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राहू मिथुन-शनि मकर
गुरु-धनु,मकर
बुध वक्री
लेख की आवश्यकता,विषयवस्तु एवं उपयोगिता*
आज जनमानस का प्रथम
प्रश्न"कोरोना आतंक ओर कब तक"-
उत्तर-इस वर्ष ही गुरु का राशि एवं राहु का नक्षत्र परिवर्तन .।
*महामारी कारण ग्रह ज्योतिष कारण*-
1- गुरु जीव कारक ग्रह की राशि धनु पर ,दंड दाता शनि, मोक्ष प्रदाता केतु
उत्तर-इस वर्ष ही गुरु का राशि एवं राहु का नक्षत्र परिवर्तन .।
*महामारी कारण ग्रह ज्योतिष कारण*-
1- गुरु जीव कारक ग्रह की राशि धनु पर ,दंड दाता शनि, मोक्ष प्रदाता केतु
एवम संहारक, विच्छेदक सामर्थ्य वान ,सक्षम ,कृमि जीवाणु,विषाणु रोगद *राहु*
,विराजित थे। सूर्य भी 15 अप्रेल तक जीव कारक गुरू की धनु,मीन राशियों
पर पसरते रहे।
*सूर्य प्रति वर्ष 17 दिसंबर से 15 जनवरी एवं 13 मार्च से 14 अप्रेल जीवन दाता गुरु
*सूर्य प्रति वर्ष 17 दिसंबर से 15 जनवरी एवं 13 मार्च से 14 अप्रेल जीवन दाता गुरु
की धनु एवं मीन राशि पर आते हैं सभी महत्वपूर्ण
कार्य जीवन के वर्जित
हो जाते हैं। वर्ष 2019 में राहु घात लगाए बैठा था महामारी के लिए, शनि
भी जीव राशि मे था ही।
नवम्बर में बुध का वक्री होना,एवं प्रबल शत्रु शुक्र का धनु में प्रवेश जीव
नवम्बर में बुध का वक्री होना,एवं प्रबल शत्रु शुक्र का धनु में प्रवेश जीव
कारक गुरु राशि धनु
पूर्णतः शक्तिहीन हो गई।
महामारी ने मुह खोल दिया, फिर शनि 2020 के प्रारम्भ ने ही अपने
महामारी ने मुह खोल दिया, फिर शनि 2020 के प्रारम्भ ने ही अपने
घर मकर राशि से सूर्य के
सहयोग से संचालन करने लगा।
*समस्या कैसे बढ़ी?*
जब गुरु ही 15 दिसंबर को जनवरी को अस्त होगया।
29 मार्च को शनि के घर मकर में प्रविष्ट होकर30 जून तक उलझ कर रह गया।
*राहु का मिथुन राशि, शनि मकर, केतु कुम्भ एवं गुरु धनु ,मकर पर होंना
*समस्या कैसे बढ़ी?*
जब गुरु ही 15 दिसंबर को जनवरी को अस्त होगया।
29 मार्च को शनि के घर मकर में प्रविष्ट होकर30 जून तक उलझ कर रह गया।
*राहु का मिथुन राशि, शनि मकर, केतु कुम्भ एवं गुरु धनु ,मकर पर होंना
एवं बुध,गुरु का वक्री अस्त होना।*
*कोरोना संकट कब तक?*
*21 जून का सूर्य ग्रहण*
चीन,जापान,रूस, एशिया के अधिकांश भाग,के लिए अशुभ संकेतक है।
*कोरोना संकट कब तक?*
*21 जून का सूर्य ग्रहण*
चीन,जापान,रूस, एशिया के अधिकांश भाग,के लिए अशुभ संकेतक है।
भारत के लिए गौरवपूर्ण
रहेगा।
**अशुभ*-व्यक्ति, संस्था, कम्पनी,क्षेत्र, देश प्रदेश जिनके प्रचलित नाम
**अशुभ*-व्यक्ति, संस्था, कम्पनी,क्षेत्र, देश प्रदेश जिनके प्रचलित नाम
का प्रथम अक्षर "क, घ, छ, ह,द,डा, च,न,य,होगा।
*30 जून से गुरु प्रबल प्रतिरोधक बनेगा।अनुसंधान की बुद्धि सफलता देगा।
-23 सितम्बर से राहु की क्षमता बहुत कम हो जाएगी।
*30 जून से गुरु प्रबल प्रतिरोधक बनेगा।अनुसंधान की बुद्धि सफलता देगा।
-23 सितम्बर से राहु की क्षमता बहुत कम हो जाएगी।
*कोरोना असहाय हो
जाएगा।*कोरोना मुक्ति*माह।
आगे संकट ओर भी दूसरे –
*विश्व
के लिए संकट का समय आनेवाला?*
*गुरु को शनि प्रभाव से मुक्ति 5 अप्रेल 2021 में ही मिलेगी ।
मकर में शनि 29 अप्रेल 2022 तक अनहोनी अप्रत्याशित होंगी।
*गुरु को शनि प्रभाव से मुक्ति 5 अप्रेल 2021 में ही मिलेगी ।
मकर में शनि 29 अप्रेल 2022 तक अनहोनी अप्रत्याशित होंगी।
, प्रमुख
व्यक्ति, राष्ट्र, प्रदेश संकटो से सुरक्षित नही।
*विश्व के लिए संकट का समय आनेवाला?*
दिसंबर2020 से प्रारम्भ होगा ,बीजा रोपण की प्रबलता अप्रेल अंत तक।
*विश्व के लिए संकट का समय आनेवाला?*
दिसंबर2020 से प्रारम्भ होगा ,बीजा रोपण की प्रबलता अप्रेल अंत तक।
2021 वर्ष विश्वव्यापी संकट का होगा।
"*शोध उपरांत जन धन हानि के ग्रह नियम*"
प्रस्तुत लेख विभिन्न हजारों वर्षों में युद्ध एवं महामारी से लाखों-करोड़ों
"*शोध उपरांत जन धन हानि के ग्रह नियम*"
प्रस्तुत लेख विभिन्न हजारों वर्षों में युद्ध एवं महामारी से लाखों-करोड़ों
लोगों के प्राण संकट की
घटनाओं के अनुशीलन एवं विश्लेषण के पश्चात
अति संक्षिप्त स्वरूप में शोधार्थियों एवं
ज्योतिष के ज्ञान में रुचि रखने
वालों तथा जन सामान्य के
हैं रुचि एवं जिज्ञासा के अनुरूप तैयार किया गया है ।
*संन 165 से अब तक महामारी एवं युद्ध*
यदि घटनाओं पर विवरण उदाहरण सहित प्रस्तुत करें तो एक मोटी पुस्तक
*संन 165 से अब तक महामारी एवं युद्ध*
यदि घटनाओं पर विवरण उदाहरण सहित प्रस्तुत करें तो एक मोटी पुस्तक
तैयार हो जावेगी ।
*घटनाओं के समय ग्रहों की स्थितियों से निष्कर्ष के रूप में क्या
*घटनाओं के समय ग्रहों की स्थितियों से निष्कर्ष के रूप में क्या
स्थिति बनती है?*
कौन-कौन से ग्रह महामारी या युद्ध के रूप में लाखों-करोड़ों लोगों के प्राण
कौन-कौन से ग्रह महामारी या युद्ध के रूप में लाखों-करोड़ों लोगों के प्राण
हरण करते हैं?
* क्यो कोई एक ग्रह समर्थ सार्थक? नही?*
कोई भी एक ग्रह विशेष रूप से शनि या गुरु चाहे तो प्राण हरण शक्ति
* क्यो कोई एक ग्रह समर्थ सार्थक? नही?*
कोई भी एक ग्रह विशेष रूप से शनि या गुरु चाहे तो प्राण हरण शक्ति
या लाखों-करोड़ों लोगों
की मृत्यु का कारण नहीं हो सकते हैं ।
कम से कम 9 में से चार ग्रह जिसमें गुरु, शनि,राहु और बुध केतु की
कम से कम 9 में से चार ग्रह जिसमें गुरु, शनि,राहु और बुध केतु की
स्थिति भी अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखते है।
*ग्रह कब अपना सर्वाधिक कुप्रभाव प्रदान कर सकते?*
*ग्रह कब अपना सर्वाधिक कुप्रभाव प्रदान कर सकते?*
किसी भी घटनाके लिए आवश्यक है की घटना की परिणति
के लिए ग्रह किस स्थिति
में है किन राशियों पर ग्रह
सर्वाधिक सक्रिय होकर
अशुभ परिणाम दे सकते हैं
*सर्व प्रमुख ग्रह राहु -केतु-*
केतु ग्रह मोक्ष कारक है ।मोक्ष मृत्यु के पूर्व संभव नहीं है।
*सर्व प्रमुख ग्रह राहु -केतु-*
केतु ग्रह मोक्ष कारक है ।मोक्ष मृत्यु के पूर्व संभव नहीं है।
इस प्रकार राहु विच्छेदक
ग्रह है। शरीर से प्राणों का विच्छेद या
संबंध समाप्त होना मृत्यु
के लिए अनिवार्य है ।
चाहे युद्ध हो या महामारी जब तक राहु सक्रिय नहीं होगा विश्व में
चाहे युद्ध हो या महामारी जब तक राहु सक्रिय नहीं होगा विश्व में
प्राण संकट या मृत्यु
संकट की स्थिति उत्पन्न हो ही नहीं सकती है।
राहु एक विच्छेदक ग्रह है |शरीर से प्राणों का विच्छेद करना
राहु एक विच्छेदक ग्रह है |शरीर से प्राणों का विच्छेद करना
या संक्रामक रोग या कमी
से संबंधित रोग के लिए प्रमुख है।
इसलिए बिना राहु के सहयोग के गुरु, शनि दोनों बड़े ग्रह मिलकर भी
इसलिए बिना राहु के सहयोग के गुरु, शनि दोनों बड़े ग्रह मिलकर भी
युद्ध की स्थिति यह
संपूर्ण विश्व को संकट में डालने की क्षमता नहीं रखते हैं।
*गुरु का महत्व क्यों? जीवन गुरु के हाथों में*
प्रमुख रुप से शरीर गतिवान है क्योकि प्राण हैं। स्थूल शरीर में
*गुरु का महत्व क्यों? जीवन गुरु के हाथों में*
प्रमुख रुप से शरीर गतिवान है क्योकि प्राण हैं। स्थूल शरीर में
प्राण होना "जीव" है।इसका कारक गुरु
है अर्थात गुरु जीव का नियंत्रक है।
जीव हत्या या प्राण संकट डालने के लिए हमें जीव शब्द पर
जीव हत्या या प्राण संकट डालने के लिए हमें जीव शब्द पर
ध्यान देना पड़ेगा अर्थात
जो चलायमान
है गतिमान हैं एवं प्राण शक्ति मय शरीर है ।
इन का कारक नौ ग्रहों में केवल गुरु ग्रह है अर्थात गुरु की विशेष स्थिति
इन का कारक नौ ग्रहों में केवल गुरु ग्रह है अर्थात गुरु की विशेष स्थिति
बनने पर ही प्राणों के
संकट का प्रश्न उत्पन्न हो सकता है ,।
सामान्य नियम है कि गुरु जीव में ज्ञान, बुद्धि,कल्याण से संबंधित ग्रह है ।
सामान्य नियम है कि गुरु जीव में ज्ञान, बुद्धि,कल्याण से संबंधित ग्रह है ।
यह सब तथ्य किसी प्राणी
अथवा जन्म प्राण हो उनमें ही उत्पन्न हो
सकते हैं या विद्यमान हो सकते हैं।
गुरु की राशि या घर धनु एवं मीन है।
धनु राशि या मीन राशि पर जब कोई *क्रूर या पाप ग्रह* प्रवेश करता है ।
उस समय यह घटना की स्थिति सहज निर्मित होती है ।
गुरु की राशि या घर धनु एवं मीन है।
धनु राशि या मीन राशि पर जब कोई *क्रूर या पाप ग्रह* प्रवेश करता है ।
उस समय यह घटना की स्थिति सहज निर्मित होती है ।
जैसे *सूर्य ,शनि, राहु ,मंगल ,केतु ग्रह* यदि धनु अथवा मीन राशि में
होते हैं उस स्थिति में ही प्राणों के संकट का
प्रश्न या जीव पर
संकट उत्पन्न हो सकता है।
द्वितीय प्रश्न है कि प्राण संकट किस ग्रह के कारण? –
द्वितीय प्रश्न है कि प्राण संकट किस ग्रह के कारण? –
मंगल रक्तपात अर्थात युद्ध का निर्णय| राष्ट्रो मे यूद्ध्क स्थिति
कुम्भ का मंगल बनाएगा |
- राहु विच्छेद,संक्रमण एवं कृमि (जीवाणु, विषाणु)रोग कारक –
कुम्भ का मंगल बनाएगा |
- राहु विच्छेद,संक्रमण एवं कृमि (जीवाणु, विषाणु)रोग कारक –
शनि ग्रह दंड (अनुचित जीवन शैली एवम कार्य का दंड)
निर्धारक
-केतु मोक्ष, मुक्ति कारक।
*ग्रह किस राशि पर प्रबल घटना महामारी या युद्ध कारक?*
किस राशि पर कौन सा ग्रह किस प्रकार घातक होगा?
यह स्पष्ट है कि *जो ग्रह घटना के कारक हैं
-केतु मोक्ष, मुक्ति कारक।
*ग्रह किस राशि पर प्रबल घटना महामारी या युद्ध कारक?*
किस राशि पर कौन सा ग्रह किस प्रकार घातक होगा?
यह स्पष्ट है कि *जो ग्रह घटना के कारक हैं
उनके अधीन की राशियां ही प्रमुख रूप से उत्तरदायी है।
यह सीधा सा सरल समस्या का उत्तर है।*
1-शनि-दंड या कष्ट के निर्णय का अधिकारी ग्रह है
1-शनि-दंड या कष्ट के निर्णय का अधिकारी ग्रह है
इस प्रकार शनि की राशि
*मकर* एवं कुंभ ।
2-राहु विच्छेदक *मिथुन राशि* में उच्च का एवं
2-राहु विच्छेदक *मिथुन राशि* में उच्च का एवं
सर्वाधिक प्रभावशाली होता
है। अर्थात किसी भी महामारी
या बड़े युद्ध जिसमें
लाखों करोड़ों के प्राण संकट में डालने में समर्थ।
-जीव कारक गुरु राशि*धनु*मीन ,
-दंड निर्धराज शनि राशि*मकर*कुम्भ.
-रक्त कारक मंगल की मेष राशि।
3-गुरु जीव के प्राण का संधारक।
शनि के साथ या 12वी राशि।
-राशि परीवर्तन शनि के साथ।
-,बुध की राशि पर।
* संक्षेप में प्रथम-मिथुन,मकर, धनु राशि सर्वाधिक मृत्यु कारी।*
द्वितीतक- कुम्भ, मीन, कन्या राशि।*
*प्रमुख ग्रह अपना कुप्रभाव दिखाने में समर्थ सक्षम स्थिति~?*
--गुरु शनि राहु तीन प्रमुख ग्रह एवं विशिष्ट सहयोगी बुध हैं ।
-जीव कारक गुरु राशि*धनु*मीन ,
-दंड निर्धराज शनि राशि*मकर*कुम्भ.
-रक्त कारक मंगल की मेष राशि।
3-गुरु जीव के प्राण का संधारक।
शनि के साथ या 12वी राशि।
-राशि परीवर्तन शनि के साथ।
-,बुध की राशि पर।
* संक्षेप में प्रथम-मिथुन,मकर, धनु राशि सर्वाधिक मृत्यु कारी।*
द्वितीतक- कुम्भ, मीन, कन्या राशि।*
*प्रमुख ग्रह अपना कुप्रभाव दिखाने में समर्थ सक्षम स्थिति~?*
--गुरु शनि राहु तीन प्रमुख ग्रह एवं विशिष्ट सहयोगी बुध हैं ।
ये निम्न स्थितयों में
घातक होंगे-
1- ग्रह राशि परिवर्तन करने
2- साथ में होने पर .
3-अपनी राशि में या उच्च राशि।
4-अस्त ,वक्री ।
*बुध ग्रह* इस प्रकार का ग्रह है ।जिस पॉप या क्रूर ग्रह के साथ हो।
अथवा उसकी राशि पर ,मिथुन कन्या राशि पर * राहु विशेष रूप से*
1- ग्रह राशि परिवर्तन करने
2- साथ में होने पर .
3-अपनी राशि में या उच्च राशि।
4-अस्त ,वक्री ।
*बुध ग्रह* इस प्रकार का ग्रह है ।जिस पॉप या क्रूर ग्रह के साथ हो।
अथवा उसकी राशि पर ,मिथुन कन्या राशि पर * राहु विशेष रूप से*
तथा गुरु शनि या केतु होने पर उनके अनिष्ट
प्रभाव को कई गुना
बढ़ाने की शक्ति रखता है यदि या वक्री हो या अस्त हो तो
यह शक्ति और भी प्रबल हो जाती है।
*प्रमुख रूप से गुरु की धनु राशि, शनि की मकर राशि,
*प्रमुख रूप से गुरु की धनु राशि, शनि की मकर राशि,
राहु की मिथुन या धनु
राशि पर उपस्थिति एवं बुध ग्रह का वक्री या अस्त हो ना ।*
*नियमों को संक्षिप्त में निम्न रूप से परिभाषित कर सकते हैं *
प्रथम- बुद्ध शनि गुरु का अस्त या वक्री होना ।
द्वितीय -गुरु की राशि पर शनि राहु का होना।
तृतीय -बुध की राशि पर राहु गुरु का होना।
ग्रह*शनि 30 वर्ष* में मकर कुंभ राशि पर उपस्थित हो सकता है।
*राहु 18 वर्ष में* किसी भी राशि विशेष तौर पर मिथुन धनु ,
*नियमों को संक्षिप्त में निम्न रूप से परिभाषित कर सकते हैं *
प्रथम- बुद्ध शनि गुरु का अस्त या वक्री होना ।
द्वितीय -गुरु की राशि पर शनि राहु का होना।
तृतीय -बुध की राशि पर राहु गुरु का होना।
ग्रह*शनि 30 वर्ष* में मकर कुंभ राशि पर उपस्थित हो सकता है।
*राहु 18 वर्ष में* किसी भी राशि विशेष तौर पर मिथुन धनु ,
मेष उपस्थित हो सकता है।
*गुरु 12 वर्ष में* धनु या मकर ,वृष, मिथुन,कन्या, तुला राशि
*गुरु 12 वर्ष में* धनु या मकर ,वृष, मिथुन,कन्या, तुला राशि
पर उपस्थित हो सकता है।
इन तीनों में से कम से कम दो ग्रह शनि, राहु ,केतु या गुरु
इन तीनों में से कम से कम दो ग्रह शनि, राहु ,केतु या गुरु
राहु केतु की उपस्थिति
उक्त स्थिति में आवश्यक है।
भीषण युद्ध,महामारी-प्लेग, कालरा,कोरोना विभीषिका के
भीषण युद्ध,महामारी-प्लेग, कालरा,कोरोना विभीषिका के
साक्ष्य घटनाप्रद ग्रह ,अधिकांश उक्त नियमो के अंतर्गत ही हैं।
2000 वर्ष के उपलब्ध युद्ध या महामारी के आंकड़ों
जिनमे लाखो या करोड़ की संख्या से अधिक प्राणः नही रहे,
2000 वर्ष के उपलब्ध युद्ध या महामारी के आंकड़ों
जिनमे लाखो या करोड़ की संख्या से अधिक प्राणः नही रहे,
उनमे से कुछ का वर्णन
प्रमाण स्वरूप निम्नानुसार है-
संन 165 प्रारंभ प्ले से लगभग 50 लोग लाख लोग की मृत्यु हुई
संन 165 प्रारंभ प्ले से लगभग 50 लोग लाख लोग की मृत्यु हुई
उस समय राहु धनु राशि पर
केतु मिथुन राशि पर एवं
शनि वक्री होकर उच्च कथा
एवं गुरु अस्त था |
1-सन 540 मे 5 करोड़ करोड़ लोग प्लेग से काल के गाल में समा गए
उस समय राहु धनु राशि ,केतु मिथुन ,शनि उच्च का |
2--वर्ष 66 में राहु मिथुन, केतु धनु ,शनि कन्या में वक्री ,कन्या में गुरु अस्त|
इसमें भी लाखों लोगों को
जानमाल से हाथ धोना पड़ा ।
3- 755 में चीन वियतनाम के युद्ध के समय भी राहु मिथुन एवं केतु धनु राशि
3- 755 में चीन वियतनाम के युद्ध के समय भी राहु मिथुन एवं केतु धनु राशि
तथा शनि मकर तथा शत्रु
राशि वृषभ पर गुरु स्थित था
इसमें 3:30 करोड़ से अधिक लोग मृत्यु को प्राप्त हुए ।
4-1815 में जब नेपोलियन का युद्ध समाप्त हुआ उस समय भी
4-1815 में जब नेपोलियन का युद्ध समाप्त हुआ उस समय भी
राहु मिथुन एवं केतु धनु
राशि, शनि
मकर, गुरु
वक्री कन्या राशि पर था ।
4-1815,एवं18 53 में मिथुन और केतु के राहु केतु थे एवं धनु राशि पर गुरु था ।
5-1899 में राहु धनु राशि ,केतु मिथुन राशि, शनि धनु राशि,
4-1815,एवं18 53 में मिथुन और केतु के राहु केतु थे एवं धनु राशि पर गुरु था ।
5-1899 में राहु धनु राशि ,केतु मिथुन राशि, शनि धनु राशि,
गुरु शत्रु
राशि शुक्र की तुला राशि पर वक्री था उस समय
फिलिपिंस दक्षिण अफ्रीका
कोलंबिया युद्ध से जूझ रहे थे| .
6-प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति के समय वर्ष 1918 में
6-प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति के समय वर्ष 1918 में
राहु धनु राशि केतु मिथुन
राशि वक्री शनि कर्क राशि
एवं गुरु शत्रु ग्रह
शुक्र की वृषभ राशि पर उपस्थित थे।
इसी वर्ष स्पेन फ्लू के द्वारा 5 करोड़ लोगों की जानें चली गई थी ।
7- वर्ष 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध के समय भी शनि राहु मिथुन राशि
इसी वर्ष स्पेन फ्लू के द्वारा 5 करोड़ लोगों की जानें चली गई थी ।
7- वर्ष 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध के समय भी शनि राहु मिथुन राशि
गुरु वक्री सिंह राशि एवं गुलिक वीर सिंह राशि
का उपलब्ध था| बड़े युद्ध का बीज रोपित राहू हटते 2 करा देगा |
केतु धनु राशि पर था इसने
लगभग 8:30 करोड़ लोगों के प्राण छीन लिए थे।
8-2010 में स्वाइन फ्लू 5लाख से अधिक लोग नहीं रहे
8-2010 में स्वाइन फ्लू 5लाख से अधिक लोग नहीं रहे
जिसमें राहु मिथुन तथा
केतु धनु राशि, गुरु
कुंभ राशि एवं
शनि कन्या राशि पर
उपस्थित था
*भारत के संदर्भ में ,चलते चलते*
उक्त वर्णन एवं नियम शेष विश्व के लिए है। जो कि भोग भूमि,
*भारत के संदर्भ में ,चलते चलते*
उक्त वर्णन एवं नियम शेष विश्व के लिए है। जो कि भोग भूमि,
से संबंधित हैं भारतवर्ष कर्म अध्यात्म की भूमि है.देव भूमि है।
मांसाहार, सर्प, कीडे आहार कर्ता की भूमि नही,भोग भूमि नहीं ।इसलिए यहां बुद्घ,चंद्र ,
सूर्य ग्रह उनकी राशियों
पर राहु ,केतु एवं बुध गुरु का
वक्री होना
उथल पुथल उत्पन्न करेगा।
राहु गंदा ग्रह है,इसलिए शारीरिक एवं मानसिक गंदे रहने
राहु गंदा ग्रह है,इसलिए शारीरिक एवं मानसिक गंदे रहने
वालों, हिंसक ,गंदे कार्यरत, कुकर्म अनैतिक कर्म कर्ता को राहु
अधिक पीड़ित करता है।
भारत मे राहु का मिथुन राशि पर होना उतना अर्थ नहीं रखता है।
भारत मे राहु का मिथुन राशि पर होना उतना अर्थ नहीं रखता है।
,भारत की कुंडली के
परिपेक्ष में एवं भारतवर्ष भारत के लिए
राहु का कर्क राशि पर
होना अनिष्टद एवं महत्वपूर्ण है ।
शनि मई मे अमावस्या एवं शनि जयंती के आसपास 21-या 22 मई को , मेष चर राशि के चंद्र मे वाहन यातायात ट्रेन प्रारम्भ करवा सकता है |
भारत की वऋषभ लग्न अर्थात इस लग्न या इससे 7वी
लग्न मे ट्रेन संचालन भी करवा सकता है |
शनि मई मे अमावस्या एवं शनि जयंती के आसपास 21-या 22 मई को , मेष चर राशि के चंद्र मे वाहन यातायात ट्रेन प्रारम्भ करवा सकता है |
भारत की वऋषभ लग्न अर्थात इस लग्न या इससे 7वी
लग्न मे ट्रेन संचालन भी करवा सकता है |
22जून से परीक्षाएं प्रारम्भ होने के योग गुरु ,शनि बुध बना रहे हें|
मई 26 को कर्क का चंद्र विशेष घोषणा या अनेक सुविधाए जन हित मे लागू करवा सकता है |
चंद्र मन का कारक सूर्य आत्मा का इन राशि पर
राहु अधिक हानिप्रद।भारत में अनिष्ट की स्थिति बना पाते हैं |
भारतवर्ष के लिए मकर। कुम्भ राशि के शनि का नियम लागू नहीं होता है ।
चंद्र मन का कारक सूर्य आत्मा का इन राशि पर
राहु अधिक हानिप्रद।भारत में अनिष्ट की स्थिति बना पाते हैं |
भारतवर्ष के लिए मकर। कुम्भ राशि के शनि का नियम लागू नहीं होता है ।
वरण उत्थान प्रद होगा।लाक डाउन 14 मई से पूर्व मुशकिल हे कि बंद हो ,क्योकि शुक्र 13 मई को वक्री होगा इसके पूर्व सभव नहीं ,कुछ कठोर निर्णय होंगे || शनि 11 से वक्री होगा जो लाक डाउन मे छूट पर विचार पर विवश करेगा ,नियम शिथिल होंगे |17 जून से वक्री बुध ग्रह बड़ी उद्घोषणा करवाएगा, जानता के हित मे निर्णय |
जबकि कर्क , मेष, एवं धनु राशि से संबंधित ग्रह योग|
इसलिए किसी भी महामारी का प्रबल प्रभाव भारतवर्ष में नहीं होगा ।
जबकि कर्क , मेष, एवं धनु राशि से संबंधित ग्रह योग|
इसलिए किसी भी महामारी का प्रबल प्रभाव भारतवर्ष में नहीं होगा ।
जबकि धनु ,मिथुन, मकर, कन्या इन पर शनि राहु गुरु केतु का होना
विश्व को सदैव संकट में डालने वाला सिद्ध हुआ है
एवं भविष्य में भी होगा।
https://ptvktiwari.blogspot.com/2020/04/blog-post.html यह भी देखिये |
https://ptvktiwari.blogspot.com/2020/04/blog-post.html यह भी देखिये |
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( लेखक- के 1972 से ज्योतिष के क्षेत्र में भारत की विभिन्न प्रतिष्ठित साहित्यक
( लेखक- के 1972 से ज्योतिष के क्षेत्र में भारत की विभिन्न प्रतिष्ठित साहित्यक
एवं ज्योतिष पत्रिकाओं
में लेख एवं लगभग 100 ईबुक तथा 10000 से अधिक आलेख।
(वास्तु, कुंडली, हस्तरेखा, फेंगशुई,चीनी ज्योतिष, टेरो भविष्य )।
*अनुसंधान*-मुहूर्त एवम *विवाह के लिए ,नक्षत्र से नक्षत्र के स्थान पर अपूर्ण
*अनुसंधान*-मुहूर्त एवम *विवाह के लिए ,नक्षत्र से नक्षत्र के स्थान पर अपूर्ण
मिलान की प्रचलित विधि में संधोधन एवम कुंडली के ग्रहों से कुंडली
मिलान
विधि के ज्ञाता)
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