ग्रहो का कुचक्र
ग्रहण
पूर्व, पश्चात क्या रहस्य? अर्थ संकट गंभीर
स्थिति में कौनसा ग्रह ले जा रहा?
राष्ट्र बनाम बेनामी
,बेलगाम ,आवेश,आक्रोश ,उन्माद
,उपद्रव ओर अग्नि आहुति का। घरो के चिराग बुझने का, बेसहारा होते लोगो का,तिनका तिनका जोड़ कर बनाये आशियाना अग्नि के हवाले
होते मूक दर्शक बने देखने का, उन्माद
आक्रोश आवेश की भेंट हुए कभी न लौटने वालेभाई,पिता,अपनो के वियोग की वियाग्रा की तंद्रा में ,सूनी सूनी पथराई आंखों से जीवन की भोर में ही ,ग्रहण लगते,अंधेरा
हुए भविष्य को जीने की विवशता से भय भीत आतंकित बुझे बुझे चेहरे सब नियति दुष्ट
ग्रहो का अनियंत्रित षड्यंत्र ही तो है।
ज्योतिष के ज्योति/,रहस्य भेदक नेत्रों से यदि हम विहंग अवलोकन या
विश्लेषणात्मक
सिंहावलोकन करने पर, ज्ञात हुआ ग्रहों का षड्यंत्र ही है,यह दुःस्थिति।
क्यो इस अवधि मे ,विश्व के
किसी भी शासक के विरुद्ध जनमानस एवं उनके द्वारा लिए गए निर्णय,नीति,जन योजना के प्रयासो पर ,प्रतिकूल प्रभाव के असहयोग,उन्माद का जिन्न आबैठा,
? राष्ट्र /या प्रदेश , क्यो दुर्भाग्य के रक्तिम पंजे की कठोर पकड़ मे हे ?
? राष्ट्र /या प्रदेश , क्यो दुर्भाग्य के रक्तिम पंजे की कठोर पकड़ मे हे ?
ग्रहों के संघटन
बनाम गोचर स्थिति -
गुरु की राशि धनु पर
सूर्य ,गुरु, शनि, केतु एवं उससे सप्तम राहु उसका साथ देने के लिए
मंगल 11वा ,पूर्ण
दॄष्टि शुक्र पर एवं ग्रहो के संघटन से
द्वितीय शुक्र, द्वादश बुध
कीअराजक स्थिति वर्ष 2020 में निर्मित हुई है ।
घटनाओं का प्रमुख
शनि प्रतीक्षा में ही था । सहयोग प्रारंभ तो गुरु ने नवंबर के प्रथम सप्ताह धनु
राशि में प्रवेश करते ही कर दिया था ।
मंगल एवं बुध ग्रह सामान्य नहीं है। यह सदैव अवसर की प्रतीक्षा में रहते हैं कि किस
प्रकार से किसी भी राष्ट्र की संपत्ति को अथवा जनधन हानी ,विवाद, झगड़े
,आवेश तथा आक्रोश निर्मित करें ।
विशेषता यह है कि
मकर राशि शुक्र भी इनके आगे चल रहा है ।जो कुटुंब
परिवार शहर राष्ट्र के लिए घातक सिद्ध हो रहा है । हम ग्रहों की स्थिति को देखें तो -
शनि को मंगल आश्वस्त
कर रहा है कि, राजनीतिक उथल-पुथल, जन नेतृत्व संगटन, एक मत होना विरोधी विचारधाराओं का /एकत्र होना .महंगाई को 4 गुना
तक बढ़ाऊंगा ।.
जबकि बुध 16 दिसंबर
से शनि के साथ छिपे रूप से इस प्रयास में उत्तरोत्तर बढ़ रहा "27 जनवरी 2021तक
देश में रोग ,शोक ,झगड़े
,आक्रोश ,आतंक
एवं मृत्यु कारक आकस्मिक घटनाएं उत्पन्न की जावे."
इस तरह से यह 16 दिसंबर से 27 जनवरी
तक उन्मादी प्रकृति लेकर चल रहा है ।
इसके पश्चात राहु को
देखें ।
,राजा को मुकूट विहीन,देश में अर्थ संकट ओर -ओर गंभीर रूप से गहराने के
लिए प्रयत्नशील है,जो चिंतनीय है।
फसलों को प्रभावित
करना इसकी प्रकृति है। खनिज अन्न अभाव ,फसल
सब्जी की क्षति ,मंत्रिमंडल राजनीति में उथल-पुथल एवं सत्ता
परिवर्तन ,राज्य विहीन राजा को करबे के अवसर की प्रतीक्षा
एवम
कटिबद्ध है ।केवल
वस्त्र व्यापार में वृद्धि के अतिरिक्त सभी और यह आग लगाने का कार्य कर रहा है ।
शुक्र की
ओर दृष्टिपात करने से ज्ञात होता है कि ,13 दिसंबर
से शुक्र जन साधारण में आक्रोश ,आतंक ,उन्माद विवेक हींन आवेश (विशेष तौर पर कश्मीर, सौराष्ट्र, जम्मू, यूपी ,बिहार
,जालन्धर,,बंगाल
,दिल्ली असंतोष घृणा आदि क्षेत्र में,प्रकृति उत्पन्न करने में अग्रसर है ।
जिसका प्रभाव 3 जनवरी तक विशेष रूप से रहेगा ।3 जनवरी के पश्चात इसमें कमी लाएगा ।परंतु 14 जनवरी से 6 फरवरी
तक गुरु
एवं मंगल ग्रह की
कारगुजारी पर लगाम लगाएगा ।
परंतु दिल्ली पंजाब
बंगाल में स्थिति पर पूर्ण नियंत्रण नहीं कर सकेगा ।5 फरवरी के पश्चात यह सब पर नियंत्रण करने में आगे
आ जाएगा ।
सूत्रधार शनि की कारगुजारी देखें तो मध्य भारत, उत्तर प्रदेश, कश्मीर
बिहार ,हिमाचल पहाड़ी प्रदेश एवं व्यापार के लिए
उत्तरदायीं 27 नवंबर 2018 से
अग्रसर
है ,जो निरंतर इस प्रयास में है कि ,अन्य ग्रह (मंगल बुध सूर्य शुक्र आदि )समय-समय पर
इसका सहयोग करते रहे ।
*
जनवरी 2021 में , वृषभ राशि पर राहु , मेष पर मंगल एवं मकर
पर सूर्य ,बुध, गुरु ,शनि जमघट।
यह समस्त धातु की
मूल्य व्रद्धि, यवन वर्ग को प्रताड़ित,कृषि हानि, संपत्ति
के लिए ,पहाड़ी प्रदेशों के लिए और अधिक समस्या प्रधान हो
जाएगा।
वर्ष 2021 के प्रारंभ में पुनः (जिस प्रकार इस दिसंबर 2020 में ग्रह धनु राशि पर एकत्र हुए हैं ,)आगामी वर्ष में न्यायाधीश
शनि अपने कार्यालय मकर राशि में बैठ कर जनवरी माह में
एकत्र होंगे ।
जिसका भरपूर लाभ शनि
उठाएगा और इससे भी अधिक प्रतिकूल स्थितियां उत्पन्न करेगा ।
परंतु या खराब
स्थितियां यवन राष्ट्र /वर्ग या आतंकी
या उनके पोषक राष्ट्र पर ,पहाड़ी क्षेत्र पर अधिक करेगा ।उस समय समस्त धातु
विशेष रूप से सोना एवं खनिज बहुत महंगे हो जाएंगे।कृषि,संपत्ति,अग्नि
पदार्थ, अग्नि भेट,आदिवासी,पहाड़ी निवासी,आगरा
शहर,(ज्योतिष ग्रंथ आधारित) के लिए शनि दंडात्मक
कार्रवाई कस्र सकता है।
संक्षित में उन्माद का पटाक्षेप कब तक?
इस प्रकार संक्षिप्त
में 3 जनवरी तक बुध ,मंगल
17 मार्च तक, शुक्र
14 जनवरी तक एवं शनि संपूर्ण वर्ष में समस्या प्रधान
बना रहेगा . अर्थात जनवरी के द्वितीय सप्ताह तक स्थिति शांति एवं नियंत्रण में होगी।
न्यायाधीश शनि के
सीने में दंड की ज्वाला धधकती रहेगी-2021 अंत तक
2021 अथवा 2020 दिसंबर की पूर्व अंतिम बेला में शनि की वक्र
दॄष्टि -2021 अंत तक
प्रदेश प्रधान ,राज्यपॉल,विभाग
प्रमुख,संस्थान प्रमुख,एवं
उच्च पदों पर पदस्थ प्रमुख व्यक्तियों पर रहेगी। विशेष रूप से कष्ट ,संकट या अवसान के स्थिति बन सकती है।चुनाव में
सत्ता पक्ष की पराजय।
*
ग्रहो का शनि एवं
विप्लवी राहु के साथ असहयोग प्रारम्भ -2020 कब?
कुल मिलाकर 14 जनवरी को शुक्र का शतभिषा में प्रवेश, लगभग 19 जनवरी
को बुध का श्रवण नक्षत्र में प्रवेश, एवं
27 फरवरी को पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में मंगल का प्रवेश
आदि शनि का सहयोग करना बंद कर देंगे ।
-लेख ज्योतिष ग्रंथो विशेष,भद्रबाहु संहिता संदर्भ। ग्रह की राशि,नक्षत्र,चरण,स्वामी,नवमांशआदि पर आधारित
-लेख ज्योतिष ग्रंथो विशेष,भद्रबाहु संहिता संदर्भ। ग्रह की राशि,नक्षत्र,चरण,स्वामी,नवमांशआदि पर आधारित
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