्या
समय विष्णु लक्ष्मी का शयन उत्सव ,उनकी पूजा करे.
चंद्रमा
निकलने पर जल,फल,पुष्प सुगंध अर्पण करे.
जल अर्पण
का मन्त्र-
गगन अंगण
संदीप क्षीर अब्धि मथन उद्भव .
भाभासित
दिगा भोग रमानुज नमोस्तुते .
इसके उपरांत
भोजन कर सकते है .
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इस वर्ष
इस ही दिन स्वर्ण गौरी व्रत पर्व भी है ,क्योकि तृतीया प्रविष्ट है.
संदर्भ ग्रन्थ-स्कन्द
पुराण .
एक चोकी.
या पृथ्वी स्वच्छ कर वस्त्र बिछाए पर 8 पत्तों का कमल बनाकर उस पर कलश रखे
,उस पर गौरी
देवी की मिटटी से मूर्ति बना कर गौरी देवी स्थापित करे.
गठान उसमे
लगायें. डोरे पर अक्षत सिंदूर लगा कर अपने वाएं हाथ में (नारी)पुरुष दाहिने हाथ में
बाँध ले
.
-ॐ नम:शिवाय
मन्त्र 16 बार बोले.16 आहुति दे तो और भी उत्तम. शिव पूजा कर 16 फल ,16 प्रकार मिठाई,16
ब्राह्मण को दान करे .पति-पत्नी ब्राह्मण को भोजन कराएँ .
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