सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

राशि 29 जुलाई Astrology saves from unforeseen dashes. Tips to make the day happy and successful नाम से भविष्य, भोज्य पदार्थ ,उपाय,सूर्यादि ग्रह प्रभाव |


 राशि 29 जुलाई Astrology saves from unforeseen dashes. Tips to make the day happy and successful नाम से भविष्यभोज्य पदार्थ ,उपाय,सूर्यादि ग्रह प्रभाव |

-पंडित विजेंद्र तिवारी -1972 से कुंडली,वास्तु,हस्तरेखा,प्रश्न कुंडली jyotish9999@gmail.com 

दैनिक भविष्य फल निर्णय-

जन्म  राशि एवं नाम के प्रथम अक्षर ,दोनों से दिन शुभ होने पर श्रेष्ठ दिन व्यतीत होगा |

 

राशिफल लेख की अनुक्रमणिका-

1-व्रत,मूल,भद्रा.पंचक|

2-आज किये जाने वाले कार्य की सूची   | वर्जित एवं उपयोगी भोजन |

3-नाम एवं जन्म राशी से भविष्य |

 आज के (नक्षत्र देवता के) अशुभ प्रभाव से सुरक्षा के  मन्त्र,दान आदि |

                                                                                   -1-

 

गुरूवार ,मीन  चन्द्र राशी  -उत्तराभाद्र नक्षत्र | षष्ठी तिथि |

मंगल एवं बुध ग्रह नक्षत्र प्रवेश का शुभ अशुभ फल |

(लेख के अंत में उपाय सहित अवलोकनार्थ सुलभ | )

मूल 12:08 से रात |  

14.07 तक अमृत योग |

सर्व कार्य सफलता - सिद्ध योग 12:08 से |

______________________________________________________________________________

-भद्रा –-  ||

*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*
(
भद्रा स्वर्ग में जब हो धन  धान्य वर्धक, पाताळ में होने पर व्यापारिक लाभ,

पृथ्वी पर सभी कार्यों में वर्जित एवं कार्य विनाशनी शक्ति वाली होती है |)

_____________________________________________________________________

आज पंचक- है |

पंचक में केवल 05 कार्य वर्जित ,अन्य समस्त कार्य नक्षत्र के अनुसार शुभ

1दाह संस्कार,2छप्पर डालना,3दक्षिण दिशा यात्रा 4लकड़ी घास

भूसा एकत्र,5पलंग या चारपाई बुनना ये पांच कर्म ही वर्जित (ज्योतिष  ग्रंथो में उल्लेखित )है |

अन्य किसी भी कार्य की वर्जना नहीं है |

            2----------------*हरीॐ---------------------------------------------------

 |

                 *3*************************************************

नाम एवं जन्म राशी से राशिफल

 

नाम से अशुभ दिन एवं नाम का प्रयोग किस किस काम के लिए करे -

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्म राशिं न चिन्तयेत्।।

दैनिक बाहरी कार्य,स्थान,(देश,शहर,मुहल्ला, कालोनी, Apartment

,कंपनी, में )निवास,व्यापार,रोजगार,मुकद्दमा,विवाद,चुनाव, नौकरी,

,निवास स्थान , आवेदन,cv , मित्रता,साझेदारी आदि में प्रचलित नाम

की राशि देख कर कार्य करे।

(Work should be done by looking name in new-home entry, business, employment, dispute, election, job, applyn, cv, friend, partnership )

 

Inauspicious for those with the first letter of the name

Inauspicious for the first letter of the name

Ye, Yo, Bha, Bhi, Bhu, Dha, F, Dh, Bhe. Ma, Mi, Moo, Me, Mo,

Ta, Tee, Tu, Te Chu, Che, Cho, La, Lee, Lu, Le, Lo, A.

नाम के प्रथम अक्षर वालो के लिए दिन सुख बाधक (व्यस्तता,व्यय,विवाद)

नाम का प्रथम अक्षर वालो के लिए अशुभ –

ये, यो, ,भी, भू, ,,,भे. मा, मी,मू,मे,मो,

टा,टी, टू, टे चू,चे,चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ.

 ------------------------------*हरिओम-----------------------------------------------------------------------

जन्म  राशि का प्रयोग कर ?भविष्य --
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रह गोचरे।
जन्म राशेः प्रधानत्वं नाम राशिं न चिन्तयेत ।।
जन्म की राशि का प्रयोग-
विवाह,धार्मिक कार्य, व्रत,यात्रा , मंगल शुभ कार्य,भविष्य ज्ञान,
 
के लिए जन्म राशि का प्रयोग करे।
                         -
राशिफल – चन्द्र ग्रह के प्रभाव |
                       (
किसी व्यक्ति विशेष के लिए नहीं)-
              
ग्रह दृष्टि :राशियों का भविष्य एवं कार्य योजना परामर्श-
 
नक्षत्र –उत्तराभाद्रपद           
(
वृष ,मिथुन राशि -सर्व सफलता ; सिंह, धनु-सुख बाधक  |)
                              
मेष राशि   - चू,चे,चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ.
आर्थिक दृष्टि से यह समय कठिनाइयों से परिपूर्ण है ।
 
खर्चे बढ़ेंगे । अपनी धन सम्पदा का ध्यान रखें ।
अपव्यय से बचें ।
अपने द्वारा किए जा रहे व्यवहार के प्रति विशेष सचेत रहें |
आपको मनवांछित फल न मिलना संभव है ।
स्वास्थ्य की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है ।
आँखों में कोई संक्रमण हो सकता है अत: आँखों का विशेष ध्यान रखें ।
मानसिक रुप से आप व्यथा व बैचेनी अनुभव कर सकते हैं |

वृष राशि  -  , ,, , वा,वी, वू,वे, वो.
आपको अधिक धन उपार्जन व सम्पत्ति अर्जित करने में सहायक होगा ।
आपको अटकी हुई धनराशि भी प्राप्त हो सकती है ।
 
व्यक्तिगत रुप से यह दिन प्रसन्नता, सुख व परम प्रिय मित्रों के साथ आनन्ददायक है ।
परिवार के सदस्यों का मेल मिलाप व पुराने मित्रों के साथ एकत्रित होकर पुनर्मिलन के भी सुअवसर हैं ।
विवाहित व्यक्तियों के दाम्पत्य सुख की पूर्ण संभावना है ।
आप मानसिक रुप से प्रसन्न व शान्तचित्त रहेंगे ।
ग्रह सर्व सुख शांति सफलता देने के लिए तत्पर हैं  |
इस माह इतना अनुकूल समय न मिला है ओर न ही आपको शेष दिनो मे  मिलेगा |
प्रत्येक कार्य आपके अनुकूल होगा
 
 
मिथुन राशि   - का, की, कू,,,,के, को, ह.
यह समय इच्छापूर्त्ति, लक्ष्यप्राप्ति तथा सांसारिक व भौतिक सुख प्राप्त करने का है ।
यदि आप कुछ नया करने की योजना बना रहे हैं तो उपयुक्त समय है |
आप व आपका परिवार सामान्य रुप से सुखी रहेंगे । 
यह समय आपके कार्यस्थल के लिए भी शुभ है ।
आप सम्मान, पदोन्नति एवम् प्रशंसा की आशा कर सकते हैं ।
निर्धारित लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं ।
इस विशेष समय में आपकी सामाजिक प्रतिष्ठा भी बढ़ेगी ।
माह की सर्वश्रेष्ठ अवधि का सर्वाधिक प्रयोग करिए |
बिना समय का अपव्यय कर,अधिकतम उपयोग प्रयोग करिए |
जिस कार्य को भी हाथ में लेंगे ,उसकी पूर्णता सुनिश्चित समझिए|
निर्णय या लंबित कार्य पूर्ण करने  के लिए एसा सर्वोत्तम समय दो दिन बाद नहीं मिलेगा |

कर्क राशि  - ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू,डे,डो.
**
तुलनात्मक रूप से स्त्री वर्ग के लिए दिन अधिक व्यवधान पूर्ण रहेगा|
अपने व्यापार अथवा कार्यालय में साधारण दिनों से
अधिक परिश्रम करना पड़ सकता है ।
पेट की गड़बड़ अथवा छाती का कष्ट हो सकता है |
 
स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दें ।
आप किसी धार्मिक अनुष्ठान अथवा दान जैसा पुण्य कार्य सफलतापूर्वक करेंगे
 
आपको समाज में प्रसिद्धि भी मिलने की संभावना है ।
 
शत्रुओं पर विशेष नजर रखें क्योंकि उन्हीं के कारण हानि होने की संभावना है ।
भाग्य एवं संतान सुख बाधा विघ्न,बाधा ,कष्ट,स्वागत करने को आतुर हें |
अपनी भावनाओ पर नियंत्रण रखिए|
 
आपके प्रयासो को सफलता के पंख  लगने ही वाले हैं  |
 
सिंह राशि  – मा, मी,मू,मे,मो,टा,टी, टू, टे.
** पारिवारिक सुख में कमी होगी ।
दांपत्य साथी की ओर से अनावश्यक परेशानियां पैदा की जाएंगी ,
वाद विवाद की स्थिति से बचें ।
कोई अपने दिए हुए प्रॉमिस को पूरा नहीं कर सकेगा।
नए कार्य या उत्तरदायित्व लेने से बचना चाहिए ।
रोजगार में किसी भी प्रकार की जोखिम लेना उचित नहीं रहेगा।
महत्वपूर्ण प्रपत्र या पत्र पर हस्ताक्षर से पहले सूक्ष्म अध्ययन करना,
 
भविष्य उपयोगी सिद्ध होगा।
संतान पक्ष की ओर से चिंता या दायित्व बढ़ेगा।
 
  
कन्या राशि- टो,,पी, पू,,,,पे, पो.
जीवन में सकारात्मक परिवर्तन होंगे ।
यह समय सुख व कार्यों में सफलता का द्योतक है । 
आर्थिक दृष्टि से भी यह समय आपके लिए शुभ है । 
आपको शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने में भी सहायक दिन है ।
नए मित्र, विशेषकर विपरीत लिंग वाले मित्र बनाने हेतु यह समय अनुकूल है ।
दाम्पत्य जीवन में सुख रहेगा और आपको अपने जीवनसाथी के साथ
आमोद-प्रमोद के अवसर भी मिलेंगे ।
संतान आपके जीवन के सुख में और अधिक वृद्धि करेगी ।
दिन की इस अवधि में स्वास्थ्य अच्छा रहेगा ।
आप स्वयं अपने आप में व परिवार के साथ शान्ति अनुभव करेंगे ।
इस दिन को कुल मिलाकर सुख से परिपूर्ण कहा जा सकता है ।
 
तुला राशि  - रा, री, रू,रे, रो, ता,ती, तू, ते.
स्त्री वर्ग के लिए दिन बाधा एवं  व्यवधान पूर्ण रहेगा|
यह समय आगे बढ़ कर लक्ष्य को पकड़ लेने का है आपकी सफलता के योग हैं ।
आप शत्रुओं पर विजय पाएँगे, नए मित्र भी बनाएँगे, विशेष रुप से विरीत लिंग वालों को ।
 
स्वास्थ्य अच्छा रहेगा और आप नीरोग काया का आनन्द उठाएँगे ।
कुल मिलाकर इस अवधि में आप प्रसन्न रहेंगे ।
उदर कष्ट संभव है |
रोजगार,व्यवसाय मे आशा के अनुरूप सफलता की प्रबल संभावनाएं है |
शत्रु वर्ग के विरुद्ध सफलता का उत्तम अवसर है |
विवादास्पद मामलों मे प्रयासो के सुपरिणाम अवश्य ही मिलेंगे  |

वृश्चिक राशि  -  तो, ना, नी,नू,ने, नो, या, यी,यू.
अपने कार्य इच्छानुसार पूरे न कर पाने के कारण ,
आप मानसिक रुप से अशांत रहेंगे । 
वित्तीय दृष्टि से भी अपके लिए ये कठिन समय है ।
आप कुछ रुपया गँवा सकते हैं |
आपको हानि हो सकती है |
धन व्यय करने पर नियंत्रण रखें ।
 
स्वास्थ्य की ओर सदा से अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है ।
पूर्ण मनोयोग से धैर्य,शांति एवं भावनाओं पर नियंत्रण रखिए |
सक्रियता ,विनियोजन,विपणन ,लेनदेन ,महत्वपूर्ण कार्य लंबित /
स्थगित, रखना ही श्रेयष्कर होगा |
 
 
धनु राशिये, यो, ,भी, भू, ,,,भे.
स्त्री वर्ग की तुलना मे पुरुष वर्ग के लिए दिन अधिक व्यवधान पूर्ण रहेगा|
स्वयं का या परिवार के किसी सदस्य के स्वास्थ्य में गिरावट के योग हैं|
रोग खर्च एवं कष्ट का कारण हो सकता है ।
आपके आत्मविश्वास मे कमी होगी।
आर्थिक दृष्टि से यह कठिन समय है|
खर्चे बढ़ सकते हैं |
आप द्वारा हुई गलतियाँ सफलता या सुख को प्रभावित कर सकती हैं ।
धन सावधानी पूर्वक खर्च करें ।
 
आपको अपने आत्मीयजनों से मधुर सम्बन्ध बनाए रखने में सतर्कता बरतनी है |
मतभेद या परस्पर शत्रुता पनप सकती है ।
क्रोध को अनियंत्रित न होने दे|
 
पूर्ण मनोयोग से धैर्य,शांति एवं भावनाओं पर नियंत्रण समय की मांग है |
|
सक्रियता , विनियोजन,विपणन ,लेनदेन ,महत्वपूर्ण कार्य लंबित / स्थगित, रखना ही श्रेयष्कर होगा |
 
 
मकर राशिभो,जा, जी, खी,खू,खे, खो, ,गी.
यह समय धन की दृष्टि से भी सौभाग्यपूर्ण है ।
बकाया राशि की प्राप्ति, धन की प्राप्ति योग हें|
 
आज अपेक्षित आर्थिक लाभ की आप आशा कर सकते हैं ।
 
घर के लिए भी यह समय सुख से परिपूर्ण है ।
आपको अति उत्तम भोजन, वस्त्र  सुख मिल सकता है ।
 
आपके सम्पन्न किया गया हर कार्य आपको प्रसन्नता देगा ।
 
मन में पूर्ण संतोष का साम्राज्य रहेगा ।
मित्रों के साथ अच्छा समय व्यतीत होगा ।
विरोधियों एवं लंबित कार्य मे सफलता मिलेगी |

 
कुंभ राशि  - गू, गे,गो, सा, सी, सू,से, सो, द.
पारिवारिक पक्ष के सुख मे कमी होगी |
लोगों से अपने व्यवहार के प्रति विशेष सतर्क रहें ।
आप विवाद में न पड़ें |
किसी को राय या सुझाव व्यर्थ में झगड़े का रुप ले सकता है ।
असावधानी पूर्ण व्यवहार ठेस पहुँचा सकता है ।
 
कार्यालय में बाधाएं आ सकती हैं |
असंतोष अनुभव करेंगे ।
आँखों पर विशेष ध्यान दें व सतर्कता बरतें ।
आपको भोजन भी इतना रुचिकर नहीं लगेगा ।

मीन राशि  - दी, दू,,,,दे, दो, चा,ची
नए समाचार या प्रिय आत्मीय से मिलन,तथा सुखद स्थितियाँ आनंदित करेंगी |
आपको, उत्तम वस्त्र तथा अन्य इच्छित सांसारिक वस्तुओं का सुख-साधन मिलेंगा।
मित्र व परिचित निश्चित रुप से मिलेंगे ।
प्रेम या मित्रता सुख का भी सुयोग है ।
शारीरिक एवम् भावनात्मक तुष्टि का दिन है।
दाम्पत्य जीवन में सुख-आनन्द होगा ।
मित्रों एवं प्रेम में वृद्धि की संभावना हैं । 
सौभाग्य, सुख व यश आज की विशेषता है|
 
आर्थिक रुप से भी यह एक अच्छा समय है
पुराने दिए ऋणों, आर्थिक लक्ष्य प्राप्ति तथा कार्य में उन्नति भी हो सकती है
नये कार्य,परामर्श एवं यात्रा में सावधानी अपेक्षित है | विशेष
रूप से पुरुषों के लिए |

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

श्राद्ध की गूढ़ बाते ,किसकी श्राद्ध कब करे

श्राद्ध क्यों कैसे करे? पितृ दोष ,राहू ,सर्प दोष शांति ?तर्पण? विधि             श्राद्ध नामा - पंडित विजेंद्र कुमार तिवारी श्राद्ध कब नहीं करें :   १. मृत्यु के प्रथम वर्ष श्राद्ध नहीं करे ।   २. पूर्वान्ह में शुक्ल्पक्ष में रात्री में और अपने जन्मदिन में श्राद्ध नहीं करना चाहिए ।   ३. कुर्म पुराण के अनुसार जो व्यक्ति अग्नि विष आदि के द्वारा आत्महत्या करता है उसके निमित्त श्राद्ध नहीं तर्पण का विधान नहीं है । ४. चतुदर्शी तिथि की श्राद्ध नहीं करना चाहिए , इस तिथि को मृत्यु प्राप्त पितरों का श्राद्ध दूसरे दिन अमावस्या को करने का विधान है । ५. जिनके पितृ युद्ध में शस्त्र से मारे गए हों उनका श्राद्ध चतुर्दशी को करने से वे प्रसन्न होते हैं और परिवारजनों पर आशीर्वाद बनाए रखते हैं ।           श्राद्ध कब , क्या और कैसे करे जानने योग्य बाते           किस तिथि की श्राद्ध नहीं -  १. जिस तिथी को जिसकी मृत्यु हुई है , उस तिथि को ही श्राद्ध किया जाना चाहिए । पिता जीवित हो तो, गया श्राद्ध न करें । २. मां की मृत्यु (सौभाग्यवती स्त्री) किसी भी तिथि को हुईं हो , श्राद्ध केवल

*****मनोकामना पूरक सरल मंत्रात्मक रामचरितमानस की चौपाईयाँ-

*****मनोकामना पूरक सरल मंत्रात्मक रामचरितमानस की चौपाईयाँ-       रामचरितमानस के एक एक शब्द को मंत्रमय आशुतोष भगवान् शिव ने बना दिया |इसलिए किसी भी प्रकार की समस्या के लिए सुन्दरकाण्ड या कार्य उद्देश्य के लिए लिखित चौपाई का सम्पुट लगा कर रामचरितमानस का पाठ करने से मनोकामना पूर्ण होती हैं | -सोमवार,बुधवार,गुरूवार,शुक्रवार शुक्ल पक्ष अथवा शुक्ल पक्ष दशमी से कृष्ण पक्ष पंचमी तक के काल में (चतुर्थी, चतुर्दशी तिथि छोड़कर )प्रारंभ करे -   वाराणसी में भगवान् शंकरजी ने मानस की चौपाइयों को मन्त्र-शक्ति प्रदान की है-इसलिये वाराणसी की ओर मुख करके शंकरजी को स्मरण कर  इनका सम्पुट लगा कर पढ़े या जप १०८ प्रतिदिन करते हैं तो ११वे दिन १०८आहुति दे | अष्टांग हवन सामग्री १॰ चन्दन का बुरादा , २॰ तिल , ३॰ शुद्ध घी , ४॰ चीनी , ५॰ अगर , ६॰ तगर , ७॰ कपूर , ८॰ शुद्ध केसर , ९॰ नागरमोथा , १०॰ पञ्चमेवा , ११॰ जौ और १२॰ चावल। १॰ विपत्ति-नाश - “ राजिव नयन धरें धनु सायक। भगत बिपति भंजन सुखदायक।। ” २॰ संकट-नाश - “ जौं प्रभु दीन दयालु कहावा। आरति हरन बेद जसु गावा।। जपहिं नामु जन आरत भारी। मिटहिं कुसंकट होहि

दुर्गा जी के अभिषेक पदार्थ विपत्तियों के विनाशक एक रहस्य | दुर्गा जी को अपनी समस्या समाधान केलिए क्या अर्पण करना चाहिए?

दुर्गा जी   के अभिषेक पदार्थ विपत्तियों   के विनाशक एक रहस्य | दुर्गा जी को अपनी समस्या समाधान केलिए क्या अर्पण करना चाहिए ? अभिषेक किस पदार्थ से करने पर हम किस मनोकामना को पूर्ण कर सकते हैं एवं आपत्ति विपत्ति से सुरक्षा कवच निर्माण कर सकते हैं | दुर्गा जी को अर्पित सामग्री का विशेष महत्व होता है | दुर्गा जी का अभिषेक या दुर्गा की मूर्ति पर किस पदार्थ को अर्पण करने के क्या लाभ होते हैं | दुर्गा जी शक्ति की देवी हैं शीघ्र पूजा या पूजा सामग्री अर्पण करने के शुभ अशुभ फल प्रदान करती हैं | 1- दुर्गा जी को सुगंधित द्रव्य अर्थात ऐसे पदार्थ ऐसे पुष्प जिनमें सुगंध हो उनको अर्पित करने से पारिवारिक सुख शांति एवं मनोबल में वृद्धि होती है | 2- दूध से दुर्गा जी का अभिषेक करने पर कार्यों में सफलता एवं मन में प्रसन्नता बढ़ती है | 3- दही से दुर्गा जी की पूजा करने पर विघ्नों का नाश होता है | परेशानियों में कमी होती है | संभावित आपत्तियों का अवरोध होता है | संकट से व्यक्ति बाहर निकल पाता है | 4- घी के द्वारा अभिषेक करने पर सर्वसामान्य सुख एवं दांपत्य सुख में वृद्धि होती है | अवि

श्राद्ध:जानने योग्य महत्वपूर्ण बातें |

श्राद्ध क्या है ? “ श्रद्धया यत कृतं तात श्राद्धं | “ अर्थात श्रद्धा से किया जाने वाला कर्म श्राद्ध है | अपने माता पिता एवं पूर्वजो की प्रसन्नता के लिए एवं उनके ऋण से मुक्ति की विधि है | श्राद्ध क्यों करना चाहिए   ? पितृ ऋण से मुक्ति के लिए श्राद्ध किया जाना अति आवश्यक है | श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम ? यदि मानव योनी में समर्थ होते हुए भी हम अपने जन्मदाता के लिए कुछ नहीं करते हैं या जिन पूर्वज के हम अंश ( रक्त , जींस ) है , यदि उनका स्मरण या उनके निमित्त दान आदि नहीं करते हैं , तो उनकी आत्मा   को कष्ट होता है , वे रुष्ट होकर , अपने अंश्जो वंशजों को श्राप देते हैं | जो पीढ़ी दर पीढ़ी संतान में मंद बुद्धि से लेकर सभी प्रकार की प्रगति अवरुद्ध कर देते हैं | ज्योतिष में इस प्रकार के अनेक शाप योग हैं |   कब , क्यों श्राद्ध किया जाना आवश्यक होता है   ? यदि हम   96  अवसर पर   श्राद्ध   नहीं कर सकते हैं तो कम से कम मित्रों के लिए पिता माता की वार्षिक तिथि पर यह अश्वनी मास जिसे क्वांर का माह    भी कहा जाता है   | पितृ पक्ष में अपने मित्रगण के मरण तिथि

श्राद्ध रहस्य प्रश्न शंका समाधान ,श्राद्ध : जानने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य -कब,क्यों श्राद्ध करे?

संतान को विकलांगता, अल्पायु से बचाइए श्राद्ध - पितरों से वरदान लीजिये पंडित विजेंद्र कुमार तिवारी jyotish9999@gmail.com , 9424446706   श्राद्ध : जानने  योग्य   महत्वपूर्ण तथ्य -कब,क्यों श्राद्ध करे?  श्राद्ध से जुड़े हर सवाल का जवाब | पितृ दोष शांति? राहू, सर्प दोष शांति? श्रद्धा से श्राद्ध करिए  श्राद्ध कब करे? किसको भोजन हेतु बुलाएँ? पितृ दोष, राहू, सर्प दोष शांति? तर्पण? श्राद्ध क्या है? श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम क्या संभावित है? श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम क्या संभावित है? श्राद्ध की प्रक्रिया जटिल एवं सबके सामर्थ्य की नहीं है, कोई उपाय ? श्राद्ध कब से प्रारंभ होता है ? प्रथम श्राद्ध किसका होता है ? श्राद्ध, कृष्ण पक्ष में ही क्यों किया जाता है श्राद्ध किन२ शहरों में  किया जा सकता है ? क्या गया श्राद्ध सर्वोपरि है ? तिथि अमावस्या क्या है ?श्राद्द कार्य ,में इसका महत्व क्यों? कितने प्रकार के   श्राद्ध होते   हैं वर्ष में   कितने अवसर श्राद्ध के होते हैं? कब  श्राद्ध किया जाना अति आवश्यक होता है | पितृ श्राद्ध किस देव से स

गणेश विसृजन मुहूर्त आवश्यक मन्त्र एवं विधि

28 सितंबर गणेश विसर्जन मुहूर्त आवश्यक मन्त्र एवं विधि किसी भी कार्य को पूर्णता प्रदान करने के लिए जिस प्रकार उसका प्रारंभ किया जाता है समापन भी किया जाना उद्देश्य होता है। गणेश जी की स्थापना पार्थिव पार्थिव (मिटटीएवं जल   तत्व निर्मित)     स्वरूप में करने के पश्चात दिनांक 23 को उस पार्थिव स्वरूप का विसर्जन किया जाना ज्योतिष के आधार पर सुयोग है। किसी कार्य करने के पश्चात उसके परिणाम शुभ , सुखद , हर्षद एवं सफलता प्रदायक हो यह एक सामान्य उद्देश्य होता है।किसी भी प्रकार की बाधा व्यवधान या अनिश्ट ना हो। ज्योतिष के आधार पर लग्न को श्रेष्ठता प्रदान की गई है | होरा मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ माना गया है।     गणेश जी का संबंध बुधवार दिन अथवा बुद्धि से ज्ञान से जुड़ा हुआ है। विद्यार्थियों प्रतियोगियों एवं बुद्धि एवं ज्ञान में रूचि है , ऐसे लोगों के लिए बुध की होरा श्रेष्ठ होगी तथा उच्च पद , गरिमा , गुरुता , बड़प्पन , ज्ञान , निर्णय दक्षता में वृद्धि के लिए गुरु की हो रहा श्रेष्ठ होगी | इसके साथ ही जल में विसर्जन कार्य होता है अतः चंद्र की होरा सामान्य रूप से सभी मंगल कार्यों क

गणेश भगवान - पूजा मंत्र, आरती एवं विधि

सिद्धिविनायक विघ्नेश्वर गणेश भगवान की आरती। आरती  जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।  माता जा की पार्वती ,पिता महादेवा । एकदंत दयावंत चार भुजा धारी।   मस्तक सिंदूर सोहे मूसे की सवारी | जय गणेश जय गणेश देवा।  अंधन को आँख  देत, कोढ़िन को काया । बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया । जय गणेश जय गणेश देवा।   हार चढ़े फूल चढ़े ओर चढ़े मेवा । लड्डूअन का  भोग लगे संत करें सेवा।   जय गणेश जय गणेश देवा।   दीनन की लाज रखो ,शम्भू पत्र वारो।   मनोरथ को पूरा करो।  जाए बलिहारी।   जय गणेश जय गणेश देवा। आहुति मंत्र -  ॐ अंगारकाय नमः श्री 108 आहूतियां देना विशेष शुभ होता है इसमें शुद्ध घी ही दुर्वा एवं काले तिल का विशेष महत्व है। अग्नि पुराण के अनुसार गायत्री-      मंत्र ओम महोत काय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो दंती प्रचोदयात्। गणेश पूजन की सामग्री एक चौकिया पाटे  का प्रयोग करें । लाल वस्त्र या नारंगी वस्त्र उसपर बिछाएं। चावलों से 8पत्ती वाला कमल पुष्प स्वरूप बनाएं। गणेश पूजा में नारंगी एवं लाल रंग के वस्त्र वस्तुओं का विशेष महत्व है। लाल पुष्प अक्षत रोली कलावा या मौली दूध द

श्राद्ध रहस्य - श्राद्ध क्यों करे ? कब श्राद्ध नहीं करे ? पिंड रहित श्राद्ध ?

श्राद्ध रहस्य - क्यों करे , न करे ? पिंड रहित , महालय ? किसी भी कर्म का पूर्ण फल विधि सहित करने पर ही मिलता है | * श्राद्ध में गाय का ही दूध प्रयोग करे |( विष्णु पुराण ) | श्राद्ध भोजन में तिल अवश्य प्रयोग करे | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि - श्राद्ध अपरिहार्य - अश्वनी माह के कृष्ण पक्ष तक पितर अत्यंत अपेक्षा से कष्ट की   स्थिति में जल , तिल की अपनी संतान से , प्रतिदिन आशा रखते है | अन्यथा दुखी होकर श्राप देकर चले जाते हैं | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि इसको नहीं करने से पीढ़ी दर पीढ़ी संतान मंद बुद्धि , दिव्यांगता .मानसिक रोग होते है | हेमाद्रि ग्रन्थ - आषाढ़ माह पूर्णिमा से /कन्या के सूर्य के समय एक दिन भी श्राद्ध कोई करता है तो , पितर एक वर्ष तक संतुष्ट/तृप्त रहते हैं | ( भद्र कृष्ण दूज को भरणी नक्षत्र , तृतीया को कृत्तिका नक्षत्र   या षष्ठी को रोहणी नक्षत्र या व्यतिपात मंगलवार को हो ये पिता को प्रिय योग है इस दिन व्रत , सूर्य पूजा , गौ दान गौ -दान श्रेष्ठ | - श्राद्ध का गया तुल्य फल- पितृपक्ष में मघा सूर्य की अष्टमी य त्रयोदशी को मघा नक्षत्र पर चंद्र हो | - क

विवाह बाधा और परीक्षा में सफलता के लिए दुर्गा पूजा

विवाह में विलंब विवाह के लिए कात्यायनी पूजन । 10 oct - 18 oct विवाह में विलंब - षष्ठी - कात्यायनी पूजन । वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए - दुर्गतिहारणी मां कात्यायनी की शरण लीजिये | प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना के समय , संकल्प में अपना नाम गोत्र स्थान बोलने के पश्चात् अपने विवाह की याचना , प्रार्थना कीजिये | वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए प्रति दिन प्रातः सूर्योदय से प्रथम घंटे में या दोपहर ११ . ४० से १२ . ४० बजे के मध्य , कात्ययानी देवी का मन्त्र जाप करिये | १०८बार | उत्तर दिशा में मुँह हो , लाल वस्त्र हो जाप के समय | दीपक मौली या कलावे की वर्तिका हो | वर्तिका उत्तर दिशा की और हो | गाय का शुद्ध घी श्रेष्ठ अथवा तिल ( बाधा नाशक + महुआ ( सौभाग्य ) तैल मिला कर प्रयोग करे मां भागवती की कृपा से पूर्वजन्म जनितआपके दुर्योग एवं   व्यवधान समाप्त हो एवं   आपकी मनोकामना पूरी हो ऐसी शुभ कामना सहित || षष्ठी के दिन विशेष रूप से कात्यायनी के मन्त्र का २८ आहुति / १०८ आहुति हवन करिये | चंद्रहासोज्

कलश पर नारियल रखने की शास्त्रोक्त विधि क्या है जानिए

हमे श्रद्धा विश्वास समर्पित प्रयास करने के बाद भी वांछित परिणाम नहीं मिलते हैं , क्योकि हिन्दू धर्म श्रेष्ठ कोटी का विज्ञान सम्मत है ।इसकी प्रक्रिया , विधि या तकनीक का पालन अनुसरण परमावश्यक है । नारियल का अधिकाधिक प्रयोग पुजा अर्चना मे होता है।नारियल रखने की विधि सुविधा की दृष्टि से प्रचलित होगई॥ मेरे ज्ञान  मे कलश मे उल्टा सीधा नारियल फसाकर रखने की विधि का प्रमाण अब तक नहीं आया | यदि कोई सुविज्ञ जानकारी रखते हो तो स्वागत है । नारियल को मोटा भाग पूजा करने वाले की ओर होना चाहिए। कलश पर नारियल रखने की प्रमाणिक विधि क्या है ? अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए , उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै प्राची मुखं वित्त्नाश्नाय , तस्माच्छुभम सम्मुख नारिकेलम अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए कलश पर - नारियल का बड़ा हिस्सा नीचे मुख कर रखा जाए ( पतला हिस्सा पूछ वाला कलश के उपरी भाग पर रखा जाए ) तो उसे शत्रुओं की वृद्धि होती है * ( कार्य सफलता में बाधाएं आती है संघर्ष , अपयश , चिंता , हानि , सहज हैशत्रु या विरोधी तन , मन धन सर्व दृष्टि से घातक होते है ) उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै कलश पर -