रुद्र अभिषेक कब करे/नहीं करे?किस राशी के लिए विशेष उपयोगी दिनांक ? पूजन, दर्शन, जप नित्य करे,रूद्र अभिषेकश्रावण की शुभ date को कर मनोकामना पूर्ण करे |
रुद्र अभिषेक कब करे/नहीं करे?किस राशी के लिए विशेष उपयोगी दिनांक ? पूजन, दर्शन, जप नित्य करे,रूद्र अभिषेक शुभ दिननक को ही करना चाहिए |
(शुभ -अशुभ अमंगलकारी दिनांक सहित )
सनातन धर्म उच्च कोटि का विज्ञानं सम्मत धर्म है जो
ग्रहों के परिचालन अवम तारो पर आधारित है \कौनसा काम कब करना चाहिये ?किस मन्त्र ?किस
देवता की आराधना करना चाहिए ?समस्यायों के निर्मूलन के लिए श्रेष्ठ यथार्थ परक है |
शिव जी का रूद्र अभिषेक कब करना हित वर्धक और कब हानी
प्रद हो सकता है ?इसकी जानकारी इस लेख में उपलब्ध है | (शिव पुराण एवं शिव जी से
सम्बंधित ग्रन्थ संदर्भ )
शिव पूजा ,रुद्रार्चन ,अनुष्ठान
या अभिषेक का शुभ अशुभ परिणाम कब किस तिथि क्या में होता है--
शिव /रूद्र पूजा निष्काम पूजा या दर्शन
के लिए समय या तिथि का कोई बंधन नहीं परन्तु सकाम या किसी विशेष प्रयोजन की पूर्ति
हेतु शिव पूजा के लिए ,शुभ –अशुभ फल (शिव पूरण आदि ग्रन्थ)होते है |तिथि का विशेष
महत्व है क्योकि चंद्रमा शिव जी के मस्तक पर विराजित है |
उपयुक्त लिंग-
स्वर्ण,चांदी,रत्न शिव लिंग,पारद , स्फटिक , नर्मदेश्वर, अथवा पार्थिव शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा नहीं करना पड़ती है इसलिए अभिषेक का शीघ्र फल देते हैं |
सकाम रुद्रार्चन
शुभ समय –
(शिव पूजा संध्या समय या रात्रि में सूर्योदय अस्त के दो से तीन घंटे में या अर्ध रात्रि के समय शीघ्र फलदायी | )
*रूद्र
/ शिव पूजा वेदोक्त अभिषेक
संध्या या रात्रि में शीघ्र फलदाई |
-दर्शन एवं पुराणोक्त मन्त्र से पूजा
प्रात: 09 बजे तक,मध्य दिन में 11:45 से 13:30 बजे तक ,सूर्यास्त से संध्या ९बजे तक उपयोगी होती है |
-ज्योतिष की दृष्टि- शिव पूजन
,दर्शन चंद्रमा की होरा का समय सर्व
श्रेष्ठ काल होता है |
चन्द्र की दशा,अन्तर्दशा,अशुभ चन्द्र गोचर से सुरक्षा होती है |वृश्चिक राशी वालो को अवश्य करना चाहिए दाम्पत्य सुख के लिए |
सकाम रुद्रार्चन
शुभ तिथियाँ-
शिव पूजा,अर्चना,अभ्यर्थना एवं रुद्र
अभिषेक (रूद्र अष्टाध्याई पाठ )करने की तिथियां-
1-सुख-शांति ,सफलता -समृद्धि
,संतान प्राप्तिव सुख एवं यश के लिए -
31-जुलाई-मेष,वृष,सिंह,कन्या,धनु,कुम्भ
राशी के लिए श्रेष्ठ|
08 अगस्त --मेष,धनु,वृष,कन्या,मीन राशी ले लिए विशेष उपुक्त |
नियम-कृष्णपक्ष -
प्रतिपदा, पंचमी, अष्टमी, एकादशी, द्वादशी, अमावस्या |
2*कलह,क्लेश,कार्य अवरोध,विद्या बाधा,काल सर्प दोष मुक्ति
हेतु-
शुक्लपक्ष - द्वितीया, पंचमी, षष्ठी, नवमी, द्वादशी, त्रयोदशी तिथि उपयुक्त|
3 गृह सुख शांति --भगवान् शिव अपनी अर्धांगिनी पार्वती जी
के साथ निम्न तिथि में पूजा करने से देते हैं –
31-जुलाई-मेष,वृष,सिंह,कन्या,धनु,कुम्भ
राशी के लिए श्रेष्ठ|
08 अगस्त --मेष,धनु,वृष,कन्या,मीन राशी ले लिए विशेष उपुक्त |
10अगस्त-कुम्भ,मिथुन,कर्क राशी के लिए उत्तम |वृष
कन्या.मकर शुभ \
नियम-कृष्णपक्ष की प्रतिपदा,
अष्टमी,
अमावस्या तथा शुक्लपक्ष की द्वितीया व नवमी तिथि में
4-
हर्ष,आमोद,प्रमोद प्रदायक -भगवान् शिव कैलाश पर्वत पर होते हैं निम्न तिथि में
पूजा करने से हर्ष,आमोद,प्रमोद प्रदायक होते हैं|
04 अगस्त-मिथुन,मेष,वृश्चिक,राशी के लिए अनिष्ट नाशक |
-कृष्णपक्ष की चतुर्थी, एकादशी तथा शुक्लपक्ष की पंचमी व द्वादशी तिथि में ।
5. मनोकामना की पूर्ति -भगवान् शिव जन कल्याण के लिए
नंदी पर आरूढ़ हो कर , भू मंडल पर विचरण
करते हैं | शरणागत की मनोकामना या
उद्देश्य विशेष की पूर्ति करते हैं -
कृष्णपक्ष - पंचमी, द्वादशी तथा शुक्लपक्ष की षष्ठी व त्रयोदशी तिथि को
पूजा से अभीष्ट उद्देश्य सिद्ध होता है।
05अगस्त-मकर,कुम्भ,तुला,मिथुन,कर्क राशी
के लिए उत्तम |
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शिव वास - किस तिथि में अभिषेक,पूजा,स्पर्श नहीं ,केवल दर्शन करे?शिव जी को विघ्न होता है
ध्यातव्य- जिस प्रकार हम 24 घंटे में अनेक घंटों में किस से मिलना ,वार्ता पसंद नहीं करते हैं उस प्रकार ही भगवान् शिव /रूद्र भी कुछ तिथि में अपने सुख में व्यवधान पसंद नहीं करते हैं |
1-आपत्ति-विपत्ती कारी पूजा अभिषेक तिथि ,
(क्योकि भगवान् शिव /रूद्र श्मशान में समाधिस्थ रहते हैं|)
. कृष्णपक्ष की सप्तमी,
चतुर्दशी तथा शुक्लपक्ष की प्रतिपदा, अष्टमी, पूर्णिमा तिथि |
30 जुलाई,07,09,15,22 अगस्त वर्जित|
2-दुःख,कष्ट,डिप्रेशन,संताप,मनोपीड़ा
तिथि ?
(क्योकि भगवान् शिव /रूद्र देवताओं की समस्या के
समाधान हेतु ,उनकी सभा में व्यस्त
रहते हैं|)
-कृष्णपक्ष -
3-संतान,सहयोगी,समन्वय करने वालो के लिए अनिष्ट तिथियाँ ?
(क्योकि भगवान् शिव /रूद्र क्रीडारत होते हैं।
इन तिथियों में सकाम संतान को कष्ट प्रदान
करते है।)
-. कृष्णपक्ष
- तृतीया, दशमी तथा शुक्लपक्ष - चतुर्थी व एकादशी तिथि|
03,11,17 अगस्त,
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