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महामारी कोरोना शमन का रहस्य विधान ऋग्वेद एवं ब्रहंबैवर्त पुराण मे |हवन श्रेष्ठ उपाय



ज्योतिष शिरोमणि - पण्डित वी के तिवारी (9424446706, jyotish9999@gmail.com)Since 1972
ज्योतिष उपाधि : वाचस्पति, भूषण, महर्षि, शिरोमणि, मनीषी, रत्नाकर, मार्तण्ड, महर्षि वेदव्यास

विशेषज्ञता :(1976 से अब तक) वास्तु, जन्म कुण्डली, मुहूर्त, रत्न परामर्श, हस्तरेखा, पंचांग संपादक |  


कोरोना वायरस से समस्त विश्व निस्सहाय, असहाय, पंगु ,

किंकर्तव्यविमूढ़ एवं त्रस्त है। 

जिसकी व्याख्या शब्दों में की जाना संभव नहीं है।

शनि राहू के 22 सितंबर से रोग के प्रभाव
अत्यल्प कर देगा परंतु मृगशिरा पर जब तक रहेगा कफ रोग,कंठ रोग देता रहेगा |
अक्तूबर 2021 तक जन हानी  के योग बने रहेंगे |

इसलिए वेदिक सनातन धर्म के उपायों का प्रस्ताव औचित नहीं |
*
ऋग्वेद में मंत्र विधान हवन उपलब्ध।

    * ब्रह्मवैवर्त पुराण* में किसी भी प्रकार की महामारी को

 समाप्त करने का विधान दिया गया है।

        पुराण के अनुसार राजाओं के द्वारा किया जाना चाहिए ।

वर्तमान में जो राष्ट्र, देश, प्रदेश 

या नगर के प्रमुख हैं उनके द्वारा जो राजा तुल्य हैं,|

इस विधान कोकसर प्रत्यक्ष प्रमाण अनुभव कर सकते हैं।

      *महामारी शमन का विधान*
हवन सामग्री में प्रमुख*-
 
काले तिल , शकर, अमृता, आदि वायरस नाशक

औषधियों(कायफल,भुई avla ,जायफल,कपूर,गूगल )-स्वांस, कफ नाशक) 

का एक लाख हवन | 9 दिनों तक । प्रतिदिन 31 आहुति

स्वयं ही कोरोना हवन के धुए से कोरोना को नष्ट कर देगा |

   * त्रिदोष नाशक धूप अर्थात वात पित्त कफ नाशक इसकी धूनी से

 ग्रह एवं पिशाच भी दूर होते हैं 

ऐसा रावण संहिता में उल्लेख है।*

  दोष नाशक चंदन रोग नाशक तथा कफ के नाश के लिए उत्तम।

    संक्षेप में-

     1- अनुष्ठान नगर ग्राम या प्रदेश देश के मध्य भाग में होना चाहिए ।

    2-कोई  भी अपने घरों में अनुष्ठान कर सकते हैं ।

    3-नरसिंह पुराण के अनुसार नरसिंह मंत्र के जप अनुष्ठान।

1 लाख जप 10000 आहुति।
   4-
महामृत्युंजय जप 1लाख ,दशांश हवन।
5-10000
दुर्गा पाठ ।
6-
अतिरुद्र या महारुद्र का  विधान विधि से है|

7-भैरव भैरवी के उपासना।

   8-श्री राम नाम कीर्तन आदि उपाय बताए गए हैं ।

अनुष्ठान से महामारी या महा उग्र ज्वर आदि के उपद्रव शांत होते हैं ।

   9-*मंत्र महोदधि में सर्व रोग नाशक* चित्रगुप्त व्रत का

विधान भी बताया गया है जिसके 1लाख जप करने पर रोग दोष शांत होते हैं ।

विशेष-हवन के उपयोगी पदार्थ एवं चौराहे पर काले

    भुई आंवला(श्रेष्ठ),गूगल,जटामांसीगूगल ,गिलोय,

काले तिल,गाय घी,हरिद्रा तिल,अमृता,गिलोय,

एवं अन्य विषाणु नाशक औषधि पदार्थ छोड़े जाएं

या इनका पानी छिड़काव हो।

         उक्त जप ,हवन युवा प्रौढ़ श्रेष्ठ आचार वान ब्राह्मण कर्म कर्ता द्वारा   (अतिवृद्धन हो)द्वारा किया जावे ।

सद्गृहस्थ भी कर सकते हैं।

     जिससे हर प्रदेश में या नगर में कर प्रमाण देखे जा सकते हैं।



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